मित्रों, आइये हमसब मिलकर, माँ दुर्गा की आराधना और प्रार्थना करते हैं।नवरात्री के विशेष पर्व पर प्रार्थना की अद्भुत शक्ति को समझने का प्रयास भी करते हैं।
जब भी हम सब पुरी आस्था से अपने - अपने ईश्वर की प्रार्थना करते हैं तो एक संबल मिलता है और हमारा आत्मबल मजबूत हो जाता है।
साथियों , जब हमारे चारों ओर निराशा और अंधकार के बादल मंडराने लगते हैं तो हम किसी ऐसे की तलाश करते हैं, जिससे हम अपनी बात कह सकें। तब हमारी तलाश ईश्वर पर ही खतम होती है। ईश्वर का सबल मिलते ही हमारा आत्मबल मजबूत होने लगता है।
प्रार्थना के लिये किसी भाषा या व्याकरण की जरूरत नही है। आवश्यकता है पूर्ण आस्था के साथ अपने ईश के समक्ष संपूर्ण समर्पण। प्रार्थना से हममें ऐसी ऊर्जा का संचार होता जिससे हममें विपरीत परिस्थिती में भी सही सोच रखने का साहस मिलता है। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि, प्रार्थना से अंतर्मन की सोई ऊर्जा सक्रिय हो जाती है, जिससे कई बार तो असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है। ध्यानयोग्य बात ये है कि, प्रार्थना के समय हमारा मन पूरे विश्वास के साथ ईश्वर के प्रति केंद्रित होना चाहिये। प्रार्थना का अभिप्राय ये कदापी नहीं है कि, हमारे सभी कार्य पूर्ण हो जायेंगे। बल्की हमें उचित कार्य करने और सही दिशा में अग्रसर होने की शक्ति प्राप्त होती है।
कहते हैं, ईश्वर भी उसी की सहायता करते हैं जिनको स्वयं पर विश्वास होता है। प्रार्थना से ध्यान का अभ्यास भी होता है। प्रार्थना करते समय व्यक्ति का मंदिर में होना जरूरी नही है लेकिन व्यक्ति के मन में ईश्वर का होना जरूरी है। जब विचार, इरादा और प्रार्थना सब सकारात्मक हो तो जिंदगी अपने आप सकारात्मक हो जाती है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, प्रार्थना ऐसे करो कि सबकुछ भगवान पर ही निर्भर करता है और प्रयास ऐसे करो कि सबकुछ आप पर निर्भर करता है।
अपनी कलम को विराम देते हुए यही कहना चाहेंगे कि , प्रार्थना और विश्वास दोनों अदृश्य हैं, परंतु दोनों में इतनी ताकत है कि नामुमकिन को मुमकिन बना देते हैं। विश्वास बनायें रखें सब अच्छा होगा 🙏
माँ की कृपा हमसब पर सदैव बनी रहे इसी मंगलकामना के साथ सभी पाठकों को दुर्गा उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
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