Monday 27 March 2017

Inspirational Article; "कौन कहता है आसमां में सुराख नही हो सकता"

मित्रों, विक्रम संवत के अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा से देवी के नौ रूपों का आर्शिवाद लिये हिन्दु नव वर्ष का आरंभ होता है। नव वर्ष की इस बेला पर देवी मां की आराधाना एवं वंदना करते हुए  संकल्प करें... बुलंदी पर पहुंचने का, अपने लक्ष्य को हासिल करने का और अपने इस संकल्प को, आत्मविश्वास  की उमंग  तथा  जोश की ऊर्जा से भर दें। कहा जाता है कि, जब एक रास्ता बंद होता है तो दस रास्ते खुल जाते हैं इसलिये बाधाओं को दरकिनार करते हुए शक्ति के इस पावन पर्व पर सकारात्मक ऊर्जा के साथ निरंतर बढते रहें।  सच यही है, जीतता वही है जिसमें जीतने का विश्वास और मेहनत करने की लगन होती है क्योंकि हम कोई भी कार्य करें वो आरंभ से अंत तक निर्विघन पूरा हो ऐसी संभवाना कम होती। परंतु ऐसी स्थिती में अपने सपनों को वही साकार कर पाता है जो अपने संकल्प  कोआत्मविश्वास के प्रकाश से रौशन रखता है। 
मित्रों, ऐसे कई लोग हैं जिनका जिवन आसान नही था, किन्तु वे अपने दृणसंकल्प से आज ्अनेक लोगों के लिये प्रेरणास्रोत हैं.... मेजर देवेन्द्र पाल कारगिल युद्ध में अपना दायाँ पैर गँवा चुके थे, परंतु उन्होने इस घटना को अपने पर हावी नही होने दिया। एक बहादुर सैनिक की तरह इस जंग को भी अपने संकल्प से जीत गये। वे भारत के पहले ब्लेड रनर हैं। अब तक वे नौ मैराथन में हिस्सा ले चुके हैं, जिसमें से चार में देवेन्द्र बिना किसी कृतिम अंग के दौङकर ये सिद्ध कर दिये कि संकल्प शक्ति से कुछ भी असंभव नही है। 

पैदाइशी विकलांगता के अभिशाप को अस्विकार करते हुए शरद गायकवाङ ने हाँथ के अभाव में नौ वर्ष की आयु से तैरना शुरु किया। उनकी दृण इच्छाशक्ति का ही कमाल था कि, 2014 में उन्होने पैरा इंडियन एशियन गेम्स में लगातार 6 गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिये। इसी गेम में शरद गायकवाङ ने पी.टी.उषा के 25 साल पहले बनाये ओलंपिक रेकार्ड को भी ध्वस्त कर दिये। शरद  अपनी ज्वलंत जीवन शक्ती के बल पर 40 राष्ट्रीय पदक एवं 30 अंतर्राष्ट्रीय पदक से सम्मानित हो चुके हैं। देश को गौरवान्वित करने वाले शरद पहले ऐसे भारतीय युवा हैं, जो लंदन में आयोजित ओलंपिक 2010 में शामिल हुए थे। 


शिक्षा के क्षेत्र में CBSC 12वीं में 96% अंक लाकर सबको चौकाने वाले कार्तिक देख नही सकते लेकिन अपने हौसले के बल पर आज अमेरिका के प्रतिष्ठित, कैलिफोर्निया की स्टेनफोर्ड युनिवर्सिटी में अध्ययन कर रहे हैं। साइंस जैसे विषय के साथ भारत में अपना एक अलग मुकाम बनाना उनके लिये आसान नही था, फिर भी उनका मन विचलित नही हुआ और अपनी लगन से आगे बढते गये।  स्टेनफोर्ड युनिवर्सिटी ने  प्रतिभाशाली कार्तिक को अपने खर्चे पर अपने यहाँ एडमिशन दे दिया। 


दोस्तों, मेजर देवेन्द्र पाल, शरद गायकवाङ और कार्तिक ने अपनी कमजोरी को दृण संकल्प से  ताकत में बदल दिया। उन्होने अपने संकल्प से स्वयं के जीवन में कई आश्चर्य साकार किये हैं   और ये सिद्ध कर दिया कि, आसमां में भी सुराख किया जा सकता है। इनके जज़्बे को देखकर कहा जा सकता है .......





लक्ष्य भी है, मंज़र भी है,
चुभता मुश्किलों का खंज़र भी है !!
प्यास भी है, आस भी है,
ख्वाबो का उलझा एहसास भी है !!
फिर भी इतिहास रचने को हर हाल में तैयार है!!

अपने हौसले से उङान भरते हुए कहते हैं
अगर देखना चाहते हो,  तुम मेरी उड़ान को,
तो जाओ जाकर थोड़ा ऊँचा करो इस आसमान को |

आप सब अपने हौसले के बल पर आसमान की बुलंदी पर सफलता का परचम फैलाएं इसी मंगल कामना के साथ आप सबको नव वर्ष की हार्दिक बधाई


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2 comments:

  1. No words to express! Extremely inspirational !!!

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  2. No words to express ! Extremely inspirational !!!

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