आज भले ही प्राइवेट क्षेत्र में अच्छे वेतन के ऑपशन्स हैं फिर भी आईएएस या अन्य उच्च पदों के प्रति आकर्षण बरकरार है। अक्सर मुझसे कई विद्यार्थी ये पूछते हैं कि, हमें सफलता कैसे मिले या हम क्या करें कि एक्जाम(Exam) क्लियर(Clear) करलें। बात विद्यार्थी की करें या किसी भी क्षेत्र में कामयाबी की। मित्रो, सच तो ये है कि, हम सब अपने-अपने क्षेत्र में कामयाब होना चाहते हैं। उसके लिये हमें सबसे पहले अपने लक्ष्य को निर्धारित करना होगा और साथ ही आसमान छुने का हौसला रखना होगा क्योकि सफलता सरलता से नही मिलती। रास्ते में जानी अनजानी अनेक बाधाएं सूरसा के मुहँ की तरह आपकी बुद्धिमता और धैर्य की परिक्षा लेने के लिये मिलती रहेंगी। समस्याओं का सामना करने का हौसला रखें और चल पङिये अपनी मंजिल की ओर।
जिस तरह पानी में रहने के लिये तैरना आना अनिवार्य शर्त है उसी तरह हम जिस क्षेत्र में जाना चाहते हैं, उसके विषय ज्ञान का पूर्णता से अध्ययन करना सफलता की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लक्ष्य पाने के लिये लगातार परिश्रम करने का जज़बा इतना स्ट्रॉग(Strong) हो कि, आपके द्वारा किये गये प्रयासों से लक्ष्य करीब आ जाये।
स्वामी विवेकानंद ने कहा है, "उठो जागो और तब तक मत रुको,
जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।"
मित्रों, जिंदगी की सामान्य धारा में बहकर कोई सफल नही होता। धारा चाहे जिस भी दिशा में बहे हमें अपने लक्ष्य के अनुसार बहने की ही कोशिश करनी चाहिये। स्वंय को परिस्थिती की दुहाई देकर धारा के हवाले करना कायरता है। अच्छे प्रयोजन में आनेवाली बाधाएं तो हमें अपने लक्ष्य के प्रति और दृणता प्रदान करती हैं क्योकि जितना कठिन परिश्रम होगा जीत उतनी ही शानदार होगी। नकारात्मक आदतें हमारी सफलता की सबसे बङी दुश्मन है। थोङी सी असफलता से डरकर कुछ लोग पहले से ही मन बना लेते हैं कि उनका लक्ष्य पूरा हो ही नही सकता। उन्हे विश्वास होता है कि, वो चाहे कुछ भी करें उनका परिश्रम काम नही आयेगा। ऐसे लोग मैदान में जाने से पहले ही हार मान लेते हैं लेकिन सफलता के सपने देखते हैं। सोचिये! रात में कभी सूरज उग सकता है इसलिये सफलता को रौशन करने के लिये सबसे पहले नकारात्मक सोच को अलविदा कहें क्योकि असफलता में भी सफलता का पैगाम होता है। कार्य के दौरान कभी-कभी गलतियाँ हो जाती है, ये गलतियाँ तो हमें ये एहसास कराती हैं कि हमने कोशिश की।
मित्रों, दौङ प्रतियोगिता में जब हम किसी खिलाङी को स्वर्ण पदक लेते देखते हैं, तो सोचते हैं कि 10 -15 मिनट की दौङ से इसे ये सम्मान मिल गया किन्तु सच्चाई में उसके 10-15 वर्षो की कङी मेहनत का परिणाम होता है स्वर्ण पदक, जिसको पाने के लिये वो दौङते समय कितनी बार गिरा होगा और फिर लक्ष्य को याद करके पुनः दौङा होगा। ऐसे ही लगातार कोशिश से ही लक्ष्य प्राप्त होता है। इसलिये सफलता के बारे में सोचें, अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उसके लिये मेहनत करें। धारा के अनुकूल न बहें, बल्कि धारा में बहने का हौसला रखें क्योकि........
"लहरों के डर से नौका पार नही होती,
कोशिश करने वालों की हार नही होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकीर करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
कुछ किये बिना ही, जय जयकार नही होती।
कोशिश करने वालों की हार नही होती।"
आदरणिय हरिवंश राय बच्चन जी की कविता की कुछ पंक्तियों से कलम को विराम देते हैं।
Best of Luck
Very true...किसी ने कहा है , प्रयास कर के असफल होने से बस एक ही चीज बुरी हो सकती है…वो है प्रयास न करना। हम जो कुछ भी अचीव करना चाहते हैं उसके लिए हमे अपना बेस्ट देना होगा और अपने एफ्फोर्ट्स पर यकीन करना होगा। ... nice write up. Thanks
ReplyDeleteSo true and nicely written.
ReplyDeleteExcellent write up अनीता जी.
ReplyDeleteकहते है कि कुछ लोग हार कर भी जीत जाते हैं. आपकी पोस्ट पढ़ कर यही लगा कि शायद वो लोग कोशिश करने वाले ही होते हैं, जो हारने के बाद भी नहीं हारते. आपके लेखन में बहुत ही प्रेरणा और उत्साह है.
धन्यवाद.
anilsahu.blogspot.in
बहुत अच्छा लेख लिखा है अनिता जी आपने! मै विवेकानंद जी के उद्धरण "उठो जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए" से हमेशा से प्रेरित रहा हूँ / आपके सफलता के प्रति इन विचारो से में मंत्रमुग्ध हूँ / धन्यवाद !
ReplyDeleteद्वारा-
amulsharma
nav varsh ki hardik shubh kamna
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख है स्वामी विवेकानंद जी हमारे लिए एक प्रेरणास्त्रोत है !
ReplyDeletePlease visit : www.hindismartblog.blogspot.com
हम जीवन भर देशहित करने के लिए अपने आप को प्रेरित करते रहेंगे
ReplyDeleteजय हिन्द
मैं और मेरा वतन
ReplyDeleteएक दूजे के है संग
हमने खाई यही कसम
कभी जुदा ना होंगे हम
जय हिन्द
जय हिन्द का नारा
ReplyDeleteहै सबसे प्यारा
जय हिन्द को यारा
नमन हमारा
अब दिल ने पुकारा
देश तू ही हमारा
दे तू ही सहारा
मिटा सब अँधियारा
जय हिन्द