उजाले की किरण आएगी, सवेरा तो स्वर्णिम होगा। कल एक बेहतर दिन होगा। कोविड 19 हारेगा हम सबकी जीत का शंखनाद होगा इसी शुभकामनाओं के साथ सबसे पहले चिकित्सा से जुङे सभी बंदो को शत् शत् नमन करते हैं। तद्पश्चात सभी सुरक्षा कर्मी , सफाई कर्मी एवं स्वयं सेवकों और उनके परिवार को नमन करते हैं । ये वो लोग हैं जिन्होने धर्म से इतर अपने जीवन से बढकर इंसानियत को सर्वोपरी माना है और कहीं न कहीं स्वामी विवेकानंद जी के उद्देश्य को सार्थक कर रहे हैं.......
मानव सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है...
मित्रों, ये सच है कि आज की स्थिती तनावपूर्ण है और विपरीत परिस्थिती में निराशा का भाव पनपना एक साधरण सी बात है परंतु इसपर संयम के साथ विजय हासिल की जा सकती है। जीवन में धूप-छाँव की स्थिती तो हमेशा रहती है। सुख-दुख एवं रात-दिन का चक्र अपनी गति से चलता रहता है। ये आवश्यक नही है कि, हर पल हमारी सोच के अनुरूप ही हो।ये भी सच है कि कई बार विपत्ती मनुष्य को उसकी लापरवाही पर ध्यान दिलाने का अवसर देती है। दोस्तों, ज़िन्दगी तो हर कदम, एक नयी जंग है जिसे आत्मविश्वास से जीता जा सकता है।
मनोवैज्ञानिक जेम्स का कथन है कि, ये संभव नही है कि सदैव अनुकूलता बनी रहे प्रतिकूलता न आए।
मित्रों, ये सच है कि आज की स्थिती तनावपूर्ण है और विपरीत परिस्थिती में निराशा का भाव पनपना एक साधरण सी बात है परंतु इसपर संयम के साथ विजय हासिल की जा सकती है। जीवन में धूप-छाँव की स्थिती तो हमेशा रहती है। सुख-दुख एवं रात-दिन का चक्र अपनी गति से चलता रहता है। ये आवश्यक नही है कि, हर पल हमारी सोच के अनुरूप ही हो।ये भी सच है कि कई बार विपत्ती मनुष्य को उसकी लापरवाही पर ध्यान दिलाने का अवसर देती है। दोस्तों, ज़िन्दगी तो हर कदम, एक नयी जंग है जिसे आत्मविश्वास से जीता जा सकता है।
मनोवैज्ञानिक जेम्स का कथन है कि, ये संभव नही है कि सदैव अनुकूलता बनी रहे प्रतिकूलता न आए।
दोस्तों, कुदरत सबको हैरान कर देती है, कई बार मरुभूमी से पानी निकल जाता है तो कहीं बंजर धरती पर फूल खिल जाता है। ऐसे अनेक चमत्कार इस कुदरत में हमें देखने को मिल जाते हैं। असीमित उपलब्धियों और चमत्कारों से भरी इस धरती पर कोविड 19 महामारी की क्या मजाल जो ज्यादा दिन टिक पायेगी। इतिहास गवाह है कि, महामारी जब भी आई है उसने इंसानी जीवन को और अधिक व्यवस्थित किया है। इंसान के आचार विचार से लेकर कार्य व्यवहार में अकल्पनिय बदलाव हुए हैं। किसी भी महामारी का सकारात्मक पहलु ये है कि, इंसानी प्रतिरोधक क्षमता धिरे-धिरे किसी रोग या विषाणु के प्रति सामर्थ विकसित करती है। पूर्व में अनेक ऐसी महामारी को विश्व ने देखा है जो आज सामान्य बिमारी हो गई है। आने वाले समय में कोरोना का भी यही हस्र होगा। जब कोई आपदा आती है तो अपने साथ उसका निदान भी लाती है। आज भले ही कोबिड 19 का कहर चिंताजनक हो परंतु ये भी सच है कि इस बिमारी पर विजय प्राप्त करने वालों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है। मित्रों, आज कोबिड 19 का सफर चीन से शुरु हुआ है । ऐसा पहली बार नही हुआ है। 1347 में चीन के जहाजों से चुहे के माध्यम से प्लेग जैसी महामारी इटली पहुँची थी और इस महामारी ने आधे यूरोप को स्वाह कर दिया था। उस दौरान जिंदगी आज की तरह गतिशील नहीं थी लिहाजा इसका पैर अंर्तराष्ट्रीय सिमाओं पर बढने से पहले ही रोक दिया गया।
मित्रों, परिवर्तन प्रकृति का नियम है और प्रकृति हमेशा बेहतर कल लेकर आती है। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में होने वाले बदलाव कभी स्थिर नहीं रहते। कहते है! आवश्यकता आविष्कार की जननी है और परिस्थिती हमारी अदृश्य शिक्षक होती है जो विध्वंश में सृजन का मार्ग प्रशस्त करती है। पूर्व में आई महामारियों का इतिहास गवाह है कि कहीं साम्राज्वाद का विस्तार हुआ तो कहीं इसका हास हुआ। रहन सहन में सकारात्मक बदलाव भी आया। चौदहवीं सदी के पांचवें और छटे दशक में प्लेग की महामारी ने पूरे यूरोप में तांडव मचाया जिसने यूरोप की सामंतवादी व्यवस्था पर जमकर प्रहार किया तो 1897 में राइडरपेस्ट नामक वायरस ने यूरोपिय देशों को अफ्रिका के एक बङे हिस्से पर अपना औपनिवेश बढाने का माहौल दिया। उस दौरान अफ्रिका में इस वायरस ने 90 फीसदी मवेशियों को अपना काल बना चुका था जिससे वहां की आर्थिक और सामाजिक स्थिती पूरी तरह चरमरा गई थी। यूरोपिय देशों का जब विस्तार हुआ तो समुंद्री यात्राओं की शुरुआत भी हुई। अर्थव्यवस्था की नई तकनिकों का भी इजाद हुआ।
1918 में स्पेनिश फ्लू फैला जो आज के कोविड 19 जैसा ही था। उस दौरान इसने पांच करोङ जिंदगियों को अपाना शिकार बनाया था जिसमें 18 लाख भारतिय भी थे। उस समय भी शारीरिक दूरी और कोरंटाइन जैसे तरिके ही अपनाये गये थे।
मित्रों,1918 में वायरस की संकल्पना बिलकुल नई थी परंतु उसके बाद कई एंटीबॉयोटिक दवाओं की खोज हुई। इस महामारी के बाद सभी देश सोशलाइज्ड मेडिसिन और हेल्थकेयर पर आगे आये। रूस पहला देश था जिसने केन्द्रियकृत मेडिसिन की शुरुवात की। धिरे-धिरे ब्रिटेन अमेरिका और फ्रांस भी इसके अनुगामी बने। 1920 में कई देशों ने स्वास्थ मंत्रालयों का गठन किया। उसी दौरान विश्व स्वास्थ संगठन की परिकल्पना भी साकार हुई।
मित्रों, महामारी का इतिहास हमें यही सीख देता है कि, विपरीत परिस्थितियों में भी अपार संभावनाएं छुपी रहती है। अल्फ्रेड एडलर के अनुसार, “मानवीय व्यक्तित्व के विकास में कठिनाइंयों एवं प्रतिकूलताओं का होना आवश्यक है। ‘लाइफ शुड मीन टू यु’ पुस्तक में उन्होने लिखा है कि, यदि हम ऐसे व्यक्ति अथवा मानव समाज की कल्पना करें कि वे इस स्थिती में पहुँच गये हैं, जहाँ कोई कठिनाई न हो तो ऐसे वातावरण में मानव विकास रुक जायेगा।“ ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, ये महामारी नये युग का सूत्रपात करेगी। वर्तमान समय हमें ये सीख दे रहा है कि,हमारी प्रथमिकता क्या हो!....
मित्रों,1918 में वायरस की संकल्पना बिलकुल नई थी परंतु उसके बाद कई एंटीबॉयोटिक दवाओं की खोज हुई। इस महामारी के बाद सभी देश सोशलाइज्ड मेडिसिन और हेल्थकेयर पर आगे आये। रूस पहला देश था जिसने केन्द्रियकृत मेडिसिन की शुरुवात की। धिरे-धिरे ब्रिटेन अमेरिका और फ्रांस भी इसके अनुगामी बने। 1920 में कई देशों ने स्वास्थ मंत्रालयों का गठन किया। उसी दौरान विश्व स्वास्थ संगठन की परिकल्पना भी साकार हुई।
मित्रों, महामारी का इतिहास हमें यही सीख देता है कि, विपरीत परिस्थितियों में भी अपार संभावनाएं छुपी रहती है। अल्फ्रेड एडलर के अनुसार, “मानवीय व्यक्तित्व के विकास में कठिनाइंयों एवं प्रतिकूलताओं का होना आवश्यक है। ‘लाइफ शुड मीन टू यु’ पुस्तक में उन्होने लिखा है कि, यदि हम ऐसे व्यक्ति अथवा मानव समाज की कल्पना करें कि वे इस स्थिती में पहुँच गये हैं, जहाँ कोई कठिनाई न हो तो ऐसे वातावरण में मानव विकास रुक जायेगा।“ ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, ये महामारी नये युग का सूत्रपात करेगी। वर्तमान समय हमें ये सीख दे रहा है कि,हमारी प्रथमिकता क्या हो!....
रविन्द्र नाथ टैगोर ने कहा है कि, “हम ये प्रर्थना न करें कि हमारे ऊपर खतरे न आएं, बल्कि ये प्रार्थना करें कि हम उनका सामना करने में निडर रहें”
अतः मित्रों, आज की स्थिती को देखते हुए सकारात्मक सोच के साथ घर पर रहें बाहर न जायें क्योंकि कोरोना बहुत स्वाभिमानी है वो ूतब तक आपके घर नही आयेगा जब तक आप उसे घर लेकर नहीं आयेंगे इसलिये स्वयं को और समाज को स्वस्थ रखने में पूरा सहयोग करें सोशल डिस्टेंसिगं को अमल करें घर पर रहते हुए विश्व कल्याण की प्रार्थना करें। मित्रों, सच तो ये ही है कि, हर मुश्किलों का एक सुनहरा अंत होता है। क्या हुआ आज खुशियों का पतझङ है किंतु पतझङ के बाद ही बसंत आता है ये भी जरूर याद रखिये......
अपनी शुभकामनाओं के साथ कलम को यहीं विराम देते हैं.......
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
जयहिंद वंदे मातरम्
अनिता शर्मा
very well weitten with so very useful facts of history. this is the reason history is important so as to learn from mistakes and build on strong foundations.
ReplyDeleteWell said and positive. Messages for society
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ReplyDeleteVery well said and knowledgeable for us. Thank you .
सकारात्मक लेखन....
ReplyDeleteउम्मीद जगाती उर्जा व सकारात्मकता से पूर्ण इस लेख के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteaapki post pad kar dil khush ho gaya
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