मित्रों , नवरात्री के इन दिनों हम सब दुर्गासप्तशती के कई श्लोकों का स्मरण करते हैं । शारदीय नवरात्र सिद्धी और साधना के साथ आत्मविश्वास को प्रबल करने का भी पर्व है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, आज जिस तरह की भागदौङ वाली जिंदगी है, ऐसे में आध्यात्म , ध्यान और हमारे श्लोक जीवन को सरल बनाने में बहुत उपयोगी हैं। मेरा ऐसा मानना है कि, शक्ति के इस पावन पर्व पर अपने जीवन को सरल और शांत रखते हुए आत्मविश्वास को बढाने के लिए अर्गलास्रोत का पाठ बहुत सहयोगी है। अर्गलास्रोत का पाठ मानसिक चिंता और भय को कम करने का आध्यात्मिक उपाय है। ये स्रोत जीवन की नकारात्मक ऊर्जा को कम करता है। अर्गलास्रोत का अर्थ ही है बाधाओं का निवारण करते हुए आगे बढना। अर्गला स्रोत का वर्णन मार्केंडय पुराण में मिलता है। इस पाठ का एक श्लोक हैः-
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु ।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
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