Sunday 3 April 2016

एक खत बेटियों के नाम

चिठ्ठी न कोई संदेश ना जाने कौन से देश तुम चली गई... आनंदी तुम लाखों लोगों के लिये अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का हौसला थीं, फिर ऐसा क्या हुआ कि तुम अपनी ही जिंदगी को दाव पर लगा दी। तुम तो चली गईं लेकिन अपने पीछे कई प्रश्न छोङ गईं, कई लोगों को रोता-बिलखता छोह गईं। प्रत्युषा तुम एक कामयाब एक्टर थीं और तुम्हारी  तरह आज लाखों बेटीयां अपने कैरियर के प्रति जागरूक हैं और सफलता के आसमान पर उङने को तैयार हैं। लेकिन तुम्हारी मौत कई सवाल मन में उत्पन्न कर रही है क्योंकि तुम्हारी मौत के जिन कारणों को बताया जा रहा है उससे तो यही लग रहा है कि, ये कैसा रिश्ता है... जो हजारों अपनो के होते हुए ऐसी दुनिया बन जाता है कि जिसकी बेपरावाही जिंदगी ही खत्म करने पर मजबूर कर देती है। एक अकेला रिश्ता हजारों चाहने वाले रिश्तों पर भारी हो जाता है। आज हम सबको इस बात को गम्भीरता से सोचना होगा। आज आधुनिक बन जाना बोल्ड हो जाना या आर्थिक रूप से सक्षम हो जाना ही पर्याप्त नही बल्की मानसिक रूप से मजबूत होना ज्यादा आवश्यक है। आज हम अपनी बेटियों को आगे बढाने और पढाने में दिलो जान लगा देते हैं और बेटी की तरक्की पर गर्व भी महसूस करते हैं। परंतु कहीं न कहीं हम अभिभावक और हमारा समाज उसे वो सुरक्षा तथा प्यार नही दे पाता जिसके आधार पर वो वैचारिक रूप से मजबूत बन सके। हम उन्हे ये समझाने में शायद नाकाम हो रहे हैं कि, आज आप हर तरह से सम्पन्न हो , आप में सहनशीलता भी है और समझौता (Compromise)  करने का हुनर भी है। फिर क्यों किसी को इतना महत्व दे देती हो कि वो तुम्हारी जिंदगी एवं तुम्हारे स्वाभीमान पर ग्रहण लगा देता है। हम मानते हैं कि बेटियों में रिश्तों को निभाने का गुणं उनकी कमजोरी नही है बल्की उनके प्यार का एक रुहानी एहसास है। जो हर संभव कोशिश करता है कि, रिश्तो में मिठास बनी रहे क्योंकि रिश्तों को निभाने का संस्कार उन्हे बचपन से घुट्टी में पिलाया जाता है। हर संभव प्रयास के बाद भी यदि बात नही बनती तो मेरी बेटियों आप ये क्यों नही समझती की ताली दोनों हांथ से बजती है , कोई भी रिश्ता दो लोगों के प्यार और सहयोग से ही बढता है। फिर दूसरे की गलती और इगनोरेंस की वजह से खुद को क्यों मिटा देनी की सोचती हो। अक्सर देखने को यही मिलता है कि  प्यार में नाकामी का खामियाजा ज्यादातर लङकियों को ही भुगतना पङता है। अगर किसी को मना कर दे तो उसपर ऐसिड फेंक दिया जाता है तो दूसरी तरफ लङके का नकारात्मक रवैया उसे आत्महत्या तक पहुँचा देता है।

मेरी बच्चियों जिंदगी बहुत प्यारी है इसे उस व्यक्ति पर कभी भी कुरबान न करो जिसको आपकी कद्र नही है। जिन्दगी से बढकर कोई रिश्ता नही होता। आप हर तरह से सक्षम हो और ये भी सच है कि हर परेशानियों का हल है, तो समस्या का  समाधान ढूंढों खुद पर विश्वास रखते हुए निकल पङो जिंदगी की हर जंग को लङने के लिये। जंग मुश्किल जरूर है पर नामुमकिन नही। माना समाज में कई बातें अपने फेवर में नही हैं पर ये भी सच है कि तुम हो; तभी तो समाज है। तुम्हारी जिंदगी बादल पर उङने वाली परी है, जिसमें हर अपनों की खुशी छुपी है। 

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1 comment:

  1. कम उम्र मे अपने घरों से दूर जाकर संघर्ष कर रहे युवाओं खासकर लड़कियों के लिए खुद को मानसिक रूप से सम्भालना इतना आसान नहीं होता. ऐसे में पेरेंट्स का रोल बहुत इम्पोर्टेन्ट हो जाता है कि वो रोज अपनी लाडली से फ़ोन पर बात करें और उसे emotional support देते रहे, वो ना मांगे तो भी.

    आपका ये लेख उन युवतियों के लिए एक अच्छा संदेश है जो भावुकता में इनता गलत कदम उठा लेती हैं.
    Thanks

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