जीवन में कामयाबी के शिखर तक पहुँचने के लिये सही नजरिये का विशेष महत्व है। सफलता के लिए सही एटीट्यूड जरूरी है, क्योंकि इसके बिना हम चाहे कितने ही टेलेंटेड क्यों न हों, सफल नही हो सकते। मित्रों, बाइबिल में लिखी एक कहानी आपको बताते हैं जिससे ये स्पष्ट हो जायेगा कि नजरिया सही हो तो लक्ष्य तक पहुँचना आसान होता है।
“गोलियथ नाम का एक ऱाक्षस था। उसने हर व्यक्ती के मन
में अपनी दहशत बैठा रखी थी। एक दिन की बात है कि 17 साल का डेविड नाम का एक भेंङ
चलाने वाला लङका अपने भाईयों से मिलने उसी गाँव में आया जहाँ लोग राक्षस के आतंक
से भयभीत थे। उसने अपने भाईयों से कहा कि आप लोग इससे लङते क्यों नही हो? तब लोगों ने कहा कि वो इतना बङा है कि उसे मारा नही जा सकता। डेविड ने
उन्हे समझाया कि बात ये नही है कि बङा होने की वजह से उसे मारा नही जा सकता, बल्कि
हकीकत तो ये है कि वह इतना बङा है कि उस पर लगाया निशाना चूक ही नही सकता। डेविड
ने उस राक्षस को गुलेल से लगातार पत्थर मार कर मार दिया। दोस्तों राक्षस वही था,
लेकिन डेविड का उसके लिये नजरिया अलग था। सकारात्मक नजरिये से उसने गाँव वालों को
राक्षस के आतंक से मुक्त कराया।“
सकारात्मक नजरिया रखने से हम अपनी किस्मत को खुद दिशा दे सकते हैं। उचित नजरिये के लिये मन की एकाग्रता
और आत्मविश्वास आवश्यक पहलु हैं।
यदि हम कोई
महान कार्य करना चाहते हैं तो सबसे पहले मन में आत्मविश्वास का भाव होना चाहिये,
क्योंकि जिस मनुष्य का मन संदेह, चिन्ता और भय से भरा हो, वह महान कार्य तो क्या, कोई सामान्य कार्य भी नहीं कर सकता। संदेह और संशय मन को कभी भी एकाग्र
नही होने देते।
संसार में जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं, यदि हम उनका जीवन इतिहास पढ़ें तो पाएंगे कि सभी में एक समानता थी और वह समानता थी- लक्ष्य के प्रति उचित नजरिया एवं आत्मविश्वास। ईसा, मोहम्द साहब, गुरुनानक देव, बुद्ध, कबीर, गाँधी, सुभाषचन्द्र बोस, भगत सिहं जैसे हजारों महापुरुषों ने जीवन में सकारत्मक होने का संदेश दिया। इनमें से किसी की भी परिस्थिती अनुकूल नही थी। हर किसी ने मुश्किलों से जूझकर उन्हे अपने अनुकूल बनाया। ईसा ने अपने हत्यारों के लिये भी प्रभु से प्रार्थना की कि प्रभु उन्हे क्षमा करना, इन्हे नही पता ये क्या कर रहे हैं। ऐसा कर उन्होने अद्मय सकारत्मकता का संदेश दिया। बुद्ध ने शिष्य आनंद को 'आधा गिलास पानी भरा है' का सकारात्मक संदेश दिया। ब्रिटिश पुलिस अधिकारी सांर्डस की हत्या के बाद भगत सिंह फूट-फूट कर रो पङे थे और कहा कि ये राजनीती हत्या है, कितना सुंदर जवान था! यह उनकी सकारत्मकता ही थी।
यदि हम विचारों का महत्व भलीभांति समझ लें और आत्मविश्वास तथा पुरुषार्थ के साथ लक्ष्य को कार्यरूप में परिणित करना आरंभ कर दें तो हमारी उन्नति के मार्ग स्वत: खुल जाएंगे।
धीरूभाई अंबानी ने कहा है
कि- “कठिन
समय में भी अपने
लक्ष्य को मत
छोड़िये और विपत्ति
को अवसर में बदलिए”
उनके उचित नजरिये
का ही परिणाम है रिलायंस ग्रुप जिसका विश्व
में अपना विशिष्ट स्थान है।
सकारत्मकता का अर्थ
सही चीजों और घटनाओं को सही परिप्रेक्ष्य में समझना होता। मेरे साथ ही बुरा क्यों
होता है, या मुझको लोग पसंद नही करते जैसी बिमार मानसिकता से शायद ही कुछ अच्छा
होता है बल्की मैं लोगो को पसंद करता हूँ की भवना से स्नेह एवं प्यार मिलता है।
अतः मित्रों, सही नजरिये एवं आत्मविश्वास से संपन्न मनुष्य
कमजोर परिस्थितियों में भी नही घबरायेगा। अनेक कठिनाइयों के होते हुए भी वह
प्रतिकूलता को अनुकूलता में बदल सकेगा। मनोवैज्ञानिक तो यहाँ तक कहते हैं कि
सकारात्मक सोच से अनेक असाध्य रोग भी ठीक हो सकते हैं। सही सोच को आत्मसात करके हम
जीवन की पुस्तक में सफलता की कहानी लिख सकते हैं। जो भी कार्य करें उसकी शुरुवात
सकारात्मक सोच से करें, क्योंकि प्रगति उचित नजरिये से ही मिलती है।
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