कल क्या होगा इस बात
को जानने के लिये लगभग हम सभी उत्सुक रहते हैं और भविष्य जानने के लिये ज्योतिष
विद्या के लगभग सभी तरीके अपनाते हैं। व्यपार में सफलता मिलेगी या नहीं, किसकी
सरकार बनेगी, परीक्षा का परिणाम कैसा होगा, नौकरी मिलेगी या नहीं, और तो और बच्चों
के विवाह से संबन्धित जानकारियों को जानने की उत्सुकता स्वाभाविक है। आज भविष्य को
जानने के कई तरीके हमारे आस पास विद्यमान हैं जैसे- टैरो कार्ड, अंक ज्योतिष, ग्रँफोलॉजी,
और पुराने समय से चले आ रहे कुछ संसाधन जिसका ज्ञान अधिकतम लोगों को है, जैसे- कुण्डली,
नाङी शास्त्र, हस्त ज्योतिषी इत्यादि। भविष्य के साथ आज लोगों के व्यक्तित्व की भी
परख करने के कई तरीके आजमाए जाते हैं।
आज का युग कंप्युटर
का युग है तो जाहिर सी बात है लोगों के व्यक्तित्व को जानने में कंप्युटर का भी
अपना योगदान है। कंप्युटर-फोंट्स के आधार पर लोगों के व्यक्तित्व को समझने का प्रयास किया जा रहा है। डॉ. एरिक की किताब ‘द साइकोलॉजी ऑफ फोंट्स’ के अनुसार समझदार और अच्छी तरह सोच-विचार कर काम
करने वाले लोग ‘कूरियर’ जबकि उत्तेजक और
बिंदास किस्म के लोग ‘जॉर्जिया’ या ‘शैली’ जैसे घुमावदार फोंट
काम में लेना पसंद करते हैं। टाइम्स न्यू रोमन जैसे फोंट समझौतावादी प्रकृति को
दर्शाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसी परंपरागत कंपनी में नौकरी के
लिये आवेदन करें तो सी.वी. बनाते समय ‘टाइम्स फोंट’ का इस्तेमाल करें यदि कंपनी आधुनिक है तो ‘वर्दाना’ फोंट्स का इस्तेमाल
करें। नौकरी छोङते समय ‘कूरियर न्यू' का
इस्तेमाल करें। अध्ययन के अनुसार पुरूषों को आयताकार जबकि महिलाओं को गोल और
घुमावदार फोंट पसंद आते हैं।
पिछले कुछ वर्षों से
ग्राफोलॉजी भी व्यक्तित्व- परीक्षण की एक लोक प्रिय प्रणाली बन गई है। केवल
इंग्लैण्ड में ही लगभग 3,000 बङी कंपनियां इस विधा को भर्ती-प्रक्रिया में
इस्तेमाल कर रहीं हैं। लिखावट के माध्यम से किसी के व्यक्तित्व के बारे व्याख्या
करने की यह पद्धति ग्राफोलॉजी (लीपि विज्ञान) कहलाती है। आजकल, न केवल चयन
प्रक्रिया में बल्कि मनोवैज्ञानिक विश्लेषण सहित बहुत से दूसरे क्षेत्रों में भी
ग्राफोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है। इसके द्वारा किसी व्यक्ति के मनोविज्ञान को
समझने की कोशिश की जाती है। वैवाहिक संबधों में भी दो लोग एक दूसरे के लिए उपयुक्त
हैं या नहीं, ये तय करने के लिये ग्राफोलॉजिस्ट की मदद ली जा रही है।
एक और रोचक प्रणाली
भविष्य को एवं व्यक्तित्व को बताने में कामयाब हो रही है, वो है कॉफी कप रीडिंग।
दानेदार कॉफी पीने के बाद कप में जो आकृतियां बनती हैं उसी से आने वाले कल के बारे
में बताया जाता है। कॉफी कप रीडिंग से भविष्य बताने का चलन लगभग 1400 साल पुराना
है। यह सिलसिला चीन से शुरू हुआ था, उसके बाद अरब देशों में कॉफी कप रीडिंग की
शुरूवात टर्की से हुई थी। इंग्लैण्ड में भी इसका चलन ज्यादा रहा किन्तु भारत में
यह बिलकुल नई तकनीक है। कॉफी कप रीडिंग के लिये घरों में मिलने वाली सामान्य कॉफी
का इस्तेमाल नहीं होता इसके लिये दाने दार कॉफी की जरूरत होती है और जो कप
इस्तेमाल किये जाते हैं वो यू शेप में चौङे फैले हुए होते हैं। इसमें दूध का भी
प्रयोग नहीं होता। कैरियर, शिक्षा, सेहत, रिश्तों की समस्या, पैसा आदि यानि जिसकी
जो समस्या हो वह बताई जा सकती है।
भविष्य बताने वाली
विधाओं में टैरो कार्ड इन दिनों बहुत तेजी से लोगों को आकर्षित कर रहा है। पिछले
दस वर्षों में टैरो कार्ड पढने वालों की संख्या पचास गुणा बढी है। ‘मिस्टिक इंडिया’ नामक
संगठन के अनुसार अकेले दिल्ली में लगभग 1200 कार्ड रीडर हैं। टैरो कार्ड मामूली
पत्ते नहीं होते। उन्हे एक खास आध्यात्मिक भाव के साथ भविष्यवाणी के लिये इस्तेमाल
किया जाता है।
आज तक ज्यादातर भविष्यवाणियां सही नहीं निकलती फिर भी हम सभी मानव के मन में भविष्य जानने की
उत्सुकता हमेशा नित नये तरीकों को आजमाती रहती है। सब कुछ जानते समझते हुए भी आज सब कुछ जल्दि जानने की प्रवृत्ति के कारण ही भविष्य बताने वालों का व्यवसाय खूब फल-फूल रहा है।
मित्रों, भविष्य जानने की कोशिश गलत नही है किन्तु भविष्य को जान कर केवल भाग्य भरोसे जीवन गुजारना एक गलत मानसिकता है। अतः कर्म पर अधिक विश्वास करना चाहिये क्योंकि भाग्य भरोसे हाँथ पर हाँथ रखकर बैठे रहना और असफलता पर भाग्य या किस्मत को कोसना गलत है।
aakhiri kuch lines bahut pasand aayin...sach yahi hai ki hamaara aaj hamaare kal kii den hai aur hamaara kal hamaare aaj kii den hoga.
ReplyDeleteAdbhut Jankari.....Hamai apne karm / kary sucharu roop se jaari rakhane chahiye, khali bhagya bharose beth kar kuchchh nahi hota......Brij Bhushan Gupta, New Delhi, 9810360393, 8287882178
ReplyDeleteDEEPAK MISHRA
ReplyDeleteAnita ji wakai,aap jo ye kaam kar rahi hai na..uske liye mai aap ko tahe dil se sukriya bolana chahuga...sach me wahi jindagi,jindagi hoti hai jo kaiyo ki jindagi rausan kare....
nice
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