Friday, 10 January 2025

गर्व करो हम हिंदु हैं (स्वामी विवेकानंद जी की जयंति पर विशेष)




सम्पूर्ण ब्रहमांड में हिंदुत्व का परचम लहराने वाले स्वामी विवेकानंद जी की जयंति पर उनका नमन करते हैं, वंदन करते हैं। गर्व से कहो हम हिंदु का जयकार लगाने वाले हम सबके प्रेरणास्रोत यशस्वी स्वामी विवेकानंद जी ने अपने आचार-विचार, व्यवहार एवं उपदेशों से संपूर्ण विश्व को हिंदु धर्म के प्रति नतमस्तक कराया है। आपने अपने उद्बोधन में कहा है कि,

“मुझे उस धर्म से संबन्धित होने का गौरव प्राप्त है, जिसने संसार को सहिषूणता और सर्वस्वीकृति का पाठ पढाया है। गर्व है उस धर्म पर जिसकी पवित्र भाषा संस्कृत में अंग्रेजी के शब्द एक्सक्लूजन का अनुवाद ही नही हो सकता।“

विभिन्न स्रोतों से निकलकर जिस तरह नदियां अंततः समुंद्र में मिलती हैं। उसी तरह हिंदु धर्म समुंद्र की तरह विशाल है जिसमें सभी समाहित हैं। अमेरिका में अपनी एक सभा में स्वामी जी ने एक कहानी सुनाकर हिंदु धर्म की विशेषता बताई थी, वो कहानी इस प्रकार है......

एक कूंए में एक मेंढक जन्म से रहता था। वह जल के क्षुद्र जंतुओं और किङों को खाकर मोटा तगङा हो गया था। एक दिन समुंद्र से एक मेंढक उधर आया और कूंए में गिर गया। कूपमंडुप मेंढक ने पूछा तुम कहां से आये हो! दूसरे ने कहा मैं समुंद्र से आया हूं। कूपमंडुप मेंढक ने पूछा समुंद्र कितना बङा है और इतराते हुए एक छलांग लगा ली कूंए में। दूसरे मेंढक ने कहा मित्र, तुम संमुद्र की तुलना कूंए से कैसे कर सकते हो! कूपमंडुप मेंढक चिढकर बोला जा जा मेरे कुएं से बङा समुंद्र हो ही नहीं सकता। कूपमंडुप मेंढक की तरह ही अनेक धर्मावलंबी संकीर्ण भाव की कलह के कारण यही सोचते हैं कि उनका धर्म सबसे बङा है।

परंतु सच तो ये है कि, हिंदु धर्म जिसने संसार के सभी धर्मों और देशों के उत्पिङित और निराश्रित लोगों को अपने यहां आश्रय देता है। हिंदु धर्म तो वो है जिसने इसराइलियों के अवशेषों को अपने में सुरक्षित रखा है। हिंदु धर्म पर गर्व है उसने महान जोरोस्त्रियन राष्ट्र को आश्रय दी और आज भी पालन कर रहा है। गीता में कहा गया है कि, विभिन्न-विभिन्न रूची के अनुसार , विभिन्न कुटिल एवं सरल मार्ग से चलने वाले लोग सब आकर मुझमें यानि हिंदु धर्म में ही शरण लेते हैं।

स्वामी जी अपनी बात जिस शालिनता से कहते थे, उससे शायद ही कोई रुष्ट होता था। स्वामी जी सभा में गीता को प्रचारित प्रसारित करते हुए कहते हैं कि, आज की यह सभा संसार की सर्वश्रेष्ठ सभाओं में से एक है, गीता में कही बात का संकेत है। गीता में  कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि, हे अर्जुन! जो भक्त मुझे जिस प्रकार भजते हैं, मैं भी उनको उसी प्रकार भजता हूं। क्योंकि सभी मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं। विश्व की धरा पर सबसे प्राचीन और समभाव का प्रतीक हिंदु धर्म है।

ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, स्वामी जी द्वारा विश्व पटल पर हिंदु धर्म की अलौकिक समिक्षा हम सबको गौरवांवित करती है। शांति की पताका लिए हिंदु धर्म शौर्य का प्रतीक है। पुरषोत्म राम का त्याग, कृष्ण की लिलाओं का सजिव वर्णन है हिंदु घर्म। सूर, कबीर, मीरा रैदास की मधुर वाणी का संगीत है हिंदु धर्म। अतिथि देवो भवः का संस्कार है हिंदु घर्म। इसी स्वाभिमान से भरे भावों में हम अपनी कलम को विराम देते हैं.. हिंदु धर्म के उज्जवल प्रकाश में रोम-रोम स्वाभिमान से कहता है,, गर्व हमें हम हिंदु हैं

जय हिंद वंदे मातरम्

जय हिंदु धर्म

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