Thursday 30 July 2015

गुरु पर्व की शुभकामनाएं





    गुरू देव ही सर्व समर्थ परमात्मा हैं और शिष्य के लिये उनसा उपकारी कोई नही
गुरु पूर्णिमा नित मनाये,  उपकारी गुरु सा नही, 
सदा नवाएं माथ । 

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Wednesday 29 July 2015

डॉ. ए.पी.जे. कलाम साहब को भावांजली

स्वपनदृिष्टा और युवाओं के आइकॉन, देश ही नही वरन दुनिया के महान वैज्ञानिकों में प्रतिष्ठित हम सबके प्यारे मिशाइल मैन, ए.पी.जे. कलाम साहब आज भले ही हम लोगों के बीच नही हैं किन्तु, उनके संदेश उनके कार्य सदैव हम सबको प्रेरणा देते रहेंगे। भारत रत्न कलाम साहब का सम्पूर्ण जीवन ही  प्रेरणादायी है। एक राष्ट्रपति के अलावा वह एक आम इन्सान के तौर पर सभी युवाओं की पहली पसंद और प्रेरक हैं। उनकी बातेंउनका व्यक्तित्वउनकी पहचान न केवल एक राष्ट्रपति के रूप में हैं बल्कि जब भी लोग खुद को कमजोर महसूस करते हैं कलाम का नाम ही उनके लिए प्रेरणा बन जाता है। उनके द्वारा कहे गये कुछ  संदेशों को याद करते हुए  श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को शांति मिले तथा भारत के प्रति उनका सपना साकार हो, 2020 विजन से भारत विश्व में नई ऊँचाइयों को हासिल करे। 


"सपना वो नही जो हम नींद में देखते हैं, सपना वो है जो हमें नींद न आने दे।" 

"महान सपने देखने वालों के सपने अवश्य पूरे होते हैं।" 


"यदि हम स्वतंत्र नही हैं तो कोई भी हमारा आदर नही करेगा।" 


"मनुष्य को मुश्किलों का सामना करना आना चाहिये, क्योंकि सफलता के लिये ये जरूरी है।" 


"भगवान उन्ही की मदद करते हैं जो कठिन परिश्रम करते हैं ये सिद्धान्त स्पष्ट होना चाहिये।" 


"अलग ढंग से सोचने का साहस करो, अज्ञात पथ पर चलने का साहस करो, असंभव को खोजने का साहस करो और समस्याओं को जीतो और सफल बनो। ये वो महान गुणं हैं जिनकी दिशा में तुम अवश्य काम करो।" 


"हमें हार नही माननी चाहिये और समस्याओं को खुद पर हावी नही होने देना चाहिये।" 


"अपने मिशन में कामयाब होने के लिये आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित होना चाहिये।" 

धर्म और जाति से परे डॉ. ए.पी.जे. कलाम साहब के सभी संदेश उनके जीवन के अनुभव हैं, उनके कथन उनके कर्म का आइना हैं। प्रकुति से जिन्दगी की सीख लेने वाले कलाम साहब का कहना है कि, 


"Waves are my inspiration. Not because they rise and fall, but because each time they fall, they rise, again and again." 

कलाम साहब के संदेश सदैव हम सबका मार्ग प्रशस्त करेंगे। रेत में भी अपने कदमो के निशान छोङने वाले अद्भुत व्यक्तित्व के धनी युगपुरूष कलाम साहब को भावांजली, ऊँ शान्ति 



कलाम साहब से सम्बन्धित पूर्व की पोस्ट पढें -










Monday 6 July 2015

डिजिटल इंडिया


मित्रों, आज हम सब विज्ञान की आधुनिक टेक्नोलॉजी के गिरफ्त में इस कदर आ चुके हैं कि सुबह की पहली किरण का एहसास whatsapp की good morning के message से होता है। मोबाइल और लेपटॉप तो जीवन सें सांस की तरह घुल चुके हैं। फेसबुक पर मिलने वाले लाइक, लाइफ सर्पोट सिस्टम बन गये हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल इडिया की शुरुवात एक ऐसा ई सपना है जिसे समस्त भारत देख रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंक के काम और बाजार यहाँ तक की मेल मिलाप भी इंटरनेट के माध्यम से हो रहे हैं। जिन लोगों से फेस टू फेस बात किये मुद्दतें बीत गईं, उन सभी की उपस्थिति फेसबुक पर अपने होने का एहसास करा देती है।

आज के इस ई युग में बुद्धिमता का पैमैना भी बदल गया है। बच्चों की परवरिश का तरीका भी बदल रहा है। नित नये इज़ात होते एप ने माँ की लोरी का स्थान भी ले लिया है। डिजिटल क्लासेज ने बस्ते का भार कम कर दिया है। यदि वास्तविकता के चश्में से देखें तो, बच्चों का बचपन दूर हो रहा है। आजकल बच्चे जानकारियों को याद करने के बजाय गुगल या विकीपिडिया पर ढूंढना ज्यादा पसंद कर रहे हैं, जहाँ एक ही जानकारी कई लोगों द्वारा अपलोड होने से उसमें थोङा बहुत अंतर भी होता है। ऐसे में वास्तविक ज्ञान में कनफ्यूजन होना स्वाभाविक है।

दोस्तों, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि जिन गुगल पर भारत या अन्य देश के बच्चे इतने व्यस्त हैं, उस गुगल में काम करने वाले 80% पेशेवरों ने अपने बच्चों को टी.वी., इंटरनेट तथा कम्प्यूटर से दूर रखा है। एकबार एपल के स्टीव जॉब्स से एक पत्रकार ने पूछा कि, आपके बच्चे तो आईपेड को बहुत पसंद करते होंगे ? स्टीव ने जवाब दिया, नहीं उन्होने इसे यूज नहीं किया। घर पर बच्चे टेक्नोलॉजी का उपयोग कितना करेंगे, यह हम तय करेंगे।

माइक्रोस़ॉफ्ट कंपनी के पिएरे लॉरेंट भी बच्चों के लिये इस तरह के गैजट पर रोक लगा रखे हैं। अमेरिका की सिलिकॉन वैली में एक ऐसा स्कूल है, जहाँ 12 साल तक के बच्चों को कम्प्युटर, मोबाइल और टेबलेट जैसे आधुनिक उपकरणों से दूर रखा जाता है। कक्षाओं में ट्रेडीशनल तरीके से ब्लैक बोर्ड, फिजिकल एक्टिविटीज, क्रीएटिविटी और एक्सपेरिमेंटल लर्निंग से पढाया जाता है। सबसे खास बात इस स्कूल की ये है कि, इस स्कूल में गूगल तथा माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के आल्हा दर्जे के कर्मचारियों के बच्चे पढते हैं। यहाँ कल्पनाशीलता को तवज्जोह दी जाती है।

सोचिये! हमारे देश भारत में भी गुरुकुल शिक्षा हुआ करती थी जहाँ बच्चे को विषणु शर्मा जैसे शिक्षक पढाते थे। बात करें राम या कृष्ण की तो उन्होने भी राजशाही ठाठ छोङकर प्रकृति की गोद में व्यवहारिक तौर से शिक्षा ग्रहण की थी। आज भारत का परिवेश इतना आधुनिक हो गया है कि, ई बैग स्कूल स्टेटस सिंबल बन गया है। ऐसे में मोदी जी का ई बैग स्कूल का कंसेप्ट भारत को किस दिशा में ले जायेगा उसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है। एसोचैम के सर्वे के मुताबिक भारत में 8-13 साल के करीब 73% बच्चे इंटरनेट पर सक्रिय हैं। शहरी इलाकों में लगभग 3 करोङ बच्चों के पास अपना मोबाइल है। 3 से 7 साल के बच्चे सोशल मिडिया पर रोज औसतन 3 से 4 घंटे गुजारते हैं और औसतन 4 घंटे टीवी देखते हैं। इसका भयानक परिणाम है छोटी सी उमर में डायबिटीज और मोटापा। आँखों पर चश्मा भी आम बात हो रही है क्योंकि बच्चे टीवी बहुत पास से देखते हैं। एक शोध के मुताबिक गैजेट्स के अधिक इस्तेमाल से बच्चों के दिमाग पर नकारात्मक असर होता है। डिजिटल इंडिया का सपना भारत के भविष्य को समय से पहले ही बङा बना रहा है। विकास के इस क्रम में डिजिटल इंडिया का होना एक आवश्यक कदम है लेकिन जिस तरह हमारे संविधान में हर कार्य के लिये तय उम्र सीमा है, जैसे कि वोट देने का अधिकार, शादी का अधिकार उसी तरह इंटरनेट या मोबाइल को यूज करने की भी तय उम्र सीमा होनी चाहिये। वरना बच्चों की मासूमियत कब बङी होकर अनेक ऐसी अपराधिक गतिविधियों के गिरफ्त में आ जायेगी कि उसे सुधारना भी मुश्किल हो जायेगा।

दोस्तों, इंटरनेट और मोबाइल के कई फायदे हैं तो दुष्प्रभाव भी कम नहीं हैं। आज हम दूर देश में बैठे व्यक्ति से तो बात कर सकते हैं लेकिन पास बैठे अपनों से दूर हो रहे हैं। हर व्यक्ति मोबाइल पर मेसेज पढने में इतना व्यस्त है कि उसे याद भी नहीं कि कब उसने परिवार के साथ बैठकर हँसी-मजाक या गपशप की हो, ऐसे माहौल में पारिवारिक संबंधों पर नकारात्मक असर पङता है। इंटरनेट की लत से नई मानसिक बिमारी का जन्म हो रहा है, जिसे नेटब्रेन नाम दिया गया है। बच्चे हों या बङे आज लगभग हर कोई ई गैजेट्स के नशे का शिकार हो रहा है, जिसका समय रहते उपचार आवश्यक है। डिजीटल इंडिया के माध्यम से भारत का स्वर्णिम सपना साकार हो सकता है, लेकिन इसके लिये हमारी नीव प्राकृतिक और स्वाभाविक होनी चाहिये। 

धन्यवाद