Monday, 26 May 2014

एक महत्वपूर्ण सबक


एक अमीर आदमी तफरीह के लिए समुंद्र में नाव लेकर बहुत दूर निकल गया। अचानक जोर का तुफान आया। नाव थपेङों से क्षतिग्रस्त हो कर टूटने लगी, तो वो अमीर आदमी समूंद्र में कूद गया। तुफान थमा तो उसने खुद को एक निर्जन टापू पर पाया। वो सोचने लगा कि मैने जिंदगी में कभी भी किसी का भी बुरा नही किया फिर भी ईश्वर ने मुझे ऐसी विपदा में क्यों डाल दिया। अब पूरी जिंदगी यहीं विराने में गुजारनी होगी। ये सोचकर वह रहने के लिए एक झोपङी बनाने लगा। रात को वो उस झोपङी में सो गया। परंतु अचानक मौसम में ऐसा परिर्वतन हुआ कि बिजली कङकने लगी और तभी बिजली उसकी झोपङी पर गिरी जिससे झोपङी में आग लग गई। अपने रहने की जगह को आग में स्वाहा होते देखकर वह आदमी पूरी तरह टूट गया। इतनी परेशानी में वो ईश्वर को कोसने लगा।

तभी अचानक एक नाव टापू के किनारे आकर लगी। उसमें से दो व्यक्ति उतर कर टापू पर आए और कहने लगे कि हमने यहाँ जलती हुई आग देखी तो हमें लगा कि कोई परेशानी में है, वो आग जलाकर मुसिबत में मदद के लिए संकेत दे रहा है। इस लिए हम लोग यहाँ आए।

लोग कहते हैं कि ईश्वर नजर नही आता, पर सच तो ये है कि जब दुःख के समय कोई दोस्त, सम्बन्धी साथ नही देता तब ईश्वर ही नजर आता है।

 उस आदमी की आँखों से आँसू निकलने लगा और मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहने लगा कि किसी के मानने या न मानने से तुझे कोई फरक नही पङता। हे ईश्वर तू तो निर्विकार, अकिंचन, निस्पृह होकर अपना कर्तव्य करता रहता है।

मित्रों, जिन मुश्किलों में हम ईश्वर को भला-बूरा कहना शुरू कर देते हैं वास्तव में कई बार उसी  कठिन परिस्थिति में ही हमारा हित छुपा होता है। हम सिर्फ परेशानियों को ही देखते हैं जबकि ईश्वर हमारे हित के लिए  नये द्वार का सृजन करता है। अतः हमें हर परिस्थिति में ईश्वर को कोसने के बजाय एक नई आशा के साथ उसके प्रति आस्था और विश्वास की अलख हमेशा जलाए रखनी चाहिये।


1 comment:

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