Wednesday 21 January 2015

बालिका दिवस पर सभी बेटीयों को बधाई

जिस देश में नारी रूप में अनेक देवीयों की पूजा अर्चना की जाती है। धन, बुद्धी एंव शक्ति के लिए लक्ष्मी, सरस्वती एंव माँ दुर्गा की आराधना की जाती है। उस देश में बेटीयों को अपने अस्तित्व के लिए संर्घष करना पङ रहा है। आज बेटी बचाओ, बेटी पढाओ के अभियान चलाए जा रहे हैं। जबकी बेटा बेटी तो माता-पिता की दो आँखें हैं। बेटी भी बेटे के समान प्रत्येक कार्य कर सकती है, फिर क्यों बेटी को इस दुनिया में आने से रोका जाता है? मित्रों, मैं हर्ष के साथ कहना चाहती हुँ कि, मेरी बेटी ने मुझे सदैव गौरवान्वित किया तथा मेरे बेटे ने भी उसे अपना आर्दश माना एवं बेटे ने भी मुझे गौरवान्वित किया। आज मैं दृष्टीबाधित लोगों के लिए जो कार्य कर पा रही हुँ उसमें सबसे पहला योगदान मेरी बेटी का ही है, उसके बाद मेरे बेटे ने भी इस नेक कार्य़ को आगे बढाने में अपना हर संभव योगदान दिया और बेटे रुपी दामाद ने भी इस कार्य हेतु योगदान दिया तथा आज भी
ये सब अपना योगदान दे रहे हैं। निःसंदेह बेटी और बेटों के योगदान का ही परिणाम है कि आज हम अधिक से अधिक दृष्टीबाधित बच्चों को शिक्षा के माध्यम से आत्म निर्भर बना पा रहे हैं।

सच तो ये है दोस्तों, बेटी और बेटे में अंतर करना सिर्फ हमारे समाज की संकीर्ण सोच है और दहेज प्रथा  जैसी कुरीतियों का डर है। यदि समाज से दहेज रूपी दानव का अंत हो जाए तो  समाज में लङकियों को बोझ समझने वालों की विचारधारा भी बदल सकती है। इसके लिए जरूरी है कि, हम ये प्रण करलें  न दहेज लेंगे और न दहेज देंगे। बेटी और बेटे की वजह से ही भविष्य में नए परिवाऱों का सृजन होता है। विचार कीजिए!  परिवार, समाज, देश और विश्व की कल्पना सिर्फ एक पक्ष अर्थात बेटों से ही क्या संभव हो सकती है?  समय रहते बेटीयों को भी बेटों के बराबर का सम्मान दिजीए। बेटीयों को दान या पराया धन न समझते हुए उसे भी आगे बढने का अवसर दीजिए। प्रसिद्ध कवित्री सुभद्राकुमारी चौहान जब अपनी बेटी की शादी कर रहीं थीं तो, विवाह संस्कार में कन्यादान की प्रथा को करने से, उन्होने एवं उनके पति ने ये कहते हुए मना कर दिया कि मेरी बेटी कोई वस्तु नही है और उन दोनों ने कन्यादान की रस्म नही की। कहने का आशय ये है कि बेटी और बेटा तो प्रकृति के दो आधर स्तंभ हैं। एक के कमजोर या कमतर होने से सामजिक ढांचा चरमरा जायेगा। अंततः यही कहना चाहुँगी अपनी दोनों आँखों की देखभाल एक समान कीजिए आपकी दृष्टी ही इस सृष्टी का आधार है।

धन्यवाद
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sharmaanita207@gmail.com
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बेटी है तो कल है 

1 comment:

  1. Hello anita mam, i am proud of your words . I like your words. I try to stand your words.

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