Monday 25 August 2014

कमजोरी को ताकत बनायें



स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि,  "विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं, कि उनमें समय पर साहस का संचार नहीं हो पाता है और वे भयभीत हो उठते हैं परंतु जो लोग हर बाधाओं को साहस के साथ पार करते हैं वो इतिहास रचते हैं।" 

आज हम ऐसे ही एक आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति का परिचय देने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्होने अपनी कमियों को नजर अंदाज करते हुए सफलता की इबारत लिखी। मित्रों, दृष्टीसक्षम लोग आँख पर पट्टी बाँधकर चार कदम भी सीधे नही चल सकते। बिजली गुल हो जाने पर तुरंत रौशनी का इंतजाम करते हैं, हम अंधेरे से घबङाते हैं। परन्तु इस दुनिया में कई ऐसे लोग भी हैं जिनकी पूरी जिंदगी अँधेरों के साये में ही बीत जाती है। ऐसे लोग अपनी इस कमजोरी को ताकत बना लेते हैं और सकारात्मक सोच के साथ कामयाब जीवन यापन करने हेतु प्रयास करने लगते। 

ऐसे प्रेरणास्रोत लोगों में से एक हैं, इंदौर के आधारसिंह चौहान। आपका मानना है कि, जिंदगी में यदि कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। आधारसिंह चौहान एक दृष्टीबाधित व्यक्ति है परंतु उन्होने कभी भी इसे अपनी कमजोरी या लाचारी नही समझी हर बाधाओं को अपने दृणनिष्चय और सकारात्मक सोच से पार करते रहे। जिसका सुखद परिणाम उन्हे प्राप्त हुआ। खेलों में रुची रखने वाले आधार सिहं को  गोलाफेंक, तैराकी, लम्बी कूद और दौङ में विशेष रुची है। आपने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर एक र्स्वण सहीत तीन रजत पदक और कांस्य पदक जीत कर उन लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है जो, जरा सी अक्षमता से घबराकर जिंदगी से हार मान लेते हैं। 

आधार सिंह का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था, वे जन्म से सामान्य बच्चों जैसे ही थे किन्तु 6 वर्ष की उम्र में उनके साथ एक दुर्घटना घटित हुई, एक बैल की सींग मारने से उनकी दांयी आँख से दिखना बंद हो गया।  कहते हैं कि जब मुसिबत आती है तो अपने साथ कई और परेशानियों को भी साथ ले आती है।  बालक आधार के साथ भी ऐसा ही कुछ घटित हुआ उनकी दूसरी आंख ने भी काम करना बंद कर दिया। अल्प अवस्था में इतना बडा आघात जिससे कोई भी अवसाद में जा सकता है, परंतु आधार ने हिम्मत दिखाई जिसमें उनके परिवार का भी पुरा सहयोग उन्हे प्राप्त हुआ।  
दोनो ऑखों से दृष्टिबाधित होने के बावजूद आधार हार नही माने और अपने गॉव बिनरखेडा जिला खंडवा से इंदौर अध्ययन के लिए आ गये। इंदौर में मधय प्रदेश दृष्टिहीन विदयालय में ब्रेल लीपी का अध्ययन किये एवं यहीं रहते हुए ८वीं की परिक्षा उत्तीर्ण किये तद्पश्चात सुभाष हायर सेकेन्डरी स्कूल से ११वीं की परिक्षा पास किये  इस संस्था में आपने कुर्सी बुनाई, पॉव पोछ हैंगर बनाना तथा टेलीफोन ऑपरेटिंग सीखी महत्वाकांक्षी आधार, संगीत के  क्षेत्र में आगे बढना चाहते थे, परन्तु उन्हे इस क्षेत्र में कुछ खास कामयाबी नही मिली। अतः उन्होने आगे बढने के लिए शिक्षा का मार्ग चुना और गुजराती कला विधि महामहाविदयालय से नियमित छात्र के रूप में बी. ए . की डिग्री हासिल किये और शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय से इतिहास में एम. ए. किये। आगे बढने की चाह के कारण अहिल्या विश्वविद्यालय से एम. फिल. की डिग्री हासिल करने में कामयाब रहे।    

अपनी योगयता के आधार पर आठ वषों तक मध्य प्रदेश के दृष्टीहीन एथलीटों में सर्व श्रेष्ठ खिलाङी रहे।  आधारसिंह की उप्लब्धियों को ध्यान में रखते हुए समाज कलयाण विभाग ने 1985 में आपको सम्मानित किया और तत्कालीन पटवा सरकार ने आपको विक्रम पुरस्कार से नवाजा। मध्य प्रदेश सरकार ने आधारसिंह की काबलियत को समझा और उन्हे 1990 में शासकीय विद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया।  स्वयं दृष्टीबाधित होने के बावजूद वर्तमान में आधारसिहं चौहान विजयनगर स्थित शासकिय विद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।  नगर निगम, रोटरी क्लब तथा लॉयंस क्लब द्वारा सम्मानित आधारसिहं चौहान विभिन्न सामाजिक संघटनो से जुडे हुए हैं, वे राष्ट्रीय दृष्टीहीन संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। 

सेवाभावी एवं मिलनसार आधारसिंह चौहान आज आत्म निर्भर रहते हुए अनेक दृष्टीबाधितों को रोजगार दिलवाने में भी मदद करते हैं। अपनी कमजोरी पर विजय प्राप्त करने वाले आधार, जहाँ चाह है वहाँ राह है जैसी कहावतों को जिवन्त कर रहे हैं।  

किसी ने सच ही कहा है कि, सफलता अक्सर उन लोगों के पास आती है जो जोखिम लेते हैं अर्थात रिस्क लेते हैं, ये शायद ही कभी उन लोगों के पास जाती है, जो हमेशा परिणामों से डरते हैं। 

आज भी अपनी आगे बढने की चाह लिये दृणनिश्चयी आधार सिंह चौहान सकारात्मक सोच के साथ नित्य कुछ नया करने का प्रयास करते रहते हैं।
उनकी जैसी सोच लिए और भी कई दृष्टीबाधित लोग अपने-अपने प्रयासों से आत्मनिर्भर बनने में कामयाब हो रहे हैं। विपरीत परिस्थिती के बावजूद जो लोग दृणनिष्चय के साथ सफलता की इबारत लिख रहे हैं उनके लिये मेरा कहना है कि,  

आँधियों को जिद्द है जहाँ बिजली गिराने की, मुझे भी जिद्द है वहीं आँशियां बनाने की, हिम्मत और हौसले बुलंद हैं, खडा हूँ अभी गिरा नही हूँ, अभी जंग बाकी है, मैं हारा नही हुँ । 

एक अनुरोधः-  मित्रों,  किसी की कमजोरी पर तरस न खायें बल्की मानवता के नाते उन्हे अपना सहयोग दें।

धन्यवाद 

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4 comments:

  1. Aadhaar jii jaise log sacmuch mahaan prenra ke srot hain.
    Inke baare me bataane ke liye dhanyawaad.

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  2. Thank you Madam !!! for writing such an inspiring real life story of Sri Chauhan. I am fan of your writing skills and have been reading your blogs for the last two years. The subject matters, you select, are always contemporary, Your flow is seamless and binds the readers till the end. You always drive home your point of view with message to mankind !!!

    I wish you keep writing with increased focus. Ultimately this life is beautiful because persons like you are selflessly and silently serving the society.

    I run my small NGO in New York which is dedicated for the cause of handicapped children who became handicapped due to landmine blasts. I work with my volunteers in African continent.

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    1. Thank you very much for your compliment & blessing. You are doing good work for handicapped. God Bless You.
      May I know your name & NGO name.

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  3. बहुत ही अच्छा आर्टिकल है !
    Please Visit : www.hindismartblog.blogspot.com

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