जब हम भय की जगह निर्भय होकर प्रत्येक कठिनाई को
परास्त करने में सक्षम हो जाते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं तब शक्ति
की कृपा का अनुभव होने लगता है। माँ दुर्गा शक्ति का रूप हैं। रणक्षेत्र में श्री कृष्ण ने युद्ध शुरु
होने से पहले अर्जुन को माँ शक्ति की उपासना और आह्वान करने के लिए कहा था, जिससे
न्यायसंगत शक्ति के साथ सफलता प्राप्त हो। जीवन भी एक प्रकार का संग्राम है। इसमें
पल-पल परिस्थितियाँ बदलती रहती है। विपरीत परिस्थिती में भी स्वयं को कायम रखने के
लिए एक विषेश प्रकार की शक्ति की आवश्यकता होती है। जो जीवन मझधार में अटकी नैया को सकुशल अपने लक्ष्य तक
पहुँचाने में मदद करती है। ऐसी ही अपरिमित शक्ति का भंडार गायत्री मंत्र (ऊँ
भूर्भुवः स्वः तत्सवितुवर्रेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्) के
तीसरे अक्षर ‘स’ में समया हुआ है। जो शक्ति की प्राप्ति और सदुपयोग की शिक्षा देता
है।
शक्ति और सत्ता, ईश्वर कृपा से प्राप्त होने वाली
पवित्र धरोहर है, जो मनुष्य को इसलिए दी जाती है कि वह निर्बलों की रक्षा कर सके।
परंतु यत्र-तत्र अक्सर देखने को मिल जाता है कि दुर्बल सबलों का आहार हैं। शक्ति
तो वह तत्व है जिसके आह्वान से अविद्या, अंधकार तथा सभी परेशानियों का अंत हो जाता
है। मन में शक्ति का उदय होने पर साधारण मनुष्य भी गाँधी, आर्कमडीज, कोलंबस,
लेनिन, आइंस्टाइन जैसी हस्ती बन जाते हैं। बौद्धिक बल की जरा सी चिंगारी तुलसी, सूर,
वाल्मिकी, कालीदास जैसे रचनाकारों को जन्म दे देती है।
माँ के इस अनुपम पर्व पर हम सभी अष्टभुजी दुर्गा
की पूजा करते हैं। आठ भुजाओं से तात्पर्य हैः- स्वास्थ, संगठन, यश, शौर्य, सत्य,
व्यवस्था, विद्या तथा धन। इन आठ विधओं का सम्मलित रूप ही शक्ति है। यदि हम सच्ची
लगन के साथ माँ की उपासना निरंतर करें तो जीवन की यात्रा शक्ति की कृपा से निःसंदेह
सुखद और सफल हो जाती है।
सर्वव्यापी, सर्वसम्पन्न माँ शक्ति की कृपा आप
सभी पर सदैव बनी रही इसी मंगल कामना के साथ कलम को विराम देते हैं।
नोट- (नवरात्री से संबन्धित मेरी पूर्व की पोस्ट को पढने के लिए दिये गये
लिंक पर क्लिक करें।)
जय माता दी
Jai Mataa Dee, शक्ति और सत्ता, ईश्वर कृपा से प्राप्त होने वाली पवित्र धरोहर है, जीवन भी एक प्रकार का संग्राम है। इसमें पल-पल परिस्थितियाँ बदलती रहती है।
ReplyDeleteBrij Bhushan Gupta, New Delhi, 9810360393