Friday, 7 November 2025

Purple Fest 2025



बाधाएं आती हैं आएं


घिरें प्रलय की घोर घटाएं,


पावों के नीचे अंगारे,


सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,


निज हाथों में हंसते-हंसते,


आग लगाकर जलना होगा.


कदम मिलाकर चलना होगा.”

साथियों , उपरोक्त पंक्तियों को शब्दों से बाहर हकीकत की दुनिया में हमने जीवंत होते हुए देखा। गोआ परपल फेस्टिवल में जिंदगी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए ऐसे लोगों से मिले जिनके हौसलों को बाधाओं की आंधियां भी रोक न सकीं। आज जहां हम छोटी-छोटी परेशानियों में इतने परेशान हो जाते हैं कि अवसाद में चले जाते हैं। कुछ लोग तो अवसाद में आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं। ऐसे में हमें उन लोगों से जरूर मिलना चाहिये जो अनेक शारीरिक परेशानियों के बावजूद जिंदगी को आशावादी नजरिये से देखते हैं और खुश होकर आगे बढ रहे हैं। कहते हैं, अनुकूलता-प्रतिकूलता से मिलकर ही जीवन बनता है और संसार चलता है। सामान्य इंसान की तरह अवतारी महापुरूषों का जीवन भी अनगिनत परिक्षाओं से गुजरा है।

साथियों, गोआ में 9 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक परपल फेस्टिवल का आयोजन हुआ था। जिसका आगाज “समावेशी, प्रतिभा और सशक्तीकरण” थीम से हुआ। इसमें दिव्यांगता की सूची में शामिल सभी 21 श्रेंणियों के लोग उपस्थित थे। उनमें से कई लोगों ने अपनी सशक्त प्रतिभा से सभी को प्रेरित किया। मुझे भी अनेक लोगों से मुलाकात का अवसर प्राप्त हुआ। दिव्यांगजन द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखकर सब मंत्र मुग्ध हो गये। इस कार्यक्रम में फिल्म सितारे जमीं के कलाकार भी उपस्थित थे। दिव्यांग लोगों के लिए अनेक खेलों का भी आयोजन था। गोआ सरकार ने समुंद्र में होने वाले खेलों का भी विशेष आयोजन किया था, जैसे- स्कूबा डाइविंग, पैरासेलिंग, जेट स्किनिगं इत्यादि। इसके अतिरिक्त अनेक विषयों पर गोष्ठी का आयोजन, हुआ। गोआ की प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक भ्रमण की भी विशेष व्यवस्था सभी दिव्यांग लोगों की सुविधानुसार थी।

हर तरफ रात में सकारात्मक संदेश देते हुए तारों जैसा नजारा था, शारीरिक परेशानियों के बावजूद क्रूज में जाने का उत्साह हो या नृत्य करने का जोश पूरा माहौल उल्लासमय था। वहां जिनसे भी मेरी बात हुई उन सबसे बहुत कुछ सीखने को मिला। उन सबमें एक बात कॉमन थी कि, जीवन जितना भी है जीवन को खुश होकर जीयो, कमियां तो सबके जीवन में हैं, उसको गिनते रहेंगे तो जीवन का आनंद कब लेंगे।

दोस्तों, सत्य भी यही है कि, विपरीत परिस्थितियों में भी अपार संभावनाएं छुपी हैं। अल्फ्रेड एडलर के अनुसार, “मानवीय व्यक्तित्व के विकास में कठिनाइंयों एवं प्रतिकूलताओं का होना आवश्यक है। ‘लाइफ शुड मीन टू यु’ पुस्तक में उन्होने लिखा है कि, यदि हम ऐसे व्यक्ति अथवा मानव समाज की कल्पना करें कि वे इस स्थिती में पहुँच गये हैं, जहाँ कोई कठिनाई न हो तो ऐसे वातावरण में मानव विकास रुक जायेगा।“

दोस्तों, इस फेस्टीवल में सभी दिवयांग लोगों के लिए अनेक नये-नये उपकरण देखने को मिले। मेरा कार्यक्षेत्र दृष्टीदिव्यांग लोगों के लिए है इसलिए पूरा फोकस उनसे सम्बंधित उपकरण पर अधिक रहा। दृष्टीबाधित लोगों के लिए ऐसे स्कैनर थे जिससे वो समाचार पत्र हो या कोई भी किताब आराम मे पढ सकते हैं। परंतु दुविधा ये है कि इन उपकरणों की किमत आम लोगों की पहुंच से बहुत दूर है। एक कंपनी ऐसी भी मिली जो सभी दिव्यांगता के अनुकूल कपङे बना रही है। दृष्टीदिव्यांग लोग छूकर कपङे का टेक्सचर एवं डिजाइन बता सकते हैं। कपङे पर बारकोड लगा रहे जिसको स्कैन करके उस परिधान का पूरा विवरण मिल जायेगा। बार कोड से तो और भी बहुत सुविधा का पता चला। सौरभ यादव का पिकस्ट्री एआई ऐसा नया उद्यम है जो फ़ोटो को दृष्टीबाधित लोगों के लिए ऑडियो में बदल देता है। जिससे तस्वीर नाम, रिश्ते, घटनाएँ और माहौल के साथ सुनाई देती है। वहीं बनारस के उद्यमी सत्यप्रकाश मालवीय का कार्य भी प्रभावशाली दिखा। वो स्वयं दृष्टीबाधित हैं, उनका अद्वितीय मसाले का व्यपार केवल स्वाद नहीं, सम्मान की कहानी कहता है। उनका उद्देश्य है- काशी की विधवा महिलाओं और दृष्टिबाधित साथियों को रोज़गार देना, जिससे उनका जीवन भी सम्मान से व्यतीत हो। नई टेक्नोलॉजी को अपने साथ लेकर निर्माता आनंद विजय की फ्लॉप फ़िल्म्स (Flop Films) एक ऐसी एजेंसी है जो वीडियो कैम्पेन, विज्ञापन फ़िल्में और मनोरंजन सामग्री तैयार करती है। यह सम्भवतः दुनिया की एकमात्र क्रिएटिव एजेंसी है जिसका नेतृत्व दृष्टीबाधित निर्माता द्वारा किया जा रहा है।

मित्रों, यहां ये बताना भी आवश्यक है कि, दिव्यागंता की सूची में 21 प्रकार हैं- अंधापन:कम दृष्टि,कुष्ठ रोग ,श्रवण-बाधित, चलने-फिरने में अक्षमता, बौनापन, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, बौद्धिक अक्षमता जैसे कि डिस्लेक्सिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया,सऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, सेरिब्रल पाल्सी, मानसिक रोग, एसिड अटैक पीड़िता,पार्किंसंस रोग, सिकल सेल रोग, मल्टीपल हैंडीकैप (बहु-विकलांगता), बोलने और भाषा की अक्षमता, विशिष्ट सीखने की अक्षमता, अन्य विशिष्ट दिव्यांगताएँ जो अधिनियम के तहत सूचीबद्ध हैं।

यहां ये भी समझ लेना चीहिये कि, इसे परपल फेस्टीवल क्यों कहते हैः-

दोस्तों, पूरी दुनिया में परपल यानी बैगनी रंग को दिव्यांग आंदोलन से जोङा गया है। जैसे कि हरा रंग पर्यावरण का सूचक गुलाबी रंग एल जी बी टी का सूचक है और लाल रंग श्रमिक आंदोलन को दर्शाता है। बैगनी रंग दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण, गरिमा, सम्मान और समाज में उनके योगदान को स्वीकार करने की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। इस आयोजन का उद्देश्य है कि, संपूर्ण भारत के दिव्यांग कारिगरों, उद्यमियों और कलाकारों की प्रतिभा को एक मंच प्रदान करना और दिव्यांगो की सांस्कृतिक और खेल उपलब्धियों को बढावा देना। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि ऐसे आयोजनो से उस प्रदेश की आर्थिक लाभ में भी दिव्यांगजन की भूमिका को नकारा नही जा सकता।

साथियों, गोआ की सास्ंकृतिक और सामाजिक ढांचे को देखने के बाद मेरा ये मानना है कि, परपल फेस्टीवल के लिये गोआ वाकई उपयुक्त स्थल है। मेरी नजर से गोआ में जो पूर्तगाली रंग-बिरंगी , खुशनुमा जङें हैं वो ऐसे आयोजन को और भी सकारात्मक बनाती हैं। बङे-बङे नारियल के पेङ और पहाङों के बीच रंगबिरंगे फूलों से सजे घर एवं दूकानें, वहां के स्थानिय लोगों के चटक रगों से सजे परिधान ये दर्शाते हैं कि जीवन खुशनुमा है इसे प्रकृति ने सभी सकारात्मक रंगों से रंगा है। मित्रों, मेरी नजर से गोआ की खूबसूरती अगले किसी लेख में फिर कभी लिखने का प्रयास करेंगे। परपल फेस्टीवल में उपस्थित सभी दिव्यांगजनों की जीवन के प्रति सकारात्मक सोच से गोआ और भी खुशनुमा हो गया था। वहां के सभी महाविद्यालय के बच्चे हों या सरकारी महकमें के अधिकारी सभी खुश होकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे थे। पंणजी कलेक्टर हो या मुख्यमंत्री सबका स्नेह सभी दिव्यांगजन को मिल रहा था।

मित्रों गोआ में परपल फेस्टीवल देखने के बाद मेरा ये मानना है कि, अनुकूल परिस्थिती में सफलता मिलना कोई आश्चर्य की बात नही है। परन्तु विपरीत परिस्थिती में सफलता अर्जित करना, किचङ में कमल के समान है। जो अभावों में भी हँसते हुए आशावादी सोच के साथ लक्ष्य तक बढते हैं, उनका रास्ता प्रतिकूलताओं की प्रचंड आधियाँ भी नही रोक पाती। अनुकूलताएं और प्रतिकूलताएँ तो एक दूसरे की पर्याय हैं। इसमें स्वंय को कूल (शान्त) रखते हुए आगे बढना ही जीवन का सबसे बङा सच है।😊

धन्यवाद

जय हिंद, वंदे मातरम्


दिये गये विडियो में गोआ की सकारात्मक झलकिंयां

























Monday, 27 October 2025

नई सोच की नई पहल (Voice for Blind launches a new venture into finance)


साथियों, आज हमें आप सबसे सांझा करते हुए बहुत खुशी होरही है कि, मेरे द्वारा पढाये दृष्टीदिव्यांग बच्चे आज देश की अर्थव्यवस्था में टेक्स देकर अपना योगदान दे रहे हैं। बैंकर बनकर तो कहीं शिक्षक का कार्यभार संभालते हुए अपने तथा अपने परिवार का आत्मसम्मान से जीवनयापन कर रहे हैं। एक खास बात ये भी है कि, मेरी बिटिया जो मुझे अक्सर फाइनेंशियल सपोर्ट करती थी उसने प्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने की पहल की है जो मेरे लिए गर्व का पल है। उसकी राय से वाइस फॉर ब्लाइंड ने एक नई पहल की शुरुवात की है जिसका उद्देश्य है—

विभिन्न कार्यक्षेत्र में संलग्न दृष्टीदिव्यांग साथियों की वित्तिय व्यवस्था को सुगम बनाना

इस उद्देश्य के मद्देनजर 25 अक्टुबर 2025 को एक वित्तिय कार्यशाला का आयोजन इंदौर में आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य बिंदुओं को रेखांकित किया गया

1- स्वतंत्र वित्तिय सुरक्षा योजना

2- परिवार के साथ सुरक्षित भविष्य योजना

3- आयकर विवरणी दाखिल करने संबंधित जानकारी

4- बच्चों की परिवरिश हेतु वित्तिय योजना


उपरोक्त विषय पर आयोजित कार्यशाला में अनेक प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। कार्यशाला में वित्तिय प्रबंधन, इंश्योरेंस तथा कर व्यवस्था को लेकर विशिष्ट वक्ताओं द्वारा जानकारी दी गई। कार्यशाला में मुख्य वक्ताओं में सी.ए.  हरीष जी, जितेंद्र जी ,पायल जी एवं सी.ए. आकांक्षा जी द्वारा उपरोक्त विषयों पर जानकारी सांझा की गई। कार्यशाला के दौरान सभी के प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास भी किया गया।

शिक्षा से एक कदम आगे बढकर वाइस फॉर ब्लाइंड द्वार ये पहला प्रयास था, जो सोच के अनुरूप सफल रहा। कार्यशाला में उपस्थित अनेक लोगों ने कर प्रणाली को लेकर प्रश्न किये तो कुछ ने पूछा भविष्य में अपना पैसा कहां इंवेस्ट करें और बच्चों के लिये तथा रिटारमेंट की क्या योजना बनायें। एन.पी,एस योजना को लेकर भी चर्चा हुई। पेनकार्ड को लेकर भी जानकारी सांझा की गई। उपस्थित साथियों में से भी कई लाभदायक जानकारी का पता चला। साइबर सुरक्षा को लेकर मनोज राठौर द्वारा महत्वपूर्ण जानकारी सांझा की गई।

कार्यशाला में फॉर्म 26 को लेकर असमंजस की स्थिती का भी पता चला। टी.डी.एस को लेकर कई प्रश्न पूछे गये। शेयर मार्केट पर भी चर्चा हुई।फॉर्म 16 और फॉर्म 15 पर भी चर्चा हुई। तद्पश्चात सभी लोगों ने गीत संगीत के माहौल में लंच किया।

मित्रों, वित्त से संबंधित जानकारियां अथाह है और ये आम बात है कि, सभी कर्मचारी को सभी जानकारी हो ऐसा प्रायः नही होता है। ऐसे में समय-समय पर आगे भी ऐसे कार्यक्रमों से हमसब लाभान्वित हों इसका प्रयास करते रहेंगे। सबसे ज्यादा टी.डी.एस को लेकर प्रश्न थे अतः इस विषय पर विस्तृत चर्चा हेतु आयोजन करने का विचार समिति द्वारा निकट भविष्य में किया जा रहा है। कार्यशाला की जानकारी वाट्सअप के माध्यम से आप सबको अवश्य दी जायेगी और हमें विश्वास है कि, भविष्य में और अधिक से अधिक संख्या में हमारे साथी आयेंगे एवं अपनी जानकारी को भी सांझा करेंगे।

सभी के उज्वल भविष्य की कामना करते हुए निम्न श्लोक के साथ कलम को विराम देते हैं...

विद्या ददाती विनयं,विनियाद् याति पात्रताम्।

पात्रत्वात् धनमान्प्रोतिः, धनात् धर्म ततः सुखम्।।












Tuesday, 23 September 2025

नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं


मित्रों , नवरात्री के इन दिनों हम सब दुर्गासप्तशती के कई श्लोकों का स्मरण करते हैं । शारदीय नवरात्र सिद्धी और साधना के साथ आत्मविश्वास को प्रबल करने का भी पर्व है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, आज जिस तरह की भागदौङ वाली जिंदगी है, ऐसे में आध्यात्म , ध्यान और हमारे श्लोक जीवन को सरल बनाने में बहुत उपयोगी हैं। मेरा ऐसा मानना है कि, शक्ति के इस पावन पर्व पर अपने जीवन को सरल और शांत रखते हुए आत्मविश्वास को बढाने के लिए अर्गलास्रोत का पाठ बहुत सहयोगी है। अर्गलास्रोत का पाठ मानसिक चिंता और भय को कम करने का आध्यात्मिक उपाय है। ये स्रोत जीवन की नकारात्मक ऊर्जा को कम करता है। अर्गलास्रोत का अर्थ ही है बाधाओं का निवारण करते हुए आगे बढना। अर्गला स्रोत का वर्णन मार्केंडय पुराण में मिलता है। इस पाठ का एक श्लोक हैः-


विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु ।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥

हम सब इस मंत्र के माध्यम से जगत जननी से विद्या, धन और ऐश्वर्य की प्रार्थना करते हैं। ऐसे ही अर्गला स्रोत के सभी श्लोक के पाठ से मां भवानी अपने अशिर्वाद से हमेशा हम सबको वरदान देती रहें, इसी मंगल कामना के साथ आप सबको नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं।

पूर्व के लेख को पढने के लिए लिंक पर क्लिक करेंः--- 


Sunday, 2 March 2025

जीवन का अवस्मरणिय पल



मित्रों, हम सब के जीवन में अनेक ऐसे पल आते हैं जो अनमोल होते हैं। मेरे जीवन में भी 22 फरवरी 2025 का एक ऐसा पल है जो अवस्मरणिय रहेगा। दरअसल मेरे नाती राग (कक्षा नर्सरी) के विद्यालय विबग्योर(VIBGYOR) में ग्रांटपेरेंट्स डे मनाया गया। मेरा सौभाग्य कि मुझे इस कार्यक्रम में उपस्थित होने का अवसर मिला। राग के दादा-दादी भी आये थे। इस कार्यक्रम में बच्चों के साथ कुछ के दादा-दादी तो कुछ के नाना-नानी आये थे।

मित्रों, आज जिस तरह से रोजगार की वजह या अन्य वजह से एकल परिवार अपनी जङों से दूर हो रहा वहां स्कूल के माध्यम से दादा-दादी एवं नाना-नानी को महत्व देना और बच्चों के साथ विद्यालय परिसर में समय व्यतीत करने का अवसर देना एक सार्थक सोच है। एक बच्ची के साथ तो पङोस में रहने वाली दादी आई क्योंकि उसके दादा-दादी नहीं आ पाये थे, इस बात से इस कार्यक्रम का महत्व और भी बढ जाता है।

कहते है, मूल से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है। नन्हे मुन्ने जिवंत फूलों के साथ नाचना, खेलना समय व्यतीत करना ऐसा पल है जिससे जिंदगी को नई ऊर्जा मिलती है और बच्चों के साथ अपने बच्चों का बचपन याद आ जाता है।

फिलहाल ग्रांडपेरेंट कार्यक्रम में सभी पुराने गीतों के साथ हम लोगों को खेलने का मौका दिया गया। सभी दादा-दादी एवं नाना-नानी ने सभी खेलों को पूरी उत्साह से खेला और बच्चों की तरह चिटिंग भी की जिससे बच्चे बुढे एक समान की कहावत सत्य हुई। उम्र का तकज़ा है इसलिए कुछ स्टिक के सहारे थे फिर भी खेल में जोश बराबर था। हम सबको अपना बचपन जीने का भी अवसर मिला। सभी बच्चे भी बहुत उत्साहित थे।

सभी प्यारे-प्यारे नन्हे-नन्हे बच्चों ने स्वागत गीत (Welcome Song) से हम सबका स्वागत किया और हमलोगों के लिए प्यारा सा डांस भी किया। बच्चों की मीठी आवाज के जादू से सब मंत्रमुग्ध हो गये। पूरा विद्यालय ऐसे सजा था मानो हम लोगों का ही विद्यालय हो। सभी शिक्षिकाओं की मेहनत का ही परिणाम था कि, पूरा माहौल एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान कर रहा था। VIBGYOR विद्यालय ने बच्चों के अभिभावकों के अभिभावक को विद्यालय में आमंत्रित करके अपने सातरंगों के इंद्रधनुषी नाम को सार्थक कर दिया। भविष्य में अन्य विद्यालय भी इस सोच को बढावा दें यही अभिलाषा है।

ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, प्रत्येक सदस्य खुशी का अनुभव कर रहा था। सच ही तो है, बच्चे तो भगवान का रूप होते हैं ,उनके साथ रहने पर आत्मा स्वस्थ होती है। बच्चे हमारे सबसे मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन हैं। ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि, हमारे बच्चों के अनमोल बच्चे सदैव स्वस्थ रहें, मस्त रहें अपने अभिभावकों और शिक्षकों के सही मार्दर्शन से भारत का उज्जवल भविष्य लिखें, यशस्वी बने। मेरे जीवन का तो ये अविस्मरणिय पल था, उस पल जो अनुभूति हुई उसे शब्दों में बताना पूर्णतः संभव नही है।  अपनी भावना को व्यक्त करने का  एक प्रयास किये हैं। 


कुछ पंक्तियों के साथ अपनी कलम को विराम देते हैं

बच्चे मन के सच्चे , सारे जग के आँख के तारे

ये जो नन्हे फूल हैं वो, भगवान को लगते प्यारे

बच्चे मन के सच्चे..


"Children are like buds in a garden and should be carefully and lovingly nurtured, as they are the future of the nation and the citizens of tomorrow."

आप सभी पाठकों से निवेदन है कि, ऐसा कोई पल जो आपके लिए महत्वपूर्ण हो कमेंट में अवश्य शेयर करें 
धन्यवाद
जय हिंद वंदे मातरम् 

Monday, 17 February 2025

पंगु बनती कार्यक्षमता, जिम्मेदार कौन...


कर्मण्यैवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचना

कर्म प्रधान देश में जहां अनादी काल से सभी श्रेष्ठ विद्वानों ने गीता के कर्म योग को सर्वोपरी रखा है वहीं आज लगभग सभी राजनितिक दल अपने वोट हित को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए एक अकर्म मानसिकता को जन्म दे रहे हैं। जीवन यापन के लिए रोटी, कपङा, मकान और दवा सब मुफ्त में मिल रहा है। चुनाव के पहले बिजली फ्री, राशन फ्री ,पानी फ्री की उलझन के साथ बहनों के लिए योजनायें महिने में कहीं 1200सौ रुपये तो कहीं 2500 सौ रुपये देने की घोषणां। जनाब जरा सोचिये जीवन यापन की सामग्री के साथ पॉकेट मनी भी। इतना फ्री में मिलने के बाद कौन बुद्धीमान काम करना चाहेगा।

आज खेतों पर काम के लिए मजदूर नही हैं, पहाङों पर बोझा ढोने वाले नहीं हैं। जो हैं उनमें मेहनत करने की शक्ति नही है। मुफ्त की रेवणी बांटने वाले ये भूल गये हैं कि, फ्री में तो हम सांस भी नही ले सकते एक देकर ही एक सांस मिलती है तभी जिवन संभव है। सोचिए यदि मुफ्त स्वाद हमारी फौज को लग जाये तो देश का क्या होगा।

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा,

रामचरित मानस की यह खूबसूरत चौपाई कर्म के महत्व को बताती है
जिसमें गोस्वामी तुलसीदास कर्म के महत्व को बताते हुए कहते हैं , यह जगत, यह विश्व कर्म प्रधान है..

हम विकासशील देश की दहलीज पर हैं ऐसे में मानवीय क्षमता का पतन करके किस दिशा में जायेंगे। जनाब! ये मुफ्त का बंटवारा आखिर किसके पैसे से हो रहा है ये भी गम्भीर प्रश्न है। क्या ये बंटवारा नेता अपनी जेब से देते हैं , आप तुरंत कहेंगे कि ये हमारा पैसा है जो टैक्स के रूप में सरकार ले रही है। तो भईया ये जुल्म ये सितम हमपे क्यों??? 

सोचिये जब भिक्षावृत्ति बंद कर रहे हैं तो फिर ये फ्री का समान भिक्षा नहीं है! हकीकत ये है कि, मुफ्त का भंडारा खाते-खाते लोगों की मानसिकता साम-दाम दंड भेद से फ्री वाले समान को ज्यादा कैसे हासिल करें इसी जुगाङ में लगी रहती है। मुफत में खाने वालों को पार्टी या पार्टी के सदस्यों से कोई लेना देना नही है, उनके लिए तो यही सर्वोपरी है कि किसकी रेवणी कितनी ज्यादा मिठी है। जनाब! आज मुफ्त का आलम देशहित से बङा हो गया है, एक खूंखार अपराधी भी मुफ्त में ज्यादा समान दे देने का वादा कर दे तो लोग उसको वोट दे देंगे। मुफ्त के वादे से आज परेशानी इतनी बढ गई है कि, सुप्रीमकोर्ट को भी सभी राजनिती दलों से कहना पङ रहा है कि, चुनाव से पहले मुफ्त की चीजें बांटने का वादा लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोङने की बजाय लोगों को परजिवी बना रहा है। जस्टिस बी आर गवई एवं आग्सटीन जॉर्ज की पीठ ने कहा कि, आज लोग काम करना नही चाहते।

सोचिये! हम किस मानसिकता को जन्म दे रहे हैं। ये भावना लोगों को अकर्मण्य बना रही है। पङे- पङे लोहे में भी जंग लग जाता है। काम न करने पर शारिरीक अंग जाम हो जाते हैं। लंबे समय तक मुफ्त की व्यवस्था मानसिक बिमारी को भी जन्म दे रही है। पानी सिर के ऊपर से गुजर रहा है अब भी नही समझे तो वो दिन दूर नही जब अकर्मठ की एक बङी आबादी दिमक की तरह देश को खोखला कर देगी।

“स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि, यदि हम कुछ प्राप्त करना चाहते हैं तो उसका एक ही उपाय है कर्म, इस जगत में कोई भी वस्तु बिना मूल्य के नही मिलती। हर वस्तु का मुल्य चुकाना होता है। जो देना नही चाहता वरन लेने की ही योजना बनाता है वो सृष्टी के नियमों से अनजान ही कहा जायेगा।“

ये कहना अतिश्योक्ती न होगा कि, सहायता करना अच्छी सोच है परंतु सहायता किसी को पंगु बना दे ऐसी व्यवस्था का जल्द से जल्द अंत होना चाहिए। अमर बेल की तरह मुफ्त की सहायता से कर्म शून्य हो रहा है। ऐसी परजीवी मानसिकता का बहिष्कार जरूरी है। आज चिंतन जरूरी है कि, पंगु बनती कार्यक्षमता का जिम्मेदार कौन... मित्रों, कर्म यदि सही दिशा में लगेगा तभी देश आगे बढेगा और हर किसी का जीवन पल सम्मान से गुजरेगा।

धन्यवाद 
जय हिंद जय भारत 



Wednesday, 12 February 2025

अद्भुत सम्मान समारोह

मित्रों, विकास के इस दौर में दृष्टीबाधिता के क्षेत्र में मुश्किलें सूरसा के मुख की तरह हैं, फिर भी अनेक सदस्य अपनी दृष्टीबाधिता को नकारते हुए आज समाज में नयी पहचान बना रहे हैं। राह आसान नही है फिर भी उनका मानना है कि, "ऑधियों को जिद्द है जहाँ बिजली गिराने की हमें भी जिद्द है वहीं आशियां बसाने की" ऐसी ही सोच के साथ आज अनेक दृष्टीदिव्यांग बच्चे सहयोग की उम्मीद लिय़े आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हैं। कहते हैं, पानी की एक-एक बूंद से सागर बनता है। उसी प्रकार अनेक व्यक्तियों के परस्पर सहयोग से ही मनुष्य का विकास संभव है। सहयोग की इसी भावना से परिपूर्ण अनीता दिव्यांग कल्याण समिति विगत 19 वर्षों से निरंतर दृष्टि दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रयास कर रही है। इसी श्रृंखला में अनीता दिव्यांग कल्याण समिति, इन्दौर के सौजन्य से VOICE FOR BLIND द्वारा दृष्टि दिव्यांगजनों के लिए एक निबंध लेखन प्रतियोगिता तथा सम्मान समारोह का आयोजन 10/02/2025 को माता जीजाबाई शासकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय, इन्दौर परिसर में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वति को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित करके किया गया। दृष्टि दिव्यांग बालिकाओं द्वारा सुरिली आवाज में सरस्वती वंदना तथा स्वागत गीत गाया गया।

समस्याओं के बीच में भी मन में समाधान का जज़बा लिये कई दृष्टि दिव्यांगजनों ने अपने विचार भेजे। उनके विचारों में स्पष्ट था कि वे विज्ञान की नई टेक्नोलॉजी के साथ इतिहास रचने को तैयार हैं। ऐसे ही विचारों में से निर्णायक मंडल द्वारा दो नाम चयनित किया गया। उज्जैन में जी.एस.टी विभाग में कार्यरत रूबी दूबे एवं इंदौर में बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा रोशनी अहिरवार को 1100रू.- 1100रू के नगद पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र तथा ब्रेल में गीता से पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में चयनित प्रतिभागियों ने अपने आलेख का प्रस्तुतिकरण भी दिया। आलेख का विषय थाः- दृष्टि दिव्यांगजनों को कार्यक्षेत्र में तथा शैक्षणिंक क्षेत्र में चुनौतियां एवं सम्भावनाएं

कार्यक्रम के सम्मान समारोह में मित्रज्योति फाउंडेशन बैंगलोर की संस्थापक तथा राष्ट्रीय सम्मान से पुरस्कृत डॉ. मधु सिंघल ने मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई। डॉ. मधु सिंघल स्वयं दृष्टि दिव्यांग है तथा पिछले 35 वर्षों से दृष्टि दिव्यांग महिलाओं के विकास हेतु कार्य कर रही हैं। उन्होंने विभिन्न कार्यक्षेत्रों में लगभग 5000 दृष्टि दिव्यांग महिलाओं को रोजगार दिलवाने में अपना योगदान दिया है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने छात्राओं का मार्गदर्शन भी किया तथा समिति द्वारा डॉ. मधु सिंघल को उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु सम्मानित भी किया गया।

इस सम्मान समारोह में माता जीजाबाई कॉलेज की पूर्व प्राचार्या डॉ. ऊषा कृष्णन, महाविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. बेला सचदेवा तथा धार उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की व्याख्याता श्रीमती तनुजा चक्रवर्ती को दृष्टि दिव्यांगजनों हेतु किए गए उनके योगदान हेतु समिति द्वारा सम्मानित किया गया तथा छात्राओं द्वारा उनका आभार भी व्यक्त किया गया। समिति द्वारा सभी सम्मानित सदस्यों को सम्मान पत्र के साथ श्रीमद्भगवत गीता की पुस्तक भेंट की गई।

इंदौर में दृष्टिदिव्यांग बालिकों की महाविद्यालय शिक्षा का प्रयास बेला सचदेवा द्वारा ही किया गया था। उनके प्रयास का की फल है कि आज अनेक बालिकाएं उच्च शिक्षा पाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हैं। विशेषतः बैंक में बहुत बालिकाएं कार्यरत हैं।

कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में गुरूकुल अकादमी की प्राचार्या श्रीमती सविता ठाकुर, महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ. अरुणा कुसमाकर, समाजसेवी एवं समिति सदस्य श्रीमती अनीता देसाई तथा समाजसेवी एवं समिति सदस्य श्रीमती प्रज्ञा शावरिकर ने सम्मिलित होकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। अथितियों ने अपने उद्बोधन में बच्चियों का उत्साह वर्धन किया तथा समिति के कार्यों की सराहना की एवं भविष्य में भी सहयोग का भरोसा दिया। जय शंकर प्रसाद जी कहते हैं कि,
औरों को हँसते देखो मनु
हँसो और सुख पाओ
अपने सुख को विस्तृत करलो
सबको सुखी बनाओ 

इस कार्यक्रम के महत्वपूर्ण सम्मान से पहले याद करिये वो स्वर्णिम पल जब शिक्षक और अभिभावक अच्छी पढाई, उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन या अच्छे व्यवहार के लिए शाबासी देते थे और ‘Keep it up’ कहकर हौसला बढाते थे। ये शब्द बाल सुलभ मन में उत्साह का संचार कर देते थे। कार्य को और बेहतर करने की प्रेरणा देते थे। इसी भावना को आगे बढाते हुए समिति द्वारा सफल पहल की शुरुवात की गई इसके तहत उन बालिकाओं को सम्मानित किया गया जो हमारी दृष्टिदिव्यांग बालिकाओं के लिये परिक्षा के समय उनकी कलम अर्थात राइटर बनकर सहयोग दे रहीं हैं। आज जहां युवा रील बनाने में , मोबाइल में व्यस्त है ऐसे में ये बालिकाएं अपना अमुल्य समय समाज सेवा में प्रदान कर रही हैं। सेवा के साथ-साथ अपनी पढाई पर भी ध्यान दे रहीं हैं। जहां खुद की परिक्षा में 3 घंटे लिखती हैं पर नियमानुसार दृष्टिदिव्यांग छात्राओं के लिये 4 घंटे का समय देती हैं। ऐसी ही 19 बालिकाओं को कार्यक्रम में प्रमाणपत्र तथा मेडल द्वारा सम्मानित किया गया। 
बालिकाओं के नाम इस प्रकार है—प्रियंका, सेजल, तनिषा, हर्षिता, योगिता, शीतल, अमिशा, पायल, कल्यांणी,आरती, तनिष्का, लकी, माही, निकिता, रूपा, आंचल, सरोज, कमल एवं खुशी इसमें से तनिशा 28 बार, हर्षिता 25 बार, तनिष्का 22 बार एवं योगिता 20 बार राइटर बन चुकी है। 10-12 बार भी कई बच्चियां अपना योगदान दे चुकी हैं। बीटेक की छात्रा अरुणिमा जोशी ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में शिद्दत से सहयोग दिया। स्वाभिमान आहत किये बिना सहायता करना उपरोक्त बच्चियों की संस्कृति है। पूरे कार्यक्रम में ये बच्चियां खुश होकर हर कार्य में सहयोग दे रहीं थीं। इन प्यारी बच्चियों को अनंत आशिर्वाद, रहीम दास जी का दोहा याद आ रहा है----
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥

स्वामी विवेकनंद जी ने कहा है कि-
"हमारा कर्तव्य है कि हम हर किसी को उसका उच्चतम आदर्श जीवन जीने के संघर्ष में प्रोत्साहन करें और साथ ही साथ उस आदर्श को सत्य के जितना निकट हो सके लाने का प्रयास करें।" हमें विश्वास है कि, इन बच्चियों से प्रेरित होकर भविष्य में और भी बच्चे सहयोग की मशाल को प्रज्वलित करेंगे।

कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. मनीष चौधरी द्वारा किया गया। डॉ. मनीष चौधरी राजनिती शास्त्र के प्रोफेसर एवं वक्ता हैं। दृष्टिदिव्यांगता को इन्होने कभी भी बाधा नहीं माना अपने प्रयासों से निरंतर आगे बढते रहे। समिति द्वारा आपको भी उत्कृष्ट मंच संचालन के लिए ब्रेल गीता एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन समिति अध्यक्ष श्रीमती अनीता शर्मा द्वारा धन्यवाद उद्बोधन से किया गया।

अंततः सभी पाठकों से निवेदन है कि, सहयोग देने वाली बालिकाओं का हौसला बढाने हेतु अपना संदेश ब्लॉग पर लिखें। मित्रों, प्रोत्साहन और प्रशंसा के भाव को शब्दो की अभिव्यक्ति दें क्योकि ये भाव एक मिठास की तरह है जो मन में मधुरता और कार्य में सकारात्मक गति प्रदान करते हैं। प्रोत्साहन और प्रशंसा की खुशबु को निश्छल मन से प्रसारित करें क्योंकि सफलता के रास्ते में ये अचूक औषधी है। कुछ पंक्तियों के साथ हम अपनी कलम को विराम देते हैं....

गौतम बुद्ध ने कहा है कि , किसी और के लिये दिया जलाकर आप अपने रास्ते का भी अंधेरा दूर करते हैं।

Kindness is a language which deaf can hear and blind can see


धन्यवाद
जय हिंद वंदे भारत

10 फरवरी 2025 के सफल कार्यक्रम को प्रजातंत्र,  
इंदौर समाचार  एवं राज
समाचार पत्र में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। 











 







Sunday, 2 February 2025

मां सरस्वती को नमन

 




या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां सरस्वती को नमन करते हैं और वंदन करते हैं। सभी पाठकों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं


🙏

Tuesday, 28 January 2025

क्रोध का मुख्य जनक हमारी अपेक्षाएं

आज के परिवेश में लगभग हम सब एक अजीब दुनिया में जीवन यापन कर रहे हैं। भागती दौङती जिंदगी महत्वाकांक्षाओं से इस तरह भरी हुई है जहां छोटी-छोटी बातें भी सूरसा के मुख के समान लगती हैं। ऐसे में कभी-कभी व्यवहारिक बातें भी अव्यवहारिक लगने लगती हैं। जिससे हमारे आचरण में क्रोध रस कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो जाता है।

आज यत्र-तत्र क्रोध का प्रकोप इस कदर बढ गया है कि यदि किसी ने किसी को अंकल कह दिया तो क्रोध आ जाता है। क्रोध भी ऐसा-वैसा नहीं ज्वालामुखी जैसा, हाल में अंकल कहे जाने पर व्यक्ति को इतना खराब लगा कि उसने क्रोधवश अंकल कहने वाले व्यक्ति को मार-मार कर उसकी जान ही ले ली। क्रोध का पारा इतना गरम हो चुका है कि इंसान की जान भस्म हो रही है। कर्मचारी को एडवांस देने से मना करने पर मालिक की कार में आग लगा देना। बात-बात में पागल कहना भी कितना खतरनाक हो सकता है इसकी कल्पना से ही मन सिहर जाता है। 2025 में ही एक भाई ने अपनी बहन को पागल कहने की वजह से मार दिया। ऐसी अनेक घटनाएं तेजी से बढ रही हैं, जहां बात छोटी होती है लेकिन क्रोध इतना खतरनाक रूप ले लेता है जिससे इंसान का जीवन तुच्छ हो जाता है। ऐसी घटनाएं हम सभी के लिए विचलित करने वाली हैं। क्रोध में हम सभी अपना आपा खो देते हैं, क्रोध में की गई प्रतिक्रिया का उग्र परिणाम अति दुःखद होता है। आजकल क्रोध का वृहद रूप मॉब लीचिंग के रूप में दिख रहा है, ये ऐसा जलजला है जो सबकुछ तबाह कर देता है।

ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, हम सब समझते हैं कि क्रोध अपने लिए एवं दूसरे के लिए भी हानिकारक है फिर भी गुस्से पर कंट्रोल नही कर पाते हैं। सच तो ये है कि, मनुष्य की संवेदनाओं में गुस्सा भी एक आवश्यक तत्व है लेकिन अति तो हर तत्व की बुरी है चाहे वो प्यार का व्यवहार ही क्यों न हो। क्रोध के कई कारण हो सकते हैं, कई बार जीवन में मिली असफलताएं भी गुस्से का कारण बनती हैं और कहीं का गुस्सा कहीं और निकलता है। मन की पिङा को स्पष्ट प्रकट न कर पाना भी क्रोध का कारण हो सकता है। क्रोध का कोई दायरा नहीं होता उसे अपना- पराया, बड़ा- छोटा, घर-बाहर कुछ भी दिखाई नही देता। क्रोध और तूफान एक समान होते हैं, क्योंकि इनके जाने के बाद ही हमें मालूम होता है कि कितना नुकसान हुआ है। क्रोध हमारा ऐसा हुनर है, जिसमें फंसते भी हम हैं, उलझते भी हम हैं, पछताते भी हम हैं और पिछङते भी हम हैं।

गीता में कहा गया है कि,
क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:। स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति'॥
अर्थातः- क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है। स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है जिससे मनुष्य खुद अपना ही का नाश कर बैठता है।

क्रोध का मुख्य जनक हमारी अपेक्षाएं हैं। मनमर्जी के अनुरूप काम नहीं हुआ तो गुस्सा आ गया। क्रोध की उग्रता नकारात्मक विचार की जनक है। क्रोध के कारण हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, सिरदर्द, नींद न आना, त्वचा और पाचन सम्बन्धी समस्याएं और शरीर की इम्युनिटी कम होने जैसी समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ रही हैं। क्रोध हवा का वह झोंका है जो बुद्धि के दीपक को बुझा देता है। क्रोध तो एक ऐसी स्थिती है जहां, जीभ मन से भी अधिक तेजी से काम करती है।

ये सारस्वत सच है कि क्रोध एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है पर इसका कितना अनुपात सकारात्मक दिशा देगा और कितना नकारात्मक दिशा में ले जायेगा ये हमको समझना होगा। जीवन में हमारी सोच और देखने के नज़रिए पर भी बहुत सारी चीजें निर्भर करतीं हैं । कई बार परेशानी का हल बहुत आसान होता है, लेकिन हम परेशानी में फंसे रहते हैं।

इस दुनिया में असंभव कुछ नहीं है, कहते हैं "मन के हारे हार है मन के जीते जीत"  हम यदि दृणसंकल्प करलें की क्रोध को पराजित करना है तो अनेक उपाय हैं। जिससे हम सहज रह सकते हैं। ध्यान और योग से मन को शांत रखने का प्रयास कर सकते हैं। गौतम बुद्ध के अनुसार पांच प्रकार से क्रोध को नियंत्रित कर सकते हैं.. मैत्रि से, करुणा से, मुदिता से, उपेक्षा से एवं कर्मों की भावना से।

धर्म और आध्यात्म के पहलु से विचार करें तो मन को शांत करने एवं क्रोध को दूर करने के लिए भगवान विष्णु के “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप कर सकते हैं। गुस्सा आने पर पानी पीना या गिनती बोलना या फिर गहरी सांसें लेना भी सकारात्मक उपाय है। क्रोध एक तेज़ गति से आने वाली नकारात्मक भावना है, जिससे ध्यान हटाकर भी उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

स्वामी विवेकानंद जी का कहना था कि, अगर कोई हमारी बुराई करे तो हमें गुस्से से बचना चाहिए और धैर्य से काम लेना चाहिए क्योंकि क्रोध तो खौलते पानी के समान है, क्रोधी व्यक्ति भलाई नहीं देख पाता और खौलते पानी में प्रतिबिंब नही दिखता।

कबीर दास जी कहते है----
"क्रोध अगनि घर घर बढ़ी, जल सकल संसार
दीन लीन निज भक्त जो, तिनके निकट उबार"

अर्थात-- क्रोध की अग्नि घर घर में जल रही है और उसमें सारा संसार ही जल रहा है। परंतु जो भक्त परमात्मा का स्मरण कर उसमें लीन रहता है यानि आध्यात्म से भी क्रोध से बचा जा सकता है।

अब हमें सोचना है कि, क्रोध को जिवन में महत्वपूर्ण स्थान देना है या नई सोच के साथ आगे बढना है क्योंकि, “क्रोध मूर्खता से शुरु होता है और पछतावे पर खत्म होता है”। अतः क्रोध में वो सब मत गंवाइये जो आपने शांत रहकर कमाया है। इच्छा पूरी नहीं होती तो क्रोध बढता है और इच्छा पूरी होती है तो लोभ बढता है। इसलिये जीवन की प्रत्येक स्थिति में धैर्य बनाये रखना ही श्रेष्ठता है।


🙏“ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय”🙏

अनिता शर्मा

 


















Saturday, 25 January 2025

76 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

 

लोकतंत्र का  पावन पर्व हमारे गौरव, त्याग और बलिदान का प्रतीक है।  राष्ट्रीय भावना का जिवंत अनुभव कराने वाले अनुपम पर्व, गंणतंत्र दिवस का हम सब मिलकर हर्षोउल्लास के साथ वंदन करते हैं। लोकतंत्र को साकार करने में स्वतंत्रता के महान व्यक्तित्व को सहसादर नमन करते हैं। विविघता में एकता, समता एवं सामंजस्य की अनूठी मिसाल लिए 26 जनवरी हम सबके लिए उच्चतम आदर्श का पल है।

आज संविधान के 75 वर्ष पूर्ण होने पर ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, संविधान ने राष्ट्र की विरासत को बहुत खूबसूरती से संजोया है। आज हम सब ये प्रण करें कि, भाषावाद, प्रांतवाद और संप्रदायवाद से निकलकर वशुधैव कुटुम्बकम्, सर्वेभवन्तु सुखिन: एवं वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिता: जैसे आदर्शों को आत्मसात करने का प्रयास करेंगे। इसी मंगलकामना के साथ सभी पाठकों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 

                                            जय हिंद वंदे मातरम् 

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Monday, 13 January 2025

मकर संक्राति की शुभकामनाएं

 


आसमान में सफलता की पंतग उङती रहे, रिश्तों में तिल गुढ की मिठास लिए प्यार और सम्मान बना रहे, मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास से मनता रहे, इसी मंगल कामना के साथ सबको मकर संक्राति की हार्दिक शुभकामनाए