तस्य सामर्थ्यस्य, तस्य उद्देश्यस्य च धन्यवादं ददामि।
शुभं जन्मदिनम्
मित्रों, आज मेरे जीवन के साठ वर्ष कुछ खट्टी-मीठी योदों के साथ पूर्ण हो गये। कल जो वर्तमान था आज अतीत बन गया है। बचपन, यौवन जीवन की आपाधापी में गुजरे जमाने का हिस्सा बन गया। कभी खुशी-कभी गम का तराना, वर्तमान में जियो इसी सोच में गुनगुनाते बीत गया।आज नई जिम्मेदारियों के साथ गरिमामय शब्द वरिष्ठ नागरिक की श्रेंणी में शामिल हो गये।आज मन किया लिखुं बिते साठ वर्षों में जीवन ने क्या खोया क्या पाया.. कुछ दिल का दिल में रह गया, कुछ बिन मांगे मिल गया।
पूर्व जन्मों के कर्मों के आधार पर वर्तमान जन्म अपना भाग्य लेकर आया। पिता को व्यपार में तरक्की हुई तो उनकी लाडली बेटी बन गये। माता-पिता की वजह से मिले सभी रिश्तों (भाई-बहन) संग बेपरवाह बचपन खुशियों संग उङान भरता रहा। कहते हैं, वक्त तो दिन-रात में बंटा हुआ है। सच ही तो है जीवन में खुशी दिन है जो कब खत्म हो जाती है पता नही चलती। वहीं गम वो रात है, जिसके बीतने का इंतजार बहुत लम्बा होता है। असमय पिता का ईश्वर के श्री चरणों में चले जाने से कब अल्हङ बचपन छोङ, बङे हो गये पता ही नहीं चला। परंतु 12-13 वर्ष की उम्र से ही विवेकानंद जी को पढने और सामाजिक सेवा से जुङने की वजह से यथार्थ में जीना और सकारात्मक सोच ने जीवन को आसान बनाने में सहयोग दिया। मां से प्राप्त शिक्षा से कभी भी अर्थ (धन) को महत्व नहीं दिये। खुशी का सरोकार भौतिक संम्पदा से नही है ये पाठ आज भी याद है। मेरा मानना है कि, परिवार साथ हो, सब स्वस्थ रहें, बच्चे अपने-अपने जीवन में खुश और स्वस्थ रहें, यही सबसे बङी संम्पदा है।
ज़िन्दगी तो एक ढलती शाम की तरह है, जिसमें कहीं उथल-पुथल है, तो कहीं थोड़ा आराम भी।
जीवन के अगले अध्याय में परिणय सूत्र में बंघने का पल आया।भाईयों के प्यार ने पिता की कमी का अहसास होने नहीं दिया। जन्म के बाद से पहली बार धूम-धाम से जन्मदिन मना तद्पश्चात वरमाला से विवाह का कार्यक्रम शुरु हुआ। दरअसल हमने मां से शिकायत की थी कि भाई का जन्मदिन मनाती हैं आप, बेटियों के साथ भेदभाव क्यों करती हैं। उनका वादा था कि इसबार जरूर मनायेंगे तुम्हारा जन्मदिन। ये संयोग ही रहा कि ईश्वर ने उनको वादा पुरा करने का शुभअवसर दे दिया। हिंदी महिने के अनुसार 21 नवम्बर को वही जन्मतिथी पङ गई जब शादी की तारिख पंडितों द्वारा निकली। हर्ष और उल्लास के साथ जिन्दगी नई दिशा में चल पङी.. नये लोग नया परिवार ये भी हमारे पूर्व कर्मो के आधार पर बहुत अच्छा मिला। ससूर के रूप में पिता मिले जिन्होने अपने जीवन परयंत मेरी मां को दिये वादे को निभाया। सास के रूप में मां मिली, जिन्होने बिना किसी उलहाने के घर गृहस्थी सिखाई। नये परिवार के अन्य सदस्यों का भी प्यार और साथ मिला। नौकरी की वजह से बाहर रहने से सासु मां का सानिध्य ज्यादा रहा। जीवन के हरपल सुख-दुख में साथ देने वाले साथी का क्या कहना.. सामाजिक बुराई दहेज के खिलाफ, लङकियों को भी सम्मान से जीने के लिए आर्थिक सक्षम होने की सोच रखने वाले, पत्नी के आने के बाद भी घर में खाना बनाने में या अन्य कार्यों में भी सहयोग करने में कोई संकोच नहीं करते। उनके इसी व्यवहार के कारण आसपास के कई लोग कहते थे कि आप लोगों की लव-मैरिज हुई है क्या। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अब तक का जीवन उनके साथ बहुत अच्छा बिता। ऐसा नही है कि कभी बहस या झगङा नही हुआ पर आज जिस मुकाम पर हैं वहां सोचते हैं तो लगता है, जो किया, कहा, माना उसमें भला-बुरा जिंदगी में अनुभव की कमी ही रही। वरना सच तो ये है कि मिठे के साथ नमकीन भी जरूरी है। लोकिन नमकीन की अधिकता जीवन को कसैला भी बना सकती है, इसका बैलेंस होना भी जरूरी है। धूप-छांव की बराबर मात्रा से ही तो जीवन पल्वित होता है।
ज़िन्दगी तो एक ढलती शाम की तरह है, जिसमें कहीं उथल-पुथल है, तो कहीं थोड़ा आराम भी।
जीवन के अगले अध्याय में परिणय सूत्र में बंघने का पल आया।भाईयों के प्यार ने पिता की कमी का अहसास होने नहीं दिया। जन्म के बाद से पहली बार धूम-धाम से जन्मदिन मना तद्पश्चात वरमाला से विवाह का कार्यक्रम शुरु हुआ। दरअसल हमने मां से शिकायत की थी कि भाई का जन्मदिन मनाती हैं आप, बेटियों के साथ भेदभाव क्यों करती हैं। उनका वादा था कि इसबार जरूर मनायेंगे तुम्हारा जन्मदिन। ये संयोग ही रहा कि ईश्वर ने उनको वादा पुरा करने का शुभअवसर दे दिया। हिंदी महिने के अनुसार 21 नवम्बर को वही जन्मतिथी पङ गई जब शादी की तारिख पंडितों द्वारा निकली। हर्ष और उल्लास के साथ जिन्दगी नई दिशा में चल पङी.. नये लोग नया परिवार ये भी हमारे पूर्व कर्मो के आधार पर बहुत अच्छा मिला। ससूर के रूप में पिता मिले जिन्होने अपने जीवन परयंत मेरी मां को दिये वादे को निभाया। सास के रूप में मां मिली, जिन्होने बिना किसी उलहाने के घर गृहस्थी सिखाई। नये परिवार के अन्य सदस्यों का भी प्यार और साथ मिला। नौकरी की वजह से बाहर रहने से सासु मां का सानिध्य ज्यादा रहा। जीवन के हरपल सुख-दुख में साथ देने वाले साथी का क्या कहना.. सामाजिक बुराई दहेज के खिलाफ, लङकियों को भी सम्मान से जीने के लिए आर्थिक सक्षम होने की सोच रखने वाले, पत्नी के आने के बाद भी घर में खाना बनाने में या अन्य कार्यों में भी सहयोग करने में कोई संकोच नहीं करते। उनके इसी व्यवहार के कारण आसपास के कई लोग कहते थे कि आप लोगों की लव-मैरिज हुई है क्या। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अब तक का जीवन उनके साथ बहुत अच्छा बिता। ऐसा नही है कि कभी बहस या झगङा नही हुआ पर आज जिस मुकाम पर हैं वहां सोचते हैं तो लगता है, जो किया, कहा, माना उसमें भला-बुरा जिंदगी में अनुभव की कमी ही रही। वरना सच तो ये है कि मिठे के साथ नमकीन भी जरूरी है। लोकिन नमकीन की अधिकता जीवन को कसैला भी बना सकती है, इसका बैलेंस होना भी जरूरी है। धूप-छांव की बराबर मात्रा से ही तो जीवन पल्वित होता है।
खुश रहकर गुजारो तो मस्त है जिंदगी,
दुखी रहकर गुजारो तो त्रस्त है जिंदगी,
मिलती है एकबार, प्यार से बिताओ जिंदगी।।
बच्चे फूलों की तरह होते हैं। उन्हें अपनी मुस्कान से, उन पर बारिश की तरह बरसने वाले अपने कोमल कोमल शब्दों से और अपने आत्मविश्वास की कला से उन्हें खिलने दें। निःसंदेह आप अपने बगीचे को देखकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे।
उम्र के बढते पङाव पर बच्चों की शादी के उत्सव में शामिल होकर अद्भुत खुशी मिली। ईश्वर कृपा से बच्चों को मनचाहा संसार मिला। कहते हैं मूल से सूद ज्यादा प्यारा होता, ये शत् प्रतिशत सच है। बेटी के बच्चे हुए। जीवन को नया आयाम मिला, उम्र जैसे ठहर सी गई। खुशियों के पल ने बसंत की छटा को मोहक बना दिया। नव-अंकुरित बच्चों के मुख से नन्ना शब्द सुनना ऐसी औषधी बन गई जिसने उम्र को रोक दिया। उनके साथ वापस वही खेल-कूद से जीवन को नई ऊर्जा मिली। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, नाती-नातिन, पोता-पोती जीवन के वो खजाने हैं जिसमें अपने बच्चों का अक्स नजर आता है। हालांकि अभी दादी नही बने है पर ईश्वर वो सुख भी देगा मुझे ये विश्वास है। जब भी दादी या दद्दा कहने वाला/वाली खुशबू आंगन में आयेगी, षठवर्ष होने के बावजूद नई ऊर्जा मिलेगी।
मन के अंदर हर्ष और उल्लास होना चाहिये,
जिंदगी में हर घङी मधुमास होना चाहिए।
जीवन यात्रा अभिलाषाओं की पंक्ति में खङी रहती है और नित नई आकांक्षाओं जन्म देती रहती है। मित्रों, जीवन में मिले अच्छे बुरे तानों से ये समझ आया कि, हम कुछ लोगों के लिए कितने भी अच्छे रहे होंगे पर कुछ लोगों की कहानी में बुरे भी रहे होंगे। अतः अब तक के बिते जीवन में साथ निभाए या साथ न निभाए सभी रिश्तों के प्रति सह्रदय कृतज्ञता प्रगट करते हैं और सबके लिए सुखद, सुंदर, स्वस्थ जीवन की मंगलकामना करते हैं। जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमाप्रर्थी भी हैं🙏
भूल हो जाती है माना, यह जरूरी है मगर,
अपनी हर इक भूल का अहसास होना चाहिये।
आज मेरे जन्मदिन पर स्वयं को भी शुभकामनाएं देते हुए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.. जितना भी शेष जीवन है वो मनचाही समाज सेवा भी कर सके क्योंकि दृष्टीबाधित बच्चों के साथ बिताया सफर भी जीवन को नित नई ऊर्जा प्रदान करता रहा है। ये बहुत बङा सत्य है कि ऊपर वाले ने सबके के लिए रास्ता तय करके रखा है। वो अपने बंदो को सहयोग की भावना के लिए आगे बढने की प्रेरणा देता है। किसकी कब सहायता करनी है उसके इशारे से ही होती। हमसब तो उसके संसाधन हैं। सहयोग संसाधन लिस्ट में ईश्वर हमें भी बराबर बनाये रखे। स्वस्थ रहें, जिंदगी से कोई शिकायत न रहे ऐसी भावना हो। जिंदगी तो एक किताब की तरह है.. जिसके कुछ अध्याय दुखद, कुछ सुखद और कुछ रोमांचक हैं। अब अगला पन्ना पलटेंगे तब पता चलेगा कि आगे क्या लिखा है.. भरोसा है जो भी लिखा होगा अच्छा होगा, अच्छे के लिए ही होगा। फिलहाल आज अपनी खुशनुमा यादों के साथ जन्मदिन मनाते हैं और जेहिं बिधी राखे राम तेहीं बिधी रहिये आप पर अमल करते हैं।
सभी पाठकों को मेरी जीवन यात्रा पढने के लिए तहेदिल से धन्यवाद
बढती रहती है अनुभव की मात्रा,
ज्यों-ज्यों बढती रहती है जीवन यात्रा।
निखार आये गुंणवत्ता में उत्तरोत्तर,
तब ही सार्थक है जीवन यात्रा।
🙏
Happy Birthday Auntiji. I loved reading this article! You are such a beautiful and inspiring soul. Waiting to meet you again soon. Noopur Desai
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद नुपुर
Deleteदृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए आपका योगदान कोई नहीं भूल पाएगा।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं 🚩
धन्यवाद
Deleteधन्यवाद गोपाल
DeleteHappy birthday mummy. Itna bhi nahi mara aapne. Itna mat sochiye. Aap mere liye bestest ma hai. 😘😘
ReplyDeleteखुश रहिये बेटा
Deleteआपके संस्मरण पढ़कर मन आनन्दित हुआ ।
ReplyDeleteईश्वर के प्रति आस्था एवं सकारात्मक सोच आपके लेखन मे स्पष्ट है।
धन्यवाद
Deleteधन्यवाद तनुजा जी
Deleteअनिता जी, आप ने जन्मदिन की समझ वाले दिन से साठवें जन्मदिन का बेहतरीन शाब्दिक सफर व्यक्त किया इस में कुछ यादें मर्मस्पर्शी हैं तो कुछ दिल की गहराइयों से निकली आवाज भी बनी है।
ReplyDeleteइस सबमें यह अच्छी बात है कि आप ने 60 वर्ष की सच्चाई स्वीकार कर ली है वरना तो महिलाएं स्वीट 16 दिखना-कहलाना ही पसंद करती हैं।
मेरी भी बधाई स्वीकारें। 🌹🌹
धन्यवाद , यथार्थ में जीना चाहिये इसलिये उम्र की सच्चाई को भी स्वीकार करने से जीवन सुगम और सरल हो जाता है।
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