Monday 9 November 2015

भारतीय संस्कृति का प्रतीक है; दिपक


भारतीय संस्कृति में दिपक का विशेष महत्व है। भारत के जन-मन में बसे पर्व दीपावली पर तो दिपों का विशेष महत्व हो जाता है। दिपों की अंनत माला के  प्रकाश से  मानव जीवन के संघर्ष, निराशा एवं कुंठा के मध्य आशा की नई ऊर्जा का संचार होता है। दिपक की तुलना तो गुरु से भी की गई है क्योंकि अज्ञान रूपी तिमिर को गुरु समान दिपक, अपने प्रकाश से रौशन करता है। आदिमानव के आग के आविष्कार के बाद से समस्त मानव जाति ने दिपक को तम से प्रकाश का वाहक स्वीकार किया है। सुख सौभाग्य के प्रतीक के रूप में  सभी धार्मिक अनुष्ठानों में  दिपक की ज्योति सर्वप्रथम प्रज्वलित की जाती है ।


दिपों का महत्व तो संगीत, कला एवं साहित्य में भी जिवंत है। राग दिपक हो या रागमाल चित्र हर जगह दिपक की ज्योति विद्यमान है। साहित्यकारों की रचनाओं में दिपक, एक प्रिय उपमान के रूप में प्रज्वलित है।

मैथली शरण गुप्त के अनुसार, दिपक श्रमिकों के तप का फल है. पुनित आँचल का प्रतीक है।जयशंकर प्रसाद जी तो, जीवन की गोधली में , कितनी निर्जन रजनी में , तारों के दिप जलाएं कहकर प्रिय के आगमन की प्रतिक्षा करते हैं। भारत के पूर्व प्रधान मंत्री और कवी अटल बिहारी वाजपेयी ने तो देशहित में कहा कि, "आओ फिर से दीप जलाएँ , अंतिम जय का वज्र बनाने नव दधिची की हड्डियाँ गलाएँ. आओ फिर दीप जलाएँ।" यथार्त में दिपों की सार्थकता अप्रतिम है। प्रत्यक्ष एवं परोक्ष दोनों ही रूप में, यही कारण है कि एक नन्हा ज्योर्तिमय दीप देह शांति के पश्चात भी निरंतर जल कर देह का पंचतत्व में विलिन होने का विश्वास दिलाता है।

मित्रों , इस दिपावली पर हम सब मिलकर जाँति-पाँति के बंधन से मुक्त होकर भाईचारे की बाती से मानवता का दीपक जलायें। महापुराण एवं वेदवाणी से "तमसो मा ज्योतिर्गमय" का आह्वान करें। रिश्तों में मधुरता और विश्वास से भरे दिपक को प्रज्वलित करें । भारतीय संस्कृति के प्रतीक रूपी दिपक के प्रकाश से  "सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वेसंतु निरामया, सर्वे भद्राणी पश्यन्तु माँ कश्चित् दुःख भाग् भवेत् " जैसी भावना  को आलोकित करें।
         सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामना

3 comments:

  1. शुभ दीपावली. आप इसी तरह ज्ञान का दीपक जलाते रहें.

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  2. Bahut sundarta se aapne deep k mahttav ko samjhaya. Aapka jeevan bhi isi tarah prakashit rahe hamesha.

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  3. सच मेँ हमारी धर्म और ज्ञान तो संसार से महान है । ऐसा ही हमेँ मिलता रहे तो हम आतके आभारी रहेँगे ।

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