आसमान में सफलता की पंतग उङती रहे, रिश्तों में तिल गुढ की मिठास लिए प्यार और सम्मान बना रहे, मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास से मनता रहे, इसी मंगल कामना के साथ सबको मकर संक्राति की हार्दिक शुभकामनाए
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी को सौवें जन्मदिन पर वंदन करते हैं और नमन करते हैं। अटल जी का जीवन एक ऐसी सकारात्मक किताब है ,जिसको आत्मसात करने से यथार्थ जीवन को सुगम बना सकते हैं। बाधाओं के बावजूद निरंतर गतिमान जीवन शैली के धनी अटल जी की कविताएं प्रेरणास्रोत हैं। प्राथमिक शिक्षा से लेकर राजनीति के शिखर तक आपने अपनी अद्भुत यात्रा में अनेक अविस्मरणिय कार्य किये हैं। विश्व पटल पर विवाद शुन्य व्यक्तित्व के धनी अटल जी से मर्यादा पूर्ण वार्तालाप करने का गुंण सिखा जा सकता है। ईश्वर जीवन में इतनी ऊँचाई न देना कि अपनो को गले भी न लगा सकुं ऐसी उदारता के प्रतीक थे अटल जी। अपने राजनीति सफर में आपने अनेक अभूतपूर्व और असंभव कार्य किये जिसे स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। अभिनंदन करते हुए अटल जी की लिखी प्रसिद्ध पंक्ति हार नही मानुगा रार नही ठानुंगा को जीवन में आत्मसात करने का प्रयास करते हुए कलम को विराम देते हैं।
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संसदिय गरिमा को आत्मसात करने वाले, आदरणीय अटल जी
जनजन के प्रिय नेता संवेदनशील कवि अटल जी
जय हिंद वंदे मातरम्
शुभता और स्वच्छता के प्रतीक पर्व पर ईश्वर से यही कामना करते हैं कि, दिपोत्सव की रोशनी पूरे साल हताशा के अंधेरे को नष्ट कर सबके घर-आंगन-मन को रोशन करती रहे। अंधेरे के आकाश को परास्त करने वाले नन्हें से दीपक सा साहस हम सब में भी बना रहे। इसी मंगल कामना के साथ सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
मित्रों, आइये हमसब मिलकर, माँ दुर्गा की आराधना और प्रार्थना करते हैं।नवरात्री के विशेष पर्व पर प्रार्थना की अद्भुत शक्ति को समझने का प्रयास भी करते हैं।
जब भी हम सब पुरी आस्था से अपने - अपने ईश्वर की प्रार्थना करते हैं तो एक संबल मिलता है और हमारा आत्मबल मजबूत हो जाता है।
साथियों , जब हमारे चारों ओर निराशा और अंधकार के बादल मंडराने लगते हैं तो हम किसी ऐसे की तलाश करते हैं, जिससे हम अपनी बात कह सकें। तब हमारी तलाश ईश्वर पर ही खतम होती है। ईश्वर का सबल मिलते ही हमारा आत्मबल मजबूत होने लगता है।
प्रार्थना के लिये किसी भाषा या व्याकरण की जरूरत नही है। आवश्यकता है पूर्ण आस्था के साथ अपने ईश के समक्ष संपूर्ण समर्पण। प्रार्थना से हममें ऐसी ऊर्जा का संचार होता जिससे हममें विपरीत परिस्थिती में भी सही सोच रखने का साहस मिलता है। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि, प्रार्थना से अंतर्मन की सोई ऊर्जा सक्रिय हो जाती है, जिससे कई बार तो असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है। ध्यानयोग्य बात ये है कि, प्रार्थना के समय हमारा मन पूरे विश्वास के साथ ईश्वर के प्रति केंद्रित होना चाहिये। प्रार्थना का अभिप्राय ये कदापी नहीं है कि, हमारे सभी कार्य पूर्ण हो जायेंगे। बल्की हमें उचित कार्य करने और सही दिशा में अग्रसर होने की शक्ति प्राप्त होती है।
कहते हैं, ईश्वर भी उसी की सहायता करते हैं जिनको स्वयं पर विश्वास होता है। प्रार्थना से ध्यान का अभ्यास भी होता है। प्रार्थना करते समय व्यक्ति का मंदिर में होना जरूरी नही है लेकिन व्यक्ति के मन में ईश्वर का होना जरूरी है। जब विचार, इरादा और प्रार्थना सब सकारात्मक हो तो जिंदगी अपने आप सकारात्मक हो जाती है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, प्रार्थना ऐसे करो कि सबकुछ भगवान पर ही निर्भर करता है और प्रयास ऐसे करो कि सबकुछ आप पर निर्भर करता है।
अपनी कलम को विराम देते हुए यही कहना चाहेंगे कि , प्रार्थना और विश्वास दोनों अदृश्य हैं, परंतु दोनों में इतनी ताकत है कि नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं। विश्वास बनायें रखें सब अच्छा होगा 🙏
माँ की कृपा हमसब पर सदैव बनी रहे इसी मंगलकामना के साथ सभी पाठकों को दुर्गा उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
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गायत्री मंत्र का शाब्दिक महत्व
मित्रों,
आज हम श्रीकांत बोल्ला देखकर आए। सबसे पहले तो फिल्म के हीरो राजकुमार राव को धन्यवाद देते हैं, जिन्होने मिस्टर श्रीकांत बोल्ला के किरदार को बहुत खूबसूरती से निभाया है। फिल्म देखकर पहला विचार यही आया कि , एक छोटी सी जगह , आर्थिक तंगी और शारीरिक अक्षमता के बावजूद एक बच्चा अपने दृणविश्वास के बल पर करोणों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन सकता है!!!!!!
ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि , श्रीकांत की राह आसान नहीं थी। जन्म से अवहेलना का तंज, पढाई में बाधाएं, भारतीय शिक्षा नीति की कमियां इत्यादि ऐसे अवरोध हैं जो एक दृष्टीबाधित व्यक्ति को हमेशा आगे बढने से रोकते हैं। आमतौर पर सभी दृष्टीबाधित लोगों को उपरोक्त बाधाओं को झेलना पङता है। परंतु जो अपने जज़बे को दृणसंकल्प के साथ यथार्थ में अमलीजामा पहनाता है वही श्रीकांत बनता है।
श्रीकांत की आत्मकथा सभी के लिए सकारात्मक संदेश देती है, चाहे वो शारीरिक सक्षम हो या अक्षम। मुश्किलें तो जीवन में सबके साथ आती रहतीं है। परंतु सफलता के सपने को देखना और उसको जीना सबसे बङी शक्ति है जिसको श्रीकांत ने हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढाया। हम सब कुछ कर सकते हैं ये वाक्य वो जादूई शक्ति है जिससे सफलता की ऊंचाईयों को छुआ जा सकता है। आर्थिक तंगी कभी भी सफलता की बाधक नही है, जहां चाह है वहां राह आसान हो जाती है। कहते हैं, जो अपने पथ पर अटल है वही सफल है।
इस फिल्म में श्रीकांत जी का एक संवाद बहुत खास है, "नाना, अंधा भाग नही सकता लङ सकता है।" ये संवाद बहुत गूढ बात कहता है........... अपनी समस्याओं से भाग जाना (जो बहुत आसान पथ है) या अपने सपनों को साकार करने के लिए हर मुसिबत से डटकर लङना।
इस कहानी में स्पष्ट है कि, एक शिक्षित व्यक्ति किसतरह से रोजगार के माध्यम से स्वयं आत्मनिर्भर बनकर अनेक लोगों को आत्मनिर्भर बना सकता है। श्रीकांत के जीवन में दो किरदार बहुत महत्व रखते हैं, एक शिक्षिका देविका और आर्थिक मदद करने वाला व्यक्ति रवी।
फिल्म देखने के बाद वहीं उपस्थित कुछ लोगों से हमने पूछा कि, इस फिल्म को देखकर आपका क्या विचार है, ज्यादातर लोगों ने यही कहा कि हम लोग अक्सर छोटी छोटी समस्याओं से घबङा जाते हैं, रास्ता बदल लेते हैं । परंतु श्रीकांत के जीवन को देखकर लगा कि समस्याओं से भागने की बजाय समस्याओं को भगाने का उपाय करना चाहिये।
अगला प्रश्न मेरा था कि, क्या आपलोगों के मन में ये विचार आया कि हमें भी देविका या रवी बनकर सहायता करनी चाहिये ?
कुछ लोगों का उत्तर था कि, हां जरूर हम शिक्षा के क्षेत्र मेंं अवश्य मदद करना चाहेंगे। आशा करते हैं ये फिल्म समाज को जागरुक अवश्य करेगी ।
मित्रों, मेरा भी यही उद्धेश्य है:---- शिक्षा के माध्यम से दृष्टीबाधित बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना।
"शिक्षा के माध्यम से अपने प्रिंट दिव्यांग साथियों को आत्मनिर्भर बनाने में; मैं (अनिता शर्मा) वॉइस फॉर ब्लाइंड के नाम से प्रयासरत हुँ। (वॉइस फॉर ब्लाइंड) ई लर्निंग का ऐसा मंच है जो दिखता नही किंतु हजारों प्रिंट दिव्यांग साथियों को देश दुनिया की जानकारी से अपडेट कराते हुए, शिक्षा की अलख को सोशल मिडिया की सभी विधाओं जैसे- यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, स्काईप तथा वाट्सअप के माध्यम से रौशन कर रहा है, जिसके प्रकाश में भारत के विभिन्न राज्यों के प्रिंट दिव्यांग साथी लाभान्वित होकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं।"
इस मुहीम में यदि आप भी जुङना चाहते हैं तो हमें, voiceforblind@gmail.com पर मेल करें
अपनी कलम को विराम देते हुए यही कहेंगे कि,
बिना कष्ट के सिध्दियां मिलती नहीं
जो तपा उसी की जय है।
कण कण में तेरा परिचय है,
यदि मन में दृणविश्वास है।
आपका थोङा सा समय किसी को आत्म सम्मान से जीने का अवसर दे सकता है
धन्यवाद 🙏