Sunday, 5 April 2020

आओ आशाओं के दिए जलाएं

मित्रो, जिस तरह रात के बाद सुबह की किरण इस बात का आगाज करती हैं कि सब संभव है। उसी तरह निराशाओं के घनघोर अंधकार को आशाओं और उम्मीदों के उजाले से  हम सब मिलकर  कोविड 19  से व्याप्त निराशा के माहौल को 9 दिए के माध्यम से नौ दो ग्यारह कर सकते हैं।

मित्रों, उम्मीद तो वर्षों से दरवाजे पर खङी वो मुस्कान है, जो हमारे कानो में धीरे से कहती है सब अच्छा होगा। आइये रात 9 बजे हम सब मिलकर ....

"मन की अलसाई सरिता में, नई उम्मीदों की नाव चलाए। नभ की सिमाओं पर, आशाओं के दीप जलाएं।।"
धन्यवाद
अनिता शर्मा
voiceforblind@gmail.com

1 comment:

  1. बहुत अच्छा विचार था। मोदी जी ने सचमुच कोरोना वायरस को हारने में अपना पूरा जोर लगा दिया अब हमारा दायित्व है कि हम सब उनका सहयोग करें।

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