Thursday 9 November 2023

एक दिया परोपकार का जलाएं (शुभ दिपावली)

 मित्रों, रौशनी के पावन पर्व दिपावली पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं💫💫💫😊😊


भारतीय संस्कृति में दीपावली हर्ष उल्लास एवं आपसी प्रेम का त्योहार है। दिपोत्सव पांच दिन तक मनाया जाता है, जिसमें पूजन के साथ रौशनी का विशेष महत्व है। रौशनी के इस पावन पर्व पर आइये हम और आप मिलकर सहयोग का ऐसा दिया जलाएं, जिससे रौशनी  न देखने वाले लोगों  के जीवन में सम्मान का  प्रकाश रौशन हो। 

कहते हैं कि, जो हांथ दूसरों की मदद के लिए उठते हैं वे प्रार्थना करने वाले होठों से ज्यादा पवित्र होते हैं। हम सब  शुभता की कामना से दरवाजे पर शुभ लाभ लिखते हैं, इसके इतर यदि हम जीवन में परोपकार की भावना बनाएं तो हर पल लाभ ही लाभ होगा। कहने का आशय है कि, यदि मन का भाव सच्चा है तो हर काम अच्छा है। 
स्वामी विवेकानंद जी का कहना है कि, 
"मानव सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है”  

अतः इस दिपावली, हमसब मिलकर ये संकल्प करें कि,  हमारे और आपके सहयोग रूपी दिपक के प्रकाश में दृष्टीबाधित साथी अपने जीवन के अंधकार को दूर करके  जीवन को हर्ष उल्लास से रौशन करें💥💥💫💫 

शुभ दिपावली 🙏



Monday 14 August 2023

77 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं



स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आइये हम सब मिलकर प्रण करें कि भारत के तिरंगे को विश्व गगन पर लहरायेंगे, धर्म और जाति से इतर इंसानियत का आगाज करेंगे, ये कहना अतिश्योक्ति नही कि आज दुनिया में भारत का नगाड़ा गूंज रहा है,देश का सितारा चमक रहा है अतः इस चमक को अपने राष्ट्रहित के जज़बे से और चमकाएं, मिलकर दुआ करें कि बुलंदी पर लहराता रहे तिरंगा हमारा।
जय हिंद जय भारत
🙏




 

Sunday 14 August 2022

आजादी के अमृत महोत्सव की हार्दिक बधाई

 

भारत माता के अमर शहीदों को शत् शत् नमन करते हुए आजादी के अमृत महोत्सव का आगाज करते हैं। याद करते हैं उन वीरों को जिन्होने अपने प्राणों को न्योछावर करके भारत माता के भाल पर आजादी का तिलक लगाया और देश की तकदीर बदल दी। आज हम सब देशभक्ति की भावना का अनुराग लिए हर घर तिरंगा , घर घर तिरंगा लहरा रहे हैं। सत्यमेव जयते का उद्घोष लिए एक भारत श्रेष्ठ भारत आज नित नई उन्नती के शिखर पर तिरंगा लहरा रहा है। सारे जहां से अच्छे हिंदोस्तान पर हम सब गर्व करते हैं। यहां का कण-कण सोना है, गंगा की अविरल धारा में भाईचारे का प्रतिबिम्ब साफ नजर आता है। भारत की, गंगा-जमुनी संस्कृति पर हम सब मान करते हैं। विश्वशांति की कामना का पाठ देने वाली मातृभूमी का वंदन करते हैं। आइये हम सब मिलकर इस अमृत महोत्सव पर संकलप करें कि, विश्व में भारत की शक्ति का, नया परचम फहरायेंगे। अनेकता में एकता का संदेश लिए तिरंगे को चारों दिशाओं में लहरायेंगे। दुश्मन की हर साजिश को नाकाम करें और आह्वान करें ना जियो धर्म के नाम पर, ना मरो धर्म के नाम पर, इंसानियत ही है धर्म वतन का, बस जियो वतन के नाम पर। आजादी के दिन आओ मिलकर  दुआ करें बुलंदी पर लहराता रहे तिरंगा हमारा। राष्ट्रकवि दिनकर जी की कविता से तिरंगे को बारंबार नमन करें ............

नमो, नमो, नमो।
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!

नमो नगाधिराज – शृंग की विहारिणी!
नमो अनंत सौख्य – शक्ति – शील – धारिणी!
प्रणय – प्रसारिणी, नमो अरिष्ट – वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा – प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!

आप सबको 76वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 75वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव को मिलकर गायें, खुशियां मनायें


अमृत सा अमर मेरा देश,
सबसे न्यारा मेरा देश।
दुनिया जिस पर गर्व करे,
ऐसा सितारा मेरा देश,
आगे जाए मेरा देश,
इतिहासों में बढ़ चढ़ कर,
नाम लिखाये मेरा देश 

जय हिंद वंदे मातरम्











Friday 1 April 2022

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

 




नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामना के साथ आज हम सब मिलकर संकल्प करें कि, परिस्थित कुछ भी हो हम सब जिंदगी को सुरक्षित और खुशहाल वातावरण प्रदान करेंगे। यदि हर हाल में हम सहज रहने का संकल्प कर लें तो दुनिया की कोई भी ताकत हमें विचलित नहीं कर सकती। जीवन का शास्वत सच है कि, जिंदगी का चक्र गतिशील है। इसमें सुख-दुःख, प्राकृतिक परिवर्तन की तरह हैं। अर्थात... रात के बाद उजली सुबह , पतझङ के बाद बसंत............

यदि जीवन में कभी बुरे दिन से रूबरू हो भी जायें तो ये हौसला रखें कि, दिन बुरा है जिंदगी नहीं। यदि हम प्रकृति से परिवर्तन का मंत्र सीखकर जीवन को उत्सर्ग कर देने का जज़्बा रखते हैं तो यकीन करें ईश्वर का वरदहस्त प्रतिपल साथ रहता है। निःसंदेह ऐसे में नियति का विधान भी सकारात्मक पूर्णता के लिए प्रतिबद्ध रहता है।

दृण संकल्प के साथ मन में ये भरोसा अवश्य रखें कि, जब हम किसी का अच्छा कर रहे होते हैं ,तब हमारे लिए कहीं कुछ अच्छा हो रहा होता है। सच तो ये है कि, जिंदगी एक आइना है, वो तभी मुस्कुरायेगी जब हम मुस्कुराएंगे। जीवन का सबसे कठिन दौर वो नही है जब कोई हमें न समझे बल्की वो होता है जब हम अपनेआप को न समझें। इसलिए स्वयं की नजर में यदि सही हैं तो दुनिया की परवाह न करें, वो तो भगवान से भी दुखी है। नव वर्ष मे सकारात्मक सोच का संकल्प करें और खुद पर भरोसा करके आगे बढते रहें।

नही ठहरती मुश्किलें जिंदगीभर ,जिंदगी में । हर मुश्किल का एक सुनहरा अंत होता है। रख भरोसा खुदपर, पतझड के बाद ही बसंत आता है।



सकारात्मक सोच के साथ कलम को विराम देते हैं.......
 नव वर्ष , गुणी पड़वा , नवरात्र एवं रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं


नए वर्ष का यह प्रभात
खुशियों की सौगात लाये
मिट जाये सब मन का अँधेरा
चहुँओर उजाला हो जाये


जय माता दी
जय श्रीराम

Thursday 17 March 2022

होली की हार्दिक बधाई



  • सभी रंगो का रास है होली, 
  • मन का उल्लास है होली,
  • जीवन के सभी रंगो की बौछार है होली, 
  • खुशियों की बयार है होली, 
  • इसलिए खास है होली। 
  • आइये हम सब मिलकर अपनत्व की मनाये होली।
  •  
  • होली की हार्दिक बधाई 

Monday 14 September 2020

हिंदी अपनी पहचान है

आज सुबह से हर तरफ हिंदी दिवस की बधाई गुंजायमान हो रही है। ऐसे में मन में प्रश्न उठता है कि क्या हिंदी को एक दिवस के रूप में मनाना न्यायोचित है। गौरतलब है कि, 14 सितंबर 1949 को अनुछेद 343 एक के अनुसार हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया तथा 26 जनवरी 1950 से हिंदी अधिकारिक तौर पर बोली जाने वाली भाषा बन गई परंतु विडंबना ये है कि हिंदी प्रति वर्ष 14 सितंबर को एक दिवस के रूप में ही सिमटकर रह गई जबकी 14 सितंबर 1949 के पहले से हिंदी भारत की संवेदनाओं का शब्द है, हिंदी भारत की अभिव्यक्ति को जिवंत करती है। हिंदी तो अपनी पहचान है फिर पहचान को दिवस की दरकार क्यों??? 

महात्मा गाँधी ने एकबार कहा था कि, "राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।" 

मेरा मानना है कि ,राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करना चाहिए भारत के वे सभी प्रांत जहां हिंदी का चलन बहुत कम है वहां के बाजारों में सभी दुकानों पर एवं वहां के सभी दफ्तरों तथा अस्पतालों पर उनके बारे में स्थानिय भाषा के साथ हिंदी में भी लिखना अनिवार्य किया जाना चाहिए। गाँधी जी का उपरोक्त कथन तभी सार्थक होगा। 

मित्रों, यहां कुछ ऐसे चिकित्सकों का जिक्र करना चाहेंगे जिनकी अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकङ है फिर भी हिंदी को अपना गौरव मानते हैं , डॉ. शैलेंद्र (डॉक्टर ऑफ मेडिसंस) हैं, आप हरियाणा के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में चिकित्सा अधिक्षक हैं। उनके कार्यलय में नाम पट्टिका सम्मान बोर्ड सब हिंदी में है। उनका हिंदी प्रेम अत्यधिक रोचक है, डॉ. शैलेंद्र जाँच, निदान और औषधियां सब हिंदी में लिखते हैं। उनका कहना है कि, हमें अपनी मातृभाषा को पूरा सम्मान देना चाहिए। गोरखपुर विधानसभा सीट से चार बार विधान सभा पहुँचने वाले डॉ. राधा मोहन दास भी दवाई की पर्ची हिंदी में लिखते हैं।स्वर्गिय डॉ. जितेन्द्र सुल्तानपुर से हैं एम बी बी एस की परिक्षा में टॉप किये थे, वो भी हिंदी में दवाईयां लिखते थे। उपरोक्त चिकित्सकों से प्रेरणा लेकर अधिकांश लोगों को अपने कार्यक्षेत्र में हिंदी को अपनाना चाहिए। 

ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि हिंदी सिर्फ भाषा नही है बल्कि उस विराट सांस्कृतिक चेतना का नाम है, जिसमें अनगिनत धर्म, समुदाय, संस्कार और पंथ समाहित हैं। हिंदी तो हमारी ताकत है। हिंदी हम सबके लिए गौरव है। हिंदी तो वो सागर है जिसमें भारत की सभी भाषाओं का सम्मान विद्यमान है। हम हिंदी को याद करें , बोलचाल में बोले, अपनी भाषा हिंदी पर अभिमान करें। हिंदी को किसी दिवस में न बाँधे बल्की उसे स्वतंत्र आकाश दिजिए हिंदी तो अपनी राष्ट्रीय एकता और अखंडता की प्रतीक है।

जय हिंद वंदे हिंदी वंदे भारत 

Friday 4 September 2020

शिक्षक दिवस पर शिक्षकों के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं



जिज्ञासा, ज्ञान और बुद्धिमानी के चुम्बक को सक्रिय बनाते हैं शिक्षक 

शिक्षा का सागर हैं शिक्षक

ज्ञान के बीज बोते हैं शिक्षक

माता-पिता का दूजा नाम हैं शिक्षक

देश के लिए मर मिटने की

बलिदानी राह दिखाते हैं शिक्षक,

प्रकाशपुंज का आधार बनकर

कर्तव्य अपना निभाते हैं शिक्षक

नित नए प्रेरक आयाम लेकर

हर पल भव्य बनाते हैं शिक्षक

नई टेक्नोलॉजी से भी पाठ पढाते हैं शिक्षक



ऐसे महान शिक्षकों को शिक्षक दिवस पर कोटी-कोटी नमन और शिक्षकों के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। 

Friday 14 August 2020

74 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई

 



स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है आइये हम सब मिलकर ये संकल्प करें कि, विजयी-विश्व का गान अमर रहे, देश-हित सबसे पहले हो बाकि सब राग अलग हो।भारत माता की आजादी की खातिर जिन वीरों ने अपना सर्वस्व लुटाया उनके बलिदानों को देशप्रेम से अमर करें। भारत को एक विकसित राष्ट्र बनायें।तिरंगे की शान में ही भारत की पहचान है। स्वदेशी भाषा और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर एक नया इतिहास बनायें।
महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की उक्त पंक्ति को साकार करें.......

आज़ादी का पर्व, उचित है आज सगर्व मनाएँ हम। 

भवन-भवन पर ध्वज लहरा कर गीत विजय के गाएँ हम॥ 

दीप जलाएँ, नैन मिलाएँ नभ के चाँद-सितरों से। 

गूँज उठे धरती का कोना-कोना जय-जयकारों से॥



74 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई 
जय भारत वंदे मातरम्

Wednesday 29 July 2020

प्रसन्न कुमार पिंचा (निःशक्तजनों के मसिहा)


गौरवशाली राजस्थान की गौरवगाथा इतिहास में अमर है। आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को सहेजे पद्मावती का जौहर हो या पन्ना का बलिदान एक अनुठी मिसाल है। महाराणा प्रताप की इस वीर भूमि पर अनेक लोगों ने सिर्फ राजस्थान का ही नही बल्की सम्पूर्ण भारत का नाम गौरवान्वित किया है। उन्ही में से एक हैं प्रसन्न कुमार पिंचा जिनका जीवन अनेक लोगों के लिये प्रेरणामय है। प्रसन्न कुमार पिंचा जी पहले दृष्टीबाधित व्यक्ति हैं जिन्हे भारत सरकार के अधिनस्थ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों का मुख्य आयुक्त नियुक्त किया। 28 दिसम्बर 2011 को मुख्य आयुक्त का पदभार ग्रहण करते ही पी.के.पिंचा जी भारत के पहले दृष्टीबाधित व्यक्ति बन गये जिन्हे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में सक्षम व्यक्तियों का मुख्य आयुक्त का पद प्राप्त हुआ है। सबसे बङी खुशी की बात ये है कि, ये पद उन्होने सक्षम लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा में अवल्ल आकर प्राप्त किया न की किसी आरक्षण के तहत। कानून में स्नातक तथा अंग्रेजी साहित्य से एम एस करने वाले पिंचा जी को 1999 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी (दृष्टीबाधित) के राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। ये पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायन द्वारा प्रदान किया गया था।

अनेक पुरस्कारों से सम्मानित पी. के. पिंचा जी ने बचपन से ही दृष्टीबाधित होने के बावजूद इसे कभी अपनी कमजोरी नही मानी और संघर्षो के साथ आगे बढते रहे। उनके विकास में परिवार का सहयोग बराबर रहा, खासतौर से पिता जी के विश्वास ने पी.के.पिंचा जी को जो हौसला दिया वो ताउम्र उनके जीवन की तरक्की का हिस्सा रहा। राजस्थान के चुरु जिले में मध्यम वर्गिय परिवार में जन्मे पिंचा जी की प्रारंभिक शिक्षा उनके जन्म स्थान पर ही हुई। उनके पिता जी को ये आभास था कि दृष्टीबाधिता के बावजूद उनका बेटा अपने जीवन में बहुत कुछ कर सकता है, इसी विश्वास पर उन्होने अपने बेटे प्रसन्न को कोलकता के एक दृष्टीबाधित स्कूल में शिक्षा लेने भेजा। कुछ समय पश्चात प्रसन्न कुमार अपने जन्म स्थान वापस आ गये जहाँ दसवीं की परिक्षा सामान्य बच्चों के साथ पढते हुए ही अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण किये। तद्पश्चात कॉलेज की पढाई आसाम में पुरी हुई क्योकि कारोबार की वजह से आपका परिवार असम आ गया था। वहीं आपने कानून की भी पढाई पूरी की तथा अंग्रेजी साहित्य में मास्टर की डिग्री पूरी किये।

पिता का विश्वास और कुछ कर गुजरने की इच्छा ने पी.के.पिंचा जी को आगे बढने का हौसला दिया। असम के जोरहाट में सबसे पहले दृष्टीबाधित क्षात्र और क्षात्राओं के लिये एक विद्यालय की शुरुवात किये और वे उस विद्यालय के संस्थापक प्राचार्य बने। कुछ समय पश्चात असम सरकार ने इस विद्यालय का अधिग्रहंण कर लिया जिससे उनकी नियुक्ति सरकारी पद में हो गई इस तरह वो असम के पहले दृष्टीबाधित गज़ट ऑफिसर बन गये तद्पश्चात असम के समाज कल्याण विभाग में उनकी पदोन्नति हो गई हालांकी उनको ये पदोन्नति आसानी से नही मिली इसके लिये उनको काफी संघर्ष करना पङा और कानूनी लङाई भी लङनी पङी। आपके आत्मविश्वास और साहस की जीत हुई और पिंचा जी की नियुक्ति गोहाटी में संयुक्त निदेशक के रूप में हुई इसी दौरान आपको भारत के राष्ट्रपति के आर नारायन द्वारा बेस्ट एम्पलॉयर का पुरस्कार मिला।

सन् 2000 में एक्शन एड नामक अंर्तराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था से पी.के.पिंचा जी को ऑफर मिला उनके साथ काम करने का यही पर पिंचा जी ने ये साबित कर दिया कि वे विकलांगता के क्षेत्र के अलावा भी अन्य क्षेत्रों में काम कर सकते हैं। पूर्वोत्तर भारत के एक्शन एड ( अंर्तराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन) के वरिष्ठ प्रबंधक तथा विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन पर एक्शन एड के कार्य़ की देखभाल करने वाले वरिष्ठ प्रबंधक एवं थीम लीडर रहे। पिंचा जी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से भी जुङे रहे। कार्य के दौरान ही भारत सरकार द्वारा विकलांगता के क्षेत्र में दिये गये कार्यों को आपने बखुबी निभाया। इसी दौरान आपने मुख्य आयुक्त की प्रतियोगिता को अपने बौद्धिक बल पर अर्जित की न की विकलांगता के आधार पर।

पी.के.पिंचा जी ने ये सिद्ध कर दिया कि, कुछ कर गुजरने के लिये मौसम नही मन चाहिये, साधन सभी जुट जायेंगे सिर्फ संकल्प का धन चाहिये। गहन संकल्प से ही मिलती है पूर्ण सफलता। सपने तो सब देखते हैं लेकिन सपने को साकार करने का जज्बा ही लक्ष्य को सफल बनाता है।

अनेक चुनौतियों को पार करने वाले पी.के.पिंचा जी को पुराने गाने और गजलें सुनने का बहुत शौक था। आध्यात्म में रुची रखने वाले पिंचा जी को किताबें पढने का बहुत शौक था। आपने दृष्टीबाधितों के प्रति समाज में हो रहे  दुर्व्यवहार का जमकर विरोध किया और एक बार जब पी.के.पिंचा जी गुवाहटी में डेवलपमेंट बैंक, बैंक ऑफ इंडिया में खाता खोलने गये तो वहाँ कहा गया कि आप दृष्टीबाधित होने के कारण खाता नही खोल सकते तब उन्होने वहाँ ये कहा कि, क्या दृष्टीबाधित व्यक्ति को भारत की नागरिकता का अधिकार नही है?  आपकी इस जिरह के पश्चात खाता तो खुल गया लेकिन चेक पर बुक के इस्तेमाल की अनुमति नही मिली। आखिरकार कानूनी लङाई के माध्यम से आपने ये अधिकार भी प्राप्त किये जिसका लाभ आज अनेक दृष्टीबाधित लोगों को मिल रहा है। पिंचा जी का मानना है कि दृष्टीबाधिता किसी की दया पात्र नही है इसमें स्वंय का इतना हुनर है जो सामान्य स्कूल के बच्चों में भी नही होता। आज जरूरत है सिर्फ सकारात्मक दृष्टीकोंण की।

आपने अपने कार्यकाल के दौरान अनेक निःशक्त जनों तथा विकलांग लोगो के लिये कार्य किये। आपके प्रयास का ही परिणाम है कि 2013 में जारी सहलेखक (scribe) की गाइड लाइन स्पष्ट हो सकी, जिसका फायदा आज अधिकांश विद्यार्थियों को मिल रहा है। scribe की समस्या के निदान से 2013 के बाद दृष्टीबाधित लोगों के लिए अनेक क्षेत्र में नौकरी की अपार संभावनायें बनी। राज्यों में डिसएबिलिटी सर्टिफिकेट (अपंग प्रमाणपत्र) बनने में आने वाली दिक्कतों का निदान आपके प्रयासों से काफी हद तक ठीक हुआ है। निःशक्त जनों की समस्या का समाधान जल्दि और आसानी से हो सके इस हेतु पिंचा जी ने सभी राज्यो सरकारों से जल्द ही निःशक्तजन आयुक्त का पद भरने की मांग की। आपने नये अधिनियम में सात की जगह दिव्यांगों की 21 श्रेणियां अधिसूचित की और उसे सख्ती से लागू करने का आदेश भी दिया। पिंचा जी चाहते थे कि, पूरे भारत वर्ष में दिव्यांगजनो के अधिकारों के लिए जितना अधिक युवावर्ग आगे आयेगा उतना अधिक सशक्तिकरण दिव्यांगजनों का होगा। युवाओं को वो आगे बढने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते थे एवं उनकी समस्याओं के निदान के लिए हमेशा उपलब्ध थे। पिंचा सर किसी दायरे में बंधे नहीं थे, वे सबके अपने थे और सब उनके अपने थे। अस्वस्थ होने के बावजूद भी वो हर किसी की सहायता को तैयार रहते थे। निःशक्त लोगों के जीवन में आने वाली वैधानिक समस्याओं का निवारण कैसे हो इस बात को आपने विडियो संदेश में बहुत अच्छे से समझाया है। हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषा में आपके ज्ञानवर्धक संदेश यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। आपके कार्यों की सराहना करना सूरज को दिये दिखाने जैसा है। आज आप भले ही हमसब के बीच नहीं हैं परंतु आपके द्वारा दिखाए गये रास्ते हम सभी का मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे। आपके द्वारा स्थापित आदर्श हम सभी की प्रेरणा है। 2012 में आपने मुझे जिस तरह प्रोत्साहित किया संदेश भेजकर वो मेरे लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं है।

ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि जिसतरह विश्व स्तर पर हेलेन केलर का नाम लिया जाता है वैसे ही भारत में आप निःशक्त लोगों के मसिहा हैं। आपके सपनों को साकार करना ही सच्ची  श्रद्धांजली  होगी। वाइस फॉर ब्लाइंड आपके दिखाये मार्ग पर हमेशा चलने का प्रयास करेगा। वाइस फॉर ब्लाइंड के सभी सदस्य नम आँखों से आपको 
भावपूर्ण श्रद्धांजली  अर्पित करते हैं। 

नोट--- मेरी यादों में पिंचा सर........

साथियों 2012 में जब हम इन्क्लूसिव प्लेनेट पर सामान्य ज्ञान के ऑडियो पोस्ट करते थे तब पिंचा सर का मेरे पास प्रोत्साहन संदेश आया था। एक कमिश्नर का संदेश पढकर जो खुशी मुझे मिली उसको हम शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते। पिंचा सर ने इन्क्लूसिव प्लेनेट पर से मेरा नम्बर लेकर प्रोत्साहित किया था। उसके बाद तो कई बार बात हुई मेरे कार्यों को विस्तार से सुने। पिंचा सर ने ही हमें 2013 की scribe guide line की प्रति दी, जिसे हम फोटो कॉपी करके अधिकांश दृष्टीदिव्यांग बच्चों को वितरित किये। आपके द्वारा यूट्यूब पर अपलोड किये जाने वाले विडियो पर भी एक दो बार चर्चा हुई। अपने संदेशों से पिंचा सर भारत के प्रत्येक निःशक्त की समस्या का समाधान करना चाहते थे। 
प्रसन्न कुमार पिंचा जी खुद अपने आप में सिमटी हुई सदी हैं, आपके कार्य और व्यवहार हम सबके लिए जिवंत पाठशाला है।  



अनिता शर्मा
अध्यक्ष
वॉइस फॉर ब्लाइंड 











Friday 29 May 2020

प्रयास अभी शेष है (Motivational poem)



प्रयास अभी शेष है

अंतिम छोर तक जंग अभी शेष है

परिस्थिति को अंतिम दौर मान कर

कभी आत्मसमर्पण न कर, उम्मीद अभी शेष है

घोर अंधकार में प्रकाश की एक धुंधली किरण काफी है !

जो हौसलों को बुलंद कर देता है

मंजिल जितनी दूर हुई , प्रयास अधिक मजबूत हुए



सघर्ष अभी जारी है ,प्रयास अभी शेष है

हार मन कर बैठ जाना नियति नहीं

लक्ष्य भेदना ही अंतिम प्रयास नहीं

लक्ष्य के उस पार जाना, अद्भुत की खोज करना

असाध्य का साधन करना

दुर्लभ को सुलभ बनाना ही अंतिम छोर नहीं

लक्ष्य के उस पार जाना अभी शेष है

प्रयास अभी शेष है

प्रयास अभी शेष है


नोट-- प्रस्तुत कविता मेरी सखी सरोज यादव द्वारा लिखी गई है। सरोज जी ने अपनी कविता में आज की परिस्थिती पर बहुत सकारात्मक संदेश दिया है। सरोज जी इंदौर में जीडीसी महाविद्यालय में प्रोफेसर हैं। आप  दृष्टीबाधित बालिकाओं को भी बहुत अच्छे से पढाती हैं। 

लिंक पर क्लिक करके आप मेरे द्वारा लिखित सकारात्मक लेख पढ सकते हैं
Memorable Articles written by Anita Sharma

ज़िन्दगी हर कदम, एक नयी जंग हैं

धन्यवाद 😊