मित्रों, विकास के इस दौर में दृष्टीबाधिता के क्षेत्र में मुश्किलें सूरसा के मुख की तरह हैं, फिर भी अनेक सदस्य अपनी दृष्टीबाधिता को नकारते हुए आज समाज में नयी पहचान बना रहे हैं। राह आसान नही है फिर भी उनका मानना है कि, "ऑधियों को जिद्द है जहाँ बिजली गिराने की हमें भी जिद्द है वहीं आशियां बसाने की" ऐसी ही सोच के साथ आज अनेक दृष्टीदिव्यांग बच्चे सहयोग की उम्मीद लिय़े आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हैं। कहते हैं, पानी की एक-एक बूंद से सागर बनता है। उसी प्रकार अनेक व्यक्तियों के परस्पर सहयोग से ही मनुष्य का विकास संभव है। सहयोग की इसी भावना से परिपूर्ण अनीता दिव्यांग कल्याण समिति विगत 19 वर्षों से निरंतर दृष्टि दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रयास कर रही है। इसी श्रृंखला में अनीता दिव्यांग कल्याण समिति, इन्दौर के सौजन्य से VOICE FOR BLIND द्वारा दृष्टि दिव्यांगजनों के लिए एक निबंध लेखन प्रतियोगिता तथा सम्मान समारोह का आयोजन 10/02/2025 को माता जीजाबाई शासकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय, इन्दौर परिसर में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वति को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित करके किया गया। दृष्टि दिव्यांग बालिकाओं द्वारा सुरिली आवाज में सरस्वती वंदना तथा स्वागत गीत गाया गया।
समस्याओं के बीच में भी मन में समाधान का जज़बा लिये कई दृष्टि दिव्यांगजनों ने अपने विचार भेजे। उनके विचारों में स्पष्ट था कि वे विज्ञान की नई टेक्नोलॉजी के साथ इतिहास रचने को तैयार हैं। ऐसे ही विचारों में से निर्णायक मंडल द्वारा दो नाम चयनित किया गया। उज्जैन में जी.एस.टी विभाग में कार्यरत रूबी दूबे एवं इंदौर में बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा रोशनी अहिरवार को 1100रू.- 1100रू के नगद पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र तथा ब्रेल में गीता से पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में चयनित प्रतिभागियों ने अपने आलेख का प्रस्तुतिकरण भी दिया। आलेख का विषय थाः- दृष्टि दिव्यांगजनों को कार्यक्षेत्र में तथा शैक्षणिंक क्षेत्र में चुनौतियां एवं सम्भावनाएं
कार्यक्रम के सम्मान समारोह में मित्रज्योति फाउंडेशन बैंगलोर की संस्थापक तथा राष्ट्रीय सम्मान से पुरस्कृत डॉ. मधु सिंघल ने मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई। डॉ. मधु सिंघल स्वयं दृष्टि दिव्यांग है तथा पिछले 35 वर्षों से दृष्टि दिव्यांग महिलाओं के विकास हेतु कार्य कर रही हैं। उन्होंने विभिन्न कार्यक्षेत्रों में लगभग 5000 दृष्टि दिव्यांग महिलाओं को रोजगार दिलवाने में अपना योगदान दिया है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने छात्राओं का मार्गदर्शन भी किया तथा समिति द्वारा डॉ. मधु सिंघल को उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु सम्मानित भी किया गया।
इस सम्मान समारोह में माता जीजाबाई कॉलेज की पूर्व प्राचार्या डॉ. ऊषा कृष्णन, महाविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. बेला सचदेवा तथा धार उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की व्याख्याता श्रीमती तनुजा चक्रवर्ती को दृष्टि दिव्यांगजनों हेतु किए गए उनके योगदान हेतु समिति द्वारा सम्मानित किया गया तथा छात्राओं द्वारा उनका आभार भी व्यक्त किया गया। समिति द्वारा सभी सम्मानित सदस्यों को सम्मान पत्र के साथ श्रीमद्भगवत गीता की पुस्तक भेंट की गई।
इंदौर में दृष्टिदिव्यांग बालिकों की महाविद्यालय शिक्षा का प्रयास बेला सचदेवा द्वारा ही किया गया था। उनके प्रयास का की फल है कि आज अनेक बालिकाएं उच्च शिक्षा पाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हैं। विशेषतः बैंक में बहुत बालिकाएं कार्यरत हैं।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में गुरूकुल अकादमी की प्राचार्या श्रीमती सविता ठाकुर, महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ. अरुणा कुसमाकर, समाजसेवी एवं समिति सदस्य श्रीमती अनीता देसाई तथा समाजसेवी एवं समिति सदस्य श्रीमती प्रज्ञा शावरिकर ने सम्मिलित होकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। अथितियों ने अपने उद्बोधन में बच्चियों का उत्साह वर्धन किया तथा समिति के कार्यों की सराहना की एवं भविष्य में भी सहयोग का भरोसा दिया। जय शंकर प्रसाद जी कहते हैं कि,
औरों को हँसते देखो मनु
हँसो और सुख पाओ
अपने सुख को विस्तृत करलो
सबको सुखी बनाओ
इस कार्यक्रम के महत्वपूर्ण सम्मान से पहले याद करिये वो स्वर्णिम पल जब शिक्षक और अभिभावक अच्छी पढाई, उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन या अच्छे व्यवहार के लिए शाबासी देते थे और ‘Keep it up’ कहकर हौसला बढाते थे। ये शब्द बाल सुलभ मन में उत्साह का संचार कर देते थे। कार्य को और बेहतर करने की प्रेरणा देते थे। इसी भावना को आगे बढाते हुए समिति द्वारा सफल पहल की शुरुवात की गई इसके तहत उन बालिकाओं को सम्मानित किया गया जो हमारी दृष्टिदिव्यांग बालिकाओं के लिये परिक्षा के समय उनकी कलम अर्थात राइटर बनकर सहयोग दे रहीं हैं। आज जहां युवा रील बनाने में , मोबाइल में व्यस्त है ऐसे में ये बालिकाएं अपना अमुल्य समय समाज सेवा में प्रदान कर रही हैं। सेवा के साथ-साथ अपनी पढाई पर भी ध्यान दे रहीं हैं। जहां खुद की परिक्षा में 3 घंटे लिखती हैं पर नियमानुसार दृष्टिदिव्यांग छात्राओं के लिये 4 घंटे का समय देती हैं। ऐसी ही 19 बालिकाओं को कार्यक्रम में प्रमाणपत्र तथा मेडल द्वारा सम्मानित किया गया।
बालिकाओं के नाम इस प्रकार है—प्रियंका, सेजल, तनिषा, हर्षिता, योगिता, शीतल, अमिशा, पायल, कल्यांणी,आरती, तनिष्का, लकी, माही, निकिता, रूपा, आंचल, सरोज, कमल एवं खुशी इसमें से तनिशा 28 बार, हर्षिता 25 बार, तनिष्का 22 बार एवं योगिता 20 बार राइटर बन चुकी है। 10-12 बार भी कई बच्चियां अपना योगदान दे चुकी हैं। बीटेक की छात्रा अरुणिमा जोशी ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में शिद्दत से सहयोग दिया। स्वाभिमान आहत किये बिना सहायता करना उपरोक्त बच्चियों की संस्कृति है। पूरे कार्यक्रम में ये बच्चियां खुश होकर हर कार्य में सहयोग दे रहीं थीं। इन प्यारी बच्चियों को अनंत आशिर्वाद, रहीम दास जी का दोहा याद आ रहा है----
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥
स्वामी विवेकनंद जी ने कहा है कि-
"हमारा कर्तव्य है कि हम हर किसी को उसका उच्चतम आदर्श जीवन जीने के संघर्ष में प्रोत्साहन करें और साथ ही साथ उस आदर्श को सत्य के जितना निकट हो सके लाने का प्रयास करें।" हमें विश्वास है कि, इन बच्चियों से प्रेरित होकर भविष्य में और भी बच्चे सहयोग की मशाल को प्रज्वलित करेंगे।
कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. मनीष चौधरी द्वारा किया गया। डॉ. मनीष चौधरी राजनिती शास्त्र के प्रोफेसर एवं वक्ता हैं। दृष्टिदिव्यांगता को इन्होने कभी भी बाधा नहीं माना अपने प्रयासों से निरंतर आगे बढते रहे। समिति द्वारा आपको भी उत्कृष्ट मंच संचालन के लिए ब्रेल गीता एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन समिति अध्यक्ष श्रीमती अनीता शर्मा द्वारा धन्यवाद उद्बोधन से किया गया।
अंततः सभी पाठकों से निवेदन है कि, सहयोग देने वाली बालिकाओं का हौसला बढाने हेतु अपना संदेश ब्लॉग पर लिखें। मित्रों, प्रोत्साहन और प्रशंसा के भाव को शब्दो की अभिव्यक्ति दें क्योकि ये भाव एक मिठास की तरह है जो मन में मधुरता और कार्य में सकारात्मक गति प्रदान करते हैं। प्रोत्साहन और प्रशंसा की खुशबु को निश्छल मन से प्रसारित करें क्योंकि सफलता के रास्ते में ये अचूक औषधी है। कुछ पंक्तियों के साथ हम अपनी कलम को विराम देते हैं....
गौतम बुद्ध ने कहा है कि , किसी और के लिये दिया जलाकर आप अपने रास्ते का भी अंधेरा दूर करते हैं।
Kindness is a language which deaf can hear and blind can see
धन्यवाद
जय हिंद वंदे भारत
10 फरवरी 2025 के सफल कार्यक्रम को प्रजातंत्र, इंदौर समाचार एवं राज
समाचार पत्र में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया।
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