हमारा जीवन अनेक रंगो से रंगा हुआ है। कहीं राग है तो कहीं द्वेष है, कहीं सक्रियता तो कहीं आलस्य है, तो कहीं आवेश है तो कहीं विक्षोभ। इन तरह-तरह के मानसिक आवेगों का तुफान तभी थमता है, जब हमारा मन स्थिर रहता है। यदि विचार करें तो आज की फास्ट लाइफ में मन भी बहुत फास्ट दौङता है, ऐसे में गलतियों की संभावना भी बढ जाती है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने अपने जीवन में कोई भी भूल न की हो। प्रायः आवेश या उत्तेजना में हमसे भूल हो जाती है क्योंकि इनके आवेग में मन अस्थिर व अशांत हो जाता है और बुद्धी ठीक तरह से काम नही करती। बाल्याकाल से लेकर जीवन अंत तक कभी न कभी कुछ न कुछ गङबङ हो ही जाती है। परंतु भूलों के विषय में सोचकर अपने व्यक्तित्व को कुंठित कर लेना किसी भी दृष्टी से समझदारी नही है।बल्की भूल का भान होने पर उसे सुधारना एक सकारात्मक पहल है, जिसे प्रायश्चित कहते है। सच तो ये है कि पश्चाताप स्वयं को सुधारने का एक प्रयास होता है। दुनिया में बहुत से ऐसे लोग भी होते हैं जो गलतियों को छिपाते हैं और स्वंय को सही साबित करते हैं। अंग्रेजी में एक कहावत है कि, "to err is human" अर्थात गलती इंसान से होती है। ये भी सच है कि, गलतियों से ही सीखकर कई बङे-बङे आविष्कार भी हुए हैं और हम सब भी अपने-अपने जीवन में हुई गलतियों से सबक लेकर कामयाब भी हुए हैं।
"Mistake are the stepping stones to learning"
ऐसा कहा जाता है कि, गलती करना मनुष्य की नैसर्गिक और मौलिक पहचान है। सामाजिक ढाँचा और नाना प्रकार की विचारधारा के साथ हम सब जीवन यापन करते हुए अनेक रिश्तों से जुङे होते हैं, जहाँ विचारों की भिन्नता के कारण कई बार छोटी-छोटी अनबन और गलत फहमी हो जाती है। लेकिन यही छोटी-छोटी गलतियाँ कब बङी हो जाती हैं पता ही नही चलता जबकि हम सब ये जानते हैं कि, सच्चे रिश्तों की खूबसूरती एक दूसरे की गलतियों को बर्दाश्त करने में है क्योंकि बिना कमी के इंसान तलाश करेंगे तो अकेले ही रह जायेंगे। किसी ने सच ही कहा है कि, गलती स्वीकार करने में कभी देर नही करनी चाहिये क्योंकि सफर जितना लंबा होगा वापसी भी उतनी ही मुश्किल होगी।
"Mistake is a single page of life but relation is a complete book. So don't lose a full book for a single page."
प्रेंचन्द जी ने अपने एक उपन्यास में कहा था कि, पश्चाताप के कङुए फल कभी न कभी सभी को चखने पङते हैं। सच ही तो है दोस्तों, जिंदगी हैं तो भूलें होती रहेंगी, गलतियाँ भी होगी क्योंकि भूल होना मानवीय स्वभाव का अभिन्न अंग है। लेकिन इन गलतियों और भूलों को मन में बसा लेना समाधान नही है क्योंकि इंसान गलती करके इतना दुखी नही होता बल्की उन गलतियों के बारे में बार-बार सोचकर दुःखी होता है इसलिये दोस्तों,
गलतियों की क्षमा माँगते हुए और गलतियों से सबक लेते हुए आगे बढना ही जिंदगी का सकारात्मक फलसफा है।
"We all make Mistake. Nobody is perfect. Live it, Learn from it and Move on" :)