Friday 12 December 2014

मानवता मेरा धर्म है (Humanity is my Religion)


आजकल किसी भी न्यूज चैनल को देखें हर चैनल पर धर्म और जाति के विषय पर गरमा-गरम बहस देखी जा सकती है। मन में ये प्रश्न उठता है कि, जिस धर्म में मानविय गुणं न हो और इंसान का इंसान के प्रति सम्मान न हो, ऐसी जाति एवं धर्म से किसका भला होगा। किसी भी समाज या देश का विकास सबके सहयोग पर निर्भर है, फिर हम क्यों धर्म और जाति के नाम पर अपने विकास पर कुठाराघात कर रहे हैं ????

इतिहास गवाह है कि, ऊची जाति की अस्पृश्यता, आडम्बर, अनेक देवी-देवता, इस्लाम और ईसाइयों के कट्टर अत्याचार की नीति तथा क्रूर व्यवहार के कारण लाखों स्त्री-पुरुष धर्म परिर्वतन के लिये मजबूर हुए। भारत पर धर्म और जाति के नाम पर अनेक अमानविय आक्रमण हुए, जिसने भारत की आत्मा को तार-तार कर दिया। आज भारत ही नही विश्व के कई देश धर्म और जाति के वायरस से ग्रसित हैं और विनाश की ओर अग्रसर हैं। यहाँ तक कि एक ही धर्म इस्लाम में सिया सुन्नी का झगङा तो कहीं देवी-देवताओं के नाम पर हिन्दुओं में विवाद। आज वक्त का तकाज़ा है कि, इतिहास से सबक लेकर हमें धर्म और और जाति के चक्कर में न पङते हुए मानवीय सोच का संचार करना चाहिये। 

जाति और धर्म के नाम पर की गई व्यवस्था अप्रजातांत्रिक है, इससे समानता की भावना पर कुठाराघात होता है। कहने को तो  कोई भी सरकार जाति व्यवस्था और धार्मिक उन्मादों को भारत से दूर करना चाहती है, ताकि सभी लोग समान रूप से जीवन व्यतीत करें किन्तु जाति के नाम पर आरक्षण की नीति अपने आप में बहुत बङी त्रासदी है। सच तो ये है कि, धर्म और जाति के नाम पर टकराव सिर्फ विभिन्न राजनैतिक दलों की वोट नीति है और दंगो की उपज का एक विभत्स कारण मात्र है। 

"Every Religion that has come into the world has brought the message of love & brotherhood. Those who are indifferent to the welfare of their fellowmen, whose heart are empty of love, humanity & kindness, they do not know the meaning of Religion." 

अनंततः यही कहना चाहते हैं कि, विकास के इस दौर में परिवर्तन के बिना प्रगति की आशा करना व्यर्थ है अतः हमें अपनी सोच और विचार में परिवर्तन का आगाज करना होगा, जहाँ हम सबको इंसानियत की जाति और मानवता के धर्म में इस तरह रच-बस जाना है कि, हर ओर सुख-शान्ति की बयार बहे, बेटियाँ सुरक्षित हों और देश का चहुमुखी विकास हो। कवि प्रदीप की पंक्तियाँ साकार हो जाये....


"इन्सान से इन्सान का हो भाई चारा, यही पैगाम हमारा

संसार में गूँजे समता का इकतारा, यही पैगाम हमारा।"



3 comments:

  1. Kal PK movie dekhi....achhi lagi....uska bhi sandesh kuch aisa hii hai .

    Bhagwan,Allah,Christ sabhi ek hii to hain....kaash ye baat adhik se adhik log samjh paate.....

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    1. धन्यवाद गोपाल, हम भी आज PK movie देखे, कहा जाता है कि समाज सिनेमा से सीखता है, तो आशा करते हैं कि समाज हमारी अच्छी और मानवीय मुद्दों पर आधारित फिल्मों से सीख लेकर आनेवाले भारत की तस्वीर को इंसानियत के रंग से रंगेगा।

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