मित्रो, नवरात्री के अवसर पर समस्त भारत में कन्याओं को सम्मान दिया जाता है। उनकी पूजा करके हम सब देवी माँ की आराधना करते हैं। लेकिन क्या हम पूरे वर्ष या कहें ताउम्र बच्चियों को वो सम्मान देते हैं???
यदि सच्चाई के साथ उत्तर सोचेगें तो, यही उत्तर मिलेगा कि हम उन्हे वो सम्मान नही दे रहे हैं जिनकी वो हकदार हैं।
मेरे पूर्व के विचारों को पढने के लिये लिंक पर क्लिक करेंः-
बेटी बचाओ जैसी योजनाएं और अनेक कार्यक्रम इस बात की पुष्टी करते हैं कि आज अत्याधुनिक 21वीं सदी में भी हम लिंगानुपात के बिगङते आँकङे को सुधार नही पा रहे हैं। पोलियो, कैंसर, एड्स जैसी बिमारियों को तो मात दे रहे हैं किन्तु बेटीयों के हित में बाधा बनी संकीर्ण सोच को मात नही दे पा रहे हैं।
Read More:- बेटी है तो कल है
मित्रों मेरा मानना है कि, कैंसर से भी गम्भीर बिमारी से ग्रसित हमारी दकियानुसी रुढीवादी सोच का कुठाराघात बेटीयों पर जन्म से ही होने लगता है। अनेक जगहों की प्रथा के अनुसार बेटा होने पर उसका स्वागत थालियों, शंख तथा ढोल बजाकर करते हैं वही बेटी के जन्म पर ऐसा सन्नाटा जैसे कोई मातम मनाया जा रहा हो।
Read More:- रुढीवादी सोच को अलविदा कहें
प्रसिद्ध कवित्री सुभद्राकुमारी चौहान जब अपनी बेटी की शादी कर रहीं थीं तो, विवाह संस्कार में कन्यादान की प्रथा को करने से, उन्होने एवं उनके पति ने ये कहते हुए मना कर दिया कि मेरी बेटी कोई वस्तु नही है और उन दोनों ने कन्यादान की रस्म नही की।
Read More:- बालिका दिवस पर सभी बेटीयों को बधाई
बेटी बिना नही बनता घरौंदा। विश्व जननी का ही एक रूप है बेटी। सदा उसका सम्मान करें
A Daughter is one of the most beautiful gifts this world has to give
धन्यवाद ः)
यदि सच्चाई के साथ उत्तर सोचेगें तो, यही उत्तर मिलेगा कि हम उन्हे वो सम्मान नही दे रहे हैं जिनकी वो हकदार हैं।
मेरे पूर्व के विचारों को पढने के लिये लिंक पर क्लिक करेंः-
बेटी बचाओ जैसी योजनाएं और अनेक कार्यक्रम इस बात की पुष्टी करते हैं कि आज अत्याधुनिक 21वीं सदी में भी हम लिंगानुपात के बिगङते आँकङे को सुधार नही पा रहे हैं। पोलियो, कैंसर, एड्स जैसी बिमारियों को तो मात दे रहे हैं किन्तु बेटीयों के हित में बाधा बनी संकीर्ण सोच को मात नही दे पा रहे हैं।
Read More:- बेटी है तो कल है
मित्रों मेरा मानना है कि, कैंसर से भी गम्भीर बिमारी से ग्रसित हमारी दकियानुसी रुढीवादी सोच का कुठाराघात बेटीयों पर जन्म से ही होने लगता है। अनेक जगहों की प्रथा के अनुसार बेटा होने पर उसका स्वागत थालियों, शंख तथा ढोल बजाकर करते हैं वही बेटी के जन्म पर ऐसा सन्नाटा जैसे कोई मातम मनाया जा रहा हो।
Read More:- रुढीवादी सोच को अलविदा कहें
प्रसिद्ध कवित्री सुभद्राकुमारी चौहान जब अपनी बेटी की शादी कर रहीं थीं तो, विवाह संस्कार में कन्यादान की प्रथा को करने से, उन्होने एवं उनके पति ने ये कहते हुए मना कर दिया कि मेरी बेटी कोई वस्तु नही है और उन दोनों ने कन्यादान की रस्म नही की।
Read More:- बालिका दिवस पर सभी बेटीयों को बधाई
बेटी बिना नही बनता घरौंदा। विश्व जननी का ही एक रूप है बेटी। सदा उसका सम्मान करें
A Daughter is one of the most beautiful gifts this world has to give
धन्यवाद ः)
No comments:
Post a Comment