श्रद्धा के साथ अपने पूर्वजों को नमन करने का
पक्ष है श्राद्ध पक्ष। हमारे अपने हमेशा हम सभी के साथ रहते हैं, भले ही वो सशरीर
हमारे बीच न हों किन्तु उनकी आवाज, रंगरूप और उनके द्वारा दिए संस्कार हमेशा हमारे
साथ होते हैं। सम्मान और आदर के साथ याद करना ही श्राद्ध पक्ष पर सही तरपण है। जिस
तरह किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेंश जी का ध्यान करते हैं उसी तरह गणेंश वंदना के
पश्चात हम सभी, प्रत्येक शुभ कार्य से पहले अपने पूर्वजों का भी आर्शिवाद लेते हैं।
इसी क्रमानुसार दस दिनों तक गणेंश जी के विराजने के तुरंत बाद हम सभी अपने-अपने
पूर्वजों को नमन एवं वंदन करते हैं। शब्दों के माध्यम से हम अपने पूर्वजों को सादर
भावांजली अर्पित करते हुए समाज में कुछ अस्वाभाविक संस्कारों पर अपने विचार रखने
का प्रयास किए हैं, जिसे निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढा जा सकता है।
http://roshansavera.blogspot.in/2012/10/blog-post_7.html
True........हमारे अपने हमेशा हम सभी के साथ रहते हैं, भले ही वो सशरीर हमारे बीच न हों.
ReplyDeleteBrij Bhushan Gupta, New Delhi, 9810360393