"जिंदगी में अगर लक्ष्य बड़ा हो तो संघर्ष भी बड़ा करना होता है इन्ही विचारों के साथ आगे बढने वालों के सपने अवश्य सच होते हैं"
मित्रों, देवी मां
की कृपा से और बङों के आशिर्वाद से हमारे परिवार के लिये खुशी का ऐसा अवसर है, जब परिवार के हर सदस्य का मन जयहिंद के
नारे से गूंजायमान हो गया। वंदे मातरम् का आगाज़ करते हुए घर का बच्चा प्रांजल
शर्मा, आर्मस मेडिकल कॉलेज में अपनी एमबीबीएस की पढाई पुरी करके डॉक्टर के रूप में
देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों की स्वास्थ सेवा में अपना योगदान देंगे। लेफ्टीनेंट
प्रांजल शर्मा को आर्मी की वर्दी में देखकर हमसब गौरवान्वित हुए। हम सबको गौरव
पूर्ण अनुभूति प्रदान करने में प्रांजल की मेहनत को सबसे पहले सलाम करते हैं
क्योंकि हमारे सुपुत्र प्रांजल को बचपन में पटाखे की आवाज से भी डर लगता था लेकिन
आज गोले-बारूद के बीच में भी सैनिकों के जीवन रक्षक बनकर अपने कर्तव्य का निर्वाह
करेंगे। परिवार से देश प्रेम की शिक्षा तो बचपन से उनको मिली थी परंतु जब मुंबई
केन्द्रिय विद्यालय क्रमांक एक में आठंवी में अध्ययन कर रहे थे तो विद्यालय के बगल
में ही स्थित नेवी आर्मी का संचालन देखकर आर्मी के प्रति सम्मान और अधिक हो गया।
हालांकि डॉक्टर बनने का सपना तो कक्षा तीसरी से प्रांजल के मन में था, जिसको साकार
करने में हम लोग माता-पिता के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वाह किये परंतु उस
सपने को सच करने में प्रांजल ने दिल से मेहनत की जिसका परिणाम ये हुआ कि, नीट की
परिक्षा में अच्छी रेंक लेकर आर्मस माडिकल कॉलेज के लिये सुचिबद्ध हुए तद्पश्चात AFMC द्वारा आयोजित परिक्षाओं को भी सफलता
पूर्वक पास करके AFMC में चयनित हो गये। 11th और 12th की
कक्षा में प्रांजल, अपने सपने को सच करने के लिए अध्यन में अत्यधिक मेहनत किये और
ये सिद्ध कर दिये कि, मेहनत करने वालों के सपने साकार जरूर होते हैं। इस सपने को साकार करने में अध्यापकों के मार्गदर्शन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। अध्यापकों द्वारा अच्छे से पढाया गया पाठ और प्रांजल की
दो वर्ष की मेहनत का ही परिणाम है कि, आज हम एक आर्मी डॉक्टर के अभिभावक के रूप
में प्रफुल्लित हो रहे हैं क्योंकि फौज में एक डॉक्टर भी भारत माता की रक्षा हेतु
चिकत्सिय अध्ययन के अलावा फौजी प्रशिक्षण से भी प्रशिक्षित होता है।
स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं, जितना कठिन संघर्ष होगा जीत उतनी शानदार होगी।आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नही है।ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, प्रांजल जैसे कई बच्चे अपने सपने को साकार करते हुए आर्मी में अपनी सेवा देने को तद्पर हैं। हम उन सब बच्चों के जज़्बे को तहेदिल से सलाम करते हैं। हाल ही में हमें अभिभावक के रूप में प्रांजल की पासिंग आउट परेड में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ वहाँ बच्चों द्वारा किये गये सांस्कृतिक कार्यक्रम में उनके मल्टी टेलेंट को देखकर खुशी में चार चाँद लग गया। इस वर्ष पास आउट हुए डॉक्टर्स द्वारा अभिनित मूक नाटक में सीमापर गोलियों की बौछार के बीच घायल सैनिकों का डॉक्टर्स द्वारा इलाज देखकर वहाँ उपस्थित सभी अभिभावकों की आँखों से बरबस ही अश्रुधार बह निकली, हालांकी ये खुशी के आंसु थे और अभिभावकों की तालियां भारत के वीर सपूतों के जज़्बों को प्रोत्साहित कर रहीं थी। सांस्कृतिक कार्यक्रम या वर्दी में फौजी डॉक्टरों के हौसले का कोई मुकाबला नही है। दोस्तों, मन तो था कि कुछ तस्वीरें आप लोगों के साथ शेयर करें किंतु ये कर नही सकते क्योकि सुरक्षा के दृष्टीकोंण से आर्मी के अपने नियम हैं जिसका पालन करना मेरा भी कर्तव्य है। अपने फौजी बेटे एवमं उनके साथियों को कहना चाहेंगे कि,
स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं, जितना कठिन संघर्ष होगा जीत उतनी शानदार होगी।आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नही है।ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, प्रांजल जैसे कई बच्चे अपने सपने को साकार करते हुए आर्मी में अपनी सेवा देने को तद्पर हैं। हम उन सब बच्चों के जज़्बे को तहेदिल से सलाम करते हैं। हाल ही में हमें अभिभावक के रूप में प्रांजल की पासिंग आउट परेड में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ वहाँ बच्चों द्वारा किये गये सांस्कृतिक कार्यक्रम में उनके मल्टी टेलेंट को देखकर खुशी में चार चाँद लग गया। इस वर्ष पास आउट हुए डॉक्टर्स द्वारा अभिनित मूक नाटक में सीमापर गोलियों की बौछार के बीच घायल सैनिकों का डॉक्टर्स द्वारा इलाज देखकर वहाँ उपस्थित सभी अभिभावकों की आँखों से बरबस ही अश्रुधार बह निकली, हालांकी ये खुशी के आंसु थे और अभिभावकों की तालियां भारत के वीर सपूतों के जज़्बों को प्रोत्साहित कर रहीं थी। सांस्कृतिक कार्यक्रम या वर्दी में फौजी डॉक्टरों के हौसले का कोई मुकाबला नही है। दोस्तों, मन तो था कि कुछ तस्वीरें आप लोगों के साथ शेयर करें किंतु ये कर नही सकते क्योकि सुरक्षा के दृष्टीकोंण से आर्मी के अपने नियम हैं जिसका पालन करना मेरा भी कर्तव्य है। अपने फौजी बेटे एवमं उनके साथियों को कहना चाहेंगे कि,
मानवता के परचम को लहराते हुए अपनी सोच को ले जाओ
उस शिखर पर जहां सितारे भी झुक जायें, ना बनाओ अपने सफर को
किसी कश्ती का मोहताज, चलो इस शान से कि
तुफान भी नतमस्तक हो झुक जाये।