राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
रामलला विराज गए, धरती पुलकित है, मन हर्षित है। भारत की हवा राममय हो गई है। पाँच सौ वर्षों का संघर्ष सफल रहा। कर्तव्यपरायणता और नैतिकता के प्रतीक विष्णु के सातवें अवतार “श्री राम” के आगमन पर सम्पूर्ण भारत के ह्रदय में राम नाम की गूंज है। अयोध्या में बालसुलभ मुस्कान के साथ लोकाभिराम नयनाभिराम विराजमान हो गये।
तुलसीदास जी ने इसी मनोहर स्वरूप का वर्णन करते हुए लिखा ...
अर्थातः कुंदकली के समान उज्ज्वल वर्ण दंतावली, अधरपुटों का खोलना और अमूल्य मुक्ता मालाओं की छवि ऐसी जान पड़ती है मानो श्याम मेघ के भीतर बिजली चमकती हो। मुख पर घुँघराली अलकें लटक रही हैं। तुलसीदास जी कहते हैं- लल्ला! मैं कुंडलों की झलक से सुशोभित तुम्हारे कपोलों और इन अमोल बोलों पर अपने प्राण न्योछावर करता हूँ।
वर दंत की पगति कुंदकली, अधराधर-पल्लव खोलन की ।
चपला चमके घन बीच, जगै छबि मोति अमोलन की।।
घुंघरारी लटैं लटकैं मुख ऊपर, कुंडल लोल कपोलन की।
निवछावरि प्रान करैं तुलसी, बली जाऊँ लला इन बोलन की ।।
अर्थातः कुंदकली के समान उज्ज्वल वर्ण दंतावली, अधरपुटों का खोलना और अमूल्य मुक्ता मालाओं की छवि ऐसी जान पड़ती है मानो श्याम मेघ के भीतर बिजली चमकती हो। मुख पर घुँघराली अलकें लटक रही हैं। तुलसीदास जी कहते हैं- लल्ला! मैं कुंडलों की झलक से सुशोभित तुम्हारे कपोलों और इन अमोल बोलों पर अपने प्राण न्योछावर करता हूँ।
राम की महिमा तो अनंत है। कमलनयन रघुपति का ध्यान शिव शंकर महादेव भी करते हैं। रघुपति राघव राजा राम का दर्शन अयोध्या में ऐसा प्रतीत हो रहा है, "मानो सोने की सुंदर डिबिया में मनोहर रत्न सुशोभित हो।"सबका मंगल और कल्याण करने वाले आजानबाहु श्री रघुनाथ का वेद और पुराण भी वंदन करते हैं। कलियुग में श्री पुरुषोत्तम राम का नाम मनचाहा फल देने वाले कल्पवृक्ष के समान है।
राम तो अंत्योदय से सर्वोदय का मार्ग हैं। राम एक विचार हैं, जीवन की धङकन हैं। आज जीवन की आपाधापी में व्याकुल मन का गंतव्य हैं राम। निर्बल के बल हैं राम। राम शब्द में दो अर्थ समाया हुआ है, सुखद होना और ठहर जाना। यदि सुखद ठहराव के शब्दों पर ध्यान दें तो सबमें राम का नाम आलोकित है, जैसेः- आराम, विराम, विश्राम, अभिराम, उपराम, ग्राम। ऐसे कौशल्यानंदन जानकीवल्लभ श्री राम को , कर से कर को जोड़कर बारंबार प्रणाम है। आज रामनवमी के अवसर पर हम सब ये प्रतिज्ञा करें कि नर नाहर श्री पुरूषोत्म का रामराज फिर लायेंगे। भारत को समृद्ध, सशक्त, समदर्शी बनायेंगे।
जासु नाम भव भेषज हरन घोर त्रय सूल
सो कृपाल मोहि तो पर सदा रहउ अनुकूल॥
इसी शुभकामनाओं के साथ सबको रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏