रौशन सवेरा के सभी पाठकों को हर्ष के साथ सुचित करना चाहते हैं कि, "अनिता दिव्यांग कल्याण समिती" का पंजियन हो गया है। वाइस फॉर ब्लाइंड की छत्र-छाया में वर्ष 2011 से दृष्टीबाधित लोगों को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने का कार्य निरंतर और निःशुल्क गतिमान है। अब इस कार्य को विकास की नई ऊँचाइयों तक ले जाने में अनिता दिव्यांग कल्याण समिती का विशेष योगदान रहेगा। जिसके तहत एक ऑडियो लाइब्रेरी बनाने का सपना है।
आप लोग सोच रहे होंगे कि, कार्य तो बिना पंजियन के भी चल रहा था फिर पंजियन की आवश्यकता क्यों
मित्रों, दृष्टीबाधित लोगों के लिये अध्ययन सामग्री को रेकार्ड करने का कार्य तथा परिक्षा के समय सहलेखन का कार्य यकिनन बेहतर चल रहा है किन्तु इसे नई तकनिक के साथ आगे बढाने के लिये पंजियन एक मजबूत पहल है। 2015 में हम डेजी की सदस्यता ले चुके हैं लेकिन सदस्यता की शर्त थी कि भविष्य में संस्था रजिस्टर्ड होना चाहिये। नई तकनिक डेजी के माध्यम से रेकार्ड की गई पुस्तक से पढाई अधिक सुविधा जनक है। अब समझते हैं डेजी के बारे में,......
डेजी क्या है
DAISY (Digital Accessible Information Systems)
डेजी एक ऐसा तकनिकी मापन है, जिसके माध्यम से रेकार्ड की गई पुस्तक को सभी दृष्टीबाधित साथी आराम से पढ सकते हैं। ये तकनिक अत्याधुनिक है, जिसमें दृष्टीबाधित लोग आम पुस्तक की तरह ही रेकार्ड की हुई पुस्तक को पढ सकते हैं। जैसे कि, प्रत्येक पंक्ति, पैराग्राफ, पेज अनुसार, हैडिंग के अनुसार इत्यादि।
उदा. यदि किसी को सीधे 10वां पेज ही पढना है तो वह डायरेक्ट 10वां पेज खोलकर पढ सकता है। ऐसा सामान्य रेकार्डिंग में संभव नही है। कहने का आशय ये है कि, डेजी के माध्यम से की गई रेकार्डिंग को सामान्य पुस्तक की तरह पढा जा सकता है जिससे उन्हे बहुत फायदा होगा। इस तरह की रेकार्डिंग को पढने के लिये डेजी उपकरण भी होता है। जिसे सरकार की तरफ से उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें एक तकनिक ऐसी भी है, जिससे टेक्स संदेश का प्रदर्शन भी होता है और आवाज भी आती है। डेजी तकनिक दृष्टीबाधित लोगों के लिये बेहतर भविष्य है। विदेशों में इस तकनिक का लाभ हमारे दिवयांग साथी ले रहे हैं। भारत में भी कुछ शहरों में शुरुवात हुई है लेकिन अपने इंदौर में इसका अभाव है।
मेरी आवाज किसी की आँखें बन जायें इसी मकसद के साथ निरंतर आगे बढ रहे हैं जिसके तहत जो भी नई तकनिक इन लोगों के लिये लाभदायक होती है उसे सीखकर उस माध्यम से रेकार्डिंग करना हमें खुशी देता है। अब तक हम 2000 से भी ज्यादा किताब mp3 में रेकार्ड कर चुके हैं, जो निरंतर जारी है। इसी के साथ अब डेजी में भी पुस्तक रेकार्ड करना शुरु कर दिये हैं। डेजी में अब तक 6 पुस्तक रेकार्ड चुके हैं। मित्रों, इच्छा तो वाइस फॉर ब्लाइंड नाम से ही संस्था बनाने की थी किंतु पंजियन कार्यलय के अधिकारी को ये नाम समझ में नही आया अतः अनिता दिव्यांग कल्याण समिती नाम अस्तित्व में आया। फिलहाल वाइस फॉर ब्लाइंड के लोगो का ट्रेड मार्क रजिस्ट्रेशन करवा लिये हैं जिसके संरक्षण में जो दृष्टीबाधित बच्चे रोजगार करके आगे बढना चाहते हैं उनकी मदद की जा सकेगी। अब मेरा सपना है इंदौर में एक स्टुडियो बनाने का जहाँ उच्चकोटी की रेकार्डिंग हो और अध्ययन सामग्री की बेहतरीन ऑडियो लाइब्रेरी का गठन हो।
सभी पाठकों से निवेदन है कि, शिक्षा के इस प्रकाश में आप भी सहयोग का एक दिपक अवश्य प्रज्वलित करें।
धन्यवाद
अनिता शर्मा
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