Saturday, 16 April 2016

परहित सरसि धर्म नही कोई


वसुधैव कुटुबंकम की भावना से पल्लवित हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है  परहित सरसि धर्म नही कोई । "साथी हाँथ बढाना एक अकेला थक जायेगा मिलकर बोझ उठाना"  मदर इंडिया का ये प्रसिद्ध गाना लगभग हम सभी की जुबान पर है. इस गीत में जिवंत समाज का बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश छुपा हुआ है क्योंकि प्रकृति के नियमानुसार  भी सभी जीव जगत का जीवन चक्र सहयोग की बुनियाद पर ही टीका है।  परिवार, समाज, देश हो या दुनिया सब एक दूसरे के सहयोग से ही फल फूल रहे हैं। ऐसे में समाज की कमजोर कड़ी को विशेष ध्यान की आवश्यकता  होती है।  जो किसी भी समाज की उन्नति के लिये आवश्यक चरण है। अक्सर हम सबने महसूस किया होगा कि परिवार में जो बच्चा सबसे कमजोर होता है, माँ का उस पर विशेष स्नेह होता है। ऐसे ही स्नेह की अपेक्षा हमारे दृष्टीबाधित साथी भी चाहते हैं, जहाँ उन्हे दया नही बल्की आगे बढने के लिये हम सबका सहयोग  चाहिये।

आज सरकार द्वारा अनेक सुविधायें देने की बात कही जाती है। परन्तु ये सुविधायें और योजनायें सिर्फ मंत्रालय की फाइलों मे ही सिमट कर रह गईं हैं या चंद शहरों चंद संस्थानों की ही अमानत है। आज भी अनेक शहरों में दृष्टीबाधित बच्चे उन योजनाओं से वंचित है। जैसे कि, परिक्षा के समय सहलेखक को दिया जाने वाला भत्ता हो या रेर्काडिंग की सुविधा।  सबसे बड़ी विडंबना है कि, सरकार द्वारा पारित योजनाओं को सरकार के ही अधिनस्त कर्मचारी नही मानते और अपने मन की करते हैं। उदाहरण के तौर पर 2013 की सहलेखन की गाइड लाइन को अनेक राज्यों के विद्यालय अभी भी नही मान रहे हैं। जिसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ता है जिनकी कोई गलती नही है। दृष्टीबाधिता हो या किसी भी प्रकार की शारीरिक विकलांगता, सरकार तथा समाज की उदासीनता की बली चढ जाती है। 

आज अनेक उदासीनता के बावजूद भी कई  सहयोग के हाँथ भी आगे बढ रहे हैं। जिसका सफल परिणाम भी दिखाई दे रहा है। इस महिने बैंक के आये परिणाम में मेरे 15 विद्यार्थियों का सलेक्शन विभिन्न बैंको में हुआ है। इसके साथ ही voice for blind कल्ब के माध्यम से सहयोग करने के लिये आज के युवा अपना समय दे रहे हैं और कई लोग देने के लिये अपनी इच्छा जता रहे हैं। ये सहयोग भारत के भविष्य के लिये एक अच्छा संकेत है और उन सभी दृष्टीबाधित लोगों के लिये शुभ संकेत है जो अनेक परेशानियों के बावजूद भी आगे बढना चाहते हैं, आत्मनिर्भर होना चाहते हैं। 



धन्यवाद

जय भारत 






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