मित्रों, बचपन की अनगिनत यादों को समेटे हम सब कब बङे हो जाते हैं पता ही नहीं चलता और एक दिन स्वयं भी अभिभावक बन जाते हैं। लेकिन बचपन के वो पल जो अपने अभिभावक के साथ गुजारते हैं, सदैव मानस पटल पर खुशी की अनुभूति के साथ विद्यमान रहते हैं या यूं कहें कि बचपन की यादें हमें कभी बङा होने नहीं देती हैं। बचपन में अपने पिता के साथ बिताया हुआ पल आज भी मेरे जेहन में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा हुआ है। मेरे पिता सदैव मेरे आदर्श हैं। आज जब नई टेक्नोलॉजी ने हमें अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के कई साधन दिये हैं तो बहुत खुशी हो रही है कि हम भी अपने पिता जी की यादों को सबसे शेयर कर सकते हैं। आज भले ही वो हमारे साथ नहीं हैं किन्तु उनकी बातें, उनकी शिक्षायें हमें आज भी आगे बढने को प्रेरित करती हैं। मेरे बचपन का अधिकतर पल पिता जी के साथ ही बिता था। जीवन में माँ भी मेरी प्रेरणा हैं किन्तु आज हम सिर्फ पिता जी की यादों को ही अभिव्यक्त करेंगे। सच तो ये है कि, किसी भी बच्चे की जिंदगी में माँ और पिता वो आधार हैं जिस पर बच्चे की सुखद बुनियाद टिकी होती है। कहा जाता है कि, पिता एक विश्वास का नाम है, सच तो ये भी है कि, पिता तो जीवन के सम्बल और शक्ति हैं जो सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति हैं। उनका खट्टा-मिठा व्यवहार एक ऐसा सहारा है जो छोटे से परिंदे को आसमान देता है। बच्चों की खुशियों का उपहार लिये किसी भी बच्चे के लिये पिता वो उपहार होते हैं जिसका कोई विकल्प नहीं है। आनंद बख्शी का गीत स्वतः ही जेह़न में आ जाता है कि, सात समुन्दर पार से गुङियों के बाजार से अच्छी सी गुङिया लाना, गुङिया चाहे ना लाना, पापा जल्दी आ जाना। इस गाने में कितनी आसानी से बच्चे ने अपनी भावना को बयाँ कर दिया कि पापा आपका साथ ही जीवन का आधार है बाकी सब निराधार है। पिता की भूमिका उस किसान की तरह है जो बीज के फलने-फुलने के लिये सही माहौल तैयार करता है, उनके लिये खाद-पानी की व्यवस्था करता है।
दोस्तों, हम चार बहन और तीन भाई थे जिसमें हम सबसे छोटे हैं। मेरे पहले तीन बहन और तीन भाई थे फिर भी मेरे पिता ने मेरे जन्म पर हॉस्पिटल के स्टाफ को खुशी में नोट बाँटे थे। ये वो वक्त था जब बेटियों के जन्म पर रोना-धोना मच जाता था। ऐसे विपरीत माहौल में मेरे पिता की ये खुशी मेरे लिये अनुपम आर्शिवाद है। सच तो ये है कि, बेटियां हमेशा ही अपने पिता की सबसे लाडली होती हैं और बेटियों के लिये उनके पिता सदैव उनका आदर्श होते हैं। बेटियां तो पिता के लिये सदैव राजकुमारी के समान होती हैं। मेरी सोच पर मेरे पिता का गहरा असर है, उन्होने लङकी और लङके में कभी भी अंतर नहीं किया और मुझे भी आगे बढने का हौसला दिया। किताब पढने का शौक बचपन से ही पिता जी की वजह से हो गया था क्योंकि वो सभी बाल पुस्तकें हम लोगों के लिये लाते थे। जरूरतमंद की मदद करने की आदत हम हमेशा उनमें देखते थे, जिसका थोङा-बहुत असर हमपर भी हुआ। पिता जी कहते थे कि, यदि किसी की मदद करो तो उसपर इसे जाहिर न होने दो अर्थात नेकी कर दरिया में डाल। मेरे लिये मेरे पिता जी वो रोल मॉडल हैं जिसका कोई भी विकल्प नहीं है। मुझ पर किया गया उनका विश्वास मेरे जीवन का सबसे बङा उपहार है, जो आज भी हमें आगे बढने में मदद दे रहा है।
दोस्तों, हम चार बहन और तीन भाई थे जिसमें हम सबसे छोटे हैं। मेरे पहले तीन बहन और तीन भाई थे फिर भी मेरे पिता ने मेरे जन्म पर हॉस्पिटल के स्टाफ को खुशी में नोट बाँटे थे। ये वो वक्त था जब बेटियों के जन्म पर रोना-धोना मच जाता था। ऐसे विपरीत माहौल में मेरे पिता की ये खुशी मेरे लिये अनुपम आर्शिवाद है। सच तो ये है कि, बेटियां हमेशा ही अपने पिता की सबसे लाडली होती हैं और बेटियों के लिये उनके पिता सदैव उनका आदर्श होते हैं। बेटियां तो पिता के लिये सदैव राजकुमारी के समान होती हैं। मेरी सोच पर मेरे पिता का गहरा असर है, उन्होने लङकी और लङके में कभी भी अंतर नहीं किया और मुझे भी आगे बढने का हौसला दिया। किताब पढने का शौक बचपन से ही पिता जी की वजह से हो गया था क्योंकि वो सभी बाल पुस्तकें हम लोगों के लिये लाते थे। जरूरतमंद की मदद करने की आदत हम हमेशा उनमें देखते थे, जिसका थोङा-बहुत असर हमपर भी हुआ। पिता जी कहते थे कि, यदि किसी की मदद करो तो उसपर इसे जाहिर न होने दो अर्थात नेकी कर दरिया में डाल। मेरे लिये मेरे पिता जी वो रोल मॉडल हैं जिसका कोई भी विकल्प नहीं है। मुझ पर किया गया उनका विश्वास मेरे जीवन का सबसे बङा उपहार है, जो आज भी हमें आगे बढने में मदद दे रहा है।
ये बहुत खुशी की बात है कि, ईश्वर के अनुपम उपहार पिता को सम्मान देने के लिये, विश्व 21 जून को फॉदर्स डे के रूप में मना रहा है। दरअसल सोनोरा डॉड अपने पिता की याद में एक दिन की शुरुवात करना चाहती थीं, जो किसान थे। सोनोरा के प्रयास का ही परिणाम है कि, अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने 1966 में इसे जून के तीसरे रविवार को मनाने का फैसला लिया था और 1972 में राष्ट्रपति निक्सन ने पहली बार इस अवसर पर छुट्टी की घोषणा की थी।
मित्रों, बच्चों के सपनों को साकार करने में पिता का जीवन कैसे बीत जाता है उन्हे याद ही नहीं रहता। अपनी भावनाओं को समेटे हुए बच्चों को सदैव साहस का पाठ पढाते हुए, पिता एक ऐसी छाँव है जो वट वृक्ष की तरह हमेशा अपने बच्चों को सुख के पालने में रखते हैं तथा सभी परेशानियों को मुस्कराते हुए भूल जाते हैं। अनुशासन प्रियता तथा उनकी सख्त हिदायतें किसी भी बच्चे के विकास में एक ऐसी संजीवनी है जिसका समय पर लाभ ले लेने से बच्चे का भविष्य सुनहरा हो जाता है। पिता तो समुद्र के समान है जिसका पानी भले ही खारा हो लेकिन उनके अंदर अनेक रत्नों का भण्डार है। हम ईश्वर को पिता कहते हैं क्योंकि हम उस पर भरोसा करते हैं कि वो हमारी रक्षा करेंगे, हमें जीवन देंगे, परम पिता परमेश्वर के गुणों को अपने में समाये इस धरती पर विद्यमान पिता भी उसी का एक रूप हैं जिनके पास हमारी सभी परेशानियों का हल चुटकी बजाते मिल जाता है।
मित्रों, ये कहना अतिशयोक्ति न होगा कि, पिता के दुलार को शब्दों में समेटना उतना ही मुश्किल है जितना कि पानी की सतह पर चलना। आज हम चाहे जितने भी बङे हों जायें किन्तु पिता के भावनात्मक स्पर्श की छाँव को महसूस करते हैं। पिता का जब साथ होता है तो आँखों में सपने और मुठ्ठी में आसमान होता है।
Really he is the only one, No one can beat him, and He is the best!!!!!
मित्रों, बच्चों के सपनों को साकार करने में पिता का जीवन कैसे बीत जाता है उन्हे याद ही नहीं रहता। अपनी भावनाओं को समेटे हुए बच्चों को सदैव साहस का पाठ पढाते हुए, पिता एक ऐसी छाँव है जो वट वृक्ष की तरह हमेशा अपने बच्चों को सुख के पालने में रखते हैं तथा सभी परेशानियों को मुस्कराते हुए भूल जाते हैं। अनुशासन प्रियता तथा उनकी सख्त हिदायतें किसी भी बच्चे के विकास में एक ऐसी संजीवनी है जिसका समय पर लाभ ले लेने से बच्चे का भविष्य सुनहरा हो जाता है। पिता तो समुद्र के समान है जिसका पानी भले ही खारा हो लेकिन उनके अंदर अनेक रत्नों का भण्डार है। हम ईश्वर को पिता कहते हैं क्योंकि हम उस पर भरोसा करते हैं कि वो हमारी रक्षा करेंगे, हमें जीवन देंगे, परम पिता परमेश्वर के गुणों को अपने में समाये इस धरती पर विद्यमान पिता भी उसी का एक रूप हैं जिनके पास हमारी सभी परेशानियों का हल चुटकी बजाते मिल जाता है।
मित्रों, ये कहना अतिशयोक्ति न होगा कि, पिता के दुलार को शब्दों में समेटना उतना ही मुश्किल है जितना कि पानी की सतह पर चलना। आज हम चाहे जितने भी बङे हों जायें किन्तु पिता के भावनात्मक स्पर्श की छाँव को महसूस करते हैं। पिता का जब साथ होता है तो आँखों में सपने और मुठ्ठी में आसमान होता है।
Really he is the only one, No one can beat him, and He is the best!!!!!
Happy Father’s Day
बहुत अच्छा लगा आपके पिताजी के बारे में जानकर। आपकी बातें दिल को छू लेने वाली हैं, मैं भी घर में सबसे छोटा हूँ और हमेशा माता-पिता और परिवार से मुझे बहुत प्रेम मिला है।
ReplyDeleteHappy Father's Day
धन्यवाद।