जय हिन्द मित्रो,
आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर लिख रहे हैं, या यूं कहें कि एक खबर पढने के बाद अपने आपको लिखने से रोक नही पाये, व्यस्तता तो अभी भी है पर खबर कुछ ऐसी है कि, आभास हुआ अच्छे दिन आ गये हैं। मित्रों, केन्द्र सरकार की एजेंसी कारा की 2019 की रिपोर्ट पढकर अति प्रसन्नता हुई, खबर है कि 2018-2019 की रिपोर्ट के अनुसार 4027 बच्चे गोद लिए गए जिसमें 2398 लङकियां हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 845 बच्चे गोद लिये गये इनमें 477 लङकियां हैं। ये रिपोर्ट इस बात का संकेत है कि अब लोग बेटे वाली मानसिकता से हटकर बेटियों को भी महत्व दे रहे हैं। ये वाकई खुशी की बात है।
मित्रों, एक तरफ जहां गर्भ में ही बेटियों को नष्ट करने की दुषित मानसिकता है वहीं ये पहल नए आगाज के साथ हमारी बेटियों के लिये सम्मान का सूरज लेकर आई है, जिसकी वो हकदार हैं। गौरतलब है कि, हरियाणां में जहां पैदा होते के संग बेटियों की इहलीला समाप्त कर दी जाती थी वहां भी 72 गोद लिये बच्चों में से 45 बच्चियां हैं। आज भारत में ही नही बल्की इस्लामिक देशों में भी बेटियों के लिये एक स्वतंत्र आकाश का आगाज हो रहा है।
मित्रों, इस रिपोर्ट में एक बात और खास है कि, गोद लेने की कवायद भी पहले की अपेक्षा बढी है। आज कल बिग एफ एम पर विद्याबालन का एक शो चल रहा है जिसमें नई सोच के धुन की बात होती है उसमें गोद लेने के विषय पर कई ऐसे विचार आये जिन्होने कहा कि, हम खुद का बच्चा इस दुनिया में लाने के बजाय एक अनाथ बच्चे को अपनाकर उसे नई पहचान दें। वाकई धुन तो बदल रही है, एक नये परिवर्तन का आगाज हो रहा है जो भारत के लिये शुभ संदेश है। फिलहाल बेटियों का सम्मान करने वाले अभिभावकों को नमन करते हैं। मित्रों सच तो ये है कि, बेटा बेटी दो आंखे हैं दोनों का ध्यान बराबर रखना चाहिये। आपकी दृष्टी ही इस सृष्टी का आधार है।
धन्यवाद
बेटी है तो कल है
मित्रों, एक तरफ जहां गर्भ में ही बेटियों को नष्ट करने की दुषित मानसिकता है वहीं ये पहल नए आगाज के साथ हमारी बेटियों के लिये सम्मान का सूरज लेकर आई है, जिसकी वो हकदार हैं। गौरतलब है कि, हरियाणां में जहां पैदा होते के संग बेटियों की इहलीला समाप्त कर दी जाती थी वहां भी 72 गोद लिये बच्चों में से 45 बच्चियां हैं। आज भारत में ही नही बल्की इस्लामिक देशों में भी बेटियों के लिये एक स्वतंत्र आकाश का आगाज हो रहा है।
मित्रों, इस रिपोर्ट में एक बात और खास है कि, गोद लेने की कवायद भी पहले की अपेक्षा बढी है। आज कल बिग एफ एम पर विद्याबालन का एक शो चल रहा है जिसमें नई सोच के धुन की बात होती है उसमें गोद लेने के विषय पर कई ऐसे विचार आये जिन्होने कहा कि, हम खुद का बच्चा इस दुनिया में लाने के बजाय एक अनाथ बच्चे को अपनाकर उसे नई पहचान दें। वाकई धुन तो बदल रही है, एक नये परिवर्तन का आगाज हो रहा है जो भारत के लिये शुभ संदेश है। फिलहाल बेटियों का सम्मान करने वाले अभिभावकों को नमन करते हैं। मित्रों सच तो ये है कि, बेटा बेटी दो आंखे हैं दोनों का ध्यान बराबर रखना चाहिये। आपकी दृष्टी ही इस सृष्टी का आधार है।
धन्यवाद
बेटी है तो कल है
welcome back to blog. bahut sundar article. just to add... i have read an article in times of india mentioning about a young couple who have adopted an autistic child. so yes logon ki soch badal rahi hai.
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