मिलकर काम करने से बङी सी बङी चुनौतियाँ भी छोटी हो जाती हैं, इसी संदेश को
जन-जन में पहुँचाने के लिए मानव एकता दिवस 24 अप्रैल को मनाया जाता है। यदि विचार
करें तो आज की आधुनिक दुनिया में इस संदेश को प्रत्येक मानव को अपनाने की जरूरत है।
मानवीय एकता को जिन्दा रखने के लिए मनुष्य में इंसानियत का गुण होना अति आवश्यक
है। आज तो देश-दुनिया की बिगङती आवो-हवा, विकृत मानसिकता जनवरों से भी बदतर स्थिति
को दर्शा रही है। जानवर भी संघटन की शक्ति को पहचानता है इसलिए समूह में रहता है
परन्तु अति बुद्धीमान प्राणी इंसान स्वार्थी नेताओं के बहकावे में मानवीय एकता को
कभी धर्म के नाम पर तो कभी जाति के नाम पर दिमक की तरह खोखला कर रहा है।
दिल्ली
में हुई अमानवीय घटना शायद ही कोई भूल पाया हो, असम में एक लङकी के साथ सरे आम कुछ
लोग बदतमीजी कर रहे थे और लोग तमाशबीन खङे थे। बात लङकी या लङके की नही है बात है, अमानवियता की क्योंकि दरंदिगी का शिकार कोई भी कहीं भी हो सकता है। कुछ समय पूर्व
एक अश्वेत छात्र को कुछ लोगों ने इतना पीटा की वो कोमा में चला गया। हाल ही में
दिल्ली में एक असम के छात्र को इतना ज्यादा पीटा कि वो मर गया कोई बचाने नही आया जबकि तमाशबीन कई थे। इस तरह की वारदातें इस सच्चाई को साफ कर देती हैं कि केवल दो पाँव
पर चलने वाला जीव जरूरी नही है कि मनुष्य हो क्योंकि मनुष्य तो संवेदनाओं और भावनाओं
की प्रतिमूर्ती है। मानविय एकता को मजबूत करने के लिए सबसे पहले इंसानियत का पाठ
आत्मसात करते हुए एक अच्छा इंसान बनना बहुत जरूरी है।
आज हम अत्याधुनिक तकनिक के जमाने में जी रहे हैं। मंगल पर घर बसाने की बात कर
रहे हैं किन्तु ये बात भूल रहे हैं कि घर तो भाई-चारे से, प्यार मोहब्बत से तथा
अमन चैन से बनता है। हम मशीनी युग में जी
रहे हैं, मनुष्य होने का दम भर रहे हैं परन्तु मनुष्यता से कोंसो दूर हो रहे हैं। पङौसी
मुल्क के सैनिकों द्वारा धोखे से सीमा पर स्थित सैनिकों का सिर काटा जाना जबकि
सैनिक तो विरता के प्रतीक होते हैं। ये बर्बरता क्या मनुष्यता को परिभाषित कर सकती
है
?
आज दुनिया में महान बनने की चाहत तो हर एक में है पर पहले इंसान बनना भूल जाते
हैं। एक वर्ष पूर्व केदारनाथ में आई प्राकृतिक त्रासदी से ज्यादा दुखित करने वाली
इंसानी त्रासदी थी, जिसने इंसानियत को तार-तार कर दिया था। इंसानियत की सच्ची
परिक्षा विषम परिस्थिती में ही होती है। सुख के समय तो हर कोई मानवता की दुहाई
देता है।
किसी ने सच कहा है कि, "इस जहाँ में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोग, हवा
का रुख देखकर बदल जाते हैं लोग।"
ईश्वर ने मनुष्य को उसके स्वंय की शारीरिक बनावट एवं क्रियाओं से एकता का पाठ समझाया है। सभी अंगो के पारस्परिक सहयोग से ही मनुष्य क्रियाशील रहता है। प्राणी जीवन चक्र भी एक दूसरे के बिना संभव नही है, फिर भी हम मानवीय एकता को नजर अंदाज कर देते हैं।
आज की भागम-भाग जिंदगी में कुछ इंसान ऐसे भी हैं जो इंसानियत को जिवंत करते हैं। मानवीय एकता के महत्व को प्राथमिकता देते हैं। कहते हैं "बूंद-बूंद से सागर भरता है।" इस उम्मीद के साथ भले ही मानवता दिवस महज एक दिन की ही
बात क्यों न हो यदि उसे इंसानियत के साथ मनायेंगे तो हर-दिन, हर-पल मानवता का जय
घोष होगा। हम सब का प्रयास यही रहे कि मानव एकता दिवस महज औपचारिकता न रहे क्योकि
संघठन में ही शक्ति है।
"Where there is Unity, There is always Victory. "
Bahut sundar article. Aapka Lekh aapki soch Ki maturity dikhata hai.
ReplyDeleteAcha
Deleteमै आपके लेख की वास्तविकता मे प्रशन्सा करता हू अपने आज के मानव को जोड़ने कि बात कही है , आज का मानव चाँद पर तो जा चुका है पर वो अपने पडोसी के दिल तक नही ज पाया है , आज कि शिक्षा ने मानव को M.A. तो बना दिया है पर MAN नही बना पायी
ReplyDeleteधन्यवाद मोहित, बहुत सटिक बात रखने के लिए। मुसिबत में पङौसी ही सबसे पहले काम आते हैं इसलिए पङौसी धर्म का निर्वाह पूरी ईमानदारी से करना चाहिए।
DeleteA
Deleteekdum such kaha anita ji apne...aaj-kal ka manav itna swarthi ho gya h ki auro ko to chodo vo to apno ko bhi apna nhi samajta....
ReplyDeleteI really appriciate ap jo bhi kar rahe ho . apke thoughts logo tak pahuchna logo ka saubhagya hai . isse bakiyon ko bhi seekh milti hai ek ache bhavishya k liye samaj me desh me galat hone pe awaz uthana hi manavta hai.
ReplyDeleteThanks Deepa
Deleteआपका तह दिल से शुक्रिया करता हूँ आपने मानवता की बात कही है जो सबको साथ मिलकर रहने की है।
ReplyDeleteMain is lekh ko share karna chahta hu....
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