Tuesday 26 April 2016

जीवन में सफल होना है तो, सपने देखें




मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके सपनो में जान होती है, पंखो से कुछ नही होता हौसले से उङान होती है। जी हाँ मित्रों, प्रत्येक मनुष्य अपनी सफलता के लिये बेहतरीन सपने देखता है, सच तो ये है की जीवन में सफलता इन्ही सपनो के आधार पर मिलती है और इससे पहले की सपने सच हों हमें सपने देखना होगा। किसी ने सच कहा है कि अपने सपनो को साकार करने के लिये दृणसंकल्प हो जाओ तो इस दुनिया की कोई भी ताकत उसे पूरा होने से नही रोक सकती।


कई बार सपने जल्दी पूरे नही होते और हम लोग उम्र की दुहाई देकर तथा भाग्य में नही है ये सोचकर अपने सपनो को एक ऐसा सपना समझ लेते हैं जो कभी पूरा नही होता। वास्तविकता तो ये है कि, सपने देखने और सपनो को साकार करने की इच्छा किसी भी उम्र की मोहताज नही होती। ये भी एक सच्चाई है कि हमारे देश में सरकारी नौकरी के लिये आयु सीमा का निर्धारण किया गया है लेकिन इसका मतलब ये तो नही है कि सपनो को पूरा करने के अन्य विकल्प न हो। ऐसा भी नही है कि जो लोग आगे बढना चाहते हैं उनके लिये रास्ते बंद हो गये हों। वर्तमान की यदि बात करें तो भारत सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं, जो हमें अपने सपनो को साकार करने में मददगार हैं क्योंकि नींद नही सपने बदलते हैं, मंजिल नही रास्ते बदलते हैं, जगा लो जीतने का जज़बा , किस्मत की लकीरें बदले या न बदले वक्त जरूर बदलता है।



धीरूभाई अंबानी ने कहा है कि, "जो सपने देखने की हिम्मत रखते हैं वो सारी दुनिया जीत जाते हैं।"

मित्रों, रास्ते तो बहुत हैं, सिर्फ दरकार है जीवन में कुछ कर गुजरने की दृणइच्छाशक्ती की जिसके लिये उम्र बाधा नही है। मन में ठान ले तो जीत है वरना, लक्ष्य के करीब होते हुए भी व्यक्ति निराश हो जाता है। मन की शक्ति को पहचान कर ही लियोनार्डो दि विन्ची ने 51 वर्ष की उम्र में अपनी पेटिंग मोनालिया को बनाया था। जो उनके जीवन की सबसे प्रसिद्ध पेंटिग है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने तो 90 वर्ष की आयु में तुलसी राम चरित्र मानस लिखी थी। नेल्सन मंडेला का अधिकतम जीवन संघर्ष में बीत गया था। फिर भी वे 75 साल की उम्र में दक्षिण अफ्रिका के राष्ट्रपति बने।


महात्मा बुद्ध का कहना था कि, "जिसने अपने मन को वश में कर लिया, उसकी जीत को देवता भी हार में नही बदल सकते"।


मनोवैज्ञानिकों का तो कहना है कि.....

जिन लोगों के सपने अधुरे रह गये हों तो उन्हे अपने सपनों को महत्व देना चाहिये। आज तो विज्ञान की इतनी टेक्नोलॉजी आ गई है जिसकी मदद से हम शारीरिक असमर्थता के बावजूद अपने सपनो को पूरा करते हुए कामयाबी का सफर तय कर सकते हैं।विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक और लेखक स्टीफन हॉकिंस को तो आप सब जानते ही होंगे। नब्बे फीसदी विकलांग होने के बावजूद उनकी क्षमता का लोहा पूरी दुनिया मानती है। महान वैज्ञानिक स्टीफन विलियम हॉकिंग पर 'जितेंद्र' शब्द बिल्कुल सटीक बैठता है। वे एक न ठीक होने वाली बिमारी यानी स्टीफ मोटर न्यूरॉन बिमारी से पीङित हैं। बचपन से होनहार और महत्वाकांक्षी स्टीफन के सपने भी बहुत महत्वाकांक्षी थे, जिसे वे अपनी बिमारी के बावजूद भी खुली आंखों से देख रहे हैं तथा उसे पूरा करने में शिद्दत से लगे हुए हैं। हॉकिंग के जज़बे का आलम ये है कि वे व्हीलचेयर पर बैठे - बैठे अंतरिक्ष विज्ञान की जटिल पहेलियों और रहस्यों को सुलझा रहे हैं। ब्लैक होल को लेकर उनकी थ्योरी बहुत मजेदार है। हॉकिंस खासतौर से कॉसमोलॉजी पर काम कर रहे हैं। जिसके अंतर्गत ब्रह्मांड की उत्पत्ती, संरचना और स्पेस के बारे में अध्ययन किया जाता है।

दोस्तों, जिंदगी को बेहतर बनाने की संभावना हमेशा रहती है। सफलता पाने के लिये हमारी परिस्थिती और बीता हुआ कल कभी भी अवरोध नही बन सकते क्योंकि हर नया दिन हमें नये उजाले के साथ हमें आगे बढने की प्रेरणा देता है। हम सबके प्रिय मिसाइल मैन ए.पी.जे. कलाम साहब कहते हैं कि, सपने देखना कभी न छोङें और सपने वो हों जो आपको नींद न आने दें।

एक प्रसिद्ध दार्शनिक ने कहा है कि, जीवन में कोई व्यक्ति तब तक बुढा नही होता जबतक वह अपने सपने पूरे करने में लगा रहता है। गाँधी जी ने कहा था कि, सपने ऐसे देखो की आप हमेशा जीवित रहोगे। कहते हैं सफलता के सपनो का रुकना मनुष्य को कमजोर एवं असाहय कर देता है इसलिये उम्र का कोई भी दौर क्यों न हो अपने सपनो को कभी भी मरने नही देना चाहिये। इन्हे हमेशा अपनी पॉजीटिव सोच और मजबूत इरादों से सिंचना चाहिये क्योंकि आँखों में सजे सपने ही हम सबकी आशाओं के स्रोत हैं। तो हम सब सपने देखें और अपनी दृण सोच के साथ सपनो को आसमान छुने दें।


हर सपने में चमक होती है,


हर राह एक मंजिल होती है,


रख हौसला कुछ कर दिखाने का,


हर सपने की जीत होती है।


Saturday 16 April 2016

धन्यवाद :)




मित्रों, इस महिने बैंक तथा रेल में कार्य करने हेतु हमारे कई विद्यार्थियों का सलेक्शन हुआ है। सबसे पहले तो उन सभी दिव्यांग साथियों को बहुत-बहुत बधाई जिनका सलेक्शन हो गया है। इन बच्चों का सफर आसान नही है लेकिन इनका जज़बा और आगे बढने तथा आत्मनिर्भर बनने की लगन ने इनके सपने को साकार किया है। इन बच्चों के सफर में अपने समाज के कई सहयोग के हाँथ भी लगातार साथ दे रहे हैं। भारत के विभिन्न शहरों में वाइस फॉर ब्लाइंड के माध्यम से लोग उम्दा तथा समय पर रेकार्डिंग कर रहे हैं, जिससे हमारे दिव्यांग साथी बराबर लाभांवित हो रहे हैं। सहलेखन की व्यवस्था में भी हमारे युवा हेल्पिंग हेंड के साथ बराबर सहयोग दे रहे हैं। हम सबकी इस मुहीम में हमारे सम्माननिय पत्रकार गणं भी अपने-अपने समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों को जागृत कर रहे हैं और अपने अंदाज में इस कार्य में सहयोग देकर वाइस फॉर ब्लाइड के मकसद को साकार कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य है - शिक्षा के माध्यम से दृष्टिबाधित लोगों को आत्मनिर्भर बनाना। 



वाइस फॉर ब्लाइंड कल्ब के सदस्यों के साथ अच्छीखबर वेब साइट के संस्थापक  गोपाल मिश्रा तथा मल्हार मिडिया की सीईओ ममता जी का भी बराबर सहयोग मिल रहा है। समाचार पत्र पत्रिका के उमेश जी, फ्री प्रेस के तरुण जी, दैनिक भास्कर के अमित जी तथा हिंदुस्तान टाइम्स की निडा का सहयोग भी लोगों को इस कार्य हेतु जोङ रहा है। हम सभी साथियों का तहे दिल से धन्यवाद देते हैं कि उन्होने हमें हौसला दिया तथा 2012 में अकेले चले इस सफर को  सहयोग का कारवां बना दिया। भविष्य में भी आप सबके साथ की आकांक्षा रखते हैं। और भी कई नये सहयोग के हाँथ आगे आयेंगे इस बात का विश्वास है।  पुनः आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद तथा बधाई 




परहित सरसि धर्म नही कोई


वसुधैव कुटुबंकम की भावना से पल्लवित हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है  परहित सरसि धर्म नही कोई । "साथी हाँथ बढाना एक अकेला थक जायेगा मिलकर बोझ उठाना"  मदर इंडिया का ये प्रसिद्ध गाना लगभग हम सभी की जुबान पर है. इस गीत में जिवंत समाज का बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश छुपा हुआ है क्योंकि प्रकृति के नियमानुसार  भी सभी जीव जगत का जीवन चक्र सहयोग की बुनियाद पर ही टीका है।  परिवार, समाज, देश हो या दुनिया सब एक दूसरे के सहयोग से ही फल फूल रहे हैं। ऐसे में समाज की कमजोर कड़ी को विशेष ध्यान की आवश्यकता  होती है।  जो किसी भी समाज की उन्नति के लिये आवश्यक चरण है। अक्सर हम सबने महसूस किया होगा कि परिवार में जो बच्चा सबसे कमजोर होता है, माँ का उस पर विशेष स्नेह होता है। ऐसे ही स्नेह की अपेक्षा हमारे दृष्टीबाधित साथी भी चाहते हैं, जहाँ उन्हे दया नही बल्की आगे बढने के लिये हम सबका सहयोग  चाहिये।

आज सरकार द्वारा अनेक सुविधायें देने की बात कही जाती है। परन्तु ये सुविधायें और योजनायें सिर्फ मंत्रालय की फाइलों मे ही सिमट कर रह गईं हैं या चंद शहरों चंद संस्थानों की ही अमानत है। आज भी अनेक शहरों में दृष्टीबाधित बच्चे उन योजनाओं से वंचित है। जैसे कि, परिक्षा के समय सहलेखक को दिया जाने वाला भत्ता हो या रेर्काडिंग की सुविधा।  सबसे बड़ी विडंबना है कि, सरकार द्वारा पारित योजनाओं को सरकार के ही अधिनस्त कर्मचारी नही मानते और अपने मन की करते हैं। उदाहरण के तौर पर 2013 की सहलेखन की गाइड लाइन को अनेक राज्यों के विद्यालय अभी भी नही मान रहे हैं। जिसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ता है जिनकी कोई गलती नही है। दृष्टीबाधिता हो या किसी भी प्रकार की शारीरिक विकलांगता, सरकार तथा समाज की उदासीनता की बली चढ जाती है। 

आज अनेक उदासीनता के बावजूद भी कई  सहयोग के हाँथ भी आगे बढ रहे हैं। जिसका सफल परिणाम भी दिखाई दे रहा है। इस महिने बैंक के आये परिणाम में मेरे 15 विद्यार्थियों का सलेक्शन विभिन्न बैंको में हुआ है। इसके साथ ही voice for blind कल्ब के माध्यम से सहयोग करने के लिये आज के युवा अपना समय दे रहे हैं और कई लोग देने के लिये अपनी इच्छा जता रहे हैं। ये सहयोग भारत के भविष्य के लिये एक अच्छा संकेत है और उन सभी दृष्टीबाधित लोगों के लिये शुभ संकेत है जो अनेक परेशानियों के बावजूद भी आगे बढना चाहते हैं, आत्मनिर्भर होना चाहते हैं। 



धन्यवाद

जय भारत 






Thursday 14 April 2016

शुभ रामनवमी


          आप सबको रामनवमी की हार्दिक बधाई 
                 

नवराते में शक्ति पूजें, हर तन बने बज्र के जैसा,
 राज करे चाहे कोई भी, राजा हो श्रीराम के जैसा।

हर शबरी के द्वार चलें हम, जहां अहिल्या दीप जलाएं,
राम तत्व है सबके अंदर, आओ फिर से उसे जगाएं।

शुभ-अवसर है राम-जन्म का, आओ सब मिल शीश झुकाएं,
अंदर बैठे तम को मारें, आओ मिलजुल खुशी मनाएं।

Friday 8 April 2016

गायत्री मंत्र का शाब्दिक महत्व



ऊँ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्

गायत्री मंत्र के प्रत्येक अक्षर का महत्व है। गायत्री मंत्र महामंत्र है जिसमें ऊँ परमात्मा का पावन नाम और सभी तरह के जीवन-साधनाओं व शक्तियों का परम् कारण है। भूभुर्वः स्वः के तीनों प्राकृतिक गुणं से कर्म, ज्ञान और भक्ति की अभिव्क्ति होती है। नवरात्री के नौ दिन और गायत्री मंत्र के नौ शब्द की प्रासांगिता अद्भुत संदेश है।

गायत्री मंत्र का पहला शब्द तत् है जो हमें  देवी के पहले स्वरूप शैलपुत्री के साथ जीवन-साधना में स्थिरता के महत्व को दर्शाता है। इस शब्द में पर्वतीय पर्यावरण के संरक्षण का महान संदेश भी है।

दूसरा शब्द है, सवितुः – इसमें देवी के द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी की शक्ति निहित है। साथ ही इसमें जीवन साधना में पवित्रता के महत्व को भी दर्शाया गया है। इसमें प्रकृति एवं उसके घटकों में सार्वभौमिक ब्रह्मस्वरूपिणी एकता का संदेश समाहित है।

तीसरा शब्द है, वरेण्यं- इसमें प्रकृति की आह्लादकारिणी शक्ति चंद्रघंटा निहित है। इसमें जीवन साधना में एकाग्रता के महत्व को बताया गया है। इसमें प्रकृति के सभी जीवों के सुख को संवर्द्धित करने का संदेश है।

चौथा शब्द है, भर्गो- इस स्वरूप में कूष्मांडा निहित है। ये शब्द जीवन-साधना में संयम का संदेश देता है। माना जाता है कि ये देवी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली हैं, इनमें आपदाओं और प्राकृतिक प्रबंधन का संदेश निहित है।

पाँचवा शब्द है, देवस्य- इस शब्द में देवी के पाँचवे स्वरूप स्कंदमाता की शक्ति है। ये शब्द जीवन में सदाचार के महत्व को दर्शित करता है।ये शब्द माता-पिता और उनके बच्चों में मधुरता का संदेश है।

छठा शब्द है, धीमहि- इसमें देवी कात्यानी की महा शक्ति समाहित है। इस शब्द में प्रकृति का संरक्षण करने वाले ऋषियों की जीवन शैली को अपनाने का संदेश विद्यमान है।

सातवां शब्द है, धियो- इस शब्द में कालरात्री या महाकाली की शक्ति निहित। ये शब्द प्रकृति को समर्पित जीवन जीने का संदेश देता है।

आठवां शब्द है, यो नः – इस शब्द में महा गौरी की शक्ति समायी हुई है। इसमें ये संदेश दिया गया है कि, यदि मनुष्य अपनी अंतः शक्ति का परिष्कार कर ले तो बाह्य प्रकृति स्वतः ही वरदायनि हो जाती है।

नौवाँ शब्द है, प्रचोदयात् – इस शब्द में सिद्धिदात्री देवी की शक्ति समाहित है। इस शब्द के माध्यम से समझाया गया है कि, जो मनुष्य परोपकार को अपना लेता है। प्रकृति उसके जीवन के सभी कार्यों को सिद्ध करने वाली सिद्धिदात्री बन जाती है।

मित्रों, आज के इस विस्फोटक युग में ये मंत्र बहुत ही प्रासांगिक है अतः हम सबको कम से कम नवरात्री में तो अवश्य ही गायत्री महामंत्र का जाप करना चाहिये और इसी के साथ प्राकृतिक संसाधनों तथा प्रकृति के नियमों की रक्षा करना हम सबका प्रथम कर्तव्य होना चाहिये।

जय माता दी, जय भारत    

Thursday 7 April 2016

नव वर्ष अभिनंदन



आप सभी को नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ नवरात्री की हार्दिक बधाई। माँ दुर्गा के आर्शिवाद से आप सबके जीवन में खुशियों की बहार आये। आप सबका जीवन मंगल दीपों से प्रकाशित रहे। 
माँ दुर्गा का अनुपम पर्व

Sunday 3 April 2016

एक खत बेटियों के नाम

चिठ्ठी न कोई संदेश ना जाने कौन से देश तुम चली गई... आनंदी तुम लाखों लोगों के लिये अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का हौसला थीं, फिर ऐसा क्या हुआ कि तुम अपनी ही जिंदगी को दाव पर लगा दी। तुम तो चली गईं लेकिन अपने पीछे कई प्रश्न छोङ गईं, कई लोगों को रोता-बिलखता छोह गईं। प्रत्युषा तुम एक कामयाब एक्टर थीं और तुम्हारी  तरह आज लाखों बेटीयां अपने कैरियर के प्रति जागरूक हैं और सफलता के आसमान पर उङने को तैयार हैं। लेकिन तुम्हारी मौत कई सवाल मन में उत्पन्न कर रही है क्योंकि तुम्हारी मौत के जिन कारणों को बताया जा रहा है उससे तो यही लग रहा है कि, ये कैसा रिश्ता है... जो हजारों अपनो के होते हुए ऐसी दुनिया बन जाता है कि जिसकी बेपरावाही जिंदगी ही खत्म करने पर मजबूर कर देती है। एक अकेला रिश्ता हजारों चाहने वाले रिश्तों पर भारी हो जाता है। आज हम सबको इस बात को गम्भीरता से सोचना होगा। आज आधुनिक बन जाना बोल्ड हो जाना या आर्थिक रूप से सक्षम हो जाना ही पर्याप्त नही बल्की मानसिक रूप से मजबूत होना ज्यादा आवश्यक है। आज हम अपनी बेटियों को आगे बढाने और पढाने में दिलो जान लगा देते हैं और बेटी की तरक्की पर गर्व भी महसूस करते हैं। परंतु कहीं न कहीं हम अभिभावक और हमारा समाज उसे वो सुरक्षा तथा प्यार नही दे पाता जिसके आधार पर वो वैचारिक रूप से मजबूत बन सके। हम उन्हे ये समझाने में शायद नाकाम हो रहे हैं कि, आज आप हर तरह से सम्पन्न हो , आप में सहनशीलता भी है और समझौता (Compromise)  करने का हुनर भी है। फिर क्यों किसी को इतना महत्व दे देती हो कि वो तुम्हारी जिंदगी एवं तुम्हारे स्वाभीमान पर ग्रहण लगा देता है। हम मानते हैं कि बेटियों में रिश्तों को निभाने का गुणं उनकी कमजोरी नही है बल्की उनके प्यार का एक रुहानी एहसास है। जो हर संभव कोशिश करता है कि, रिश्तो में मिठास बनी रहे क्योंकि रिश्तों को निभाने का संस्कार उन्हे बचपन से घुट्टी में पिलाया जाता है। हर संभव प्रयास के बाद भी यदि बात नही बनती तो मेरी बेटियों आप ये क्यों नही समझती की ताली दोनों हांथ से बजती है , कोई भी रिश्ता दो लोगों के प्यार और सहयोग से ही बढता है। फिर दूसरे की गलती और इगनोरेंस की वजह से खुद को क्यों मिटा देनी की सोचती हो। अक्सर देखने को यही मिलता है कि  प्यार में नाकामी का खामियाजा ज्यादातर लङकियों को ही भुगतना पङता है। अगर किसी को मना कर दे तो उसपर ऐसिड फेंक दिया जाता है तो दूसरी तरफ लङके का नकारात्मक रवैया उसे आत्महत्या तक पहुँचा देता है।

मेरी बच्चियों जिंदगी बहुत प्यारी है इसे उस व्यक्ति पर कभी भी कुरबान न करो जिसको आपकी कद्र नही है। जिन्दगी से बढकर कोई रिश्ता नही होता। आप हर तरह से सक्षम हो और ये भी सच है कि हर परेशानियों का हल है, तो समस्या का  समाधान ढूंढों खुद पर विश्वास रखते हुए निकल पङो जिंदगी की हर जंग को लङने के लिये। जंग मुश्किल जरूर है पर नामुमकिन नही। माना समाज में कई बातें अपने फेवर में नही हैं पर ये भी सच है कि तुम हो; तभी तो समाज है। तुम्हारी जिंदगी बादल पर उङने वाली परी है, जिसमें हर अपनों की खुशी छुपी है। 

Please read  जीवन अनमोल है