Friday, 30 September 2016

शुभ नवरात्री



नवरात्री के शुभ अवसर पर 
वाइस फॉर ब्लाइंड की तरफ से 
आप सबको हार्दिक बधाई, 
माँ दुर्गा के आशिर्वाद से आप सबके जीवन में
खुशियों की बहार आये, 
आपका जीवन मंगलमय दीपों से रौशन हो 
जय माता दी 

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शक्ति और प्रकृती

शक्ति की उपासना का पर्व




Friday, 16 September 2016

Rio Paralympic 2016 (Congratulations) Devendra Jhanjhariya

रियो पैरालिंपिक 2016 में देवेन्द्र झांझरिया ने लिखी एक नई इबारत भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) प्रतियोगिता में अपना ही पिछला विश्व रेकार्ड तोङते हुए नया विश्व कीर्तिमान रचते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। राजस्‍थान के चुरू जिले से ताल्‍लुक रखने वाले देवेंद्र जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ने के दौरान एक इलेक्ट्रिक केबिल की चपेट में आ गए थे। जिसकी वजह से डॉक्‍टरों को उनका बायां हाथ काटने के लिए मजबूर होना पड़ा। अपनी विकलांगता को देवेंद्र ने मजबूरी नही बनने दी और लकङी तथा सरकंडे का भाला बनाकर अभ्यास करने लगे। उनके जज़्बे ने एक नई पहचान दी और देवेंद्र ने अनेक पुरस्कारों के साथ नया कीर्तिमान रचा। राजस्थान सरकार ने बुधवार को रियो पैरालिंपिक-2016 में भालाफेंक स्पर्धा का गोल्ड मेडल जीतने वाले भारतीय पैरा-एथलीट देवेंद्र झझारिया को 75 लाख रुपये की पुरस्कार राशि देने की घोषणा की है। 2002 में देवेंद्र ने कोरिया में आयोजित आठवीं एफईएसपीआईसी खेलों में गोल्‍ड मेडल जीता। 2004 में पहली बार एथेंस पैरालिंपिक खेलों के लिए क्‍वालीफाई किया। उस खेल में उन्‍होंने पुराने 59.77 मी के विश्‍व रिकॉर्ड को तोड़कर 62.15 मी जेवलिन थ्रो करके नया कीर्तिमान बनाया। 2012 में पदम श्री से सम्‍मानित होने वाले देश के पहले पैरालिंपिक खिलाड़ी बने। देवेंद्र ने 2013 में फ्रांस के लियोन में आयोजित आईपीसी एथलेटिक्‍स विश्‍व चैंपियनशिप में स्‍वर्ण पदक जीता। 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन पैरा गेम्‍स और 2015 की वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में उन्‍होंने सिल्‍वर मेडल हासिल किया। 2014 में फिक्‍की पैरा-स्‍पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर चुने गए। देवेन्द्र उपलब्धी ने सिद्ध कर दिया कि---  मंजिल उन्ही को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है। पंखो से कुछ नही होता, हौसलों से उङान होती है।

Tuesday, 13 September 2016

मैं हिंदी हूँ

भारत के मेरे सभी साथियों मैं आज आप सबसे अपने मन की बात कहती हूँ। मैं आप सबकी हिंदी हूं जिसे आप वर्ष में सिर्फ एक दिन 14 सितंबर को याद करते हैं। मुझे संविधान की पुस्तक में जकङ कर रख दिया गया है, जबकि मैं भी अपने पंखो को खोलना चाहती हूं। चारो दिशाओं में उङना चाहती हूं। मैं नदियों की तरह कल-कल करती हुई धरती पर प्रवाहित होना चाहती हूं। दूर आसमान में मस्त पवन के संग बातें करना चाहती हूं। साथियों, मैं ऋषियों की वाणी से निकल कर जन-जन का सुर बनना चाहती हूँ।

साहित्यकारों की कमान से निकल प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के संग गुनगुनाना चाहती हूं। आज आप हमारे नाम से सप्ताह मना रहे हो, कविताओं और निबन्धों का आयोजन कर रहे हो। जबकि मैं तो हर पल आपका साथ चाहती हूँ। सरकारी कामकाज की गलियों से निकलकर निजीकार्यलयों के कागजों पर चमकना चाहती हूं। आज के वैश्वीकरण में युग में मैं भी तकनिकी शब्दों से अलंकृत होना चाहती हूँ। मित्रों, ऐसा नही है कि मुझमें क्षमता नही है। सच्चाई तो ये है कि, मैं अंनतकाल से तकनिकी का आधार थी। परंतु समय का एक पल ऐसा आया जब मुझे कैद कर गुलाम बना लिया गया। आज मेरा देश तो स्वतंत्र हो गया लेकिन मैं आज भी स्वतंत्र विचरण नही कर सकती क्योंकि, जाते-जाते वो लोग मेरे घर में ही ऐसी जहरीली मानसिकता का जहर घोल गये जहां मेरी बहने ही मुझसे दूर हो गईं। आज मैं सात समन्दर पार सम्मानित होती हूं किंतु अपनो में बेगानी सी भटक रही हूं।  मैं रस, छंद, अलंकारो से अलंकृत भारत के भाल की बिंदी हूं। अनजाने भी अपने हो जाते हैं मेरे व्यवहार से फिर क्यों मुझे अपनो ने ही सिर्फ दिवस या सप्ताह में समेट लिया है। मैं तो स्वाभीमान हुँ तुम्हारा, यदि मिले सुर मेरा तुम्हारा तभी तो अभिमान होगा क्योकि मैं हूं हिंदी और हिंदुस्तान हमारा।  

मेरी तो अभिलाषा है कि, स्वदेश में या विदेश में जहाँ भी मिले भारतवासी वार्तालाप हिंदी में हो। हिंद का गौरव; हिंदी भारत की कामयाबी का परचम चहुँओर फहराये। मेरे प्यारे साथियों, यदि वास्तव में मुझे सम्मानित करना चाहते हो तो आज दृणसंक्लप करो कि, मुझे दिवस के बंधनो से मुक्त करके खुला आसमान दोगे। शिक्षा और धनार्जन में भी मुझे साथ रखोगे। मुझे विश्व में प्रथम स्थान पर विभूषित करके भारत का सम्मान करो
धन्यवाद  :)  

Monday, 12 September 2016

Rio Paralympic 2016 (Congratulations) Deepa



बधाई बधाई बधाई, आँधियों के आसमान पर एक और आशियाँ

पैरालिंपिक खेलों में एक महिला ने भारत के लिए इतिहास रचा है. भारत की दीपा मलिक ने शॉट-पट में रजत पदक जीत लिया है. दीपा ने 4.61 मीटर तक गोला फ़ेंका और दूसरे स्थान पर रहीं. पैरालिंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली दीपा पहली भारतीय महिला बन गई हैं.45 साल की दीपा हरियाणा से हैं और साल 2012 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाज़ा गया था. दीपा ने राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते हैं. वो शॉट-पट के अलावा, जैवलिन थ्रो और मोटर साइकलिंग जैसे खेलों में भी खूब बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं.

दीपा से पहले इन्हीं पैरालिम्पिक खेलों की हाई जम्प प्रतियोगिता में भारत गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीत चुका है.

सोचिये! 119 खिलाङी रियो ओलंपिक में सिर्फ 2 मेडल जबकि 19 खिलाङी और अब तक 3 मेडल और तो और एक गोल्ड भी। ये कारनामा ऐसे खिलाङियों द्वारा हो रहा है जिनका जीवन आसान नही है। शारीरिक अक्षमता के बावजूद देश को गौरवान्वित करने वाले सच्चे हीरो को हमारा समाज, वो सम्मान नही देता जिसके वो हकदार हैं । अपने दिव्यांग खिलाङियों के जज़्बे को प्रोत्साहित किजीये और समाज में भी बराबर का दर्जा देकर सम्मानित किजीये।


Saturday, 10 September 2016

Rio Paralympic 2016 (Congratulations)


देश के ऐसे खिलाङियों ने ये कारनामा किया है जिनका जीवन आसान नही है। ये देश के वो हीरो हैं जिन्होने आँधियों के बीच में अपना आशियाँ बनाया है। ऊंची कूद में तमिलनाडु के रहने वाले मरियप्पन थांगावेलू ने गोल्ड पर कब्जा जमाते हुए इतिहास रच दिया है तो वहीं दिल्ली के करीब ग्रेटर नोएडा से आए वरुण सिंह भाटी ने 1.86 मीटर कूद कर इसी इवेंट में कांस्य पदक अपने नाम किया है। भारत के गौरव मरियप्पन थांगावेलू और वरुण सिंह भाटी को वाइस फॉर ब्लाइंड का सलाम। शारीरिक अक्षमता के बावजूद इन खिलाङियों ने ये सिद्ध कर दिया कि, जहाँ चाह है वहाँ राह है।


रियो डी जेनेरो: रियो में चल रहे पैरा ओलिंपिक खेलों में भारत ने इतिहास रचा है. हाई जंप इवेंट में भारत ने स्वर्ण और कांस्य पदक पर कब्ज़ा जमाया है. ऊंची कूद में तमिलनाडु के रहने वाले मरियप्पन थांगावेलू ने गोल्ड पर कब्जा जमाते हुए इतिहास रच दिया है तो वहीं दिल्ली के करीब ग्रेटर नोएडा से आए वरुण सिंह भाटी ने 1.86 मीटर कूद कर इसी इवेंट में कांस्य पदक अपने नाम किया. मिलनाडु सरकार ने मरियप्पन को 2 करोड़ रुपए के ईनाम देने की घोषणा की है.।


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ट्विटर पर इस जीत के लिए थांगावेलू और भाटी को बधाई दी है. Congrats M.Thangavelu and V.Bhati on winning gold and bronze respectively in men's High Jump event at Rio Paralympics

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर पर इन दोनों को खिलाड़ियों को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर शुभकामनाएं दी हैं.India is elated! Congratulations to Mariyappan Thangavelu on winning a gold & Varun Singh Bhati for the bronze at the

मरियप्‍पन थांगावेलू , मुरलीकांत पेटकर (स्वीमिंग 1972 हेजवर्ग) और देवेंद्र झाझरिया (भाला फेंक, एथेंस 2004 ) के बाद गोल्ड जीतने वाले तीसरे भारतीय हैं। बीजिंग ओलंपिक्स में स्वर्ण जीत चुके शूटर अभिनव बिंद्रा ने भी इस मौके पर दोनों खिलाड़ियों को बधाई दी। वहीं बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने उम्मीद जताई कि इन दोनों खिलाड़ियों को वही सम्मान दिया जायेगा जो ओलंपिक पदक विजेता पी वी सिंधू और साक्षी को मिला।


अभिनेता अमिताभ बच्चन ने भी ट्विटर पर इन दोनों खिलाड़ियों के ऐतिहासिक प्रदर्शन पर शुभकामनाएं दी.. joy for India .. Gold & Bronze for Thangavelu and Bhatti in high jump ! COME ON INDIA !!!

पैरालंपिक खेलों के इतिहास में भारत के लिए ये तीसरा गोल्ड है। इससे पहले 1972 (जर्मनी) में तैराक मुरलीकांत पेटकर और जेवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझड़िया ने एथेंस पैरा ओलंपिक 2004 में गोल्ड जीता था।

1968 में भारत ने पहली बार पैरा ओलंपिक गेम्स में हिस्सा लिया, लेकिन कोई भी पदक जीतने में नाकामयाब रहा। 1972 में जर्मनी में हुए खेलों में पैरालंपिक खिलाड़ी मुरलीकांत पेटकर ने भारत के लिए पहला पदक जीता। आपको बता दें कि पेटकर ने स्विमिंग में गोल्ड जीता और उनसे पहले किसी भी खिलाड़ी ने सामान्य ओलंपिक खेलों में भी भारत के लिए गोल्ड नहीं जीता था। सेना के जवान मुरलीकांत पेटकर न सिर्फ भारत के लिए पहला सोना जीता बल्कि उन्होंने सबसे कम समय में 50 मीटर तैराकी प्रतियोगिता जीतने का वर्ल्ड रिकार्ड (पैरालंपिक) भी बनाया। उन्होंने यह रेस 37.33 सेकेंड में पूरी की। 84 वर्षीय पेटकर 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में बुरी तरह घायल हो गए थे।

Sunday, 4 September 2016

गणेश चतुर्थी विशेष


हिन्दु धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले निर्विघ्नं देव गणेंश जी की पूजा अर्चना प्राचीन काल से प्रचलित है। आज भले ही हम सब डिजिटल इंडिया के तहत आधुनिकता के परिवेश में विकास के सोपान पर कदम दर कदम बढ रहे हैं, फिरभी गणेश जी की अर्चना आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी पुरातन काल में थी। वर्तमान में तो गंणेश चतुर्थी का त्योहार पहले से भी अधिक धूम-धाम से मनाते हैं। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस पर्व को स्वतंत्रता के दौरान  राष्ट्रीय त्योहार बना दिया था, जिसका मकसद था लोगों में देशभक्ती का जज़्बा जगाना।

शुभता और मंगल फल प्रदान करने वाले गंणेश जी का त्योहार इस वर्ष 5 सितंबर को मनाया जायेगा। पुराणों में गणेंश जी के आठ अवतारों का वर्णन हैः- वक्रतुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लंबोदर, विकट, विघ्नराज एवं धूम्रवर्ण। गणेंश जी के सभी अवतार विशेष सिद्धी दायक है। शुभ-लाभ, ऋृद्धी-सिद्धी प्रदायक विघ्ननाशक गणेंश जी ऐसे देवता हैं, जो सर्वमान्य एवं सार्वभौम्य हैं। विघ्नहर्ता गंणेश जी का वंदन करते हुए श्रद्धा पूर्वक शत् शत् नमन करते हैं। भगवान शकंराचार्य ने कहा है--

यमेकाक्षरं निर्मलं निर्विकल्पं
गुणातीतमानन्दमाकारशून्यम्।
परं पारमोंकारमामनायगर्भ
वदंति प्रगल्भं पुराणं तमीडे।।
अर्थातः-  जिसे एकाक्षर, विमल, विकल्परहित, त्रिगुणातीत, परंमानंदमय निराकार और प्रणव स्वरूप, वेदगर्भ और पुराण पुरुष कहकर मुनिगण श्रद्धापूर्वक कीर्तन करते हैं, मैं उन ईशानंद गणपति की स्तुती करता हूँ। 

सिद्धी विनायक गंणेश जी आप सबकी मनोकामना पूर्ण करें इसी भावना के साथ गंणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं  

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प्रथम पूज्य श्री गंणेश    

मंगल मूर्ती वरदविनायक गणेश