Wednesday, 30 October 2024

भारतीय पर्व-उत्सव (शुभ दीपावली )


भारत के प्रमुख त्योहारों में दीपवली विशेष पर्व है, इसे आलोक पर्व के रूप में मनाते हैं। कृषी प्रधान देश भारत में हजारों वर्ष पूर्व इस उत्सव का प्रचलन ऋतुपर्व के रूप में हुआ था। समयानुसार इस पर्व के साथ महत्वपूर्ण एतिहासिक घटनाएं प्रचलित होने लगी। दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व प्राचीन ग्रंथ सनत्कुमार संहिता  से मिलता है, जिसमें दानवराज बलि के कारागार में बंद देवी लक्ष्मी को वामन अवतार  भगवान विष्णु जी द्वारा मुक्त कराने का उल्लेख है। वैदिक साहित्य के अतिरिक्त अन्य प्राचीन भारतीय साहित्य में भी दीपावली का अनेक प्रसंग है। स्वच्छता की दृष्टी से ये पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। घर की सफाई के लिए चूना, नीलाथोथा आदि कीटनाशक पदार्थों का प्रयोग सीलन, दुर्गंध और अस्वास्थकर वातावरण को दूर करते हैं। असंख्य दीपों से उत्पन्न होने वाला प्रकाश, वर्षा ऋतु में पैदा होने वाले किटाणुों का नाश करता है। दीपक में जलने वाले 
सरसों के तेल का धुआँ सासों के जरिये संक्रामक कृमियों का संहार करता है। 

शुभता और स्वच्छता के प्रतीक पर्व पर ईश्वर से यही कामना करते हैं कि,  दिपोत्सव की रोशनी पूरे साल हताशा के अंधेरे को नष्ट कर सबके घर-आंगन-मन को रोशन करती रहे। अंधेरे के आकाश को परास्त करने वाले नन्हें से दीपक सा साहस हम सब में भी बना रहे। इसी मंगल कामना के साथ  सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

Wednesday, 2 October 2024

जय माता दी 🙏 प्रार्थना की शक्ति


मित्रों, आइये हमसब मिलकर, माँ दुर्गा की आराधना और प्रार्थना करते हैं।नवरात्री के विशेष पर्व पर प्रार्थना की अद्भुत शक्ति को समझने का प्रयास भी करते हैं। 

जब भी हम सब पुरी आस्था से अपने - अपने ईश्वर की प्रार्थना करते हैं तो एक संबल मिलता है और हमारा आत्मबल मजबूत हो जाता है। 

साथियों , जब हमारे चारों ओर निराशा और अंधकार के बादल मंडराने लगते हैं तो हम किसी ऐसे की तलाश करते हैं, जिससे हम अपनी बात कह सकें। तब हमारी तलाश ईश्वर पर ही खतम होती है। ईश्वर का सबल मिलते ही हमारा आत्मबल मजबूत होने लगता है। 

प्रार्थना के लिये किसी भाषा या व्याकरण की जरूरत नही है। आवश्यकता है पूर्ण आस्था के साथ अपने ईश के समक्ष संपूर्ण समर्पण। प्रार्थना से हममें ऐसी ऊर्जा का संचार होता जिससे हममें विपरीत परिस्थिती में भी सही सोच रखने का साहस मिलता है। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि, प्रार्थना से अंतर्मन की सोई ऊर्जा सक्रिय हो जाती है, जिससे कई बार तो असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है। ध्यानयोग्य बात ये है कि, प्रार्थना के समय हमारा मन पूरे विश्वास के साथ ईश्वर के प्रति केंद्रित होना चाहिये। प्रार्थना का अभिप्राय ये कदापी नहीं है कि, हमारे सभी कार्य पूर्ण हो जायेंगे। बल्की हमें उचित कार्य करने और सही दिशा में  अग्रसर होने की शक्ति प्राप्त होती है। 

कहते हैं, ईश्वर भी उसी की सहायता करते हैं जिनको स्वयं पर विश्वास होता है। प्रार्थना से ध्यान का अभ्यास भी होता है। प्रार्थना करते समय व्यक्ति का मंदिर में होना जरूरी नही है लेकिन व्यक्ति के मन में ईश्वर का होना जरूरी है। जब विचार, इरादा और प्रार्थना सब सकारात्मक हो तो जिंदगी अपने आप सकारात्मक हो जाती है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, प्रार्थना ऐसे करो कि सबकुछ भगवान पर ही निर्भर करता है और प्रयास ऐसे करो कि सबकुछ आप पर निर्भर करता है। 

अपनी कलम को विराम देते हुए यही कहना चाहेंगे कि , प्रार्थना और विश्वास दोनों अदृश्य हैं, परंतु दोनों में इतनी ताकत है कि नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं। विश्वास बनायें रखें सब अच्छा होगा 🙏

माँ की कृपा हमसब पर सदैव बनी रहे इसी मंगलकामना के साथ सभी पाठकों को दुर्गा उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 



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