ऊँ गं गणपतये नमः , ऊँ ऐं ह्मी क्लीं महा सरस्वती देव्यै नमः
विद्या की देवी माँ सरस्वती का विशेष पर्व है बसंत पंचमी जिसे हम सब श्रद्धा का भाव लिये उल्लास के साथ मनाते हैं। हंसवाहिनी, विद्यादायिनी माँ सरस्वती की कृपा से जीवन के सभी अंधकार, पल भर में दूर हो जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार माँ सरस्वती का प्रादुर्भाव ब्रह्मा जी के मुख से हुआ है। विद्या एवं वांणी की देवी माँ सरस्वती की पूजा का आह्वान सबसे पहले श्री कृष्ण जी ने किया था। श्वेत पुष्प और मोती के आभुषणों से सुसज्जित माँ सरस्वती के हाँथ में विणा विद्यमान हैं, जिसके सुर समस्त जगत में ज्ञान और सन्मार्ग का प्रकाश आलोकित करते हैं। बसंत की बहार लिये प्रगती का आधार हो माँ। हरित धरा पर सृष्टी का श्रृंगार तुम्ही से है। ज्ञान का भण्डार तथा सुरों को मिठास देने वाली माँ सरस्वती, हम सब आपके चरणों में वंदन करते हैं नमन करते हैं और प्रार्थना करते हैं :- - - - -
मां शारदे! हंसासिनी!
वागीश! वीणावादिनी!
मुझको अगम स्वर-ज्ञान दो।।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।
निष्काम हो मन कामना,
मेरी सफल हो साधना,
नव गति, नई लय तान दो।
विद्या, विनय, बल दान दो।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।
यह विश्व ही परिवार हो,
सबके लिए सम प्यार हो,
'आदेश' लक्ष्य महान दो।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।
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