Wednesday, 5 December 2012

डॉ.कलाम की कविता


देश विदेश के लाखों युवाओं के आदर् और प्रेरणास्रोत, भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सर्वाधिक लोकप्रिय रहे हैं। उनकी लिखी पुस्तकें विंग्स ऑफ फायर, इनडोमिटेबल स्परिट, स्परिट ऑफ इण्डिया, इग्नाइटिड माइंड्रस बैस्टसैलर रहीं हैं। आपकी नई पुस्तक टर्निगं प्वाइंट्स अतुल्य किताब है। ये पुस्तक विंग्स ऑफ फायर के आगे के पहलु को बयां करती है।
मित्रों, राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए उनके द्वारा किये श्रेष्ठ कार्यों की वजह से उनको पीपल्स प्रेज़िडेन्ट कहा जाता है।

यूरोपियन पार्लियामेन्ट के प्रसिडेन्ट जोसेप बोरेल फोंटेल्स ने 2006 में अपने मिसाइल मैन (डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम) को यूरोपियन संसद को संबोधित करने के लिये आमंत्रित किया था, किन्तु अतिव्यस्तता के कारण तब जाना संभव न हो सका था। 25 अप्रैल 2007 को कलाम साहब, यूरोपिय संघ को संबोधित किये वहाँ आपका स्वागत बहुत ही आत्मियता से हुआ बस फर्क ये था कि तब फोंटेल्स की जगह हैंस-गर्त पौट्टेरिंग राष्ट्रपति के पद पर आसीन थे।
इस विशेष अवसर के लिये डॉ. कलाम साहब ने एक कविता लिखी थी, वो कविता आज मैं आप सबसे साझां कर रहीं हूँ।

             धरती माता का संदेश
सुंदर परिवेश रचता है
सुंदर विचार,
सुंदर विचारों से
ताजगी और कृतित्व का सृजन होता है
क्यों रचे गये हर ओर,
धरती और भूमि को खोजने वाले
रचने वाले, सुचिंतन और नवनिर्माण
महान वैज्ञानिक, आविष्कार
अनेक अनुसंधानो का क्रम चला
खोजे गये दीव्प और अनचिन्हे भू-भाग
अनजानी राहों पर अनायास गुजरते हुए
निर्मित हुए राजमार्ग
सर्वश्रेष्ठ चेतना के बीच में कहीं
उपजा निकृष्ट,
बोये गये युद्ध और घृणा के बीज
सदियों की युयुत्सा और भीषण रक्तपात
धरती और समुन्द्र में विलय हो गये
अनगिनत अबोध शिशु,
कितने ही राष्ट्र आंसूओं के सैलाब में डूब गये
कितनो को दुःख के अजगर ने निगल लिया
तब जा कर अमृत-सी संकल्पना हांथ आई,
गढा गया
यूरोपिय संघ
ली गई शपथ
कि अब कभी नही होगी,
मानवीय ज्ञान की अवमानना
न अपने विरुद्ध, न दूसरों के
अपने विचारों में एकसूत्र
निकल पङे राष्ट्र
यूरोपिय संघ का उदय हुआ
कि शांति और समृद्धि वहां यूरोप में सघन होगी।
उन उल्लासमयी बंधनो का प्रताप रचा गया
स्वतः बंध गये लोग,
ओह, यूरोपिय संघ, तुम्हारा संकल्प,
विलय हो जाये हवा में
बने सांस जन जन की

मित्रों, कविता समाप्त होते ही संसद में उपस्थित सदस्यों ने वैज्ञानिक और कवि राष्ट्रपति डॉ.कलाम, को खङे हो कर पूरे मनोभाव से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की सभी सांसद उनसे अविभूत हो गये। ये कविता यूरोपिय राष्ट्र की आपस की लङाई के बाद जो एकजुटता एवं खुशहाली हुई है उसको परिलाक्षित करती है एवं संदेश देती है कि एकता में ही सबका सुख, शांति तथा आनंद है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगी की डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत में ही नही पूरे विश्व को अपनी योग्यता और सद्व्यवहार से कायल करने की क्षमता रखते हैं।

टर्निगं प्वॉइंट पुस्तक से जुङी कुछ और महत्वपूर्ण बातें आप सबसे फिर कभी आज कलम को यहीं विराम देते हैं।

धन्यवाद

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