Monday, 31 December 2018

Happy New Year

2019 की पहली किरण के साथ आप सबको नववर्ष की हार्दिक शुभकामना 

ईश्वर  अल्लाताला  वाहेगुरू की रह़म आप और आपके परिवार पर सदैव बनी रहे। 2019 खुशियों की सौगात लेकर आये , सबकी मनोकामना पूरी हो इसी मंगलकामना के साथ 



Happy New Year 

Tuesday, 6 November 2018

Happy Deepawali शुभ दिपावली :)


आप सभी पाठकों को दिपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें  🙏
दिल से करते हैं मंगल कामना, दिपों का ये पावन पर्व सारे विश्व में सुख शान्ति का प्रभात लेकर आये। हर तरफ खुशियों की हो सौगात , झिलमिल झिलमिल दिपों से  रौशन  हो हर घर आँगन। दीप जलते रहें, मन से मन मिलते रहें.गिले सिकबे सब दिल से निकलते रहें। मानवता की ज्योति हर इंसान में जलती रहे। 
🌸🌷🌸सुख समृद्धी का वरदान लिये मां लक्ष्मी, मां सरस्वती की कृपा सब पर बनी रहे। 🌸🌷🌸🎇





Friday, 24 August 2018

दृष्टीबाधित लोगों को पढने के लिये किताबों का विशेष मंच है "सुगम्य पुस्तकालय"



जीवन में सफलता पाने के लिये किताबों से दोस्ती होना बहुत जरूरी है , इसी दोस्ती को आगे बढाने के लिये वॉइस फॉर ब्लाइंड द्वारा इंदौर के जीडीसी कॉलेज में 14 जुलाई 2018 को एक दिवसीय कार्य शाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन विशेष तौर पर दृष्टी दिव्यांग लोगों के लिये रखा गया था।
कार्यशाला का उद्देश्य था, अपने दृष्टीदिव्यांग साथियों को सरकार द्वारा स्थापित सुगम्य पुस्तकालय की जानकारी देना और वहाँ अपना रजिस्ट्रेशन कैसे करें एवं पुस्तकों को कैसे डाउनलोड करें ....
इस कार्यशाला में 60 छात्र-छात्राओं ने शिरकत की। कार्यशाला की शुरूवात माँ सरस्वती वंदना से की गई। तद्पश्चात कार्यशाला के उद्देश्य को आगे बढाया गया। सर्व प्रथम ये जानना जरूरी है कि सुगम्य पुस्तकालय आखिर है क्या ?

सुगम्य पुस्तकालय दृष्टी दिव्यांग साथियों के लिए सरकार द्वारा 24 अगस्त 2016 को स्थापित ऐसा मंच है जहाँ अनेक ऐसे पुस्तकालयो का संग्रह जो दृष्टी दिव्यांग साथियों के लिये किताबों को ध्वनी मुद्रण में अपलोड करते हैं। वहाँ मेरे द्वारा ध्वनांकित की गई पुस्तकों को अनिता दिव्याग कल्याणं समिती की लाइब्रेरी में सुना जा सकता है। इसे अलावा अन्य संस्थाओं द्वारा अपलोड की गई लगभग 11,000 पुस्तकों का लाभ लिया जा सकता है। ये ऑनलाइन पुस्तकालय है। इस पुस्तकालय में अंग्रेजी एवं हिंदी के अलावा गुजराती, मराठी, कन्नण इत्यादि भाषाओं में भी पुस्तकें उपलब्ध हैं। 

अनिता दिव्याग कल्याणं समिती की लाइब्रेरी में ज्यादतर पुस्तकें विभिन्न प्रतियोगी परिक्षाओं हेतु ही अपलोड की जाती हैं क्योकि अनिता दिव्याग कल्याणं समिती का उद्देश्य है अपने दृष्टी दिव्यांग साथियों को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना।

मित्रों, अनिता दिव्याग कल्याणं समिती के संरक्षण में ही वॉइस फॉर ब्लाइंड कार्य कर रहा है। कार्यशाला में पुस्तकालय के विवरण के बाद उसमें रजिस्ट्रेशन कैसे करें ये समझाया गया जो इस प्रकार था....

सबसे पहले तो रजिस्ट्रेशन हेतु आवश्यक दस्तावेज की जानकारी लेना जरूरी है अतः इच्छुक सदस्य को अपना मेडिकल सर्टीफिकेट जेपीजी फॉम में ्अपने पास रखना होगा तथा मेल आई डी, मोबाइल नम्बर, जन्मतिथी, रहवासी पता
रजिस्ट्रेशन हेतु प्रक्रिया इस प्रकार है.....

1- गुगल पर सुगम्य पुस्तकालय सर्च करें

2- उसके होम पेज पर जायें

3- होम पेज पर रजिस्टर नाऊ Register Now पर जायें

4- जब Register Now पर क्लिक करेंगे तो जो पेज खुलेगा उसमें End User Registration पर क्लिक करें

5- क्लिक करने पर एक कैपचा भरने का पॉपअप आयेगा Enter Captcha के नाम से

6- वहां जो अंक दिया होगा उसे जोङकर टोटल अंक को enter captcha answer में लिखना होगा

7. उत्तर लिखने पर पॉपअप हट जायेगा और End User Registration फॉर्म खुलेगा

9- फॉर्म में जो भी पुछा गया है उसे भरना होगा जिसे टैब बटन दबाते हुए पढा जा सकता है।

10- फॉर्म में पुछी गई जिज्ञासा इस प्रकार है

First name , Last name, Gender पर दिये ऑपशन पर टिक करना है, डेट ऑफ बर्थ , ई मेल , मोबाइल नम्बर, country, State,  city को दिये ऑपशन में चुनकर टिक करें, Address , Zip code , नाम तथा  Mobile Number or E-Mail ID में से एक को भरना अनिवार्य है।   Known language पर दी भाषाओं में से अपनी भाषा चुने, लोकल लाइब्रेरी में दी लाइब्रेरी में से लाइब्रेरी चुने ये ध्यान रखें कि चुनी हुई लाइब्रेरी के बारे में आप जनते हों क्योंकि जब तक आपके द्वारा लिखी लाइब्रेरी आपके फॉर्म को अप्रुव नही करेगी तब तक आप रजिस्टर्ड नही हो सकेंगे। मेरी लाइब्रेरी का नाम अनिता दिव्यांग कल्याणं समिति है। 
टाइप ऑफ डिसेबल्टी पर अपनी डिसेबल्टी पर टिक करना है। तद् पश्चात Disability Certificate चूज करके अपलोड करना है। Next पेज पर क्लिक करना है। 

अगले पेज पर टर्मस और कंडिशन लिखी है वहाँ Yes पर क्लिक करना है।

तीसरा पेज खुलेगा वहां आपका रजिस्ट्रेशन हो गया इसकी सूचना होगी तथा आपको संदेश मोबाइल पर या मेल पर चाहिये या दोनों पर  इसका कॉलम होगा , जिसपर संदेश चाहिये उसके बॉक्स में टिक करना होगा।

11- रजिस्टर होने के बाद आपके पास Mobile पर OTP नम्बर यूजर आई डी आयेगा  OTP मतलब वन टाइम पासवर्ड । यूजर आई डी कभी नही बदलता आप एक बार दिये पासवर्ड से लॉगिन होकर अपना पासवर्ड नया बनायें।

12- OTP नम्बर आने के बाद सुगमय पुस्तकालय के होम पेज पर जायें वहाँ यूजर आई डी तथा पासवर्ड लिखें तथा कैपचा को जोङकर लिखें। अपना सरल पासवर्ड बनायें जिससे हमेशा लॉगिन कर सकते हैं और पुस्तकालय से अपनी जरूरतों की किताबों को डाउनलोड कर सकते हैं। 

आशा करते हैं कि पुस्तकालय से प्राप्त पुस्तकों से आप लाभांवित होंगे और अपने लक्ष्य को सफलता पूर्वक अर्जित करेंगे।  पुस्तकालय से संबन्धित कोई समस्या हो तो मेल करें, 



Wednesday, 15 August 2018

प्यारी कायरा को जन्मदिन पर अनंत आर्शिवाद

आज मेरी जिंदगी में खुशी का एक ऐसा पल है जो अनमोल है। आज मेरी प्यारी नातिन कायरा एक वर्ष की हो गई , ये एक वर्ष पलक झपकते कब बीत गया पता ही नही चला। कायरा के संग बिता हर पल मेरे लिए सुखद एहसास है। अपने इस एहसास को शब्दों में व्यक्त करना संभव नही है। फिरभी कायरा को ब्लॉग के माध्यम से पत्र लिखकर अपने एहसास को शब्दों में ढालने का प्रयास है। 

प्रिय कायरा
अनंत आशीर्वाद संग तुमको जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं,
आप जबसे ज़िंदगी में आई हो वक्त का कुछ पता ही नहीं चलता। आज तुम एक वर्ष की हो गई , ये 365 दिन तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान के साथ कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। इस एक साल में तुम्हारे संग बिताया हर वक्त, सुनहरी याद बन गया। तुम्हारी आवाज़ बहुत प्यारी है। तुम्हारी प्यारी सी मीठी आवाज़ ताउम्र ऐसी मधुर बनी रहे। किसी की नज़र न लगे। तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान को चांद तारों की उम्र लग जाये। सूरज की किरणों से भी आगे तुम सफलता की इबारत लिखो। हम सबके आशीर्वाद और‌ दुलार की छांव में जीवन का हर पल बिंदास जीयो, ये दिन तुम्हारे जीवन में अनेकों अनेक बार आए। मेरी लाडो खुश रहो मस्त रहो, स्वस्थ रहो। जल्दी से हमें अपनी प्यारी सी आवाज में नानी बुलाओ
कैला मैया की कृपा तुम पर सदैव बनी रहे यही प्रार्थना करते हैं। अपनी एक खूबसूरत पहचान के साथ हम सबको गौरवान्वित करो । इन्हीं दुआओं के साथ एक बार फिर से जन्म दिन पर ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद।



फूलों सी प्यारी , रंगों सी न्यारी ,मेरी लाडली.....
नाज़ुक सी कली,बड़े नाजों से पली , मेरी लाडली .....
तितलियों सी चंचल ,चुलबुली और नटखट , मेरी लाडली ......

तुम मां का सुंदर सपना और पापा के दिल का अरमान हो
हम सबके जीवन की पूंजी और घर की रौनक हो

मेरी लाडली, नाना नानी की प्यारी सी लाडो हो तुम,
दादी की लड्डु और दादा की रौनक हो तुम,
मां का सपना और पापा का अरमान हो तुम ,

चाचा चाची की प्यारी क्युटी पाई हो तुम ,
माना की, मां पापा का अक्स है तुममें फिर भी,
अपनी खूबसूरत पहचान का आगाज हो तुम
जूग जुग जियो तुम 

सभी पाठकों से अभिलाषा है कि, प्यारी कायरा को अपने आशीष वचनों का उपहार प्रदान करें
धन्यवाद 








Tuesday, 14 August 2018

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई



आओ झुककर सलाम करें उनको, जिन्होने हमसबको एक स्वतंत्र आकाश दिया। जिनके लहु ने हम सबको आज़ाद हवा में जीने का जह़ान दिया। ऐसे अनगिनत शहीद देश पर कुर्बान हो गये जिनका जिक्र इतिहास के पन्नों की नीव में समा गये हैं उन महान देशभक्तों शत् शत् नमन करते हैं। 



आप सबको  71वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई


Thursday, 2 August 2018

दृष्टी दिव्यांग साथियों के लिये एक नया प्रयास (आज का समाचार)

मित्रों, विगत 2016 से समाचार का प्रसारण वाट्सअप के माध्यम से दृष्टी दिव्यांग साथियों के लिये प्रसारित कर रहे हैं। देश में इस तरह का ये पहला प्रयास है। मुझे खुशी है कि, इस प्रयास से आज लगभग 10,000 प्रिंट दिव्यांग लोग समाचार का लाभ ले रहे हैं। इस प्रयास का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में अनेक समाचार पत्र भी अपना योगदान दे रहे हैं. उन्ही में एक है रिलांयस दृष्टी पत्रिका जो ब्रेल में प्रकाशित होती है। उसमें छपा ये लेख इस प्रयास को और भी अधिक लोगों तक पहुँचा रहा है। रिलायंस की दृष्टी पत्रिका में छपा लेख यहां सांझा कर रहे हैं।

संपादकीय

सस्नेह प्रणाम.
“गुडमॉर्निंग::: वॉयस फॉर ब्‍लाइंड में आपका स्‍वागत है:::” हर सुबह देशभर के 10 हजार से अधिक दृष्टिहीन दिव्‍यांगों के व्‍हाट्सऐप और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक कशिश भरी आवाज गूंज उठती है और फिर सुनाई पड़ते हैं देश--विदेश, शहर--गांव के सारे समाचार. ‘वॉयस फॉर ब्‍लाइंड’ (दृष्टिहीनों की आवाज) में हिंदी भाषा में सुनाए जाने वाले इन समाचारों को सुनकर हजारों दृष्टिहीन दिव्‍यांग रोजमर्रा की घटनाओं और समाचारों का ज्ञान प्राप्त करते हैं. जो लोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए तो ये समाचार और भी महत्वपूर्ण होते हैं.
साथ ही इसमें दृष्टिहीनों से जुड़ी सरकारी नीतियों, परीक्षाओं, नौकरी के अवसर और अन्‍य जानकारी व प्रेरणा देने वाले सकारात्‍मक समाचारों को विशेष रूप से सम्मिलित किया जाता है. निःशुल्‍क सेवा का यह अनूठा सिलसिला पिछले तीन वर्षों से शुरू है. इंदौर की अनीता शर्मा पेशे से उद्घोषक हैं और अपने इसी कौशल को उन्‍होंने इस सेवा का भी माध्यम बना लिया है. वर्ष 2011—वर्ष 2012 में एक दोस्‍त के जरिए वह इंदौर की संस्‍था ‘महेश दृष्टिहीन कल्‍याण संघ’ से जुड़ीं. यहां उन्हें दृष्टिहीन दिव्‍यांगों को निःशुल्‍क हिंदी, विज्ञान और इतिहास पढ़ाने का अवसर मिला. वहां उन्होंने महसूस किया कि ये बच्‍चे बहुत होशियार हैं मगर ब्रेल पुस्तकों (स्‍टडी मटेरियल), आवश्‍यक जानकारी और रोजमर्रा की सामान्‍य जानकारी के अभाव के कारण कई बार ये सामान्‍य लोगों के मुकाबले पीछे रह जाते हैं. तब उन्होंने कुछ दिव्‍यांगों को फोन पर रोजाना नई--नई जानकारियों और खबरों से जोड़ने की कोशिश शुरू की. व्‍हाट्सऐप आने के बाद उनका काम आसान हो गया. वो हर रोज़ सुबह तीन—चार, हिंदी--अंग्रेजी अखबार पढ़कर खबरों का चुनाव करती हैं.

दृष्टिहीन दिव्‍यांगों के लिए उपयुक्त ‘वॉयस फॉर ब्‍लाइंड’ सेवा आरंभ करने के लिए अनीता शर्मा जी का रिलायंस दृष्टि परिवार की ओर से हार्दिक अभिनंदन. अधिक जानकारी के लिए voiceforblind@gmail.com पर मेल करके संपर्क कर सकते हैं.

स्वागत थोरात
प्रमुख संपादक

दोस्तों, रिलायंस दृष्टी में समाचार की खबर प्रकाशित होने पर भारत के उन लोगों तक भी खबर पहुँची जिनको वॉइस फॉर ब्लाइंड के कार्यों का पता नहीं था। नित नये श्रोता इससे जुङ रहे हैं और समाचार का लाभ ले रहे हैं। ये मेरे लिये सौभाग्य की बात है कि, मेरा प्रयास लोगों को पसंद आ रहा है। मुझे खुशी हो रही है ये बताते हुए कि, इस प्रयास को बहुत अधिक शुभकामनायें मिल रही है। आज तो मेरे पास पंजाब से एक रिटायर अध्यापिका का फोन आया उन्होने दृष्टी में मेरे बारे में पढा था। उन्होने ने मुझे इतना आशिर्वाद दिया की रोम-रोम पुलकित हो गया। कार्य के प्रति और अधिक उत्साह का एहसास हुआ। रिलायंस दृष्टी के संपादक स्वागत जी का तहे दिल से आभार व्यक्त करते हैं, जिनके प्रयास से समाचार के ध्वनांकन का प्रयास और भी सार्थक हो गया। 


आप लोगों के साथ आज का समाचार शेयर कर रहे हैं। अपने सुझाव अवश्य दिजीयेगा। स्वतंत्रता का वातावरण है इसलिये अगस्त के पूरे महिने में सारे जहां से अच्छा की धुन बजेगी।








Saturday, 9 June 2018

बच्चों में मोबाइल की बढती आदत जिम्मेदार कौन??????

दोस्तों, फ्रांस में वहां की सरकार कानून बनाकर स्कूल में मोबाइल लाना प्रतिबंधित कर रही है। विश्व में फ्रांस पहला देश है जो अपने देश के बच्चों के भविष्य के प्रति इतनी गहराई से सोच रहा है। निःसंदेह ये सराहनिय कदम है किंतु, ये जानकर मन में विचार आया कि निश्चय ही वहाँ मोबाइल अत्यधिक आतंक मचा चुका होगा जिसके परिणाम स्वरूप ये कदम उठाया गया है।

मित्रों, विचार करने योग्य ये है कि स्थिती बदतर होनेपर ही हमसब क्यों सजग होते हैं। हम समय रहते क्यों नही उचित निर्णय लेते हैं। हम सब जानते हैं कि कोई भी टेक्नोलॉजी या कोई भी सुविधा कुछ फायदे तो कुछ दुष्परिणाम भी लाती है, पर हम उस नुकासान को अनदेखा कर देते हैं। आज अपने देश भारत की ही अगर बात करें तो एक साल के बच्चे के हांथ में मोबाइल देखा जा सकता, जिस उम्र में बच्चे अपना तो ख्याल रख नही सकते अभिभावक उनको मोबाइल थमा देते हैं। दो तीन साल के बच्चे तो मोबाइल पर गेम खेलना सीख जाते हैं। तीन चार साल के बच्चे जब मोबाइल को ऑपरेट करते हैं तो उनके अभिभावक ऐसे खुश होते हैं कि बच्चा नोबल पुरस्कार जीत गया, हर किसी से कहेंगे कि, हमसे ज्यादा इसको आता है मोबाइल के बारे में। सोचिए! जिस उम्र में शारिरीक और बौद्धिक शक्ती को मजबूत करने का समय होता तब बच्चा एक जगह बैठकर एक ही संसाधन में व्यस्त, ये व्यस्तता बच्चे की नीवं को हीला देती है जिसका आभास अभिभावकों को तब होता है जब बच्चे का विकास बाधित हो चुका होता है। गौरतलब है कि, बचपन में मोबाइल के उपयोग से बच्चों को छोटी उम्र में ही चश्में लग जाना, माशपेशियों का कमजोर होना, बौद्धिक क्षमता में कमी हो जाना, रचनात्मक और क्रियात्मक विकास का रुकना, मोटापे जैसी गंभीर बिमारी का बढना इत्यादि समस्यायें दिन प्रतिदिन बढ रही हैं। रिसर्च बताते हैं कि, मोबाइल के अधिक उपयोग से दो तीन साल के बच्चों को ब्रेन कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा है। अभी हाल में एक अध्ययन के मुताबिक बच्चों में ग्रिपिंग पॉवर कम हो रही है वो पेंसिल ही नही पकङ पा रहे हैं। मोबाइल के साथ बढने वाले बच्चे एकांकी हो जाते हैं क्योंकि उनको मोबाइल की इतनी आदत लग चुकी होती है कि किसी और के साथ तालमेल नही बैठा पाते यहाँ तक कि पढाई में भी ध्यान नही देते जिसका परिणाम वे पढाई में कमजोर हो जाते हैं फिर डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।

मित्रों, कई अभिभावक तो आजकल बच्चे को बहला फुसलाकर खाना खिलाने के बजाय मोबाइल पर कार्टून दिखाकर खाना खिलाते हैं, बच्चे का पूरा ध्यान कार्टून पर, क्या खाया, कितना खाया कुछ पता नही पर माँ-बाप खुश बच्चा खा लिया फिर बाद में बच्चे को कार्टून की आदत इतनी लग गई की खाना खाना तो भूल गया कार्टून देखने की आदत जरूर पढ गई। आज बच्चों के साथ खेलने का वक्त नही होता अभिभावकों के पास, यदि बच्चा रोया तो उसके साथ समय व्यतीत करने की बजाय मोबाइल पकङा देते हैं। बच्चा मोबाइल पर क्या देखरहा है ये जानने का भी वक्त नही होता। हिंसक खेल बच्चे की मनोवृत्ति को किस दिशा में ले जा रहे इसका उनको अंदाज ही नही है। जब स्थिती विस्फोटक हो जाती है या बच्चा कहना नही सुनता तो इस आदत का जिम्मेदार भी उसको ही माना जाता है। विचार किजिए! एक छोटा बच्चा जो ठीक से चल भी नही पाता उसके पास मोबाइल स्वयं तो चलकर नही आता होगा। बच्चों तक मोबाइल की पहुँच माता-पिता या घर के बङे सदस्यों द्वारा ही होती है। कहने का आशय ये है कि, बच्चों में मोबाइल की आदत के जिम्मेदार पालक ही हैं जो भविष्य के दुष्परिणाम से अनिभिज्ञ अपने बच्चे को एक ऐसे जहर की आदत डाल रहे जिसका असर बच्चे की नीवं को खोखला कर रहा है और बच्चे के स्वाभाविक विकास को कुंठित कर रहा है।

मित्रो, किसी भी टेक्नोलॉजी का उपयोग गलत नही है किंतु उसका उपयोग कब, कैसे और किसको कितना करना है ये ज्ञान होना अति आवश्यक है। प्रकृति ने भी मनुष्य के विकास को उम्र के आधार पर एक संतुलन दिया है जिसका स्वाभाविक प्रवाह सम्पूर्ण विकास को सहज बनाता है।

अतः आज के सभी अभिभावकों से मेरा निवेदन है कि, समय रहते मोबाइल जैसे जहर को बच्चों से दूर रखकर उनमें बालसुलभ मनोवृत्ति को अंकुरित करने में अपना योगदान दिजिये। कहानी सुनाकर एवं उनके साथ खेलकर उनमें उनकी बौद्धिक और शारीरिक क्षमता का विकास किजिये। रंग-बिरंगे रंगों से उनकी दुनिया को सुखद और स्वाभाविक बनाइये। बच्चे तो कुम्हार की वो मिट्टी हैं जिन्हे आप जिस आकार में ढालेंगे वो ढल जायेंगे।
बदलता बचपन जिम्मेदार कौन????  इस लेख को भी अवश्य पढें एवं अपने विचार भी अवश्य शेयर किजीये 

धन्यवाद 😊













Friday, 23 March 2018

खुशियों के अनमोल पल

"जिंदगी में अगर लक्ष्य बड़ा हो तो संघर्ष भी बड़ा करना होता है इन्ही विचारों के साथ आगे बढने वालों के सपने अवश्य सच होते हैं"
मित्रों, देवी मां की कृपा से और बङों के आशिर्वाद से हमारे परिवार के लिये खुशी का ऐसा अवसर है, जब परिवार के हर सदस्य का मन जयहिंद के नारे से गूंजायमान हो गया। वंदे मातरम् का आगाज़ करते हुए घर का बच्चा प्रांजल शर्मा, आर्मस मेडिकल कॉलेज में अपनी एमबीबीएस की पढाई पुरी करके डॉक्टर के रूप में देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों की स्वास्थ सेवा में अपना योगदान देंगे। लेफ्टीनेंट प्रांजल शर्मा को आर्मी की वर्दी में देखकर हमसब गौरवान्वित हुए। हम सबको गौरव पूर्ण अनुभूति प्रदान करने में प्रांजल की मेहनत को सबसे पहले सलाम करते हैं क्योंकि हमारे सुपुत्र प्रांजल को बचपन में पटाखे की आवाज से भी डर लगता था लेकिन आज गोले-बारूद के बीच में भी सैनिकों के जीवन रक्षक बनकर अपने कर्तव्य का निर्वाह करेंगे। परिवार से देश प्रेम की शिक्षा तो बचपन से उनको मिली थी परंतु जब मुंबई केन्द्रिय विद्यालय क्रमांक एक में आठंवी में अध्ययन कर रहे थे तो विद्यालय के बगल में ही स्थित नेवी आर्मी का संचालन देखकर आर्मी के प्रति सम्मान और अधिक हो गया। हालांकि डॉक्टर बनने का सपना तो कक्षा तीसरी से प्रांजल के मन में था, जिसको साकार करने में हम लोग माता-पिता के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वाह किये परंतु उस सपने को सच करने में प्रांजल ने दिल से मेहनत की जिसका परिणाम ये हुआ कि, नीट की परिक्षा में अच्छी रेंक लेकर आर्मस माडिकल कॉलेज के लिये सुचिबद्ध हुए तद्पश्चात AFMC  द्वारा आयोजित परिक्षाओं को भी सफलता पूर्वक पास करके AFMC में चयनित हो गये। 11th और 12th  की कक्षा में प्रांजल, अपने सपने को सच करने के लिए अध्यन में अत्यधिक मेहनत किये और ये सिद्ध कर दिये कि, मेहनत करने वालों के सपने साकार जरूर होते हैं। इस सपने को साकार करने में अध्यापकों के मार्गदर्शन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। अध्यापकों द्वारा अच्छे से पढाया गया पाठ और प्रांजल की दो वर्ष की मेहनत का ही परिणाम है कि, आज हम एक आर्मी डॉक्टर के अभिभावक के रूप में प्रफुल्लित हो रहे हैं क्योंकि फौज में एक डॉक्टर भी भारत माता की रक्षा हेतु चिकत्सिय अध्ययन के अलावा फौजी प्रशिक्षण से भी प्रशिक्षित होता है।
स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं, जितना कठिन संघर्ष होगा जीत उतनी शानदार होगी।आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नही है।ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, प्रांजल जैसे कई बच्चे अपने सपने को साकार करते हुए आर्मी में अपनी सेवा देने को तद्पर हैं। हम उन सब बच्चों के जज़्बे को तहेदिल से सलाम करते हैं। हाल ही में हमें अभिभावक के रूप में प्रांजल की पासिंग आउट परेड में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ वहाँ बच्चों द्वारा किये गये सांस्कृतिक कार्यक्रम में उनके मल्टी टेलेंट को देखकर खुशी में चार चाँद लग गया। इस वर्ष पास आउट हुए डॉक्टर्स द्वारा अभिनित मूक नाटक में सीमापर गोलियों की बौछार के बीच घायल सैनिकों का डॉक्टर्स द्वारा इलाज देखकर वहाँ उपस्थित सभी अभिभावकों की आँखों से बरबस ही अश्रुधार बह निकली, हालांकी ये खुशी के आंसु थे और अभिभावकों की तालियां भारत के वीर सपूतों के जज़्बों को प्रोत्साहित कर रहीं थी। सांस्कृतिक कार्यक्रम या वर्दी में फौजी डॉक्टरों के हौसले का कोई मुकाबला नही है। दोस्तों, मन तो था कि कुछ तस्वीरें आप लोगों के साथ शेयर करें किंतु ये कर नही सकते क्योकि सुरक्षा के दृष्टीकोंण से आर्मी के अपने नियम हैं जिसका पालन करना मेरा भी कर्तव्य है। अपने फौजी बेटे एवमं उनके साथियों को कहना चाहेंगे कि,
मानवता के परचम को लहराते हुए अपनी सोच को ले जाओ उस शिखर पर जहां सितारे भी झुक जायें, ना बनाओ अपने सफर को किसी कश्ती का मोहताज, चलो इस शान से कि तुफान भी नतमस्तक हो झुक जाये। 

प्रिय प्रांजल, अपने हौसले के बल पर आसमान की बुलंदी पर सफलता का परचम फैलाओ इसी मंगल कामना के साथ अनंत अशिर्वाद और शुभकामनायें
जय हिंद जय भारत 


Tuesday, 13 March 2018

सोशल मिडिया के माध्यम से शिक्षा की नई मुहीम


"मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया"

2011 से शिक्षा के माध्यम से दृष्टीबाधित साथियों को आत्मनिर्भर बनाने का उद्देश्य लेकर शुरू हुआ सफर अपने दृष्टीदिव्यांग साथियों को आत्मनिर्भरता की मुस्कान प्रदान करते हुए 2018 में प्रवेश कर गया है। 2011 में अकेले चले थे आज लगभग 400 कार्यकर्ताओं का कारवां बन गया है। आज भारत के विभिन्न शहरों से जुङे अनेक लोगों के निःशुल्क और निःस्वार्थ योगदान से अपने अनेक दृष्टीबाधित छात्र बैंक, रेल, अध्यापन तथा प्रशासनिक सेवा में कार्य करते हुए सम्मान से अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं।

Voice For Blind द्वारा शुरू किया गया अध्यापन कार्य सोशल मिडिया के माध्यम से भारत में ही नही वरन भारत के बाहर भी दृष्टीदिव्यांग साथियों को शिक्षित कर रहा है। 2012 से इंदौर तथा भारत के अन्य शहरों के बच्चे Voice For Blind द्वारा प्रदान किये गये सामान्य ज्ञान से अत्यधिक लाभान्वित हुए हैं। 2012 से YouTube पर अपलोड किये गये सामान्यज्ञान और करंट अफैयर से कुछ ऐसे बच्चे भी लाभान्वित हुए जिनको प्रत्यक्ष तौर पर हम लोग नही जानते। आज वाट्सएप के माध्यम से Voice For Blind अधिक से अधिक बच्चों तक सामान्य ज्ञान और प्रतिदिन समाचार को ऑडियो के माध्यम से पोस्ट कर रहा है। इस प्रयास से लगभग 10,000 बच्चों को लाभ हो रहा है। कुछ लोग Voice For Blind से प्रत्यक्ष जुङे हैं तो, कुछ हमारे दृष्टीदिव्यांग साथियों द्वारा बनाये वाट्सएप ग्रुप से समाचार तथा सामान्य ज्ञान का लाभ ले रहे हैं।

वाट्सअप के माध्यम से समाचार का प्रकाशन तो भारत में अपने आप में एक नया ही विचार है, जिसे अत्यधिक प्रोत्साहन भी मिल रहा है। ये समाचार प्रतिदिन विभिन्न समाचार पत्रों से संकलित करके ब्रॉडकास्ट के माध्यम से सुबह 8 बजे तक अपने दृष्टीबाधित साथियों तक भेज दिया जाता है। समाचार में इस बात का खयाल रखा जाता है कि कोई नकारात्मक खबर न हो और प्रतियोगी परिक्षा में क्या आ सकता है उसपर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। साथ ही कुछ रोचक तथ्य, आज का इतिहास एवं ट्वीट्स समाचार को रोचक बना देते हैं। आलम ये है कि, यदि समाचार पोस्ट करने में देरी हो जाये तो मेरे व्यक्तिगत नम्बर पर संदेश आ जाता है जानने के लिये कि, समाचार अब तक क्यों नही आया।

कुछ लोग मुझसे पूछते हैं कि, अब तक आपके द्वारा किये गये प्रयासों से कितने बच्चे लाभांवित हुए?
मित्रों प्रश्न उचित है परंतु सोशल मिडिया उस सूरज के समान है जिसे पता नही होता कि, उसकी रौशनी से किस-किस को लाभ हो रहा है। सोशल मिडिया तो उस बारिश के समान है जिसकी बूंद से कितने खेत लहलाहाते हैं उसे पता नही होता। उसी तरह मेरे द्वारा YouTube, Tweeter, Whats app, Facebook इत्यादि सोशल मिडिया के माध्यम से भेजे गये सामान्य ज्ञान और समाचार का हिसाब रखना संभव नही है क्योंकि इन माध्यम में बहुत से लोग अप्रत्यक्ष तौर से भी जुङे होते हैं। फिलहाल समाचार के लिये वाट्सएप पर तीन ब्रॉडकास्ट ग्रुप हैं जिससे प्रत्यक्ष तौर पर हजारों बच्चे जुङे हैं। इसके अलावा हमारे दृष्टीदिव्यांग साथियों द्वारा बनाये गये उनके वाट्सअप ग्रुप में भी उनके माध्यम से मेरे द्वारा रेकार्ड किया गया समाचार तथा सामान्य ज्ञान पोस्ट किया जाता है, जहाँ किसी ग्रुप में 200 तथा किसी में 250 सदस्य हैं। YouTube पर मेरी पोस्ट Publicly है जहाँ वर्तमान में लाखों         व्यू हैं तथा 17,793  सब्सक्राइबर हैं। मित्रों, कई बार मिडीया से जुङे लोग और समाज के अन्य लोग भी मुझसे पूछते हैं कि, आपने शिक्षा को ही माध्यम क्यों बनाया? मेरा मानना है कि, एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है।शिक्षा तो वो सशक्त हथियार है,जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं। शिक्षा कारोबार और व्यपार को बढाती है। एक कहावत है कि, यदि आप किसी को एक मछली देते हो तो उसे एक दिन का भोजन देते हो, लेकिन यदि आप उसे मछली पकङना सिखाते हो तो, उसे उम्रभर का भोजन देते हो। इसी कहावत को ध्यान में रखते हुए हमने शिक्षा को माध्यम बनाया जिससे शिक्षित होकर हमारे साथी आत्मनिर्भर हो जायें और उम्रभर के लिये अपने भोजन का इंतजाम कर सकें।

हमारे दृष्टीदिव्यांग साथियों में से जो प्रत्यक्ष जुङे हैं उनमें से अकेले इंदौर में ही सैकङों बच्चे विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। ये वो बच्चे हैं जिनकी स्नातक से लेकर प्रतियोगि परिक्षा तक की तैयारी मेरे द्वारा कराई गई है। Mangaldas patil -Govt. high sec.school , Gorelal Kushwah-Govt. Polytechnic college (sanawad), Phoolsingh Kushwah education department (janpad), Rajesh Parma Railway (Jabalpur), Ajay Railway (Bhopal), Manoj central school kolkata, इसके अलावा.निम्न सदस्य  बैंक में राज्य भाषा अधिकारी के रुप में कार्यरत हैं।
Rajani Sharma Andhra Bank,
Shiv vankhede BOB
Shiva Wankhede BOB
Vikesh Gurjar Oriental Bank of Commerce
Sonu Chouhan
Abha Rajoriya BOI


निम्नलिखित बैंक में लिपिक के पद पर कार्यरत हैं-
Rashmi choure UNB
Kalpana choure BOI
Rashmi Gurjar Central Bank
Ankita Bargal PNB
Bilal Ahmad PNB
Geetesh Gahlot SBI
Monika BOA
Sindhu Parmar UNB assistant manager
Narendra sejkar- BOI
mulayam singh Narmada jhabua gramin bank
Jiyalal Kol- Bank of Baroda
Bilal Ahmad PNB
Geetesh gahlot SBI
Harsh SBI

इंदौर के बाहर भी भारत के अनेक राज्यों से कई दृष्टीबाधित बच्चे निःशुल्क अध्ययन सामग्री से लाभान्वित होकर आज आत्मनिर्भर हो गये हैं। । सबका विवरण देना संभव नहीं है इसलिए कुछ एक नाम यहां लिख रहे हैं-
Mitul SBI Gujarat
Kamal Sharma Lucknow
Kiran maharashtra
Sandeep Gohati
Navneet Raj.
Neelesh Gujarat
Ashish Gujarat
Sanjay Gujarat
Ajay jammu kashmir
Prince Panjab
Kishor Asam
Mahendra Hariyana
Mohammad Hedrabaad
Mangilal Raj.
Sourabh Jain Meerut
Suneel Nagpur
Mithilesh jharkhand
Agashtha Nepal
Kulvant singh Rajasthan इन्होंने तो UPSC की सभी परिक्षाएं पास की है, इंटरव्यू के रिजल्ट का इंतजार है।
हरियाणा के अजय का तो UPSC में सलेक्शन भी हो गया है।

हम लोगों का मकसद है कि अधिक से अधिक बच्चों तक ये पाठ्य सामग्री पहुँचे ताकि कोई भी प्रिंट दिव्यांग साथी पाठ्य सामग्री के अभाव में पीछे न रह जाये। Voice For Blind ने अब तक सैकङों बच्चों के लिए परिक्षा के समय स्क्राइब की व्यवस्था की है। इंदौर के बाहर भी अनेक शहरों में VFB के सदस्य अपनी सेवायें दे रहे हैं। पुस्तकों को रेकार्ड करने में भी हमारे कई साथी अपनी निरंतर सेवा दे रहे हैं। अब तक बैंक, रेल, प्रशासनिक परिक्षा, संविदा शिक्षा तथा यू.जी.सी नेट की तैयारी हेतु पाठ्य सामग्री मेरी आवाज में रेकार्ड की जा चुकी है। प्रतिदिन लगभग 4 से 5 घंटे रेकार्डिंग करने के बावजूद कार्य का आगमन इतना है कि, कई बार हम असमर्थ हो जाते हैं हालांकि मुझे मना करना अच्छा नही लगता फिरभी कार्यकर्ताओं की कमी के कारण ना भी करना पङता है। अतः मित्रों आप सबसे आह्वान करते हैं, दूर बैठकर सरकार और समाज को कोसने के बजाय आइये हम सब मिलकर समाज में नई संरचना का गठन करें, जिससे हमारे दिव्यांग साथियों को भी सम्मान का आधार मिले। आप सबके साथ से निःश्चय ही एक दिन अपने सभी प्रिंटदिव्यांग साथी शिक्षा के माध्यम से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम हो जायेंगे। 

मित्रों जैसा कि, आप लोगों को विदित है कि Voice For Blind द्वारा पाठ्य सामग्री निःशुल्क प्रदान की जाती है, किंतु हम लोग बच्चों से ये वादा जरूर लेते हैं कि आप सफल होने के लिये ईमानदारी से मेहनत करेंगे। ऑडियो पुस्तक हम दे दिये अब याद करने की बारी आपकी है। यकीन मानिये बच्चे भी पूरी शिद्दत से पढाई करते हैं और अच्चे नम्बरों से पास होते हैं। उनकी सफलता ही हम लोगों का अमूल्य पारिश्रमिक है। उनके चेहरे पर सफलता की जो मुस्कान होती है वो हम लोगों की सबसे बङी पूंजी है। 

समाज से मेरी एक और अपील है कि, हमारे जो साथी कम्प्युटर में दक्ष हैं उनको अपने यहाँ नौकरी दें, आज कम्प्युटर हर जगह है और उसपर काम प्रिंट दिव्यांग साथी आराम से कर सकते हैं। मेरा मानना है कि कम्प्युटर उनकी आँखें हैं इसलिये इंदौर में हम एक कम्प्युटर सेंटर खोलना चाहते हैं जहाँ दृष्टीबाधित छात्र-छात्राओं को निःशुल्क कम्प्युटर सिखाया जा सके, इसके लिये हम समाज के प्रतिष्ठित लोगों से आर्थिक सहयोग की अपील करते हैं। हमने तो अपना उद्देश्य बना लिया है इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का। आप लोगों का सहयोग मिलेगा तो अधिक से अधिक दृष्टीबाधित बच्चों को ज्ञान के प्रकाश से रौशन कर सकेगें। आपके सहयोग की कामना रखते हुए निम्न शब्दों से कलम को विराम देते हैं।

ना पूछो कि मेरी मंजिल कहाँ है

अभी तो सफर का इरादा किया है

ना हारूंगा हौंसला उम्र भर

ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है


(लिंक पर क्लिक करके मेरा इंटरव्यु देखें.......)

सोशल मिडिया के माध्यम से शिक्षा की नई मुहीम

धन्यवाद 😊