चंद अनजाने चेहरे,
दु:ख और भय के नाद या
कुछ धुधंले संकेत मन की परतों से निकल
कर स्वपन बनकर छा जाते हैं। कहते हैं कि बंद
पलकों के पीछे एक मायावी दुनिया बसती है, जो किसी मृगमरिचिका से कम नहीं है। हिन्दु धर्मशास्त्रों- अथर्ववेद,
योगसूत्र, पुराण उपनिषद आदि में स्वपन का आध्यात्मिक विश्लेषण मिलता है जो कहता है
कि स्वपन की क्रिया आत्मा से जुङी है, और आत्मा परमात्मा का रूप है। मशहूर
मनोवैज्ञानिक फ्रायड की प्रसिद्ध पुस्तक द इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स के अनुसार सपने
दो तरह के होते हैं- पहले वो जो साफ दिखते हैं एवं उनका रोज के जीवन से सीधा
संबन्ध होता है। दूसरे सपने वो होते हैं जो मस्तिष्क में छुपी बातों को स्पष्ट
करते हैं।
कहा
जाता है कि ईसा मसीह सपनों को पढना जानते थे। वह अक्सर लोगों द्वारा देखे सपनों की
सांकेतिक भाषा को सही-सही बता देते थे। जो सदैव सत्य होते थे। सपना एक स्वाभाविक
घटना है यह सभी को आते हैं। ये अलग बात है कि जागने के 5 मिनट के भीतर ही कुछ लोग अपने द्वारा देखे गये
आधे सपनों को भूल जाते हैं और 10 मिनट के भीतर लगभग 90%
सपनों को। कई लोगों का मानना है कि सपनों का कुछ न कुछ अर्थ होता है। मनोवैज्ञानिकों
के अनुसार, हर सपना कुछ न कुछ कहता है। एक अध्ययन के अनुसार, 74 फीसदी भारतीय, 65
फीसदी कोरियाई और 56 फीसदी अमेरिकी मानते हैं कि सपने हमारे अचेतन मस्तिष्क के अंग
हैं। मशहूर वैज्ञानिक फ्रायड भी इस बात से सहमत हैं। ऐसा मानना है कि मानव शरीर के
अंदर दो प्रकार की स्थितियां होती हैं, चेतन और अवचेतन मन। चेतन मन का संबन्ध
बाहरी दृश्य एवं परिवेश से होता है, वहीं आंतरिक मन का पूर्व जन्म से संबन्ध होता
है।
भारत के महान
गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को स्वपन ने राह दिखाई थी। एक बार वो पाई के फॉर्मूले
में अटक गये, समझ नही आ रहा था कि इस समीकरण को कैसे हल करें। रात में जब वे गहरी
नींद में थे, तभी सपने में उन्हे देवी नामक्कल के दर्शन हुए। बहते खून की लालरंग
की स्क्रीन दिखी। एक हाँथ उभरा, जिसने स्क्रीन पर लिखना शुरु किया। ये तो वही
समीकरण था, जिसमें वो उलझे हुए थे, देखते ही देखते हाँथ ने जवाब भी निकाल दिया।
रामानुज नींद में भी उसे समझते रहे। वो तुरंत उठे एवं उसे कागज पर उतार दिये। इस
तरह उन्होने गणित को नई प्रमेय दी।
विज्ञान के अनुसार
सभी स्तनधारी और जानवर सपने देखते हैं, किन्तु पुराणों के अनुसार सभी जीवधारियों
में केवल मनुष्य ही स्वपन देख सकता है। एक शोध के अनुसार ये जानकर आश्चर्य होगा कि अंधे लोग भी सपने
देखते हैं। वे लोग,
जो जन्म से अंधे नहीं
होते, अपने सपनों में चित्र, प्रतिबिंब, छाया आदि देख सकते हैं किन्तु जन्मांध लोग आंख को छोड़ कर अन्य इंद्रियों के
क्रियाकलाप से सम्बन्धित विषयों जैसे कि ध्वनि, गंध,
स्पर्श आदि से सम्बद्ध
सपने देखते हैं।
सपने के चमत्कारी
प्रभाव का असर प्रसिद्ध जर्मन मनोवैज्ञानिक आटो लोवेई, के जीवन पर भी हुआ। 1903
में उनके दिमाग में एक आइडिया आया और वे (लोवोई) नसों में केमिकल ट्रांसमिशन पर
काम करने लगे। बहुत कोशिश किये किन्तु सफल न होने पर निराश होकर उसे छोङ दिये।
सत्रह साल बाद उन्हे सपने में इसका समाधान दिखा। सपने में बताये तरीके से न केवल
इसका सफल प्रयोग किया, बल्की चिकित्सा जगत में क्रांती ला दी और 1936 में नोबेल
पुरुस्कार के हकदार बने।
सपनो की कौतुहलता को
शान्त करने के लिये लगातार शोध हो रहा है। लेकिन गुत्थियाँ सुलझ नही पा रहीं।
विज्ञान तक के लिये स्वपन एक पहेली है। प्राचीन समय में तो सपनों के जरिये इलाज भी
होता था, जिसे ड्रीम थैरिपी कहा जाता था। सपने द्वारा जब भविष्य के प्रति सचेत
करने की बात की जाती है तो, अमेरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का बयान
स्वतः ही ध्यान में आ जाता है। उन्होने अपनी मौत को 10 दिन पहले ही सपने में देखा
था। उन्होने देखा कि व्हाइट हाउस में मातम छाया है। हर कोई रो रहा है। सपने में ही
उन्होने व्हाइट हाउस के गार्ड से पूछा कि यहाँ क्या हुआ है, तो गार्ड ने कहा हमारे
राष्ट्रपति नही रहे। अपने सपने का जिक्र उन्होने कैबिनेट की मिटिंग में भी किया
था। कई बार कुछ सपने अपने प्रियजनों पर आने वाली विपदा का आभास करा देते हैं।
जूलीयस सीजर की पत्नी को पति की हत्या से पूर्व रात को सपना दिखा था कि वह पति के
शव पर रो रही है। अगले दिन सीजर को दरबार न जाने के लिये बहुत कोशिश की किन्तु
सीजर नही माना और दरबार चला गया जहाँ ब्रूट्स ने उसकी हत्या कर दी। इस तरह के सपनो
के कई उदाहरण हैं जो अनिष्ट की घटना से आगाह कर देते हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ. हैफनर
मोर्स के अनुसार लगातार कोशिशों द्वारा सुषुप्त मस्तिष्क को जगाकर दिव्य दृष्टी
प्राप्त की जा सकती है।
मित्रों, जीवन में
घटी कुछ घटनाओं के आधार पर सपनों की इस हकिकत पर हमें भी विश्वास है किन्तु
वैज्ञानिक साक्ष्य के अभाव के कारण अभी कई लोग पूर्णतः यकीन नही करते।
सपनों की दुनिया बहुत रंगीन और खूबसूरत भी होती
है। कहीं किसी को अपना राजकुमार दिखता है, तो कोई अपनी उलझनों को सुलझा लेता है।
फिल्मी गीतों में सपनो की अपनी अलग दुनिया
है जो ज्यादातर खुशी का ही एहसास कराती है। वास्तव में आदमी सपनों में अपने चेतन तथा अचेतन में उभरी कल्पनाओं को
साकार होते देखता है। अचंभो और अचरज जिज्ञासाओं से भरी सपनो की
दुनिया में हर तरह के रंग हैं। सच बात तो ये है कि सपने जीवन में बहुत जरूरी हैं।
आँख खोलकर देखे जाने वाले सपने सफलता के लिये प्रोत्साहित करते हैं और कई बार आँख
बंद कर देखे जाने वाले सपने अक्सर भविष्य के पथ प्रदर्शक बन जाते हैं।
मित्रों, ज़िन्दगी के लिए सपने ज़रूरी है क्योंकि महान सपने देखने वालों
के सपने हमेशा पूरे होते हैं। प्रख्यात शख्सियतों के संदेश के साथ कलम
को विराम देते हैं।
डॉ. अब्दुल कलाम के अनुसारः- “सपने देखना बेहद जरुरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंजिल को हासिल
नहीं किया जा सकता,
सबसे ज्यादा जरुरी
है जिंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना|”
वाल्ट डिज़नी के अनुसारः- “हमारे
सभी सपने सच हो सकते हैं,
यदि हम उन्हें पूर्ण करने का साहस दिखाएं तो”