Friday, 23 March 2018

खुशियों के अनमोल पल

"जिंदगी में अगर लक्ष्य बड़ा हो तो संघर्ष भी बड़ा करना होता है इन्ही विचारों के साथ आगे बढने वालों के सपने अवश्य सच होते हैं"
मित्रों, देवी मां की कृपा से और बङों के आशिर्वाद से हमारे परिवार के लिये खुशी का ऐसा अवसर है, जब परिवार के हर सदस्य का मन जयहिंद के नारे से गूंजायमान हो गया। वंदे मातरम् का आगाज़ करते हुए घर का बच्चा प्रांजल शर्मा, आर्मस मेडिकल कॉलेज में अपनी एमबीबीएस की पढाई पुरी करके डॉक्टर के रूप में देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों की स्वास्थ सेवा में अपना योगदान देंगे। लेफ्टीनेंट प्रांजल शर्मा को आर्मी की वर्दी में देखकर हमसब गौरवान्वित हुए। हम सबको गौरव पूर्ण अनुभूति प्रदान करने में प्रांजल की मेहनत को सबसे पहले सलाम करते हैं क्योंकि हमारे सुपुत्र प्रांजल को बचपन में पटाखे की आवाज से भी डर लगता था लेकिन आज गोले-बारूद के बीच में भी सैनिकों के जीवन रक्षक बनकर अपने कर्तव्य का निर्वाह करेंगे। परिवार से देश प्रेम की शिक्षा तो बचपन से उनको मिली थी परंतु जब मुंबई केन्द्रिय विद्यालय क्रमांक एक में आठंवी में अध्ययन कर रहे थे तो विद्यालय के बगल में ही स्थित नेवी आर्मी का संचालन देखकर आर्मी के प्रति सम्मान और अधिक हो गया। हालांकि डॉक्टर बनने का सपना तो कक्षा तीसरी से प्रांजल के मन में था, जिसको साकार करने में हम लोग माता-पिता के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वाह किये परंतु उस सपने को सच करने में प्रांजल ने दिल से मेहनत की जिसका परिणाम ये हुआ कि, नीट की परिक्षा में अच्छी रेंक लेकर आर्मस माडिकल कॉलेज के लिये सुचिबद्ध हुए तद्पश्चात AFMC  द्वारा आयोजित परिक्षाओं को भी सफलता पूर्वक पास करके AFMC में चयनित हो गये। 11th और 12th  की कक्षा में प्रांजल, अपने सपने को सच करने के लिए अध्यन में अत्यधिक मेहनत किये और ये सिद्ध कर दिये कि, मेहनत करने वालों के सपने साकार जरूर होते हैं। इस सपने को साकार करने में अध्यापकों के मार्गदर्शन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। अध्यापकों द्वारा अच्छे से पढाया गया पाठ और प्रांजल की दो वर्ष की मेहनत का ही परिणाम है कि, आज हम एक आर्मी डॉक्टर के अभिभावक के रूप में प्रफुल्लित हो रहे हैं क्योंकि फौज में एक डॉक्टर भी भारत माता की रक्षा हेतु चिकत्सिय अध्ययन के अलावा फौजी प्रशिक्षण से भी प्रशिक्षित होता है।
स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं, जितना कठिन संघर्ष होगा जीत उतनी शानदार होगी।आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नही है।ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, प्रांजल जैसे कई बच्चे अपने सपने को साकार करते हुए आर्मी में अपनी सेवा देने को तद्पर हैं। हम उन सब बच्चों के जज़्बे को तहेदिल से सलाम करते हैं। हाल ही में हमें अभिभावक के रूप में प्रांजल की पासिंग आउट परेड में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ वहाँ बच्चों द्वारा किये गये सांस्कृतिक कार्यक्रम में उनके मल्टी टेलेंट को देखकर खुशी में चार चाँद लग गया। इस वर्ष पास आउट हुए डॉक्टर्स द्वारा अभिनित मूक नाटक में सीमापर गोलियों की बौछार के बीच घायल सैनिकों का डॉक्टर्स द्वारा इलाज देखकर वहाँ उपस्थित सभी अभिभावकों की आँखों से बरबस ही अश्रुधार बह निकली, हालांकी ये खुशी के आंसु थे और अभिभावकों की तालियां भारत के वीर सपूतों के जज़्बों को प्रोत्साहित कर रहीं थी। सांस्कृतिक कार्यक्रम या वर्दी में फौजी डॉक्टरों के हौसले का कोई मुकाबला नही है। दोस्तों, मन तो था कि कुछ तस्वीरें आप लोगों के साथ शेयर करें किंतु ये कर नही सकते क्योकि सुरक्षा के दृष्टीकोंण से आर्मी के अपने नियम हैं जिसका पालन करना मेरा भी कर्तव्य है। अपने फौजी बेटे एवमं उनके साथियों को कहना चाहेंगे कि,
मानवता के परचम को लहराते हुए अपनी सोच को ले जाओ उस शिखर पर जहां सितारे भी झुक जायें, ना बनाओ अपने सफर को किसी कश्ती का मोहताज, चलो इस शान से कि तुफान भी नतमस्तक हो झुक जाये। 

प्रिय प्रांजल, अपने हौसले के बल पर आसमान की बुलंदी पर सफलता का परचम फैलाओ इसी मंगल कामना के साथ अनंत अशिर्वाद और शुभकामनायें
जय हिंद जय भारत 


Tuesday, 13 March 2018

सोशल मिडिया के माध्यम से शिक्षा की नई मुहीम


"मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया"

2011 से शिक्षा के माध्यम से दृष्टीबाधित साथियों को आत्मनिर्भर बनाने का उद्देश्य लेकर शुरू हुआ सफर अपने दृष्टीदिव्यांग साथियों को आत्मनिर्भरता की मुस्कान प्रदान करते हुए 2018 में प्रवेश कर गया है। 2011 में अकेले चले थे आज लगभग 400 कार्यकर्ताओं का कारवां बन गया है। आज भारत के विभिन्न शहरों से जुङे अनेक लोगों के निःशुल्क और निःस्वार्थ योगदान से अपने अनेक दृष्टीबाधित छात्र बैंक, रेल, अध्यापन तथा प्रशासनिक सेवा में कार्य करते हुए सम्मान से अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं।

Voice For Blind द्वारा शुरू किया गया अध्यापन कार्य सोशल मिडिया के माध्यम से भारत में ही नही वरन भारत के बाहर भी दृष्टीदिव्यांग साथियों को शिक्षित कर रहा है। 2012 से इंदौर तथा भारत के अन्य शहरों के बच्चे Voice For Blind द्वारा प्रदान किये गये सामान्य ज्ञान से अत्यधिक लाभान्वित हुए हैं। 2012 से YouTube पर अपलोड किये गये सामान्यज्ञान और करंट अफैयर से कुछ ऐसे बच्चे भी लाभान्वित हुए जिनको प्रत्यक्ष तौर पर हम लोग नही जानते। आज वाट्सएप के माध्यम से Voice For Blind अधिक से अधिक बच्चों तक सामान्य ज्ञान और प्रतिदिन समाचार को ऑडियो के माध्यम से पोस्ट कर रहा है। इस प्रयास से लगभग 10,000 बच्चों को लाभ हो रहा है। कुछ लोग Voice For Blind से प्रत्यक्ष जुङे हैं तो, कुछ हमारे दृष्टीदिव्यांग साथियों द्वारा बनाये वाट्सएप ग्रुप से समाचार तथा सामान्य ज्ञान का लाभ ले रहे हैं।

वाट्सअप के माध्यम से समाचार का प्रकाशन तो भारत में अपने आप में एक नया ही विचार है, जिसे अत्यधिक प्रोत्साहन भी मिल रहा है। ये समाचार प्रतिदिन विभिन्न समाचार पत्रों से संकलित करके ब्रॉडकास्ट के माध्यम से सुबह 8 बजे तक अपने दृष्टीबाधित साथियों तक भेज दिया जाता है। समाचार में इस बात का खयाल रखा जाता है कि कोई नकारात्मक खबर न हो और प्रतियोगी परिक्षा में क्या आ सकता है उसपर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। साथ ही कुछ रोचक तथ्य, आज का इतिहास एवं ट्वीट्स समाचार को रोचक बना देते हैं। आलम ये है कि, यदि समाचार पोस्ट करने में देरी हो जाये तो मेरे व्यक्तिगत नम्बर पर संदेश आ जाता है जानने के लिये कि, समाचार अब तक क्यों नही आया।

कुछ लोग मुझसे पूछते हैं कि, अब तक आपके द्वारा किये गये प्रयासों से कितने बच्चे लाभांवित हुए?
मित्रों प्रश्न उचित है परंतु सोशल मिडिया उस सूरज के समान है जिसे पता नही होता कि, उसकी रौशनी से किस-किस को लाभ हो रहा है। सोशल मिडिया तो उस बारिश के समान है जिसकी बूंद से कितने खेत लहलाहाते हैं उसे पता नही होता। उसी तरह मेरे द्वारा YouTube, Tweeter, Whats app, Facebook इत्यादि सोशल मिडिया के माध्यम से भेजे गये सामान्य ज्ञान और समाचार का हिसाब रखना संभव नही है क्योंकि इन माध्यम में बहुत से लोग अप्रत्यक्ष तौर से भी जुङे होते हैं। फिलहाल समाचार के लिये वाट्सएप पर तीन ब्रॉडकास्ट ग्रुप हैं जिससे प्रत्यक्ष तौर पर हजारों बच्चे जुङे हैं। इसके अलावा हमारे दृष्टीदिव्यांग साथियों द्वारा बनाये गये उनके वाट्सअप ग्रुप में भी उनके माध्यम से मेरे द्वारा रेकार्ड किया गया समाचार तथा सामान्य ज्ञान पोस्ट किया जाता है, जहाँ किसी ग्रुप में 200 तथा किसी में 250 सदस्य हैं। YouTube पर मेरी पोस्ट Publicly है जहाँ वर्तमान में लाखों         व्यू हैं तथा 17,793  सब्सक्राइबर हैं। मित्रों, कई बार मिडीया से जुङे लोग और समाज के अन्य लोग भी मुझसे पूछते हैं कि, आपने शिक्षा को ही माध्यम क्यों बनाया? मेरा मानना है कि, एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है।शिक्षा तो वो सशक्त हथियार है,जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं। शिक्षा कारोबार और व्यपार को बढाती है। एक कहावत है कि, यदि आप किसी को एक मछली देते हो तो उसे एक दिन का भोजन देते हो, लेकिन यदि आप उसे मछली पकङना सिखाते हो तो, उसे उम्रभर का भोजन देते हो। इसी कहावत को ध्यान में रखते हुए हमने शिक्षा को माध्यम बनाया जिससे शिक्षित होकर हमारे साथी आत्मनिर्भर हो जायें और उम्रभर के लिये अपने भोजन का इंतजाम कर सकें।

हमारे दृष्टीदिव्यांग साथियों में से जो प्रत्यक्ष जुङे हैं उनमें से अकेले इंदौर में ही सैकङों बच्चे विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। ये वो बच्चे हैं जिनकी स्नातक से लेकर प्रतियोगि परिक्षा तक की तैयारी मेरे द्वारा कराई गई है। Mangaldas patil -Govt. high sec.school , Gorelal Kushwah-Govt. Polytechnic college (sanawad), Phoolsingh Kushwah education department (janpad), Rajesh Parma Railway (Jabalpur), Ajay Railway (Bhopal), Manoj central school kolkata, इसके अलावा.निम्न सदस्य  बैंक में राज्य भाषा अधिकारी के रुप में कार्यरत हैं।
Rajani Sharma Andhra Bank,
Shiv vankhede BOB
Shiva Wankhede BOB
Vikesh Gurjar Oriental Bank of Commerce
Sonu Chouhan
Abha Rajoriya BOI


निम्नलिखित बैंक में लिपिक के पद पर कार्यरत हैं-
Rashmi choure UNB
Kalpana choure BOI
Rashmi Gurjar Central Bank
Ankita Bargal PNB
Bilal Ahmad PNB
Geetesh Gahlot SBI
Monika BOA
Sindhu Parmar UNB assistant manager
Narendra sejkar- BOI
mulayam singh Narmada jhabua gramin bank
Jiyalal Kol- Bank of Baroda
Bilal Ahmad PNB
Geetesh gahlot SBI
Harsh SBI

इंदौर के बाहर भी भारत के अनेक राज्यों से कई दृष्टीबाधित बच्चे निःशुल्क अध्ययन सामग्री से लाभान्वित होकर आज आत्मनिर्भर हो गये हैं। । सबका विवरण देना संभव नहीं है इसलिए कुछ एक नाम यहां लिख रहे हैं-
Mitul SBI Gujarat
Kamal Sharma Lucknow
Kiran maharashtra
Sandeep Gohati
Navneet Raj.
Neelesh Gujarat
Ashish Gujarat
Sanjay Gujarat
Ajay jammu kashmir
Prince Panjab
Kishor Asam
Mahendra Hariyana
Mohammad Hedrabaad
Mangilal Raj.
Sourabh Jain Meerut
Suneel Nagpur
Mithilesh jharkhand
Agashtha Nepal
Kulvant singh Rajasthan इन्होंने तो UPSC की सभी परिक्षाएं पास की है, इंटरव्यू के रिजल्ट का इंतजार है।
हरियाणा के अजय का तो UPSC में सलेक्शन भी हो गया है।

हम लोगों का मकसद है कि अधिक से अधिक बच्चों तक ये पाठ्य सामग्री पहुँचे ताकि कोई भी प्रिंट दिव्यांग साथी पाठ्य सामग्री के अभाव में पीछे न रह जाये। Voice For Blind ने अब तक सैकङों बच्चों के लिए परिक्षा के समय स्क्राइब की व्यवस्था की है। इंदौर के बाहर भी अनेक शहरों में VFB के सदस्य अपनी सेवायें दे रहे हैं। पुस्तकों को रेकार्ड करने में भी हमारे कई साथी अपनी निरंतर सेवा दे रहे हैं। अब तक बैंक, रेल, प्रशासनिक परिक्षा, संविदा शिक्षा तथा यू.जी.सी नेट की तैयारी हेतु पाठ्य सामग्री मेरी आवाज में रेकार्ड की जा चुकी है। प्रतिदिन लगभग 4 से 5 घंटे रेकार्डिंग करने के बावजूद कार्य का आगमन इतना है कि, कई बार हम असमर्थ हो जाते हैं हालांकि मुझे मना करना अच्छा नही लगता फिरभी कार्यकर्ताओं की कमी के कारण ना भी करना पङता है। अतः मित्रों आप सबसे आह्वान करते हैं, दूर बैठकर सरकार और समाज को कोसने के बजाय आइये हम सब मिलकर समाज में नई संरचना का गठन करें, जिससे हमारे दिव्यांग साथियों को भी सम्मान का आधार मिले। आप सबके साथ से निःश्चय ही एक दिन अपने सभी प्रिंटदिव्यांग साथी शिक्षा के माध्यम से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम हो जायेंगे। 

मित्रों जैसा कि, आप लोगों को विदित है कि Voice For Blind द्वारा पाठ्य सामग्री निःशुल्क प्रदान की जाती है, किंतु हम लोग बच्चों से ये वादा जरूर लेते हैं कि आप सफल होने के लिये ईमानदारी से मेहनत करेंगे। ऑडियो पुस्तक हम दे दिये अब याद करने की बारी आपकी है। यकीन मानिये बच्चे भी पूरी शिद्दत से पढाई करते हैं और अच्चे नम्बरों से पास होते हैं। उनकी सफलता ही हम लोगों का अमूल्य पारिश्रमिक है। उनके चेहरे पर सफलता की जो मुस्कान होती है वो हम लोगों की सबसे बङी पूंजी है। 

समाज से मेरी एक और अपील है कि, हमारे जो साथी कम्प्युटर में दक्ष हैं उनको अपने यहाँ नौकरी दें, आज कम्प्युटर हर जगह है और उसपर काम प्रिंट दिव्यांग साथी आराम से कर सकते हैं। मेरा मानना है कि कम्प्युटर उनकी आँखें हैं इसलिये इंदौर में हम एक कम्प्युटर सेंटर खोलना चाहते हैं जहाँ दृष्टीबाधित छात्र-छात्राओं को निःशुल्क कम्प्युटर सिखाया जा सके, इसके लिये हम समाज के प्रतिष्ठित लोगों से आर्थिक सहयोग की अपील करते हैं। हमने तो अपना उद्देश्य बना लिया है इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का। आप लोगों का सहयोग मिलेगा तो अधिक से अधिक दृष्टीबाधित बच्चों को ज्ञान के प्रकाश से रौशन कर सकेगें। आपके सहयोग की कामना रखते हुए निम्न शब्दों से कलम को विराम देते हैं।

ना पूछो कि मेरी मंजिल कहाँ है

अभी तो सफर का इरादा किया है

ना हारूंगा हौंसला उम्र भर

ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है


(लिंक पर क्लिक करके मेरा इंटरव्यु देखें.......)

सोशल मिडिया के माध्यम से शिक्षा की नई मुहीम

धन्यवाद 😊