Sunday, 28 February 2016

Very memorable Get together :)

Hello Friends
Greetings from voice for blind,


मित्रों, मुलाकातें तो बहुत लोगों की कई लोगों से होती हैं लेकिन कुछ मुलाकातें यादगार होती हैं, ऐसी यादों को आप सबसे Share करना चाहते हैं। पिछले दिनों मेरा इंदौर जाना हुआ, वहाँ कई दृष्टीबाधित बच्चे मुझसे मिलना चाह रहे थे। लिहाजा समय अभाव के कारण मैने सबको एक जगह ही बुला लिया था। उन बच्चों की मिलने की इच्छा देखकर मेरी खुशी में तो चार चांद लग गये क्योंकि वहां वो बच्चे भी आये जो मुझे जानते थे लेकिन हम उनको नही जानते थे। उनको अपने दोस्तों से पता चल गया था कि हम मिलने वाले हैं सबसे। हालांकी जिस जगह पर हम मिलने का प्रोग्राम रखे थे वो इंदौर के पवित्र स्थलों में से एक, रंणजीत हनुमान मंदिर में था।



पूर्व निर्धारित समय के अनुसार सभी बच्चे दोपहर एक बजे पहुँच गये। सबसे पहले हम लोगों ने गंणेश वंदना की जिसको स्टेट बैंक में कार्यरत अर्जुन ने सुनाई तद्पश्चात हम सब मिलकर हनुमान चालिसा तथा राम स्तुति का पाठ किये। वहीं पर भोजन की व्यवस्था भी थी अतः हम सब हनुमान जी का प्रसाद ग्रहण किये।


 यहाँ कई नये ऐसे साथी भी आये थे जो वाइस फॉर ब्लाइंड के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। लिहाजा उन सब लोगों का भी परिचय होनहार बच्चों से हुआ। हमारे साथी करन जो दृष्टीबाधित बच्चों को परिक्षा के दौरान सहलेखक का इंतजाम करते हैं, सुनिता मेम जो ग्रुप के माध्यम से बच्चों को अंग्रेजी में प्रशिक्षित कर रही हैं तथा मेरे सहयोगी सहलेखक नवदीप,अंकित, अतुल और शारदा बत्रा ने व्यवस्था को सुचारू करने में भरपूर सहयोग दिया।

 इस मिलन समारोह में बच्चों ने  बताया कि, परिक्षा एवं पढाई के दौरान उन्हे किन-किन दिक्कतों का सामना करना पङता है। जिसे उसदिन वहाँ उपस्थित हमारे विशेष पत्रकार मेहमान जो, फ्री प्रेस , हिन्दुस्तान टाइम्स तथा पत्रिका से आये थे, उन्होने ध्यान से सुना तथा अपने-अपने समाचारपत्रों में जगह भी दी। मेरे लिये ये खुशी का पल इसलिये भी था कि, मिडिया हो या समाज अपने स्तर पर सहयोग कर रहा है। 


लेकिन फिरभी उन बच्चों को जिसतरह की सहायता मिलनी चाहिये वो पूरी तरह से मिल नही पा रही है। बहुत से टेलेंटेड बच्चे हैं जिनको आज नौकरी की तलाश है। शिक्षा पूर्ण करने के बाद यदि उन्हे रोजगार मिल जाये तो उनके जीवन का अंधेरा दूर हो जायेगा और समाज में सम्मान से जीवन यापन कर सकते हैं। आज मेरे कई विद्यार्थी बैंक में एवं विद्यालयों में कार्यरत हैं। परन्तु अभी भी अनेक प्रतिभावान बच्चे ऐसे हैं जिन्हे रोजगार की तलाश है। 

अतः मित्रों, मेरा आप सबसे निवेदन है कि, दृष्टीबाधित बच्चों की योग्यतानुसार उन्हे काम उपलब्ध कराने का प्रयास करें। आपका उनके प्रति किया गया प्रयास उन्हे हौसला देगा और उनकी जिंदगी को नई सुबह देगा। 

धन्यवाद ः) 

Monday, 15 February 2016

उत्साह ; सफलता का बल है (The real secret to success is enthusiasm)


जीवन में आगे बढने की तम्मना हर किसी में अंकुरित होती है। इस धरती पर शायद ही कोई ऐसा हो जो कामयाबी के सपने न देखता हो। परंतु कामयाबी हर किसी को नही मिलती क्योंकि कहीं न कहीं व्यक्ति की कार्य के प्रति उदासीनता राह में सबसे बङी अङचन होती है। वहीं, जो व्यक्ति पूरे उत्साह से अपने लक्ष्य के प्रति क्रियाशील रहता है वो लक्ष्य हासिल करने में सफल होता है।  उत्साह से परिपूर्ण व्यक्ति किसी भी समस्या का समाधान कर सकता है। उत्साह की हर नई सुबह नये पैगाम लाती है। जब हमसब बिते दिनों के बारे में सब भूलकर अपने नये दिन से मिलते हैं तो ऐसा आभास होता है कि,  मानो सारी शक्तियां स्वयं में विद्यमान है और हम अपने लक्ष्य को सहज ही प्राप्त कर सकते हैं।

स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा है कि, ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपने आंखों हाँथ रख लेते हैं और कहते हैं कि कितना अंधकार है। 

उत्साह तो गुलाब की तरह कोमल है, लेकिन इसकी ऊर्जा शक्ति विद्युत तरंग की भांति तन-मन को ऊर्जावान बनाती है। वाल्मीकि रामायण में भी लिखा है – उत्साह से बढकर कोई बल नही है। उत्साही व्यक्ति के लिये जगत में कोई वस्तु दुर्लभ नही है। इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हमसब अपने जीवन में देख सकते हैं। जब हम अपने मन में कार्य करने की प्रबल इच्छा रखते हैं तब ऐसी शक्ति हमारे अंदर आ जाती है कि, हमारा मन एवं दिमाग कहता है कि मुझे ये कार्य करना है और इस उत्साह के बल पर ही हम बङे से बङे काम भी क्षंणभर में करने के लिए तत्पर हो जाते हैं। उत्साह से व्यक्ति में साहस का संचार होता है। ये हमें जिंदादिल बनाए रखता है। उत्साह तो सार्थक जीवन की ऊर्जा है। उत्साह में धैर्य, संयम और सहनशील जैसे गुंण होते हैं जिसकी वजह से क्रोध को नियंत्रण करने वाला मानवीय गुंण का संचार होता है।

यदि हम दैनिक जीवन में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें तो स्वंय में उत्साह का संचार कर सकते हैं, जैसे -   रोज सेवेरे नये संकल्प लें और उसे पूरा करने का पुरजोर प्रयास करें। प्रातःकाल सभी प्रियजन को नमस्कार, जय श्री कृष्णा, गुडमार्निंग जैसे अभिवादन को मुस्कान के साथ अभिव्यक्त करें। अपने कार्यक्षेत्र पर सभी से खुश होकर पूरे उत्साह से मिलें। आशावादी विचारों का माहौल बनायें क्योंकि सकारात्मक व्यक्ति सदा दूसरों में भी पॉजिटिव ऊर्जा का संचार करता है। रोज सुबह आकाश की ओर देखिये पक्षी कितने उत्साह के साथ उङते हैं। धरती पर भी फूलों की खिली हुई मुस्कान को महसूस करें, ये वो एहसास हैं जो हमारे मन में नए उत्साह का संचार करते हैं। नये दिन के साथ नई शक्ति और नये विचार मन में आते हैं जो नये विकास की कहानी लिखते हैं। उत्साहित प्रयास से वो सब कुछ हमें मिलता है जो हमसे संबंधित है । अगर हमारे अन्दर उसे प्राप्त करने की क्षमता है

Enthusiasm is the yeast that makes your hopes shine to the stars

उत्साह के लिये प्रत्येक अवस्था एक समान है। जिस तरह गुलाब कांटो में भी खिलकर दुनिया को महकाता है। वह मुरझाने पर भी अपनी सुगंध नही त्यागता, उसी तरह हम सबको भी जिंदगी की कठोर एवं कांटो भरी डगर पर अपने उत्साह के साथ हर पल आगे बढना है। अपने लक्ष्य को उत्साह की मुस्कान के साथ पूरा करना है।


एक अनुरोधः- यदि आपके पास हिन्दी में कोई प्रेरणादायी लेख या सकारात्मक जानकारी है, जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया आप अपनी फोटो के साथ E-Mail करें 
voiceforblind@gmail.com पसंद आने पर हम उसे अपनी वेबसाइट पर आपके नाम एवं फोटो के साथ प्रकाशित करेंगे। Website link:- www.voiceforblind.com

धन्यवाद 




Thursday, 11 February 2016

माँ सरस्वती! वरदान दो।।


ऊँ गं गणपतये नमः , ऊँ ऐं ह्मी क्लीं महा सरस्वती देव्यै नमः 

विद्या की देवी माँ सरस्वती का विशेष पर्व है बसंत पंचमी जिसे हम सब श्रद्धा का भाव लिये उल्लास के साथ मनाते हैं। हंसवाहिनी, विद्यादायिनी माँ सरस्वती की कृपा से जीवन के सभी अंधकार, पल भर में दूर हो जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार माँ सरस्वती का प्रादुर्भाव ब्रह्मा जी के मुख से हुआ है। विद्या एवं वांणी की देवी माँ सरस्वती की पूजा का आह्वान सबसे पहले श्री कृष्ण जी ने किया था। श्वेत पुष्प और मोती के आभुषणों से सुसज्जित माँ सरस्वती के हाँथ में विणा विद्यमान हैं, जिसके सुर समस्त जगत में ज्ञान और सन्मार्ग का प्रकाश आलोकित करते हैं। बसंत की बहार लिये प्रगती का आधार हो माँ। हरित धरा पर सृष्टी का श्रृंगार तुम्ही से है। ज्ञान का भण्डार तथा सुरों को मिठास देने वाली माँ सरस्वती, हम सब आपके चरणों में वंदन करते हैं नमन करते हैं और प्रार्थना करते हैं :-  - - - -


मां शारदे! हंसासिनी!
वागीश! वीणावादिनी!
मुझको अगम स्वर-ज्ञान दो।।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।

निष्काम हो मन कामना,
मेरी सफल हो साधना,
नव गति, नई लय तान दो।
विद्या, विनय, बल दान दो।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।


यह विश्व ही परिवार हो,
सबके लिए सम प्यार हो,
'आदेश' लक्ष्य महान दो।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।

Tuesday, 2 February 2016

स्वच्छ भारत की कल्पना और हमारी सोच


मित्रो,  स्वच्छ और साफ सुथरे भारत की कल्पना आज एक अहम मुद्दा है और स्वस्थ भारत के लिये आवश्यक सोच भी है, जिसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी अपने एवं सरकार की योजनाओं के माध्यम से आगे बढाने का कार्य कर रहे हैं। ये भी सच है कि साफ सुंदर जगह पर रहना हर कोई पसंद करता है, फिरभी सड़कों पर ये कचरे का ढेर, सड़कों पर बहता नालियों का पानी, कचरे और बदबुदार टॉयलेट के साथ चलती ट्रेन या मॉल तथा सिनेमा हॉल में  यहाँ-वहाँ बिखरे कचरे यही बंया कर रहे हैं कि, स्वच्छ भारत का सपना अभी मिलों दूर है। इसकी सबसे बङी वजह है, स्वच्छता के प्रति हम सबकी उदासीनता। 

अभी हम बनारस से होकर आये हैं, जहाँ से स्वच्छ भारत का अभियान शुरु हुआ है। बनारस का मंजर अभी भी कचरों की ढेरियों तथा पान की पिको से लहलहा रहा है। गंदगी का आलम देखकर लगा कि चिराग तले अँधेरा और मन में एक प्रश्न भी उठा कि हाखिर ये कचरा आता कहाँ से है? विपक्ष की कोई चाल तो नही सरकार को बदनाम करने की ! तभी पिछे घर से एक महिला डस्टबीन लेकर निकली और सड़क पर कचरा फेंक कर चली गई।घर की छत पर हम खड़े हुए सोच ही रहे थे कि कहीं ये विपक्षी पार्टी की तो नही है किन्तु उसके घर पर तो भा.ज.पा. का झंडा लगा हुआ था। सड़क पर आते-जाते लोग कहीं भी पान की पीक थूक रहे थे। ये नजारा देख मेरे प्रश्न का उत्तर मिल गया।

मित्रों, कहीं भी कचरा या गंदगी हम लोग ही फैलाते हैं और सरकार को गालियां देते हैं। जब नगर निगम की गाड़ियां आती हैं तो उसे कचरा देने में आलस करते हैं और उसके जाने के बाद अपने ही घर के सामने कचरे का अंबार लगाते हैं। हम अपने अधिकारों के लिये खूब हल्ला मचाते हैं किन्तु जिम्मेदारियों से मुहँ मोड़ लेते हैं। विचार किजीये किसी के घर के सामने या मोहल्ले में कोई दूसरा गंदगी नही फैलाता बल्की वहीं के निवासी अपने आस-पास कचरे का साम्राज्य स्थापित करते हैं और अपने द्वारा फैलाई गंदगी का ठीकरा सरकार पर फोङते हैं।   ट्रेन के टॉयलेट में पानी बराबर रहता है फिरभी टॉयलेट यूज करने के बाद पानी नही डालते लिहाजा बदबु चारो तरफ फैलती है और तो और चिप्स एवं अन्य नाश्ते का पैकिंग कचरा कहीं भी फेंक देते हैं और गंदगी देखकर रेलमंत्रालय को खरी खोटी सुनाते हैं। ट्रेन हो या बस और शहर हो या गॉव हर जगह गंदगी हम लोग ही फैलाते हैं। आज हम पाश्चात्य सभ्यता के कपड़े पहनते हैं। ब्रांडेड चीजों से खुदको अपडेट करते हुए बेइंतहा इतराते हैं  लेकिन वहाँ के जागरुक नागरिकों की तरह शहर को स्वच्छ रखने की पहल खुद से नही करते। पढे लिखे शिक्षित लोग भी कहीं भी कचरा फेंक देते हैं। कहने को पॉश कॉलोनी होती है किन्तु उस कॉलोनी के पार्क में वहीं के बच्चे तथा रहवासी चिप्स के खाली पैकट फेंक देते है जबकि पार्क मे डस्टबीन रखा होता है। जब हम बङे ही स्वच्छता के प्रति जागरुक नही हैं तो बच्चों को क्या सीख देंगे। 

अपने भारत में भी एक ऐसा राज्य है सिक्किम जहाँ साफ सफाई का आलम ये है कि, उसकी तुलना फ्रांस से की जाती है। वहाँ की सरकार ने कानून में सख्ती बरती हुई है तथा वहाँ के नागरिकों में भी जागरुकता है जिसकी वजह से सिक्किम भारत का ऐसा राज्य बन गया है जहाँ स्मोकिंग भी हर जगह कोई नही कर सकता। उसके लिये स्मोकिंग जोन बने हुए हैं। कहने का आशय यही है कि यदि हम सब अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी समझते हुए अपने घर की तरह अपने मोहल्ले को भी साफ सुथरा रखें तो पूरा भारत साफ सुथरा और सुंदर बन जायेगा।

अपने देश में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो डंडे से और फाइन के डरके कारण ही सही कार्य करता है। ऐसे लोगों को सख्त कानून के तहत इस कार्य हेतु समझाना पङेगा।  मेरा एक सुझाव है सरकार को कि, हर शहर के पार्षद को ये निर्देश मिले कि यदि उनके एरिया में गदंगी मिली तो उनको जुर्माना भरना होगा और मोहल्ले या कॉलोनी में भी साफ सफाई न रहने पर उस जगह के सभी रहवासियों को जुर्माना भरना होगा। ऐसा करने से भी साफ सफाई रह सकती है।  अक्सर चलती बस से लोग कचरा फेंक देते हैं या थूक देते हैं ऐसे में बस चालक और कंडक्टर पर फाइन लगाना चाहिये फाइन के डर से वो अपने यात्रियों पर नियंत्रण रखेगा। उदाहरण के तौर पर बताना चाहेंगे कि, पिछले साल हम लोग अंडमान गये थे वहाँ ट्राइवल एरिया मे फोटो खींचना मना है यदि किसी ने खींचा तो उसको तो केवल 10,000 का फाइन है लेकिन ड्राइवर को 6 साल की सजा और ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लेने का प्रावधान है। इससे ये होता है कि हर गाडी़ का ड्राइवर सजग होता है कि उसके वाहन में बैठा यात्री फोटो न खींच सके। इस तरह की पहल को स्वच्छता के अभियान में भी अमल करने की आवश्यकता है। 

स्वच्छ भारत का असर हम सभी के स्वास्थ पर भी पड़ेगा। स्वच्छ और स्वस्थ भारत से निःसंदेह आर्थिक स्थिती में भी मजबूती आयेगी। गंदगी से उपजी बिमारियों से निज़ात मिलेगा। अतः हम सबको इस स्वच्छता के अभियान में जागरुक नागरिक की तरह योगदान देना चाहिये। जिससे सिर्फ सिक्किम ही नही सम्पूर्ण भारत स्वच्छता का प्रतीक बन जाये। स्वयं की जागरुकता अपने वतन के लिये सच्ची देश भक्ति होगी। आज हम सबका नारा हो, साफ सुथरा हो देश हमारा। 

धन्यवाद
जय हिन्द