Tuesday, 19 November 2024

शुभं जन्मदिनम्‌


मम जन्मदिने अहं ईश्वरस्य सान्निध्यस्य,
 तस्य सामर्थ्यस्य, तस्य उद्देश्यस्य च धन्यवादं ददामि।
 शुभं जन्मदिनम्‌

मित्रों, आज मेरे जीवन के साठ वर्ष कुछ खट्टी-मीठी योदों के साथ पूर्ण हो गये। कल जो वर्तमान था आज अतीत बन गया है। बचपन, यौवन जीवन की आपाधापी में गुजरे जमाने का हिस्सा बन गया। कभी खुशी-कभी गम का तराना, वर्तमान में जियो इसी सोच में गुनगुनाते बीत गया।आज नई जिम्मेदारियों के साथ गरिमामय शब्द वरिष्ठ नागरिक की श्रेंणी में शामिल हो गये।
आज मन किया लिखुं बिते साठ वर्षों में जीवन ने क्या खोया क्या पाया.. कुछ दिल का दिल में रह गया, कुछ बिन मांगे मिल गया। 

पूर्व जन्मों के कर्मों के आधार पर वर्तमान जन्म अपना भाग्य लेकर आया। पिता को व्यपार में तरक्की हुई तो उनकी लाडली बेटी बन गये। माता-पिता की वजह से मिले सभी रिश्तों (भाई-बहन) संग बेपरवाह बचपन खुशियों संग उङान भरता रहा। कहते हैं, वक्त तो दिन-रात में बंटा हुआ है। सच ही तो है जीवन में खुशी दिन है जो कब खत्म हो जाती है पता नही चलती। वहीं गम वो रात है, जिसके बीतने का इंतजार बहुत लम्बा होता है। असमय पिता का ईश्वर के श्री चरणों में चले जाने से कब अल्हङ बचपन छोङ, बङे हो गये पता ही नहीं चला। परंतु 12-13 वर्ष की उम्र से ही विवेकानंद जी को पढने और सामाजिक सेवा से जुङने की वजह से यथार्थ में जीना और सकारात्मक सोच ने जीवन को आसान बनाने में सहयोग दिया। मां से प्राप्त शिक्षा से कभी भी अर्थ (धन) को महत्व नहीं दिये। खुशी का सरोकार भौतिक संम्पदा से नही है ये पाठ आज भी याद है। मेरा मानना है कि, परिवार साथ हो, सब स्वस्थ रहें, बच्चे अपने-अपने जीवन में खुश और स्वस्थ रहें, यही सबसे बङी संम्पदा है।

ज़िन्दगी तो एक ढलती शाम की तरह है, जिसमें कहीं उथल-पुथल है, तो कहीं थोड़ा आराम भी।

जीवन के अगले अध्याय में परिणय सूत्र में बंघने का पल आया।भाईयों के प्यार ने  पिता की कमी का अहसास होने नहीं दिया। जन्म के बाद से पहली बार धूम-धाम से  जन्मदिन मना तद्पश्चात वरमाला से विवाह का कार्यक्रम शुरु हुआ। दरअसल हमने मां से शिकायत की थी कि भाई का जन्मदिन मनाती हैं आप, बेटियों के साथ भेदभाव क्यों करती हैं। उनका वादा था कि इसबार जरूर मनायेंगे तुम्हारा जन्मदिन। ये संयोग ही रहा कि ईश्वर ने उनको वादा पुरा करने का शुभअवसर दे दिया। हिंदी महिने के अनुसार 21 नवम्बर को वही जन्मतिथी पङ गई जब शादी की तारिख पंडितों द्वारा निकली। हर्ष और उल्लास के साथ जिन्दगी नई दिशा में चल पङी.. 
ये लोग नया परिवार ये भी हमारे पूर्व कर्मो के आधार पर बहुत अच्छा मिला। ससूर के रूप में पिता मिले जिन्होने अपने जीवन परयंत मेरी मां को दिये वादे को निभाया। सास के रूप में मां मिली, जिन्होने बिना किसी उलहाने के घर गृहस्थी सिखाई। नये परिवार के अन्य सदस्यों का भी प्यार और साथ मिला। नौकरी की वजह से बाहर रहने से सासु मां का सानिध्य ज्यादा रहा। जीवन के हरपल सुख-दुख में साथ देने वाले साथी का क्या कहना.. सामाजिक बुराई दहेज के खिलाफ, लङकियों को भी सम्मान से जीने के लिए आर्थिक सक्षम होने की सोच रखने वाले, पत्नी के आने के बाद भी घर में खाना बनाने में या अन्य कार्यों में भी सहयोग करने में कोई संकोच नहीं करते। उनके इसी व्यवहार के कारण आसपास के कई लोग कहते थे कि आप लोगों की लव-मैरिज हुई है क्या। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अब तक का जीवन उनके साथ बहुत अच्छा बिता। ऐसा नही है कि कभी बहस या झगङा नही हुआ पर आज जिस मुकाम पर हैं वहां सोचते हैं तो लगता है, जो किया, कहा, माना उसमें भला-बुरा जिंदगी में अनुभव की कमी ही रही। वरना सच तो ये है कि मिठे के साथ नमकीन भी जरूरी है। लोकिन नमकीन की अधिकता जीवन को कसैला भी बना सकती है, इसका बैलेंस होना भी जरूरी है। धूप-छांव की बराबर मात्रा से ही तो जीवन पल्वित होता है। 

खुश रहकर गुजारो तो मस्त है जिंदगी,
दुखी रहकर गुजारो तो त्रस्त है जिंदगी,
मिलती है एकबार,  प्यार से बिताओ जिंदगी।। 

जिंदगी आगे बढी घर में नन्ही परी का आगमन हुआ। जीवन उसमें ही सिमट गया। खुशियां शुक्ल पक्ष की चंद्रमा की तरह बढती गई। कुछ समय बाद प्यारा सा बेटा भी आ गया। बच्चों संग बच्चों की दुनिया में खेलते कूदते दिन-रात पलक झपकते बीत गये। मेरी सोच है कि, बच्चों के साथ खेलना, रहना हमारे बचपन को वापस ला देता है और मां बनने की खुशी सोने में सुहागा है। समय को ईश्वर का वरदान मिल गया। बच्चे बङे हो गये जिम्मेदारी का अहसास भी बढ गया, आखिर बच्चों के भविष्य का सवाल था। हम थोङा प्रयास किये पर बच्चे ज्यादा प्रयास किये और प्रथम प्रयास में ही बेटी सीए बेटा डॉ. बन गया। उनकी कामयाबी से मन गर्व से प्रफुलित हो गया। कामयाबी ने उङान भरी बच्चे अपनी-अपनी तरक्की के आसमान में उङने को निकल पङे। बङों के आशिर्वाद से और उनके अच्छे कर्मों से अभीभूत होकर सफलता के आसमान ने भी योग्य स्थान दिया उनको। बच्चे तरक्की करते रहें इसी प्रर्थना के साथ उनको याद करते जीवन बढता रहा। अकेले होने पर यादों के झरोखों में कुछ ऐसे पल याद आये जो मन को दुखी कर गये, परवरिश के दौरान बच्चों की पिटाई करना ऐसी गलती  जो अक्षम्य है, जिसका अफसोस आज भी है। बच्चों की पिटाई का उनपर जो दूरगामी असर होता है उसका ज्ञान जब मिला, तबतक समय बहुत दूर चला गया। वो पल वापस लाना तो असंभव हो जाता है और गलती की कसक ताउम्र बनी रहती है। समय सब कुछ बदल देता है, लेकिन कुछ यादें हमेशा रहती हैं। बङी विलक्षण होती है जीवन की यात्रा, सारी पढाई लिखाई धरी रह जाती है जब जिदंगी अपना सिलेबस बदलती है। इसलिए अपने अनुभव से आज की माताओं से विनय पूर्ण अनुरोध है कि, बच्चों को सब्र के प्यार से समझायें और एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करने का प्रयास करें।

बच्चे फूलों की तरह होते हैं। उन्हें अपनी मुस्कान से, उन पर बारिश की तरह बरसने वाले अपने कोमल कोमल शब्दों से और अपने आत्मविश्वास की कला से उन्हें खिलने दें। निःसंदेह आप अपने बगीचे को देखकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे।

उम्र के बढते पङाव पर बच्चों की शादी के उत्सव में शामिल होकर अद्भुत खुशी मिली। ईश्वर कृपा से बच्चों को मनचाहा संसार मिला। कहते हैं मूल से सूद ज्यादा प्यारा होता, ये शत् प्रतिशत सच है। बेटी के बच्चे हुए। जीवन को नया आयाम मिला, उम्र जैसे ठहर सी गई। खुशियों के पल ने बसंत की छटा को मोहक बना दिया। नव-अंकुरित बच्चों के मुख से नन्ना शब्द सुनना ऐसी औषधी बन गई जिसने उम्र को रोक दिया। उनके साथ वापस वही खेल-कूद से जीवन को नई ऊर्जा मिली। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, नाती-नातिन, पोता-पोती जीवन के वो खजाने हैं जिसमें अपने बच्चों का अक्स नजर आता है। हालांकि अभी दादी नही बने है पर ईश्वर वो सुख भी देगा मुझे ये विश्वास है। जब भी दादी या दद्दा कहने वाला/वाली खुशबू आंगन में आयेगी, षठवर्ष होने के बावजूद नई ऊर्जा मिलेगी।  
मन के अंदर हर्ष और उल्लास होना चाहिये,
जिंदगी में हर घङी मधुमास होना चाहिए।    

जीवन यात्रा अभिलाषाओं की पंक्ति में खङी रहती है और नित नई आकांक्षाओं जन्म देती रहती है। मित्रों, जीवन में मिले अच्छे बुरे तानों से ये समझ आया कि, हम कुछ लोगों के लिए कितने भी अच्छे रहे होंगे पर कुछ लोगों की कहानी में बुरे भी रहे होंगे। अतः अब तक के बिते जीवन में साथ निभाए या साथ न निभाए सभी रिश्तों के प्रति सह्रदय कृतज्ञता प्रगट करते हैं और सबके लिए सुखद, सुंदर, स्वस्थ जीवन की मंगलकामना करते हैं। जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमाप्रर्थी भी हैं🙏 
भूल हो जाती है माना, यह जरूरी है मगर,
अपनी हर इक भूल का अहसास होना चाहिये। 

आज मेरे जन्मदिन पर स्वयं को भी शुभकामनाएं देते हुए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.. जितना भी शेष जीवन है वो मनचाही समाज सेवा भी कर सके क्योंकि दृष्टीबाधित बच्चों के साथ बिताया सफर भी जीवन को नित नई ऊर्जा प्रदान करता रहा है। ये बहुत बङा सत्य है कि ऊपर वाले ने सबके के लिए रास्ता तय करके रखा है। वो अपने बंदो को सहयोग की भावना के लिए आगे बढने की प्रेरणा देता है। किसकी कब सहायता करनी है उसके इशारे से ही होती। हमसब तो उसके संसाधन हैं। सहयोग संसाधन लिस्ट में ईश्वर हमें भी बराबर बनाये रखे। स्वस्थ रहें, जिंदगी से कोई शिकायत न रहे ऐसी भावना हो। जिंदगी तो एक किताब की तरह है.. जिसके कुछ अध्याय दुखद, कुछ सुखद और कुछ रोमांचक हैं। अब अगला पन्ना पलटेंगे तब पता चलेगा कि आगे क्या लिखा है.. भरोसा है जो भी लिखा होगा अच्छा होगा, अच्छे के लिए ही होगा। फिलहाल आज अपनी खुशनुमा यादों के साथ जन्मदिन मनाते हैं और जेहिं बिधी राखे राम तेहीं बिधी रहिये आप पर अमल करते हैं। 
सभी पाठकों को मेरी जीवन यात्रा पढने के लिए तहेदिल से धन्यवाद 

बढती रहती है अनुभव की मात्रा,

ज्यों-ज्यों बढती रहती है जीवन यात्रा।

निखार आये गुंणवत्ता में उत्तरोत्तर,

तब ही सार्थक है जीवन यात्रा। 
🙏