भारत के प्रमुख त्योहारों में दीपवली विशेष पर्व है, इसे आलोक पर्व के रूप में मनाते हैं। कृषी प्रधान देश भारत में हजारों वर्ष पूर्व इस उत्सव का प्रचलन ऋतुपर्व के रूप में हुआ था। समयानुसार इस पर्व के साथ महत्वपूर्ण एतिहासिक घटनाएं प्रचलित होने लगी। दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व प्राचीन ग्रंथ सनत्कुमार संहिता से मिलता है, जिसमें दानवराज बलि के कारागार में बंद देवी लक्ष्मी को वामन अवतार भगवान विष्णु जी द्वारा मुक्त कराने का उल्लेख है। वैदिक साहित्य के अतिरिक्त अन्य प्राचीन भारतीय साहित्य में भी दीपावली का अनेक प्रसंग है। स्वच्छता की दृष्टी से ये पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। घर की सफाई के लिए चूना, नीलाथोथा आदि कीटनाशक पदार्थों का प्रयोग सीलन, दुर्गंध और अस्वास्थकर वातावरण को दूर करते हैं। असंख्य दीपों से उत्पन्न होने वाला प्रकाश, वर्षा ऋतु में पैदा होने वाले किटाणुों का नाश करता है। दीपक में जलने वाले सरसों के तेल का धुआँ सासों के जरिये संक्रामक कृमियों का संहार करता है। शुभता और स्वच्छता के प्रतीक पर्व पर ईश्वर से यही कामना करते हैं कि, दिपोत्सव की रोशनी पूरे साल हताशा के अंधेरे को नष्ट कर सबके घर-आंगन-मन को रोशन करती रहे। अंधेरे के आकाश को परास्त करने वाले नन्हें से दीपक सा साहस हम सब में भी बना रहे। इसी मंगल कामना के साथ सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
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