"गणानां जीवजतानां यः ईशः , स्वामी स गणेशः"
गणेंश समस्त जीव जगत के स्वामी हैं।सृष्टी की रचना के समय ब्रह्मा जी की, सभी विघ्न बाधाओं को दूर करने वाले, देवाधीदेव गणेंश जी की पूजा किसी भी शुभ कार्य के आरंभ में की जाती है। गणपति देवगणों के नायक होने के कारण गणनायक तथा गणाध्यक्ष कहलाते हैं। श्री गणेंश की पूजा करने से समस्त देवगणों की पूजा स्वतः ही हो जाती है। विघ्नहर्ता गणेंश मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हैं। बुद्धी के देवता गणपति रिद्धी सिद्धी के स्वामी हैं तथा शुभ लाभ, विघ्नविनाशक गजानन के पुत्र है। संतोषी मां गणेंश जी की पुत्री है।
प्रथम पूज्य पार्वती नंदन श्रीगणेंश का सभी अंग सकारात्मक संदेश का प्रतीक है। गजानन का पेट उदारता और पूर्ण स्वीकृति का प्रतीक है। उनका अभय मुद्रा में उठा हाँथ संरक्षण का प्रतीक है जो हमें स्पष्ट संदेश देता है कि 'घबराओ नही' मैं तुम्हारे साथ हुँ और विनायक का दूसरा हाँथ नीचे की ओर एवं हथेली बाहर की ओर इस बात का संकेत देती है कि, विघ्नविनाशक गणेंशा हमें हर पल कुछ दे रहे हैं। एकदन्त श्री गणेंश जी का एक ही दाँत का होना हमें एकाग्रचित्त रहने की शिक्षा देता है। संकटनाशक लंबोदर अपने हाँथो में अंकुश और पाश लिये हुए हैं, जो की सजगता तथा नियंत्रण का प्रतीक है। विघ्नविनायक भालचंद्र की सवारी मुषक है। मूषक उस मंत्र के समान है, जो अज्ञान की एक-एक परत को धीरे-धीरे काटकर दूर करता है एवं उस परम ज्ञान की ओर ले जाता है जिसका प्रतिनिधित्व बुद्धी के देवता श्री गंणेश करते हैं। श्री गंणेश के सभी प्रतिकात्मक अंगों से प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन को शुभमार्ग की ओर अग्रसर कर सकते हैं। संकटो को हरने वाले श्री गजानन का नाम अंग्रेजी वर्णमाला में भी अनेक आर्शिवादों का एक संदेश है, जो हममें नित्य नई ऊर्जा का संचार करता है।
G- Get well Always
A- Active Throughout the Year
N- No Bad Evil can touch You
E- End of Troubles & All your Sorrow
S- Success at Every Point of Life
H- Happiness to You & Your Love once.
मित्रों, श्री गंणेश चतुर्थी की शुभकामनाओं के साथ ये कामना करते हैं कि, बुद्धी के देवता, कष्टनिवारक श्री गणेंश की कृपा हम सबपर सदा बनी रहे, सब कार्य में सफलता मिले एवं मानवीय भावनाओं का ह्रदय में संचार हो।प्रथम पूज्य श्री गंणेश जी के आर्शिवादों की कामना के साथ, सब मिलकर कहें गणपति बप्पा मोर्या, मंगलमूर्ती मोर्या
(एक निवेदन, विघ्नविनाशक श्री गंणेश जी बारे में और अधिक पढने के लिए लिंक पर क्लिक करें, धन्यवाद।)
http://roshansavera.blogspot.in/2012/09/blog-post_5322.html