Monday, 14 August 2017

आजादी के सत्तर वर्ष! क्या खोया क्या पाया

भारत के नागरिक होने के नाते हम आज आजादी के 70 वर्ष का सफर पूरा कर चुके हैं। हमें 200 साल पुरानी अंग्रेजों की दासता से मुक्ति मिल गई लेकिन क्या हम अपनी रुढीवादी सोच से आजाद हो सके?  क्या हम मैकाले द्वारा रोपित अंग्रेजी मानसिकता से मुक्त हो सके हैं?
  
हम विकासशील देश से उन्नति करके विकसित देश के साथ कदम मिलाने को तत्पर हैं। मंगल पर पहुँचकर इतिहास बनाने की क्षमता रखते हैं। नई टेक्नोलॉजी के साथ विकास के नित नये पन्ने लिखे जा रहे हैं,  लेकिन ऑनर किलिंग के पन्नों से देश में आज भी दहशत पढाई जा रही है। बेटी बचाओ - बेटी पढाओ जैसे अभियान भी बेटियों को वो सम्मान नही दिला सके जहाँ बेटीयां निडर होकर स्वछंद आकाश में विचरण कर सकें। निर्भया कांड के बाद लगा था कि, ऐसा कानून बनेगा जिसकी दहशत से बेटियों तथा महिलाओं का मान सम्मान सुरक्षित रहेगा किंतु आज भी बेटियों को सरे राह रोकना, उन पर भद्दे कमेंट करना तथा उनके मान सम्मान पर कुठाराघात करना  फैशन सा बन गया है, गलती किसी और की, किंतु अंगुलियां बेटियों के परिधान एवं रात्री विचरण पर ही ऊठती  हैं। 

प्रथम महिला आई पी एस  किरण बेदी कहती हैं, "आज़ादी का मतलब है मैं बिना डरे कहीं भी घूम सकूं, मर्ज़ी से अपना जीवनसाथी चुन सकूं. ऑनर किलिंग जैसी घटनाएं युवाओं को डरा देती हैं. मानसिकता को ग़ुलाम बना देती हैं और डरा हुआ आदमी भला देश के किस काम आएगा?"

दक्षिण अफ्रिका के पूर्व राष्ट्रपति नेलसंन मंडेला का कहना है कि, "स्वतंत्र होने का मतलब सिर्फ जंजीरों से मुक्ति पाना नही है बल्की इस तरह जीवन जीना है जिसमें दूसरों की स्वतंत्रता का भी सम्मान हो और उसे बढावा मिले।" 

हम आज मेक इन इंडिया, स्वच्छ एवं भ्रष्टाचार मुक्त भारत को नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं। नोटबंदी , तो कहीं एक राष्ट्र एक टैक्स यानि जीएसटी का अनुमोदन कर रहे हैं। लेकिन इससे इतर भ्रष्टाचार की वजह से  कई मासूम परलोक सिधार गये। स्वच्छता का असर दिख रहा है 2017 की लिस्ट में मध्य प्रदेश  का इंदौर शहर स्वच्छता अभियान  में नम्बर एक पर रहा किंतु इंदौर जैसे तमाम शहरों में आज भी कचरे के निपटारे का सुचारु प्रबंध एक बङी समस्या है।  ट्रैफिक सिंगनल पर विदेशी कैमरों की नज़र मेक इन इंडिया के सपनों को साकार होने से रोक रही हैं। 

आज हम इतनी आजादी तो महसूस कर सकते हैं कि राष्टध्वज, राष्ट्र गान तथा राष्ट्र गीत का सम्मान आधुनिक माहौल में भी कर सकते हैं। लेकिन इससे इतर विशेष अवसर पर  राष्ट्र ध्वज को उलटा दिखाने तथा ज़मीन पर बिखेरने जैसी मानसिकता वाले लोग भी नज़र आते हैं।

आज राजनीति के इतिहास में देश के उच्च पदों पर (राष्ट्पति, उप राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री तथा लोक सभा अध्यक्ष ) ऐसी पार्टी विद्यमान है जिनके कभी सिर्फ तीन सांसद थे। विकास की इस बेला में यदि ये पदाधिकारी लोक प्रशासन को स्वच्छता और कर्तव्य का बोध कराने में सफल होते हैं तो काफी हदतक भ्रष्टाचार से भारत को आजादी मिल सकेगी। एक राष्ट्र श्रेष्ठ राष्ट्र का सपना साकार हो सकेगा। 

आइये हम सब मिलकर 70 वर्ष पूर्ण किये आजाद भारत में नई उमंग और नये जोश का शंखनाद करें। जहाँ नारी सिर्फ देवी रूप में मंदिरो में ही सम्मानित न हो बल्की भारत की सम्पूर्ण धरा पर सम्मानित हों। आजादी के इस पर्व को गौरव के शिखर पर ले जायें।  शत-शत दीपक जला ज्ञान के नवयुग का आह्वान करें। स्वर्ण दिवस के लिए आज से संकल्प करें जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका नूतन  निर्माण करें। 
आप सभी पाठकों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई 
पूर्व के लेख अवश्य पढेंः-----

Women in Freedom Struggle




Sunday, 13 August 2017

जन्माष्टमी की शुभकामनाएं



कृष्ण जहां भी होते हैं, आशा की एक लहर चलती है जो सबको छूती है और सबका जीवन बदल देती है। कृष्ण की मुरली की धुन जीवन के सुर को मधुर कर देती है। ऐसे मुरली मनोहर श्याम को नमन करते हुए प्रार्थना करते हैं कि श्री कुष्ण की कृपा हम सबपर सदैव बनी रहे। 

आप सबको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं