Wednesday 30 October 2024

भारतीय पर्व-उत्सव (शुभ दीपावली )


भारत के प्रमुख त्योहारों में दीपवली विशेष पर्व है, इसे आलोक पर्व के रूप में मनाते हैं। कृषी प्रधान देश भारत में हजारों वर्ष पूर्व इस उत्सव का प्रचलन ऋतुपर्व के रूप में हुआ था। समयानुसार इस पर्व के साथ महत्वपूर्ण एतिहासिक घटनाएं प्रचलित होने लगी। दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व प्राचीन ग्रंथ सनत्कुमार संहिता  से मिलता है, जिसमें दानवराज बलि के कारागार में बंद देवी लक्ष्मी को वामन अवतार  भगवान विष्णु जी द्वारा मुक्त कराने का उल्लेख है। वैदिक साहित्य के अतिरिक्त अन्य प्राचीन भारतीय साहित्य में भी दीपावली का अनेक प्रसंग है। स्वच्छता की दृष्टी से ये पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। घर की सफाई के लिए चूना, नीलाथोथा आदि कीटनाशक पदार्थों का प्रयोग सीलन, दुर्गंध और अस्वास्थकर वातावरण को दूर करते हैं। असंख्य दीपों से उत्पन्न होने वाला प्रकाश, वर्षा ऋतु में पैदा होने वाले किटाणुों का नाश करता है। दीपक में जलने वाले 
सरसों के तेल का धुआँ सासों के जरिये संक्रामक कृमियों का संहार करता है। 

शुभता और स्वच्छता के प्रतीक पर्व पर ईश्वर से यही कामना करते हैं कि,  दिपोत्सव की रोशनी पूरे साल हताशा के अंधेरे को नष्ट कर सबके घर-आंगन-मन को रोशन करती रहे। अंधेरे के आकाश को परास्त करने वाले नन्हें से दीपक सा साहस हम सब में भी बना रहे। इसी मंगल कामना के साथ  सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

Wednesday 2 October 2024

जय माता दी 🙏 प्रार्थना की शक्ति


मित्रों, आइये हमसब मिलकर, माँ दुर्गा की आराधना और प्रार्थना करते हैं।नवरात्री के विशेष पर्व पर प्रार्थना की अद्भुत शक्ति को समझने का प्रयास भी करते हैं। 

जब भी हम सब पुरी आस्था से अपने - अपने ईश्वर की प्रार्थना करते हैं तो एक संबल मिलता है और हमारा आत्मबल मजबूत हो जाता है। 

साथियों , जब हमारे चारों ओर निराशा और अंधकार के बादल मंडराने लगते हैं तो हम किसी ऐसे की तलाश करते हैं, जिससे हम अपनी बात कह सकें। तब हमारी तलाश ईश्वर पर ही खतम होती है। ईश्वर का सबल मिलते ही हमारा आत्मबल मजबूत होने लगता है। 

प्रार्थना के लिये किसी भाषा या व्याकरण की जरूरत नही है। आवश्यकता है पूर्ण आस्था के साथ अपने ईश के समक्ष संपूर्ण समर्पण। प्रार्थना से हममें ऐसी ऊर्जा का संचार होता जिससे हममें विपरीत परिस्थिती में भी सही सोच रखने का साहस मिलता है। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि, प्रार्थना से अंतर्मन की सोई ऊर्जा सक्रिय हो जाती है, जिससे कई बार तो असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है। ध्यानयोग्य बात ये है कि, प्रार्थना के समय हमारा मन पूरे विश्वास के साथ ईश्वर के प्रति केंद्रित होना चाहिये। प्रार्थना का अभिप्राय ये कदापी नहीं है कि, हमारे सभी कार्य पूर्ण हो जायेंगे। बल्की हमें उचित कार्य करने और सही दिशा में  अग्रसर होने की शक्ति प्राप्त होती है। 

कहते हैं, ईश्वर भी उसी की सहायता करते हैं जिनको स्वयं पर विश्वास होता है। प्रार्थना से ध्यान का अभ्यास भी होता है। प्रार्थना करते समय व्यक्ति का मंदिर में होना जरूरी नही है लेकिन व्यक्ति के मन में ईश्वर का होना जरूरी है। जब विचार, इरादा और प्रार्थना सब सकारात्मक हो तो जिंदगी अपने आप सकारात्मक हो जाती है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, प्रार्थना ऐसे करो कि सबकुछ भगवान पर ही निर्भर करता है और प्रयास ऐसे करो कि सबकुछ आप पर निर्भर करता है। 

अपनी कलम को विराम देते हुए यही कहना चाहेंगे कि , प्रार्थना और विश्वास दोनों अदृश्य हैं, परंतु दोनों में इतनी ताकत है कि नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं। विश्वास बनायें रखें सब अच्छा होगा 🙏

माँ की कृपा हमसब पर सदैव बनी रहे इसी मंगलकामना के साथ सभी पाठकों को दुर्गा उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 



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गायत्री मंत्र का शाब्दिक महत्व


माँ दुर्गा का अनुपम पर्व 

Saturday 1 June 2024

श्रीकांत बोल्ला A inspiring Story



मित्रों,  

आज हम श्रीकांत बोल्ला देखकर आए। सबसे पहले तो फिल्म के हीरो राजकुमार राव को धन्यवाद देते हैं, जिन्होने मिस्टर श्रीकांत बोल्ला के किरदार को बहुत खूबसूरती से निभाया है। फिल्म देखकर पहला विचार यही आया कि , एक छोटी सी जगह , आर्थिक तंगी और शारीरिक अक्षमता के बावजूद एक बच्चा अपने दृणविश्वास के बल पर करोणों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन सकता है!!!!!! 

ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि , श्रीकांत की राह आसान नहीं थी। जन्म से अवहेलना का तंज, पढाई में बाधाएं, भारतीय शिक्षा नीति की कमियां इत्यादि ऐसे अवरोध हैं जो एक दृष्टीबाधित व्यक्ति को हमेशा आगे बढने से रोकते हैं।  आमतौर पर सभी दृष्टीबाधित लोगों को उपरोक्त बाधाओं को झेलना पङता है। परंतु जो अपने जज़बे को दृणसंकल्प के साथ यथार्थ में अमलीजामा पहनाता है वही श्रीकांत  बनता है।  

श्रीकांत की आत्मकथा सभी के लिए सकारात्मक संदेश देती है, चाहे वो शारीरिक सक्षम हो या अक्षम। मुश्किलें तो जीवन में सबके साथ आती रहतीं है। परंतु सफलता के सपने को देखना और उसको जीना सबसे बङी शक्ति है जिसको श्रीकांत ने हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढाया। हम सब कुछ कर सकते हैं ये वाक्य वो जादूई शक्ति है जिससे सफलता की ऊंचाईयों को छुआ जा सकता है। आर्थिक तंगी कभी भी सफलता की बाधक नही है, जहां चाह है वहां राह आसान हो जाती है। कहते हैं, जो अपने पथ पर अटल है वही सफल है। 

इस फिल्म में श्रीकांत जी का एक संवाद बहुत खास है, "नाना, अंधा भाग नही सकता लङ सकता है।" ये संवाद बहुत गूढ बात कहता है........... अपनी समस्याओं से भाग जाना (जो बहुत आसान पथ है) या अपने सपनों को साकार करने के लिए हर मुसिबत से डटकर लङना। 

इस कहानी में स्पष्ट है कि, एक शिक्षित व्यक्ति किसतरह से रोजगार के माध्यम से स्वयं आत्मनिर्भर बनकर अनेक लोगों को आत्मनिर्भर बना सकता है। श्रीकांत के जीवन में दो किरदार बहुत महत्व रखते हैं, एक शिक्षिका देविका और आर्थिक मदद करने वाला व्यक्ति रवी। 

फिल्म देखने के बाद वहीं उपस्थित कुछ लोगों से हमने पूछा कि, इस फिल्म को देखकर आपका क्या विचार है, ज्यादातर लोगों ने यही कहा कि हम लोग अक्सर छोटी छोटी समस्याओं से घबङा जाते हैं, रास्ता बदल लेते हैं । परंतु श्रीकांत के जीवन को देखकर लगा कि समस्याओं से भागने की बजाय समस्याओं को भगाने का उपाय करना चाहिये।

अगला प्रश्न मेरा था कि, क्या आपलोगों के मन में ये विचार आया कि हमें भी देविका या रवी बनकर सहायता करनी चाहिये ?

कुछ लोगों का उत्तर था कि, हां जरूर हम शिक्षा के क्षेत्र मेंं अवश्य मदद करना चाहेंगे। आशा करते हैं ये फिल्म समाज को जागरुक अवश्य करेगी । 


श्रीकांत जी का संक्षिप्त परिचय 
(श्रीकांत  का जन्म 7 जुलाई 1992को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के सीतारमपुरम में एक तेलुगु भाषी परिवार में हुआ था। वह जन्म से ही दृष्टिबाधित थे। श्रीकांत साइंस पढ़ना चाहते थे लेकिन दृष्टीबाधित होने के कारण उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी गई। श्रीकांत ने भी हार नहीं मानी। कई महीनों तक कोर्ट में लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार श्रीकांत देश के पहले दृष्टीबाधित बने, जिन्हें 10वीं के बाद साइंस पढ़ने की इजाजत मिली।दृष्टी नहीं हैं लेकिन  23 साल की उम्र में खड़ी कर दी 80 करोड़ की कंपनी। श्रीकांत की कंपनी कंज्यूमर फूड पैकेजिंग, प्रिंटिंग इंक और ग्लू का बिजनेस कर रही है। आज कंपनी के हैदराबाद और तेलंगाना के पांच प्लांट हैं। इनमें सैकड़ों लोग काम कर रहे हैं। फिलहाल उनकी कंपनी में चार हजार लोग काम कर रहे हैं। खास बात यह है कि उनकी कंपनी में 70 फीसदी लोग दृष्टीबाधित और अश्क्त हैं। इन लोगों के साथ वे खुद भी रोजाना 15-18 घंटे काम करते हैं। अपनी सफलता के बारे में श्रीकांत का कहना है कि जब दुनिया कहती थी, यह कुछ नहीं कर सकता तो मैं कहता था कि मैं सब कुछ कर सकता हूं।)

मित्रों, मेरा भी यही उद्धेश्य है:---- शिक्षा के माध्यम से दृष्टीबाधित बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना।

"शिक्षा के माध्यम से अपने प्रिंट दिव्यांग साथियों को आत्मनिर्भर बनाने में; मैं (अनिता शर्मा) वॉइस फॉर ब्लाइंड के नाम से प्रयासरत हुँ। (वॉइस फॉर ब्लाइंड) ई लर्निंग का ऐसा मंच है जो दिखता नही किंतु हजारों प्रिंट दिव्यांग साथियों को देश दुनिया की जानकारी से अपडेट कराते हुए, शिक्षा की अलख को सोशल मिडिया की सभी विधाओं जैसे- यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, स्काईप तथा वाट्सअप के माध्यम से रौशन कर रहा है, जिसके प्रकाश में भारत के विभिन्न राज्यों के प्रिंट दिव्यांग साथी लाभान्वित होकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं।"

इस मुहीम में यदि आप भी जुङना चाहते हैं तो हमें,  voiceforblind@gmail.com पर मेल करें

अपनी कलम को विराम देते हुए यही कहेंगे कि,



बिना कष्ट के सिध्दियां मिलती नहीं

जो तपा उसी की जय है।

कण कण में तेरा परिचय है,

यदि मन में दृणविश्वास है। 


आपका थोङा सा समय किसी को आत्म सम्मान से जीने का अवसर दे सकता है

धन्यवाद 🙏









Monday 15 April 2024

ॐ श्री रामाय नमः

 


राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।

सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥

रामलला विराज गए, धरती पुलकित है, मन हर्षित है। भारत की हवा राममय हो गई है। पाँच सौ वर्षों का संघर्ष सफल रहा। कर्तव्यपरायणता और नैतिकता के प्रतीक विष्णु के सातवें अवतार “श्री राम” के आगमन पर सम्पूर्ण भारत के ह्रदय में राम नाम की गूंज है। अयोध्या में बालसुलभ मुस्कान के साथ लोकाभिराम नयनाभिराम विराजमान हो गये। 
तुलसीदास जी ने इसी मनोहर स्वरूप का वर्णन करते हुए लिखा ...

वर दंत की पगति कुंदकली, अधराधर-पल्लव खोलन की ।

चपला चमके घन बीच, जगै छबि मोति अमोलन की।।

घुंघरारी लटैं लटकैं मुख ऊपर, कुंडल लोल कपोलन की।

निवछावरि प्रान करैं तुलसी, बली जाऊँ लला इन बोलन की ।।


अर्थातः कुंदकली के समान उज्ज्वल वर्ण दंतावली, अधरपुटों का खोलना और अमूल्य मुक्ता मालाओं की छवि ऐसी जान पड़ती है मानो श्याम मेघ के भीतर बिजली चमकती हो। मुख पर घुँघराली अलकें लटक रही हैं। तुलसीदास जी कहते हैं-  
लल्ला! मैं कुंडलों की झलक से सुशोभित तुम्हारे कपोलों और इन अमोल बोलों पर अपने प्राण न्योछावर करता हूँ।
 
राम की महिमा तो अनंत है। कमलनयन रघुपति का ध्यान शिव शंकर महादेव भी  करते हैं। रघुपति राघव राजा राम का  दर्शन अयोध्या में ऐसा प्रतीत हो रहा है, "मानो सोने की सुंदर डिबिया में मनोहर रत्न सुशोभित हो।"सबका मंगल और कल्याण करने वाले आजानबाहु श्री रघुनाथ का वेद और पुराण भी वंदन करते हैं। कलियुग में श्री पुरुषोत्तम राम का नाम मनचाहा फल देने वाले कल्पवृक्ष के समान है।

 राम तो अंत्योदय से सर्वोदय का मार्ग हैं। राम एक विचार हैं, जीवन की धङकन हैं। आज जीवन की आपाधापी में व्याकुल मन का गंतव्य हैं राम। निर्बल के बल हैं राम। राम शब्द में दो अर्थ समाया हुआ है, सुखद होना और ठहर जाना। यदि सुखद ठहराव के शब्दों पर ध्यान दें तो सबमें राम का नाम आलोकित है, जैसेः- आराम, विराम, विश्राम, अभिराम, उपराम, ग्राम। ऐसे कौशल्यानंदन जानकीवल्लभ श्री राम को , कर से कर को जोड़कर बारंबार प्रणाम है। आज रामनवमी के अवसर पर हम सब ये प्रतिज्ञा करें कि नर नाहर श्री पुरूषोत्म का रामराज फिर लायेंगे। भारत को समृद्ध, सशक्त, समदर्शी बनायेंगे।

जासु नाम भव भेषज हरन घोर त्रय सूल
सो कृपाल मोहि तो पर सदा रहउ अनुकूल॥

अर्थात:-जिनका नाम जन्म-मरण रूपी रोग की औषध और तीनों पीड़ाओं (आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक दुःखों) को हरने वाला है, वे कृपालु श्री रामजी मुझ पर और आप पर सदा प्रसन्न रहें॥

इसी शुभकामनाओं के साथ सबको रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏



Thursday 9 November 2023

एक दिया परोपकार का जलाएं (शुभ दिपावली)

 मित्रों, रौशनी के पावन पर्व दिपावली पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं💫💫💫😊😊


भारतीय संस्कृति में दीपावली हर्ष उल्लास एवं आपसी प्रेम का त्योहार है। दिपोत्सव पांच दिन तक मनाया जाता है, जिसमें पूजन के साथ रौशनी का विशेष महत्व है। रौशनी के इस पावन पर्व पर आइये हम और आप मिलकर सहयोग का ऐसा दिया जलाएं, जिससे रौशनी  न देखने वाले लोगों  के जीवन में सम्मान का  प्रकाश रौशन हो। 

कहते हैं कि, जो हांथ दूसरों की मदद के लिए उठते हैं वे प्रार्थना करने वाले होठों से ज्यादा पवित्र होते हैं। हम सब  शुभता की कामना से दरवाजे पर शुभ लाभ लिखते हैं, इसके इतर यदि हम जीवन में परोपकार की भावना बनाएं तो हर पल लाभ ही लाभ होगा। कहने का आशय है कि, यदि मन का भाव सच्चा है तो हर काम अच्छा है। 
स्वामी विवेकानंद जी का कहना है कि, 
"मानव सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है”  

अतः इस दिपावली, हमसब मिलकर ये संकल्प करें कि,  हमारे और आपके सहयोग रूपी दिपक के प्रकाश में दृष्टीबाधित साथी अपने जीवन के अंधकार को दूर करके  जीवन को हर्ष उल्लास से रौशन करें💥💥💫💫 

शुभ दिपावली 🙏



Monday 14 August 2023

77 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं



स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आइये हम सब मिलकर प्रण करें कि भारत के तिरंगे को विश्व गगन पर लहरायेंगे, धर्म और जाति से इतर इंसानियत का आगाज करेंगे, ये कहना अतिश्योक्ति नही कि आज दुनिया में भारत का नगाड़ा गूंज रहा है,देश का सितारा चमक रहा है अतः इस चमक को अपने राष्ट्रहित के जज़बे से और चमकाएं, मिलकर दुआ करें कि बुलंदी पर लहराता रहे तिरंगा हमारा।
जय हिंद जय भारत
🙏




 

Sunday 14 August 2022

आजादी के अमृत महोत्सव की हार्दिक बधाई

 

भारत माता के अमर शहीदों को शत् शत् नमन करते हुए आजादी के अमृत महोत्सव का आगाज करते हैं। याद करते हैं उन वीरों को जिन्होने अपने प्राणों को न्योछावर करके भारत माता के भाल पर आजादी का तिलक लगाया और देश की तकदीर बदल दी। आज हम सब देशभक्ति की भावना का अनुराग लिए हर घर तिरंगा , घर घर तिरंगा लहरा रहे हैं। सत्यमेव जयते का उद्घोष लिए एक भारत श्रेष्ठ भारत आज नित नई उन्नती के शिखर पर तिरंगा लहरा रहा है। सारे जहां से अच्छे हिंदोस्तान पर हम सब गर्व करते हैं। यहां का कण-कण सोना है, गंगा की अविरल धारा में भाईचारे का प्रतिबिम्ब साफ नजर आता है। भारत की, गंगा-जमुनी संस्कृति पर हम सब मान करते हैं। विश्वशांति की कामना का पाठ देने वाली मातृभूमी का वंदन करते हैं। आइये हम सब मिलकर इस अमृत महोत्सव पर संकलप करें कि, विश्व में भारत की शक्ति का, नया परचम फहरायेंगे। अनेकता में एकता का संदेश लिए तिरंगे को चारों दिशाओं में लहरायेंगे। दुश्मन की हर साजिश को नाकाम करें और आह्वान करें ना जियो धर्म के नाम पर, ना मरो धर्म के नाम पर, इंसानियत ही है धर्म वतन का, बस जियो वतन के नाम पर। आजादी के दिन आओ मिलकर  दुआ करें बुलंदी पर लहराता रहे तिरंगा हमारा। राष्ट्रकवि दिनकर जी की कविता से तिरंगे को बारंबार नमन करें ............

नमो, नमो, नमो।
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!

नमो नगाधिराज – शृंग की विहारिणी!
नमो अनंत सौख्य – शक्ति – शील – धारिणी!
प्रणय – प्रसारिणी, नमो अरिष्ट – वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा – प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!

आप सबको 76वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 75वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव को मिलकर गायें, खुशियां मनायें


अमृत सा अमर मेरा देश,
सबसे न्यारा मेरा देश।
दुनिया जिस पर गर्व करे,
ऐसा सितारा मेरा देश,
आगे जाए मेरा देश,
इतिहासों में बढ़ चढ़ कर,
नाम लिखाये मेरा देश 

जय हिंद वंदे मातरम्











Friday 1 April 2022

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

 




नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामना के साथ आज हम सब मिलकर संकल्प करें कि, परिस्थित कुछ भी हो हम सब जिंदगी को सुरक्षित और खुशहाल वातावरण प्रदान करेंगे। यदि हर हाल में हम सहज रहने का संकल्प कर लें तो दुनिया की कोई भी ताकत हमें विचलित नहीं कर सकती। जीवन का शास्वत सच है कि, जिंदगी का चक्र गतिशील है। इसमें सुख-दुःख, प्राकृतिक परिवर्तन की तरह हैं। अर्थात... रात के बाद उजली सुबह , पतझङ के बाद बसंत............

यदि जीवन में कभी बुरे दिन से रूबरू हो भी जायें तो ये हौसला रखें कि, दिन बुरा है जिंदगी नहीं। यदि हम प्रकृति से परिवर्तन का मंत्र सीखकर जीवन को उत्सर्ग कर देने का जज़्बा रखते हैं तो यकीन करें ईश्वर का वरदहस्त प्रतिपल साथ रहता है। निःसंदेह ऐसे में नियति का विधान भी सकारात्मक पूर्णता के लिए प्रतिबद्ध रहता है।

दृण संकल्प के साथ मन में ये भरोसा अवश्य रखें कि, जब हम किसी का अच्छा कर रहे होते हैं ,तब हमारे लिए कहीं कुछ अच्छा हो रहा होता है। सच तो ये है कि, जिंदगी एक आइना है, वो तभी मुस्कुरायेगी जब हम मुस्कुराएंगे। जीवन का सबसे कठिन दौर वो नही है जब कोई हमें न समझे बल्की वो होता है जब हम अपनेआप को न समझें। इसलिए स्वयं की नजर में यदि सही हैं तो दुनिया की परवाह न करें, वो तो भगवान से भी दुखी है। नव वर्ष मे सकारात्मक सोच का संकल्प करें और खुद पर भरोसा करके आगे बढते रहें।

नही ठहरती मुश्किलें जिंदगीभर ,जिंदगी में । हर मुश्किल का एक सुनहरा अंत होता है। रख भरोसा खुदपर, पतझड के बाद ही बसंत आता है।



सकारात्मक सोच के साथ कलम को विराम देते हैं.......
 नव वर्ष , गुणी पड़वा , नवरात्र एवं रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं


नए वर्ष का यह प्रभात
खुशियों की सौगात लाये
मिट जाये सब मन का अँधेरा
चहुँओर उजाला हो जाये


जय माता दी
जय श्रीराम

Thursday 17 March 2022

होली की हार्दिक बधाई



  • सभी रंगो का रास है होली, 
  • मन का उल्लास है होली,
  • जीवन के सभी रंगो की बौछार है होली, 
  • खुशियों की बयार है होली, 
  • इसलिए खास है होली। 
  • आइये हम सब मिलकर अपनत्व की मनाये होली।
  •  
  • होली की हार्दिक बधाई 

Monday 14 September 2020

हिंदी अपनी पहचान है

आज सुबह से हर तरफ हिंदी दिवस की बधाई गुंजायमान हो रही है। ऐसे में मन में प्रश्न उठता है कि क्या हिंदी को एक दिवस के रूप में मनाना न्यायोचित है। गौरतलब है कि, 14 सितंबर 1949 को अनुछेद 343 एक के अनुसार हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया तथा 26 जनवरी 1950 से हिंदी अधिकारिक तौर पर बोली जाने वाली भाषा बन गई परंतु विडंबना ये है कि हिंदी प्रति वर्ष 14 सितंबर को एक दिवस के रूप में ही सिमटकर रह गई जबकी 14 सितंबर 1949 के पहले से हिंदी भारत की संवेदनाओं का शब्द है, हिंदी भारत की अभिव्यक्ति को जिवंत करती है। हिंदी तो अपनी पहचान है फिर पहचान को दिवस की दरकार क्यों??? 

महात्मा गाँधी ने एकबार कहा था कि, "राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।" 

मेरा मानना है कि ,राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करना चाहिए भारत के वे सभी प्रांत जहां हिंदी का चलन बहुत कम है वहां के बाजारों में सभी दुकानों पर एवं वहां के सभी दफ्तरों तथा अस्पतालों पर उनके बारे में स्थानिय भाषा के साथ हिंदी में भी लिखना अनिवार्य किया जाना चाहिए। गाँधी जी का उपरोक्त कथन तभी सार्थक होगा। 

मित्रों, यहां कुछ ऐसे चिकित्सकों का जिक्र करना चाहेंगे जिनकी अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकङ है फिर भी हिंदी को अपना गौरव मानते हैं , डॉ. शैलेंद्र (डॉक्टर ऑफ मेडिसंस) हैं, आप हरियाणा के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में चिकित्सा अधिक्षक हैं। उनके कार्यलय में नाम पट्टिका सम्मान बोर्ड सब हिंदी में है। उनका हिंदी प्रेम अत्यधिक रोचक है, डॉ. शैलेंद्र जाँच, निदान और औषधियां सब हिंदी में लिखते हैं। उनका कहना है कि, हमें अपनी मातृभाषा को पूरा सम्मान देना चाहिए। गोरखपुर विधानसभा सीट से चार बार विधान सभा पहुँचने वाले डॉ. राधा मोहन दास भी दवाई की पर्ची हिंदी में लिखते हैं।स्वर्गिय डॉ. जितेन्द्र सुल्तानपुर से हैं एम बी बी एस की परिक्षा में टॉप किये थे, वो भी हिंदी में दवाईयां लिखते थे। उपरोक्त चिकित्सकों से प्रेरणा लेकर अधिकांश लोगों को अपने कार्यक्षेत्र में हिंदी को अपनाना चाहिए। 

ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि हिंदी सिर्फ भाषा नही है बल्कि उस विराट सांस्कृतिक चेतना का नाम है, जिसमें अनगिनत धर्म, समुदाय, संस्कार और पंथ समाहित हैं। हिंदी तो हमारी ताकत है। हिंदी हम सबके लिए गौरव है। हिंदी तो वो सागर है जिसमें भारत की सभी भाषाओं का सम्मान विद्यमान है। हम हिंदी को याद करें , बोलचाल में बोले, अपनी भाषा हिंदी पर अभिमान करें। हिंदी को किसी दिवस में न बाँधे बल्की उसे स्वतंत्र आकाश दिजिए हिंदी तो अपनी राष्ट्रीय एकता और अखंडता की प्रतीक है।

जय हिंद वंदे हिंदी वंदे भारत