Hello Friends
Greetings from voice for blind,
मित्रों, मुलाकातें तो बहुत लोगों की कई लोगों से होती हैं लेकिन कुछ मुलाकातें यादगार होती हैं, ऐसी यादों को आप सबसे Share करना चाहते हैं। पिछले दिनों मेरा इंदौर जाना हुआ, वहाँ कई दृष्टीबाधित बच्चे मुझसे मिलना चाह रहे थे। लिहाजा समय अभाव के कारण मैने सबको एक जगह ही बुला लिया था। उन बच्चों की मिलने की इच्छा देखकर मेरी खुशी में तो चार चांद लग गये क्योंकि वहां वो बच्चे भी आये जो मुझे जानते थे लेकिन हम उनको नही जानते थे। उनको अपने दोस्तों से पता चल गया था कि हम मिलने वाले हैं सबसे। हालांकी जिस जगह पर हम मिलने का प्रोग्राम रखे थे वो इंदौर के पवित्र स्थलों में से एक, रंणजीत हनुमान मंदिर में था।
Greetings from voice for blind,
मित्रों, मुलाकातें तो बहुत लोगों की कई लोगों से होती हैं लेकिन कुछ मुलाकातें यादगार होती हैं, ऐसी यादों को आप सबसे Share करना चाहते हैं। पिछले दिनों मेरा इंदौर जाना हुआ, वहाँ कई दृष्टीबाधित बच्चे मुझसे मिलना चाह रहे थे। लिहाजा समय अभाव के कारण मैने सबको एक जगह ही बुला लिया था। उन बच्चों की मिलने की इच्छा देखकर मेरी खुशी में तो चार चांद लग गये क्योंकि वहां वो बच्चे भी आये जो मुझे जानते थे लेकिन हम उनको नही जानते थे। उनको अपने दोस्तों से पता चल गया था कि हम मिलने वाले हैं सबसे। हालांकी जिस जगह पर हम मिलने का प्रोग्राम रखे थे वो इंदौर के पवित्र स्थलों में से एक, रंणजीत हनुमान मंदिर में था।
पूर्व निर्धारित समय के अनुसार सभी बच्चे दोपहर एक बजे पहुँच गये। सबसे पहले हम लोगों ने गंणेश वंदना की जिसको स्टेट बैंक में कार्यरत अर्जुन ने सुनाई तद्पश्चात हम सब मिलकर हनुमान चालिसा तथा राम स्तुति का पाठ किये। वहीं पर भोजन की व्यवस्था भी थी अतः हम सब हनुमान जी का प्रसाद ग्रहण किये।
यहाँ कई नये ऐसे साथी भी आये थे जो वाइस फॉर ब्लाइंड के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। लिहाजा उन सब लोगों का भी परिचय होनहार बच्चों से हुआ। हमारे साथी करन जो दृष्टीबाधित बच्चों को परिक्षा के दौरान सहलेखक का इंतजाम करते हैं, सुनिता मेम जो ग्रुप के माध्यम से बच्चों को अंग्रेजी में प्रशिक्षित कर रही हैं तथा मेरे सहयोगी सहलेखक नवदीप,अंकित, अतुल और शारदा बत्रा ने व्यवस्था को सुचारू करने में भरपूर सहयोग दिया।
इस मिलन समारोह में बच्चों ने बताया कि, परिक्षा एवं पढाई के दौरान उन्हे किन-किन दिक्कतों का सामना करना पङता है। जिसे उसदिन वहाँ उपस्थित हमारे विशेष पत्रकार मेहमान जो, फ्री प्रेस , हिन्दुस्तान टाइम्स तथा पत्रिका से आये थे, उन्होने ध्यान से सुना तथा अपने-अपने समाचारपत्रों में जगह भी दी। मेरे लिये ये खुशी का पल इसलिये भी था कि, मिडिया हो या समाज अपने स्तर पर सहयोग कर रहा है।
लेकिन फिरभी उन बच्चों को जिसतरह की सहायता मिलनी चाहिये वो पूरी तरह से मिल नही पा रही है। बहुत से टेलेंटेड बच्चे हैं जिनको आज नौकरी की तलाश है। शिक्षा पूर्ण करने के बाद यदि उन्हे रोजगार मिल जाये तो उनके जीवन का अंधेरा दूर हो जायेगा और समाज में सम्मान से जीवन यापन कर सकते हैं। आज मेरे कई विद्यार्थी बैंक में एवं विद्यालयों में कार्यरत हैं। परन्तु अभी भी अनेक प्रतिभावान बच्चे ऐसे हैं जिन्हे रोजगार की तलाश है।
अतः मित्रों, मेरा आप सबसे निवेदन है कि, दृष्टीबाधित बच्चों की योग्यतानुसार उन्हे काम उपलब्ध कराने का प्रयास करें। आपका उनके प्रति किया गया प्रयास उन्हे हौसला देगा और उनकी जिंदगी को नई सुबह देगा।
धन्यवाद ः)