Monday, 22 June 2015

आंसू भी बहुत कुछ कह जाते हैं


मुस्कान ही हमेशा सब कुछ नहीं कहती, आवाज में हर बात बँधी नहीं रहती। एहसास आंसुओं के जरिये भी बँया होते हैं। आशा की आहट हो या फिर आशंका की धमक, आँखें अकसर छलक ही जाती हैं। मुकेश जी का गाया गीत याद आता है कि, अगर दिल में गम हो तो रोते हैं आंसू, खुशी में भी आंखे भिगोते हैं आंसू, इन्हे जान सकता नहीं ये जमाना.....

दोस्तों, आंसू हर दम उमड़ नहीं पढते। कई बार बस पलक की कोर में अटके रहते है। आँखें छलकती हैं किन्तु आँसुओं को जमीन नहीं मिलती। हर हाल में रोने की कला तो बच्चों में होती है। आँखों में आँसू नहीं पर रोते ऐसे हैं कि घर सर पर उठा लेते हैं। कई बार कहा जाता है कि रोना तो कमजोरी की निशानी है, सच तो ये है कि दिल की बात आँसुओं की जुबान में बाहर आ ही जाती है। एक बार मैने आंसुओं को समझाया कि युं न आया करो, महफिल में मजाक ना उङाया करो, इसपर आंसू बोले, महफिल में अकेले पाते हैं यही सोच हम चले आते हैं। कई बार कुछ ऐसा भी होता है कि, प्रेम में मिली असफलता आँसुओं की बाण ला देती है। फिराक गोरखपुरी कहते हैं कि, न जाने अश्क ये आंखों में क्यों आये हुए हैं, गुजर गया जमाना तुझको भुलाये हुए।

मित्रों, शिव का उग्र रूप रुद्र कहलता है, उनकी आँखों से गिरे आंसु रुद्राक्ष बन गये। महाभारत काल से लेकर आधुनिक युग तक, कितनी ही कहानियां आंसुओं के द्वारा बुनी गई। हिन्दी फिल्मों के अनेक मेलोड्रामा ग्लीसरीन के सहारे आंसुओं के अनेक रंगो को दिखा देते हैं। रोने धोने का नाटक टीवी सिरियल में और आज के रियलटी शो में इस कदर दिखाया जाता है कि कई सुखी नदियों में उनके अश्कों से बांण आ जाये। क्रोध, खुशी और गम के रंगो से सजे आंसू बेशकीमती होते हैं। जिस तरह सारे आंसू सच्चे नहीं होते उसी तरह आंसुओं का कोई अंतिम सत्य नहीं है। गालिब कहते हैं कि, जो आँख ही से न टपके वो लहु क्या है।

दोस्तों, दुनिया का सबसे महँगा लिक्विड आंसू होता है, जिसमें 1% पानी और 99% फिलिंगस (Emotions) होती है। कहते हैं कि, पूरी दुनिया में सबसे खूबसूरत जोड़ी है, मुसकराहट और आंसू इन दोनों का एक साथ मिलना मुश्किल है पर जब मिलते हैं तो वो पल खूबसूरत होता है क्योंकि खुशी के आंसू हर किसी को अजीज होते हैं। भावनाओं को समेटे ये तरल मोती बङे बेशकीमती होते हैं और ये मनुष्य के प्राकृतिक गुंण हैं। जब बच्चा पैदा होता है तो वह रोता है, रुदन तो जमे हुए गम को निकाल फेंकने की औषधि है कई बार हम सबने सुना होगा कि, हमारे अपने कहते हैं रो लेने दो मन हल्का हो जायेगा। खुशी के आंसुओं से हम और खुश तथा निश्चित हो जाते हैं। फिर भी मित्रों हम तो यही कहेंगे...........
पोंछकर अश्क अपनी आंखों से मुस्कराओ तो कोई बात बने
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा, सर उठाओ तो कुछ बात बने


1 comment:

  1. Wah...bahut achha lekh......bahut baarik baatein batayin aapne...Thanks.

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