वर्तमान का समय प्रतियोगिता का समय है। आज हर कोई
एक दूसरे से आगे बढना चाहता है। आगे बढने की प्रवृत्ति विकास के राह को आसान करती
है। विद्यार्थी हो या व्यपारी, शोध-कर्ता हो या किसान हर कोई अपने-अपने क्षेत्र
में उत्कृष्ट प्रर्दशन करना चाहता है। परन्तु कुछ लोग अपनी इच्छा के अनुरूप परिणाम
को प्राप्त कर लेते हैं, तो कुछ लोग चाहत के अनुसार अपने लक्ष्य को हासिल नही कर
पाते। जो अपने कार्य को दृण इच्छा शक्ति से पूर्ण करता है वो लक्ष्य को निःसंदेह
हासिल करता है। नेपोलियन बोनापार्ट का कहना था कि, असम्भव शब्द मेरे शब्दकोश में
नही है। लाल बहादुर शास्त्री, गाँधी जी, सुभाष चन्द्र बोस, अब्राहम लिंकन,
आइंस्टाइन, सरदार पटेल, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम इत्यादि बङे-बङे महापुरूष अपनी दृण
इच्छा शक्ति से ही उच्चतम शिखर पर पहुँचे और आज भी सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
कहने का आशय ये है कि यदि मनुष्य चाहे तो सब कुछ
सम्भव है। उसे अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कार्य को ईमानदारी से और दृण संकल्प
के साथ करना चाहिए। मजबूत इच्छा विपरीत परिस्थीति में भी आगे बढने की प्रेरणा देती
है। मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है, नित नई इच्छाएं जन्म लेती रहती हैं।अतः मन की
चंचलता को नियन्त्रित करने के लिए इच्छा शक्ति की दृणता अनिवार्य होती है। गीता
में कहा गया है कि, “मन को वश में करना कठिन जरूर है पर असम्भव नही है।“
दृण इच्छा शक्ति के बल पर ही तेनसिहं और
बछेन्द्री पाल जैसे पर्वतारोहियों ने एवरेस्ट पर विजय पताका फहराई। इंग्लिश चैनल
और उत्तरी ध्रुव के बर्फिले सागर को दृण इच्छा शक्ति के बल पर ही पार किया गया।
लक्ष्य के प्रति दृण इच्छा रखने वाले संकल्पवान लोग इतिहास की धारा बदल देते हैं।
सफलता के लिए दृण संकल्प का होना आवशयक है किन्तु
आज आगे बढना तो हर कोई चाहता है परन्तु विषम परिस्थिती में संघर्ष करना नही चाहता।
परिश्रम करने से भागता है और शार्टकट तरीके से सबकुछ पाना चाहता है। लक्ष्य के
प्रति दृण इच्छाशक्ति का अभाव इंसान की सबसे बङी कमजोरी है। ये कहना अतिश्योक्ति न
होगा कि, “गहरी इच्छा हर उपलब्धि का शुरूवाती बिन्दु होती है, जिस तरह आग की
छोटी लपटें अधिक गर्मी नही दे सकती वैसे ही कमजोर इच्छा बङे नतीजे नही दे सकती।“ मजबूत इरादों से ही
लक्ष्य की राह आसान होती है।
गाँधी जी ने कहा था कि, “Strength Dose not come from Physical capacity. It comes from an Indomitable will.”
अपनी दृण इच्छाशक्ति और अटूट विश्वास के बल पर
भारत की पहली महिला आई. पी. एस. अधिकारी किरण बेदी ने अनेकों कठिनाईयों के बावजूद अपने लछ्य को हासिल
किया। एशिया का सबसे बङा ‘मेग्सस पुरस्कार’ प्राप्त कर भारत को भी गौरवान्वित किया। अनेक लोगों की प्रेरणा स्रोत
किरण बेदी को संयुक्त राष्ट्र संघ में पुलिस सलाहाकार नियुक्त किया गया। (Strong will power )दृण इच्छा शक्ति से कैंसर जैसी जानलेवा बिमारी से भी जीता जा सकता
है। यदि इरादे मजबूत होते हैं तो उम्र की सीमा और विकलांगता भी बाधा नही बनती।
प्रेमलता अग्रवाल 48 वर्ष की उम्र में एवरेस्ट पर फतह हासिल करने वाली सबसे अधिक
उम्र की पहली महिला हैं। हेलेन केलर की दृण इच्छा शक्ति के आगे उनकी दृष्टीबाधिता
नत्मस्तक हो गई।
स्वामी विवेकानंद जी का कहना था कि, “पवित्र और दृण इच्छा
सर्वशक्तिमान है, अतः प्रबल इच्छा को कठिन अभ्यास एवं संकल्प शक्ति द्वारा प्राप्त
करना चाहिए।“
सफलता की कामना करना उत्तम विचार है। उसकी
पूर्णता के लिए कार्य के आरंभ में ही दृण इच्छा को अपने में समाहित कर लेना चाहिए।
ईमानदारी के साथ कार्य पूर्ण करने में अपनी सारी शक्ति लगा देनी चाहिए। दृण इच्छाशक्ति मार्ग की
बाधाओं को पार कर देती है और सफलता के शिखर पर पहुँचना आसान कर देती है। अतः अपनी
सोच को साकार रूप देने के लिए दृण इच्छा शक्ति (Strong Will Power) को रग-रग में
संचारित कर लें।
"कुछ कर गुजरने के लिए मौसम नही मन चाहिए, साधन
सभी जुट जाएंगे, संकल्प का धन चाहिए, गहन
संकल्प से ही संभव है पूर्ण सफलता।"
Bhot he badiya. Excellent post
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लेख लिखा है आपने! जो न केवल आगे बढ़ने और परिश्रम करने की प्रेरणा पैदा करता है बल्कि जीवन को परिवर्तित करने में भी मददगार होगा इस प्रकार के विचार न केवल जिज्ञासा को शांत करते हैं बल्कि समाज में एक उत्तम सन्देश भी प्रसारित करते हैं जब बदलाव की बात आती है तो मैं एक ऐसे ही बेहतरीन ब्लॉग का जिक्र करना चुंगा जहाँ इसी प्रकार के कई अच्छे लेख पढने को मिल सकते हैं. मै यहाँ पर जीवनसूत्र की एक पोस्ट का लिंक शेयर कर रहा हूँ. शानदार कामयाबी हासिल करने के दस अचूक अस्त्र
ReplyDeleteHey! I'm ɑt wоrk browsing youг blog from my new iphone 3gs!
ReplyDeleteJust wanted to sаy I love reading ʏour blog аnd look forward to aⅼl youг posts!
Keep up the great work!