Thursday, 31 March 2016

सेल्फी का जुनून

आजकल एक शब्द इस तरह से कॉमन हो गया है कि जिसको देश की सीमाएं या भाषाओं के बंधन भी नही रोक सकते। जी हाँ दोस्तों आप सही समझे वो शब्द है सेल्फी। सेल्फी लेने का ट्रेंड इन दिनों खूब चल रहा है। सेलिब्रिटी से लेकर आम लोग सभी सेल्फी के दीवाने हो गए हैं। हद तो 29 मार्च 2016 को हो गई जब मिश्र में एक व्यक्ति ने प्लेन हाई जेकर के साथ सेल्फी ली। सैल्फी आज फैशन का पर्याय बन गया है ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, सेल्फी लेना किसी सनक से कम नही है। प्रसिद्धी पाने का सस्ता और घटियां तरीका बन गया है। लगभग 2013 के बाद से तो ये एक जुनून बन गया है। 2013 में सेल्फी को ऑक्सफोर्ड ने वर्ड ऑफ द इयर बना दिया था। कई लोग अजीबो गरीब सेल्फी लेकर यू ट्यूब पर अपलोड कर देते हैं और विडियो वायरल होने पर अपने ऊपर फक्र करते हैं। खुद को पापुलर करने की ये सोच बहुत खतरनाक है जिसमें कई लोगों को तो अपनी जिंदगी से भी हाँथ धोना पङता है। सिडनी हार्बर में तो एक बोट पर दो पर्यटक सेल्फी लेने को लेकर आपस में झगङ पङे।

एक बार एक महिला का कार एक्सीडेंट हो गया वो कार से बङी मुश्किल से बाहर निकली चेहरे पर चोट लगी थी खून बह रहा था, कार में से धुआं निकल रहा था लेकिन वो महिला बाहर आते ही अपने चोट लगे चेहरे की सेल्फी लेने लगी और तो और कार के साथ भी बङी स्टाइल से सेल्फी ले रही थी। एक्सीडेंट होने पर उपचार की बजाय सेल्फी लेना किसी सनक से कम नही है। बॉलीवुड भी कैसे पिछे रहता तो वहाँ तो सेल्फी पर पूरा गाना ही बनाकर जनता को उत्साहित किया जा रहा है। ले ले भईया सेल्फी ले ले।

हांगकांग के तीन दोस्तों ने 1135 फुट ऊँची इमारत के शिखर पर चढकर सेल्फी ली। सेल्फी के चक्कर में कई नये व्यपार भी बढ गये जो इस सनक को बढावा देने के लिये आग में घी का काम कर रहे हैं। हम सबने एक वाक्य सुना होगा कि, कानून के हाथ लंबे होते थे लेकिन आज स्मार्ट होती इस दुनिया में फोन के हाथ भी लंबे हो सकते हैं। कई तरह की सेल्फी स्टिक आज बाजार में आ चुकी है। यहां तक कि टाइम मैगज़िन ने सेल्फी स्टिक को 2014 के सबसे बढ़िया आविष्कारों में से एक बताया है। सेल्‍फी क्लिक करने के शौकीन लोगों के लिए सेल्‍फी ड्रोन कैमरा भी बनाया गया है। सेल्‍फी स्टिक' पर मोबाइल को लगाकर वाइड एंगल में सेल्‍फी को क्लिक किया जाता है। वैसे सेल्फी स्टिक का इतिहास बहुत पुराना है किन्तु जिस तरह आज सेल्फी जुनून की हद हो गई है तो लगता है कि स्टिक भी अभी आई होगी। लेकिन स्टिक का आविष्कार हिरोशी यूएदा ने 1980 में किया था। यूएदा उस समय कैमरा निर्माता कंपनी मिनोल्टा के लिए काम करते थे। काम के दौरान ही उन्‍होंने सेल्फी स्टिक को विकसित किया। यूएदा खुद फोटोग्राफी के शौकीन थे।

युक्रेन के कुछ सैनिकों ने तो तोप में लगी बैरल गन को ही स्टिक बना लिया वे बैरल गन पे मोबाइल लगाकर सेल्फी ले रहे हैं और विडियो बना रहे हैं। इंटरनेट पर एक ऐसी सेल्फी भी दिखी जिसको लोगों ने भूत कहा और अपने डर का जिक्र किया। इस भूतीया सेल्फी में एक कपल मुस्कराता नज़र आ रहा है लेकिन इसमें चौकाने वाली बात ये है कि, कपल के पीछे मिरर है और मिरर के रिफलेक्शन में भी महिला का चेहरा सामने ही दिख रहा है। इस सेल्फी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि, क्या ये वाकई भूतीया है या किसी फोटो शॉप का कमाल।

हमारी राजनीति में सेल्फी का चलन प्रधानमंत्री के कारण ही बढ़ा है। मकसद तो सिम्पल था कि मतदान की नीली स्याही वाली उंगली दिखाना या बेटी के साथ सेल्फी लेकर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी को भेजना। अपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी तो कई बार अपने फैन के साथ सेल्फी ले चुके हैं। अमरीका के राष्ट्रपति भी जहां जाते हैं सेल्फी ले आते हैं। पहाड़ हो, ग्लेशियर हो, इंसान हो, मेमोरियल हो, हर जगह वे सेल्फी ले आते हैं। ऐसा लगता है कि, अब लोग इमारातों और शहरों को देखने नहीं जाते बल्की खुद को देखने जाते हैं। ताजमहल की खूबसूरती भी इस सेल्फी कल्चर के आगे कम हो गई है। पहले लोग ताज के सामने जाते ही अवाक हो जाते थे। अब ताज को देखते ही पीठ फेर लेते हैं। सेल्फी खिंचने लगते हैं। 


आज स्मार्ट फोन के साथ सेल्फी जुनून इस कदर स्मार्ट हो रहा है कि, छोटे-छोटे बच्चे भी इसकी गिरफ्त में आ गये हैं और वक्त से पहले उनका बचपन कुछ ज्यादा ही स्मार्ट हो रहा है। सेल्फी का जुनून जिस तरह आज वायरल हो रहा है, तो वो दिन दूर नही जब लोग किसी के ज़नाजे के साथ सेल्फी लेने लगेगें या फांसी की सजा पाये व्यक्ति से उसकी अंतिम इच्छा पूछी जाये तो वो कहेगा फांसी पर लटकते समय मुझे सेल्फी लेना है क्योंकि सेल्फी का बढता क्रेज और प्रसिद्धी का ये नया अंदाज लोगों में एक ऐसी मानसिकता का जहर घोल रहा है जिसकी चपेट में बच्चे, बुढे और जवान सभी आ रहे हैं। मेरा मानना है कि, बीच सङक पर व्यस्त ट्रॉफिक के बीच, समुन्द्र के किनारे, ऊची पहाङियो पर या चलती ट्रेन से लटक कर सेल्फी लेना भी किसी खुदकुशी से कम नही है। अप्रैल महीने में नवी मुंबई में तीन छात्रों ने सेल्फी के चक्कर में जान गंवा दी। आगरा के पास तीन छात्र रेल के नीचे आ गए। ताजमहल देखने निकले थे लेकिन अपनी कार रोकी और रेलवे ट्रैक पर दुस्साहसी सेल्फी लेने का हौसला कर बैठे। छात्रों की कोशिश थी कि ट्रेन के बैकग्राउंड में सेल्फी लें लेकिन ट्रेन बहुत पास आ गई और दुर्घटना हो गई। मई महीने में रूस में एक महिला ने सेल्फी लेते वक्त खुद को गोली मार ली। वो कनपटी पर बंदूक तान कर सेल्फी लेना चाहती थी। ट्रिगर दब गया और जीवन ही समाप्त हो गया। सेल्फी की वजह से बढते एक्सीडेंट को देखते हुए महाराष्ट्र में तो समुन्द्र के किनारे सेल्फी लेने पर बैन लगा दिया है।


आज संवेदनाहीन होती सेल्फी कुछ अलग ही नजर आ रही है। पश्चिमी देशों में सेल्फी का रुझान बढ़ने के बाद इन देशों में युवा अजीबोगरीब तरीके से खुद की फोटो ले रहे हैं। इन युवाओं की सेल्फी सनक कुछ इस तरह नजर आ रही है जिसमें कुछ युवा सड़क किनारे फुटपाथ, पार्क, बेंच पर सोए लोगों के साथ सेल्फी ले रहे हैं और इसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपलोड कर रहे हैं। वक्त रहते सेल्फी के वायरस को वायरल होने से रोकना चाहिये क्योंकि ये महज एक सनक है जो प्रगतिशील समाज की उन्नति के लिये सबसे बङी बाधा बनकर उभर रही है।

मित्रों, सेल्फी को जिवंत रखें ऐसा न करें कि उसपर माल्यार्पण हो जाये। 

धन्यवाद
अनिता शर्मा

Mail ID - www.voiceforblind@gmail.com





Sunday, 27 March 2016

A social message


मित्रों , जिस तरह से आजकल सभी के लिये बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है।  पढाई पूरी करने के बाद भी जॉब की समस्या है। जितनी जरूरत है उतनी जॉब है नही और तो और कहीं नौकरी की संभावना है तो वहाँ आपसे काम का अनुभव माँगा जाता है। ये सोचने वाली बात है कि पढाई करके हर व्यक्ति जब तक कहीं काम नही करेगा तब तक उसे अनुभव कैसे मिलेगा???  यदि जॉब मिलेगी तभी तो अनुभव मिलेगा! ऐसे में हमें अन्य विकल्प पर भी ध्यान देना होगा। 

हालांकि ये समस्या हर जगह है पर हम आज बात कर रहे हैं आप सबसे दृष्टीबाधित बच्चों की जो दोहरी मार का शिकार होते हैं। एक तो अनुभव नही और ऊपर से दृष्टीबाधिता जिसपर आम इंसान भरोसा ही नही करता. जबकि उन लोगों में भी कई तरह की प्रतिभा होती है और अधिकांशतः काम वो कर सकते हैं फिर भी कुछ उदासीनता की वजह से उन्हे आत्मनिर्भर बनने का अवसर ही नही मिलता।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए voice for blind क्लब एक ऐसे कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहा है, जिसमें हम लोग उन्हे ये सिखाने का प्रयास करेंगे कि आप अपना स्वंय का व्यपार कैसे कर सकते हैं और मार्केटिंग कैसे कर सकते है। 
इस कार्यशाला में लेक्चर के साथ प्रेक्टिकल नॉलेज भी दिया जायेगा। 

ये कर्यक्रम 1 मई2016  से 7 मई 2016  तक आगरा के पास जलेसर में आयोजित किया जा रहा है। इसमें विभिन्न राज्यों के दृष्टीबाधित बच्चे शामिल हो रहे हैं। इस कार्यक्रम में हमारे क्लब के सदस्य अंचल जी का विशेष सहयोग है क्योंकि इस आयोजन का प्रबंध वही कर रहे हैं। अर्थात उनके 7 दिन तक रहने और खाने की व्यवस्था इत्यादि इत्यादि..

आज कुछ दृष्टीबाधित लोग सफल व्यपार करते हुए अपनी स्वयं की इंड्रस्टी भी लगा चुके हैं। उन्ही लोगों से प्रेरणा लेकर हम लोग, ये आयोजन करने का प्रयास कर रहे हैं। आप सभी पाठकों से निवेदन है कि , यदि आपमें से कोई बिजनस या पर्सनाल्टी डेवल्पमेंट में या बैंकिग परिक्षा या अन्य प्रतियोगी परिक्षा की तैयारी करवाने वाले कार्य में हैं और इन विषयों पर उनका मार्ग दर्शन करना चाहते है तो voice for blind क्लब के इस आयोजन में आपका स्वागत है। अपना परिचय और आप किस तरह से मदद करना चाहेंगे उसका विस्तृत विवरण हमें मेल करें।  ये ध्यान रहे ये कार्य निःस्वार्थ और निःशुल्क किया जा रहा है। आपका अनुभव एवं ज्ञान दृष्टीबाधित बच्चों को आत्मनिर्भर से जीवन जीने का सहारा दे सकता है। 

Mail ID  voiceforblind@gmail.com 
धन्यवाद 
अनिता शर्मा  

Tuesday, 22 March 2016

होली की शुभकामनाएं

बसंत की विदाई और ग्रीष्म के आगमन के बीच में भीनी-भीनी महक लिये होली का त्योहार अपने रंगो की बहार से भारत की फीजा को उल्लास पूर्ण बना देता है। तरह तरह के रंग-गुलाल सबके जीवन को अनगिनत भावनाओं से सराबोर कर देते हैं। ये रंग मन को तो रंगते ही हैं, साथ ही वसंत के झोके के साथ फागुन के रंगो की बहार लिये जीवन के अवसाद पर खुशियों भरे रंगो की भी बौछार कर देते है।

होली तो एक ऐसा त्योहार है जिसमें अनेक भावों का रंग समाया हुआ है। ये सारे देश का त्योहार है। होली में हिन्दु मुस्लिम एकता का रंग और गहरा हो जाता है। नवाब आसिफ उद्दौला के समय तो होली आते ही अयोध्या के आस-पास के क्षेत्रों से कलाकार लखनऊ आ जाते थे और अपनी कला का प्रदर्शन करते थे, जिनमें कहारों का 'कहरवां' और धोबियों का 'बरहण' काफी सराहा जाता था। नवाब वाजिद अली ने तो होली के लिये विशेष गीत लिखा था.....
"ऐसे कन्हाई से प्रीत न करिए, बहिया गहे मोरी सारी रे।
पिया मेरा मन ललचाए, काहे मारत पिचकारी रे।

फागुन का सबसे पुराना त्योहार होली है जिसमें समय-समय पर नए-नए विधान जुड़ते गए। पौराणिक काल की कथा के अनुसार प्रहलाद और उनकी बुआ होलिका का किस्सा मशहूर है। इतिहास के अनुसार तो सुलतान, शंहशाह और बादशाह भी आम जनता के साथ मिलकर होली का त्योहार मनाते थे। बरसाने की होली तो कृष्ण और गोपियों की गाथा से रंगी हुई है।

होली ने तो क्रांति में भी रंग भर दिया था। कानपुर की होली इसका जिवंत उदाहरण है। 1942 में कानपुर को एशिया का मेनचेस्टर कहा जाता था। देश के कोने-कोने से गाॉव के लोग रोजी रोटी कमाने यहाँ आते थे। होली पर ये लोग कई दिनों तक खुशी के रंग से सराबोर रहते थे, जिसे कुछ अंग्रेज अफसर पसंद नही करते थे। एक बार एक अंग्रेज अधिकारी पर रंग पड़ गया , उसने कलेक्टर से कह कर सख्त आदेश जारि करवाया जिसमें होली न खेलने की बात कही गई।

इस सांस्कृतिक गुलामी के खिलाफ पूरे कानपूर के नागरिकों ने क्रांति का शंखनाद कर दिया। हटिया के रज्जन बाबू पार्क में तिरंगा फैलाया गया। अनेक साथी गिरफ्तार हुए और पूरे शहर में होली एक क्रांति का प्रतीक बन गई थी। इस क्रांति में हिन्दु मुस्लिम और सिख्ख सभी लोग शामिल थे। इस क्राति का ऐसा असर हुआ कि अंग्रेजों को झुकना पड़ा और होली खेलने की इजाज़त देनी पड़ी। इस जीत के बाद कानपुर में पूरे सात दिन तक होली मनाई गई तभी से आज तक कानपुर में सात दिन तक होली मनाई जाती है।

क्रांति हो या धार्मिक तथा सामाजिक माहौल हो, होली के त्योहर में ये सभी रंग इस तरह समाये हुए हैं कि ये पर्व भाई-चारे का प्रतीक बन गया है।होली का पर्व तो अपने रंगों के कारण सम्पूर्ण विश्व को, अपने रंग अपनी संस्कृति में बदल लेता है। कोई किसी भी देश का नागरिक हो लेकिन होली के रंगों के कारण विदेश में भी फगुआ के दिन भारतीय दिखाई देता है। यही तो होली की वैश्विक सांस्कृत विरासत है। गंगा जमुनी रंग में रंगा ये पर्व 
इंसानियत  का पैगाम है। रंगो के इस महोत्सव पर सुख, समृद्धी और खुशहाली के रंग से सबका जीवन मंगलमय हो। 
                  होली की हार्दिक बधाई 

Friday, 11 March 2016

ए.पी.जे. अब्दुल्ल कलाम


हम सबके आदर्श ए.पी.जे. अब्दुल्ल कलाम साहब का सम्पूर्ण जीवन हम सबके लिये ज्ञान का भंडार है। उनकी हर जिम्मेदारी हम सभी को नई दिशा प्रदान करती है। राष्ट्रपति के रूप में कलाम साहब को सबसे मिलनसार राष्ट्रपति कहा जाता है। अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल में उन्होने कई एतिहासिक कार्य किये जो अविस्मरणिय हैं। Read more.....
मिलनसार राष्ट्रपति ए.पी.जे.अब्दुल्ल कलाम


मित्रों, अभी हाल में ही उड़ीसा सरकार ने ह्वीलर द्वीप का नाम हम सबके प्रिय अब्दुल कलाम साहब के नाम कर दिया है। उनके सम्मान में ये कदम बहुत प्रशंसनिय है। ह्वीलर द्वीप से कलाम साहब का क्या नाता रहा है?  इसके बारे में आप सबसे कलाम साहब के संस्मरण को साझां करना चाहेंगे, जो उन्होने अपनी पुस्तक टर्निंग प्वाइंट में उल्लेखित किया है। Read more..... ए.पी.जे.कलाम और ह्वीलर द्वीप

जीवन में बङे सपने देखने और उसे पूरा करने में विश्वास रखने वाले महान वैज्ञानिक, देश-विदेश के लाखों युवाओं के आदर्श डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम साहब अपने मजबूत हौसलों के साथ 2002में राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए। अपने कार्यकाल के दौरान आपने राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डेन को नये आयामों से सुशोभित किये। Read more.....
मुगल गार्डेन और डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम

देश विदेश के लाखों युवाओं के आदर् और प्रेरणास्रोत, भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सर्वाधिक लोकप्रिय रहे हैं। उनकी लिखी पुस्तकें विंग्स ऑफ फायरइनडोमिटेबल स्परिटस्परिट ऑफ इण्डियाइग्नाइटिड माइंड्रस बैस्टसैलर रहीं हैं। आपकी नई पुस्तक टर्निगं प्वाइंट्स अतुल्य किताब है। ये पुस्तक विंग्स ऑफ फायर के आगे के पहलु को बयां करती है।
मित्रों, राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए उनके द्वारा किये श्रेष्ठ कार्यों की वजह से उनको पीपल्स प्रेज़िडेन्ट कहा जाता है।
Read more..... डॉ.कलाम की कविता

स्वपनदृिष्टा और युवाओं के आइकॉन, देश ही नही वरन दुनिया के महान वैज्ञानिकों में प्रतिष्ठित हम सबके प्यारे मिशाइल मैन, ए.पी.जे. कलाम साहब आज भले ही हम लोगों के बीच नही हैं किन्तु, उनके संदेश उनके कार्य सदैव हम सबको प्रेरणा देते रहेंगे। भारत रत्न कलाम साहब का सम्पूर्ण जीवन ही  प्रेरणादायी है। एक राष्ट्रपति के अलावा वह एक आम इन्सान के तौर पर सभी युवाओं की पहली पसंद और प्रेरक हैं। उनकी बातेंउनका व्यक्तित्वउनकी पहचान न केवल एक राष्ट्रपति के रूप में हैं बल्कि जब भी लोग खुद को कमजोर महसूस करते हैं कलाम का नाम ही उनके लिए प्रेरणा बन जाता है। उनके द्वारा कहे गये कुछ  संदेशों को याद करते हुए  श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को शांति मिले तथा भारत के प्रति उनका सपना साकार हो, 2020 विजन से भारत विश्व में नई ऊँचाइयों को हासिल करे। 

"सपना वो नही जो हम नींद में देखते हैं, सपना वो है जो हमें नींद न आने दे।" 



"महान सपने देखने वालों के सपने अवश्य पूरे होते हैं।" 

Thanks :)


Tuesday, 8 March 2016

International Women Day



अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक बधाई, हालांकी नारी शक्ति किसी एक दिन की मोहताज नही है क्योंकि नारी तो शक्ति का प्रतीक है। वो जो ठान ले उसे पूरा करने का ज़जबा उसके रग-रग में भरा हुआ है। नारी शक्ति का महत्व इस बात से भी लगाया जा सकता है कि, सृष्टी में धरा (पृथ्वी) को भी स्त्री की संझा से सम्बोधित करते हुए हम सब धरती माता कहते हैं, जो सृष्टी का पालन करने में सक्षम है। धैर्य की प्रतिमूर्ती नारी, आज ऑटो रिक्शा से लेकर फाइटर प्लेन उड़ाने में सक्षम है. सृष्टी की रचनाकाल से ही नारी में शक्ति का गुंण विद्यमान है. कतिपय कुछ विचारधारा का उसकी शक्ति पर समय-समय पर अंकुश लगा दिया जाता है, जिसे सुख शान्ति की कामना करने वाली नारी; समझौते का वस्त्र धारण कर अपनी शक्ति को जाहिर करने से रोक देती है। वरना रणभूमी हो या कर्म का कोई भी क्षेत्र , वेद. पुराण हो या विभिन्न धर्म हर जगह नारी शक्ति का महत्व विद्यमान है। यहाँ तक की जगत पिता शिव भी शक्ति के बिना अधुरे हैं। हाँथों में चुडियाँ पहनने वाली नारी की योग्यता का परचम कलम हो या तलवार दोनों की धार में बखुबी दिखता है। वात्सल्य और प्रेम की भावना से भरी नारी साहस ,धैर्य , सहयोग तथा समझौते की प्रतीक है।  घर-परिवार तथा समाज में खुद को पिछे रखते हुए सबको आगे बढने का अवसर देती है। उसके इस नम्र गुंण को कमजोरी न समझें। रानी लक्षमीबाई, महादेवी वर्मा , मदर टेरिसा जैसा गुंण लिये नारी कल भी शक्तिशाली थी , आज भी है और भविष्य में भी रहेगी.................

Sunday, 6 March 2016

“ऊँ नमः शिवाय”



सर्वशक्तिमान लोक कल्याणकारी महादेव का स्वरूप भभूत से अलंकृत है। भाल पर चन्द्र देव तथा जटा में गंगा की धारा को समेटे ओंमकारेश्वर के गले में नागदेव विराजमान हैं। हाँथ में त्रीशूल और डमरू की नाद के साथ जगत पिता विश्वनाथ, माता पार्वती संग,  नंदी पर सवार विश्व का कल्याण करते हैं। जगत कल्याण हेतु शिवशंकर के 21 अवतार हुए हैं। नीलकंठ, एकादश रूद्र, दुर्वासा, महेश, हनुमान, वृषभ, किरात आदि भोलेनाथ के प्रमुख अवतार हैं। 

पशुपती, आशुतोष, सोमेंश्वर, महाकालेश्वर, नटराज, जटाधारी नामो से पूज्यनीय ओंमकारेश्वर का पंचाक्षर मंत्र है, ऊँ नमः शिवाय। उपनिषद एवं भगवद् गीता के अनुसार ऊँ एक पवित्र मंत्र है, जिसे एकाक्षर ब्रह्म कहा गया है अर्थात परमेश्वर। परंब्रह्म परमेश्वर भोलेनाथ की पूजा लिंग रूप में की जाती है। स्कंदपुराण में कहा गया है कि जिसमें सम्पूर्ण सृष्टी समाहित है एवं जिसके कारण प्रलय होता है वो लिंग है। सभी देवताओं का निवास तथा सम्पूर्ण सृष्टी का प्रतीक है लिगं। शिवलिंग, महासामर्थ्यवान त्रीलोचन शिवशंकर का प्रतीक है और ऊँकार स्वरूप में देवाधीदेव महादेव का चिन्ह है। भक्तों की पुकार पर उनके कष्ट निवारण हेतु साक्षात शुभंकर भगवान शिव, ज्योति रूप में प्रकट होकर बारह ज्योतिलिंग में तेजोमय होकर अलग-अलग स्थानो पर विद्यमान हैं।

सौराष्ट्रे सेमनाथं च श्री शैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंङ्कारममलेश्वरम्।
परल्यां वैद्यनाथं च डकिन्यां भीमशंङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने।
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं घुशमेशं च शिवालये।
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति।

शिवरात्री के पवित्र पर्व पर भगवान भोले नाथ की कृपा से समस्त सृष्टी का कल्याण हो एवं सभी की सात्विक मनोकामना पूर्ण हो।  
ऊँ नमः शिवाय