Sunday, 6 March 2016

“ऊँ नमः शिवाय”



सर्वशक्तिमान लोक कल्याणकारी महादेव का स्वरूप भभूत से अलंकृत है। भाल पर चन्द्र देव तथा जटा में गंगा की धारा को समेटे ओंमकारेश्वर के गले में नागदेव विराजमान हैं। हाँथ में त्रीशूल और डमरू की नाद के साथ जगत पिता विश्वनाथ, माता पार्वती संग,  नंदी पर सवार विश्व का कल्याण करते हैं। जगत कल्याण हेतु शिवशंकर के 21 अवतार हुए हैं। नीलकंठ, एकादश रूद्र, दुर्वासा, महेश, हनुमान, वृषभ, किरात आदि भोलेनाथ के प्रमुख अवतार हैं। 

पशुपती, आशुतोष, सोमेंश्वर, महाकालेश्वर, नटराज, जटाधारी नामो से पूज्यनीय ओंमकारेश्वर का पंचाक्षर मंत्र है, ऊँ नमः शिवाय। उपनिषद एवं भगवद् गीता के अनुसार ऊँ एक पवित्र मंत्र है, जिसे एकाक्षर ब्रह्म कहा गया है अर्थात परमेश्वर। परंब्रह्म परमेश्वर भोलेनाथ की पूजा लिंग रूप में की जाती है। स्कंदपुराण में कहा गया है कि जिसमें सम्पूर्ण सृष्टी समाहित है एवं जिसके कारण प्रलय होता है वो लिंग है। सभी देवताओं का निवास तथा सम्पूर्ण सृष्टी का प्रतीक है लिगं। शिवलिंग, महासामर्थ्यवान त्रीलोचन शिवशंकर का प्रतीक है और ऊँकार स्वरूप में देवाधीदेव महादेव का चिन्ह है। भक्तों की पुकार पर उनके कष्ट निवारण हेतु साक्षात शुभंकर भगवान शिव, ज्योति रूप में प्रकट होकर बारह ज्योतिलिंग में तेजोमय होकर अलग-अलग स्थानो पर विद्यमान हैं।

सौराष्ट्रे सेमनाथं च श्री शैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंङ्कारममलेश्वरम्।
परल्यां वैद्यनाथं च डकिन्यां भीमशंङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने।
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं घुशमेशं च शिवालये।
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति।

शिवरात्री के पवित्र पर्व पर भगवान भोले नाथ की कृपा से समस्त सृष्टी का कल्याण हो एवं सभी की सात्विक मनोकामना पूर्ण हो।  
ऊँ नमः शिवाय

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