सामाजिक, राष्ट्रीय, अंर्तराष्ट्रीय तथा धार्मिक
एवं सांस्कृतिक आयामो में उथल-पुथल मचाता हुआ वर्ष 2013 कुछ अच्छी तो कुछ अमानवीय
घटनाओं से व्यथित कर गया। सामाजिक दंगे तो कहीं भ्रष्टाचार जैसी आसुरी प्रवृत्तियों
ने अनेकता में एकता की नींव को चोट पहुँचाई। तो कहीं आँगन और गलियारे में हँसती
खेलती छोटी-छोटी लङकियाँ बलात्कार की शिकार हुई। ये घटनायें सभ्य समाज के लिए किसी
अभिशाप से कम नही हैं।
अमानवीय आँधियों के बावजूद, वर्ष 2013 के कुहांसे
एवं तमस् के बीच में कुछ ऐसी सुखद घटनाएं घटी, जो 2014 को सुखद बनाने के लिए एक
सुखद प्रयास है। अग्नी 5 का सफलतम परिक्षण, लोकपाल बिल का पारित होना और देश की
राजधानी में नई सोच की सुबह के साथ एक अनोखी सरकार की पहल।
नया साल आते ही हमसब स्वंय से कुछ न कुछ वादा करते
हैं। अपने-अपने कार्य क्षेत्र में सफलता की कामना लिए बेहतर प्रयास करते है, किन्तु सब लक्ष्य तक नही पहुँच पाते क्योंकि
सफलता उन्ही को मिलती है जो हर बाधाओं को दृण संकल्प के साथ पूरी ईमानदारी से पार करते हैं।
कहते हैं, गहरी इच्छा हर उपलब्धी का शुरुआती बिन्दु होती है। जिस तरह आग की छोटी
लपटें अधिक गर्मी नही दे सकती उसी तरह कमजोर इच्छा भी बङे नतीजे नही दे सकती। जीवन में सफल होने के लिए अपने लक्ष्य के प्रति
जुनून होना भी बहुत जरूरी है। दूसरों पर निर्भर रह कर कामयाबी हासिल नही की जा
सकती। कामयाबी के लिए थोङी बहुत रिस्क भी लेनी चाहिए। कहावत भी हैः- No Risk No Gain.
लाला लाजपत राय ने कहा था कि “मनुष्य अपने गुणों
से आगे बढता है न की दूसरों की कृपा से।“ कहने का आशय ये है कि, सिर्फ सफल होने का प्रयास
न करें बल्कि मुल्य आधारित जीवन जीने वाला इंसान बनने का भी प्रयास करें क्योंकि
वास्तविक सफलता की ये प्रमुख ईकाइ है।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुलकलाम कहते हैं कि, “असफलता को भूलकर
अपनी स्थिती और ऊर्जा को पहचानो। उसी पथ का निर्माण करो, जिसके लिए तुम बने हो,
मंजिल तुम्हे जरूर मिलेगी। सपने जरूर देखो और उन सपनों को साकार करने की तीव्र चाह
अपने मन में पैदा करो।“
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ यही कामना
करते हैं कि, सभी के सपने साकार हों, 2014 की सुबह नई रौशनी का प्रकाश करे, जिसकी धूप से भारत में इंसानियत खिल उठे,
बेटीयां सुरक्षित हों तथा वसुधैव कुटुम्बकम का शंखनाद हो।
नया साल सभी के लिए मंगलमय हो