भारत का इतिहास त्याग और बलिदान के गौरव को
समाहित किये हुए है। इसका हर पन्ना बलिदान की गौरवगाथा को सुनाता है। इतिहास का
ऐसा ही एक पन्ना, पन्ना धाय के बलिदान एवं स्वामीभक्ति की अनूठी मिशाल को
परिलाक्षित करते हुए स्वर्णअक्षरों से लिखा गया। माँ का ये रूप राजस्थान के लिये ही नही वरन
पूरे भारत वर्ष के लिये गौरव का प्रतीक है।
स्वामिभक्त वीरांगना पन्ना धन्य हैं! जिसने अपने कर्तव्य-पूर्ति में अपनी आँखों के तारे पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ राजवंश को बचाया। मेवाड़ के इतिहास में जिस गौरव के साथ महाराणा प्रताप को याद किया जाता है, उसी गौरव के साथ पन्ना धाय का नाम भी लिया जाता है, जिसने स्वामीभक्ति को सर्वोपरि मानते हुए अपने पुत्र चन्दन का बलिदान दे दिया था। पन्ना धाय राणा साँगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थीं। पन्ना धाय किसी राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं। अपना सर्वस्व स्वामी को अर्पण करने वाली वीरांगना पन्ना धाय का जन्म कमेरी गावँ में हुआ था। राणा साँगा के पुत्र उदयसिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना 'धाय माँ' कहलाई थी। पन्ना का पुत्र चन्दन और राजकुमार उदयसिंह साथ-साथ बड़े हुए थे। उदयसिंह को पन्ना ने अपने पुत्र के समान पाला था। उदयसिहं की माँ स्वर्ग सिधारते समय पन्नाधाय को बालक की परवरिश करने का दायित्व दे गईं थीं। पन्ना ने पूरी लगन से बालक की परवरिश और सुरक्षा की।
सन् 1535 मे
चितौड़ का असली उत्तराधिकारी , विक्रमादित्य का अनुज उदय सिंह, जब मात्र छ: वर्ष का था| दासी पुत्र बनबीर ने चितौड़ की राजगद्दी हथिया लेने की मंशा से
विक्रमादित्य की हत्या कर ,
लक्ष्य के एक
मात्र अवरोध चितौड़ के वंशानुगत उत्तराधिकारी बालक उदय को भी रास्ते से हटाने के
लिये उसके कक्ष की ओर बढा किन्तु पन्ना धाय को उसके अमानवीय इरादों का आभास हो गया
था। उसने तुरंत शिशु उदय सिंह को टोकरी में सुला पत्तियों से ढक कर एक सेवक को उसे
सुरक्षित निकालने का दायित्व सोंपा | फिर खाट पर उदय सिंह की जगह अपने पुत्र चंदन को लिटा दिया | सत्ता के मद में चूर क्रुद्ध बनबीर ने
वहां पहुँचते ही तलवार घोंप कर पन्ना के बालक को उदय समझ मार डाला | बलबीर को कुछ पता चलता उसके पहले ही
शिशु का अंतिम संस्कार कर दिया गया। स्वामिभक्त वीरांगना पन्ना धन्य हैं! जिसने अपने कर्तव्य-पूर्ति में अपनी
आँखों के तारे पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ राजवंश को बचाया।
त्याग की अद्भुत
मिशाल पन्ना धाय माँ को कभी भुलाया नही जा सकता। उनका नाम सदैव अमर है। ऐसी
विरांगना को मातृदिवस पर शत्-शत् नमन।
Har ek Maa ko naman. Thanks for this article.
ReplyDelete" MAA " is G R E A T.........
ReplyDeleteBrij Bhushan Gupta, New Delhi, 9810360393